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राष्ट्रीय भूस्खलन पूर्वानुमान केंद्र

Lokesh Pal July 23, 2024 04:07 437 0

संदर्भ

केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री ने कोलकाता में भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India- GSI) में राष्ट्रीय भूस्खलन पूर्वानुमान केंद्र (National landslide forecasting centre- NLFC) का उद्घाटन किया। 

संबंधित तथ्य

  • इस अवसर पर भूसंकेत (Bhusanket) वेब पोर्टल और भूस्खलन (Bhooskhalan) मोबाइल ऐप पहल का शुभारंभ किया गया। 
    • भूसंकेत वेब पोर्टल (Bhusanket Web Portal): यह भूस्खलन के खतरों पर महत्त्वपूर्ण जानकारी साझा करने और लघु एवं मध्यम दूरी के भूस्खलन पूर्वानुमान शुरू करने में मदद करेगा। 
    • भूस्खलन मोबाइल ऐप: यह उपयोगकर्ताओं को दैनिक भूस्खलन पूर्वानुमान शीघ्रता से वितरित करेगा।

राष्ट्रीय भूस्खलन पूर्वानुमान केंद्र (NLFC)

  • उद्देश्य
    • भूस्खलन जोखिम शमन (Landslide Hazard Mitigation): इसका उद्देश्य भारत में भूस्खलन जोखिम को कम करना है। 
    • प्रारंभिक चेतावनी बुलेटिन (Early Warning Bulletins): यह सभी भूस्खलन प्रवण राज्यों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करेगा, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक देश भर में क्षेत्रीय भूस्खलन प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (Landslide Early Warning System-LEWS) को लागू करना है। 

भूस्खलन के बारे में

  • भूस्खलन चट्टान, मलबे या मिट्टी का ढलान से तेजी से खिसकना है, जिसे सामूहिक विनाश भी कहा जाता है। 
  • भारत में भूस्खलन-प्रवण क्षेत्र: प्रमुख जल-भूवैज्ञानिक खतरे भारत के 15% भू-भाग को प्रभावित करते हैं, जिनमें शामिल हैं: 
    • हिमालय
    • पूर्वोत्तर पर्वत शृंखलाएँ
    • पश्चिमी घाट
    • नीलगिरी
    • पूर्वी घाट
    • विंध्य

संवेदनशील क्षेत्र (Susceptible Regions)

  • हिमालय और पश्चिमी घाट: पहाड़ी इलाकों और भारी वर्षा के कारण अत्यधिक संवेदनशील। 
    • कारण: भारतीय प्लेट के उत्तर की ओर चीन की तरफ बढ़ने से चट्टानों पर लगातार दबाव पड़ता है, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं और भूस्खलन तथा भूकंप का खतरा बढ़ जाता है। 

भूस्खलन के कारण

प्राकृतिक कारण

मानवीय कारण 

  • भारी वर्षा (Heavy Rainfall): मिट्टी की नमी बढ़ जाती है, जिससे ढलानें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। 
  • बाढ़: ढलानों को कमजोर कर देती है, जिससे वे अस्थिर हो जाती हैं। 
  • भूकंप: चट्टानों और मिट्टी को हिलाता और ढीला करता है।
  • बर्फ पिघलना: ढलानों पर पानी जमा हो जाता है, जिससे अस्थिरता पैदा होती है।
  • अतिचारण: इससे वनस्पतियों की संख्या कम हो जाती है, जिससे मृदा अपरदन होता है।
  • भू-भाग काटना और भरना: भूमि संरचना में परिवर्तन ढलानों को अस्थिर कर सकता है।
  • अत्यधिक विकास: निर्माण और वनों की कटाई से भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। 

भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के बारे में 

  • स्थापना और विकास (Establishment and Growth)
    • 1851 में स्थापित: प्रारंभ में रेलवे के लिए कोयला भंडार खोजने के लिए स्थापित किया गया था। 
    • मुख्यालय: कोलकाता। 
  • मुख्य कार्य
    • भू-वैज्ञानिक जानकारी (Geoscientific Information): राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक डेटा का निर्माण और अद्यतनीकरण। 
    • खनिज संसाधन मूल्यांकन (Mineral Resource Assessment): खनिज संसाधनों के लिए सर्वेक्षण और जाँच आयोजित करता है। 
    • सर्वेक्षण: इसमें जमीनी, हवाई और समुद्री सर्वेक्षण शामिल हैं। 

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