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राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम

Lokesh Pal January 13, 2025 02:38 158 0

संदर्भ 

हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (National Programme for Organic Production-NPOP) और अन्य पोर्टलों के 8वें संस्करण का शुभारंभ किया।

राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम 

  • राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम, निम्नलिखित के कार्यान्वयन के लिए एक संस्थागत तंत्र प्रदान करता है:
    • राष्ट्रीय जैविक उत्पादन मानक (National Standards for Organic Production- NSOP), प्रमाणन प्रणाली, प्रमाणन निकायों की मान्यता के लिए मानदंड एवं प्रक्रिया, प्रमाणन निकायों के संचालन के लिए मानदंड, राष्ट्रीय (भारत जैविक) लोगो और इसके उपयोग को नियंत्रित करने वाले नियम।
  • सचिवालय: कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority- APEDA), NPOP के कार्यान्वयन के लिए सचिवालय है।
  • नोडल मंत्रालय: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार)।
  • शुभारंभ: जैविक उत्पादों के लिए तीसरे पक्ष की प्रमाणन प्रणाली की निर्यात आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए कार्यक्रम वर्ष 2001 में शुरू किया गया था।
  • कानूनी अधिनियम: यह योजना विदेशी व्यापार विकास विनियमन अधिनियम (FTDR), 1992 के प्रावधानों के तहत अधिसूचित जैविक उत्पादों में व्यापार के लिए नियामक आवश्यकताओं को निर्धारित करती है।
  • मान्यताएँ: उत्पादन और मान्यता प्रणाली के लिए NPOP मानकों को यूरोपीय आयोग और स्विट्जरलैंड द्वारा अप्रसंस्कृत संयंत्र उत्पादों के लिए उनके देश के मानकों के बराबर माना गया है।
  • विशेषताएँ
    • मान्यता: इस कार्यक्रम के तहत मान्यता प्राप्त करने के इच्छुक प्रमाणन निकायों के प्रमाणन कार्यक्रमों का मूल्यांकन और मान्यता प्रदान करना।
    • इस कार्यक्रम के तहत प्रमाणन निकायों के प्रमाणन कार्यक्रम के मूल्यांकन की प्रक्रिया प्रदान करना।

    • विभिन्न उत्पाद श्रेणियों के लिए जैविक उत्पादन, प्रसंस्करण, हैंडलिंग और लेबलिंग के लिए राष्ट्रीय मानक विकसित करना।
    • पारस्परिक मान्यता समझौते के अनुसार, आयातक देशों के जैविक मानकों के अनुरूप जैविक उत्पादों के प्रमाणन की सुविधा प्रदान करना।
    • सुनिश्चित करना कि प्रमाणन प्रणाली पारदर्शी, पालन करने में आसान और अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हो।
  • 8वें संस्करण की विशेषताएँ
    • अनुपालन को सरल बनाना: जैविक उत्पादक समूहों के लिए प्रमाणन आवश्यकताओं को सरल बनाया गया है और आंतरिक नियंत्रण प्रणाली (ICS) के स्थान पर उन्हें विधिक दर्जा दिया गया है।
    • बाजार संबंध: जैविक उत्पादक समूहों की आंतरिक नियंत्रण प्रणाली (ICS) को संपूर्ण जैविक उत्पाद की खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए या किसानों को सहायता देने के लिए बाजार संबंध स्थापित करने चाहिए।
    • भूमि रूपांतरण अवधि में कमी: संशोधित छूट प्रावधानों में शर्तों और सुरक्षा उपायों के अधीन, जैविक में भूमि रूपांतरण अवधि में तीन वर्ष तक की संभावित कमी की अनुमति है।
    • पारदर्शिता: अब जैविक किसानों और अन्य प्रासंगिक विवरणों के बारे में सार्वजनिक डोमेन में जानकारी के प्रकटीकरण की आवश्यकता है, जिससे प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
    • निगरानी तंत्र: निगरानी, ​​मानीटरिंग और डेटा विश्लेषण के लिए आईटी उपकरणों और वेब-आधारित ट्रेसिबिलिटी सिस्टम, ट्रेसनेट (TraceNet) के एकीकरण के साथ निगरानी तंत्र को मजबूत करना।

कार्यक्रम के दौरान अनावरण किए गए पोर्टल्स 

  • NPOP पोर्टल: यह राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (National Programme for Organic Production-NPOP) के लिए एक समर्पित पोर्टल होगा और जैविक हितधारकों के लिए अधिक दृश्यता तथा संचालन में आसानी प्रदान करेगा।
  • जैविक संवर्द्धन पोर्टल: इसमें जैविक उत्पादन पर ऑपरेटरों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण सत्र और जैविक व्यापार कार्यक्रमों की जानकारी भी शामिल होगी।
    • किसान, FPO और निर्यातक अपने प्रमाणित जैविक उत्पादों का प्रदर्शन कर सकते हैं, व्यापार लीड उत्पन्न कर सकते हैं और वैश्विक खरीदारों से जुड़ सकते हैं।
  • ट्रेसनेट (TraceNet) 2.0: ट्रेसनेट हितधारकों को खेत से बाजार तक जैविक कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के लिए पारदर्शिता, पता लगाने की क्षमता और अनुपालन सुनिश्चित करके संचालन को सुव्यवस्थित करने और वैश्विक जैविक प्रमाणन मानकों को पूरा करने का अधिकार देता है।
    • उन्नत ऑनलाइन जैविक ट्रेसबिलिटी सिस्टम कृषि के साथ प्रौद्योगिकी को एकीकृत करते हुए निर्बाध संचालन और विनियामक निरीक्षण के लिए उन्नत उपकरण प्रदान करेगा।
  • रीडिजाइन एंड रीवैम्प्ड एग्रीएक्सचेंज पोर्टल (Redesigned and Revamped AgriXchange Portal): यह कृषि निर्यात की रिपोर्ट और डेटा के अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल डेटा विश्लेषण और उत्पादन को सक्षम बनाता है, जिससे यह आम जनता के लिए सुलभ हो जाता है।
    • निर्यातक अंतरराष्ट्रीय खरीदारों एवं विक्रेताओं के साथ सहजता से जुड़ सकते हैं और साथ ही व्यापक व्यापार की जानकारी का पता लगा सकते हैं।
  • APEDA पोर्टल: कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के हितधारकों के लाभ के लिए उन्नत उपयोगकर्ता अनुभव और जानकारी के साथ APEDA पोर्टल को पुनः डिजाइन एवं नया बनाया गया है।
  • नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड: इसे विशेष रूप से मूल्य संवर्द्धन, पैकेजिंग और विपणन के लिए प्रशिक्षण सहित किसानों के साथ कार्य करके जैविक उत्पादों के मूल्य संवर्द्धन में मदद करने के लिए स्थापित किया गया है।

जैविक खेती के बारे में

  • परिभाषा: यह उत्पादन की एक प्रणाली है, जो उर्वरकों और कीटनाशकों जैसे कृत्रिम रूप से उत्पादित कृषि-इनपुट के उपयोग को प्रतिबंधित करती है और मृदा की उत्पादकता, उर्वरता तथा कीटों के प्रबंधन को बनाए रखने के लिए जैविक सामग्री (जैसे फसल अवशेष, पशु अवशेष, फलियाँ, जैव-कीटनाशक) का उपयोग करती है।
    • समग्र दृष्टिकोण: जैविक खेती एक स्थायी और स्व-विनियमन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए व्यक्तिगत घटकों (मिट्टी के खनिज, कार्बनिक पदार्थ, सूक्ष्म जीव, कीड़े, पौधे, जानवर और मनुष्य) सहित एक संपूर्ण-प्रणाली दृष्टिकोण पर जोर देती है।
  • आँकड़े
    • ‘रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर’ (FiBL) और ‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर मूवमेंट्स’ (IFOAM) के अंतरराष्ट्रीय संसाधन डेटा द्वारा जैविक कृषि करने वाले 187 देशों में वर्ष 2024 में किए गए सर्वेक्षण में-
      • विश्व की जैविक कृषि भूमि के मामले में भारत का स्थान दूसरा है।
    • उत्पादक: आर्थिक सर्वेक्षण 2022-2023 में उल्लेख किया गया है कि भारत में 4.43 मिलियन जैविक किसान हैं, जो विश्व में सर्वाधिक हैं।
    • उत्पादन: भारत ने लगभग 2.9 मिलियन मीट्रिक टन (वर्ष 2022-23) प्रमाणित जैविक उत्पादों का उत्पादन किया, जिसमें फाइबर फसलें सबसे बड़ी श्रेणी रही हैं।
      • इसके बाद तिलहन, चीनी संबंधी फसलें, अनाज और बाजरा, औषधीय/हर्बल और सुगंधित पौधे, मसाले, ताजे फल सब्जियाँ, दालें, चाय और कॉफी का स्थान आता है।
    • राज्यवार: मध्य प्रदेश सबसे बड़ा उत्पादक बनकर उभरा, उसके बाद महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक और ओडिशा का स्थान रहा है।
      • सिक्किम ने औपचारिक रूप से वर्ष 2016 में 100 प्रतिशत जैविक राज्य घोषित किया था।
  • जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकारी योजनाएँ
    • परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY): वर्ष 2015 में शुरू की गई यह योजना न्यूनतम 20 हेक्टेयर क्षेत्र वाले क्लस्टर दृष्टिकोण के माध्यम से जैविक गाँव को अपनाकर जैविक खेती को बढ़ावा देती है।
      • वर्ष 2020-21 से बड़े क्षेत्र प्रमाणन (Large Area Certification-LAC) कार्यक्रम की शुरुआत की गई है, ताकि पारंपरिक जैविक क्षेत्रों जैसे पहाड़ियों, द्वीपों, आदिवासी या रेगिस्तानी क्षेत्रों की पहचान की जा सके, जिनका GMO और कृषि रसायन के उपयोग का कोई इतिहास नहीं है, ताकि उन्हें प्रमाणित जैविक उत्पादन केंद्रों में बदला जा सके।
    • पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य शृंखला विकास मिशन (Mission Organic Value Chain Development for North East Region- MOVCDNER): यह राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन के तहत एक उप-मिशन है, जिसका उद्देश्य फसल वस्तु-विशिष्ट जैविक मूल्य शृंखला विकसित करना और जैविक फसल उत्पादन, फसल कटाई, जैविक पशुधन प्रबंधन तथा प्रसंस्करण आदि में अंतराल को दूर करना है।
    • जैविक खेती जैविक ई-कॉमर्स पोर्टल (Jaivik Kheti organic e-commerce portal): यह जैविक खेती के सर्व-समावेशी विकास और संवर्द्धन के लिए किसानों को खुदरा और थोक खरीदारों, और विभिन्न हितधारकों (क्षेत्रीय परिषदों, स्थानीय समूहों, व्यक्तिगत किसानों, खरीदारों, सरकारी एजेंसियों और इनपुट आपूर्तिकर्ताओं) से सीधे जोड़ता है।
    • जैविक और जैव-इनपुट को समर्थन: भारतीय प्राकृतिक खेती जैव-इनपुट संसाधन केंद्र, मातृ-भूमि के पुनरुद्धार, जागरूकता, पोषण और सुधार के लिए प्रधानमंत्री कार्यक्रम (PM Programme for Restoration, Awareness, Nourishment and Amelioration of Mother Earth- PM-PRANAAM), गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन (गोबरधन) योजना आदि योजनाएँ किसानों को जैविक उर्वरकों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।

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