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राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980

Lokesh Pal January 06, 2025 06:02 21 0

संदर्भ

मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने एक सुरक्षा समीक्षा बैठक की और उपद्रवियों तथा अराजकता फैलाने वालों को बिना मुकदमा चलाए एक वर्ष तक हिरासत में रखने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 के प्रयोग का सुझाव दिया।

संबधित तथ्य 

  • नृजातीय हिंसा: मैतेई तथा कुकी समुदायों के बीच निरंतर संघर्ष, विशेष रूप से याइंगंगपोकपी (YKPI) जैसे बफर जोन में, अस्थिरता उत्पन्न कर रहा है।
  • युद्धविराम उल्लंघन: UNLF के पाम्बेई गुट ने शांति नियमों का उल्लंघन किया, जिससे वर्ष 2023 का समझौता कमजोर हो गया।

यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) 

  • यह पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर राज्य में सक्रिय एक अलगाववादी विद्रोही समूह है।
  • गठन: वर्ष 1964 में स्थापित।
  • उद्देश्य: एक संप्रभु तथा समाजवादी मणिपुर की स्थापना करना।
  • गतिविधियाँ: 1990 के दशक से भारत सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में संबद्ध हैं।
  • वर्ष 2023 समझौता: नवंबर 2023 में, भारत सरकार, मणिपुर राज्य सरकार और UNLF ने एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो संघर्ष को हल करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (National Security Act- NSA), 1980 

  • NSA एक निवारक निरोध कानून है, जिसे वर्ष 1980 में सार्वजनिक व्यवस्था तथा राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए लागू किया गया था।
    • निवारक निरोध: किसी व्यक्ति को भविष्य में अपराध करने से रोकने या भविष्य में अभियोजन से बचने के लिए हिरासत में लेना शामिल है।
  • इस अधिनियम में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के गठन का भी प्रावधान है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों पर प्रधानमंत्री को सलाह देगी।

NSA से संबंधित संवैधानिक प्रावधान, 1980

  • अनुच्छेद 22(3)(b): राज्य सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए निवारक निरोध और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध की अनुमति देता है।
  • अनुच्छेद 22(4): निवारक निरोध को तीन महीने तक सीमित करता है जब तक कि:
    • सलाहकार बोर्ड हिरासत के लिए पर्याप्त कारण निर्धारित करता है। 
    • हिरासत संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुरूप है।
  • अनुच्छेद 22(5): हिरासत में लिए गए व्यक्तियों को स्वतंत्र सलाहकार बोर्ड के समक्ष प्रभावी प्रतिनिधित्व करने का अधिकार प्रदान करता है।
    • बोर्ड में तीन सदस्य होते हैं, जिनमें से एक वर्तमान या पूर्व उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होता है।

NSA, 1980 के प्रावधान

  • प्रशासनिक आदेश: हिरासत के आदेश संभागीय आयुक्त या जिला मजिस्ट्रेट (DM) द्वारा जारी किए जाते हैं, पुलिस द्वारा नहीं।
  • जिला मजिस्ट्रेट (DM) के लिए सुरक्षा: हिरासत के आदेश जारी करने वाले अधिकारियों को अधिनियम के तहत सुरक्षा दी जाती है और उनके कार्यों के लिए उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
  • हिरासत के लिए आधार: केंद्र या राज्य सरकारें निम्नलिखित को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए व्यक्तियों को हिरासत में ले सकती हैं:
    • राष्ट्रीय रक्षा
    • विदेशी देशों के साथ संबंध
    • राष्ट्रीय सुरक्षा
    • सार्वजनिक व्यवस्था
    • आवश्यक आपूर्ति एवं सेवाएँ
  • पुलिस हिरासत: जिला मजिस्ट्रेट NSA लागू कर सकता है, भले ही व्यक्ति पहले से ही पुलिस हिरासत में हो।
  • कारावास की अवधि: हिरासत की अधिकतम अवधि 12 महीने है।
    • बंदियों को आरोपों की जानकारी दिए बिना 10 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता है।
  • जमानत मामले: जमानत पर रिहा किये गए व्यक्ति को भी NSA के तहत हिरासत में रखा जा सकता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद 

  • राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (National Security Council- NSC): यह अधिनियम NSC के गठन का प्रावधान करता है।
  • उच्च स्तरीय निकाय: राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीतिक नीति और रक्षा पर प्रधानमंत्री को सलाह देता है।
  • संरचना: राजनीतिक, आर्थिक, ऊर्जा और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को संबोधित करने वाला एक त्रिस्तरीय संगठन।
  • अध्यक्ष: प्रधानमंत्री।
  • स्थापना: राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के लिए वर्ष 1998 में गठित।

NSC के सदस्य

  • राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor- NSA)।
  • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief of Defence Staff- CDS)।
  • उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार।
  • रक्षा, विदेश, गृह और वित्त मंत्री।
  • नीति आयोग के उपाध्यक्ष।

  • आरोपमुक्त किए गए व्यक्ति: अदालत द्वारा आरोपमुक्त किए जाने पर भी, व्यक्तियों को NSA के तहत हिरासत में रखा जा सकता है।
  • अधिकार प्रतिबंधित: हिरासत में लिए गए व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए जाने का संवैधानिक अधिकार विलोपित हो जाता है।
    • बंदी आपराधिक अदालत में जमानत के लिए आवेदन नहीं कर सकते।
  • कानूनी प्रक्रिया
    • बंदी सलाहकार बोर्ड में अपील कर सकते हैं।
    • गिरफ्तार व्यक्ति सलाहकार बोर्ड के समक्ष कार्यवाही से जुड़े किसी भी मामले में किसी कानूनी व्यवसायी की सहायता पाने का भी हकदार नहीं है, जिसका गठन सरकार द्वारा NSA मामलों से निपटने के लिए किया जाता है।
  • NSA के विरुद्ध सीमित सुरक्षा
    • बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट: यह रिट NSA के तहत हिरासत शक्तियों के दुरुपयोग के खिलाफ एकमात्र संवैधानिक सुरक्षा है।
  • औपनिवेशिक युग के कानूनों के समान
    • बंगाल विनियमन III (1818): संदिग्ध आपराधिक उद्देश्य के आधार पर गिरफ्तारी को सशक्त बनाया गया।
    • रॉलेट अधिनियम (1919): बिना मुकदमे के कारावास की अनुमति दी गई।

NSA की सीमाएँ

  • दुरुपयोग की संभावना: व्यापक हिरासत अधिकार, अक्सर मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों को बढ़ावा देते हैं, जैसा कि मणिपुर (वर्ष 2023) में देखा गया, जहाँ जातीय हिंसा के बीच NSA लगाया गया, विशिष्ट समुदायों को निशाना बनाया गया और तनाव बढ़ा।
  • न्यायिक निगरानी का अभाव: बिना मुकदमे या कानूनी प्रतिनिधित्व के हिरासत में रखने से संवैधानिक सुरक्षा उपायों को कमजोर किया जाता है, जिससे बंदियों और उनके परिवारों में नाराजगी बढ़ती है।
  • मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ: लंबे समय तक हिरासत में रखने से आलोचना होती है, जैसे कि CAA विरोध प्रदर्शनों (वर्ष 2019-2020) के दौरान, जहाँ व्यक्तियों को स्पष्ट आरोपों के बिना हिरासत में लिया गया था, जिससे वैश्विक मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ बढ़ गई थीं।
  • पुनर्वास पर प्रभाव: गुमराह युवाओं को हिरासत में रखने से, जैसा कि जम्मू और कश्मीर (वर्ष 2022) में देखा गया, उन्हें और अलग-थलग करने का जोखिम है, जिससे दीर्घकालिक शांति और संवाद प्रयासों में बाधा उत्पन्न होती है।

आगे की राह 

  • निगरानी को मजबूत करना: दुरुपयोग को रोकने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए NSA संबंधी मामलों के लिए न्यायिक समीक्षा शुरू करना।
  • वैकल्पिक उपायों का उपयोग करना: विशेष रूप से मणिपुर जैसे संघर्ष क्षेत्रों में युवाओं के लिए संवाद और पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करना।
  • कानून प्रवर्तन में सुधार करना: मानव अधिकारों का सम्मान करने वाले समन्वित सुरक्षा अभियान तैनात करना और यह सुनिश्चित करना कि शिकायतों का व्यापक निरोध शक्तियों के बिना समाधान किया जाए।

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