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राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य सम्मेलन, 2025

Lokesh Pal January 24, 2025 03:28 140 0

संदर्भ 

जनजातीय मामलों के मंत्रालय (भारत सरकार) ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के सहयोग से भारत मंडपम, नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य सम्मेलन, 2025 का आयोजन किया था।

राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य सम्मेलन 

  • यह सम्मेलन धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत एक पहल है।
  • इसका उद्देश्य भारत के आदिवासी समुदायों के सामने आने वाली गंभीर स्वास्थ्य और कल्याण चुनौतियों का समाधान करना है।
  • सम्मेलन के उद्देश्य
    • जनजातीय क्षेत्रों के लिए अभिनव स्वास्थ्य सेवा वितरण मॉडल की खोज के लिए चर्चाओं को सुविधाजनक बनाना।
    • नीतिगत हस्तक्षेप और अनुसंधान के लिए प्राथमिकता क्षेत्रों की पहचान करना।
    • स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार को बढ़ाने के लिए सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त स्वास्थ्य रणनीतियाँ विकसित करना।
    • क्षमता निर्माण, सामुदायिक सहभागिता और निगरानी तंत्र के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को मजबूत बनाना।
    • जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की पहुँच और परिणामों को बेहतर बनाने के लिए एक व्यापक कार्य योजना बनाना।

जनजातीय स्वास्थ्य सेवा में प्रमुख प्रयास एवं पहल

  • राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन (National Sickle Cell Elimination Mission): इसे वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन को लक्षित करके शुरू किया गया है।
  • बिरसा मुंडा चेयर ऑफ ट्राइबल हेल्थ एंड हेमोटोलॉजी (Bhagwan Birsa Munda Chair of Tribal Health and Haematology): एम्स दिल्ली में स्थापित, यह चेयर आदिवासी स्वास्थ्य पर शोध और डेटा संग्रह के लिए एक बहु-विषयक मंच के रूप में कार्य करता है।
  • सक्षमता केंद्र (CoC): आदिवासी आबादी में प्रचलित आनुवंशिक स्थिति सिकल सेल एनीमिया के उन्नत और प्रसवपूर्व निदान को सक्षम करने के लिए 14 राज्यों में 15 CoC स्वीकृत किए गए हैं।
  • सहयोगी दृष्टिकोण: प्रभावी स्वास्थ्य सेवा वितरण सुनिश्चित करने के लिए MoTA स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, NHM, AIIMS, CoC, ICMR, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, गैर-सरकारी संगठनों और राज्य आदिवासी कल्याण विभागों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।

जनजातीय समुदायों के सामने स्वास्थ्य देखभाल संबंधी चुनौतियाँ

  • भौगोलिक बाधाएँ: कई आदिवासी समुदाय अलग-थलग, दुर्गम क्षेत्रों में रहते हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचना जटिल हो जाता है।
    • लगभग 90 प्रतिशत (89.97%) ST आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है।
  • सीमित स्वास्थ्य केंद्र: आदिवासी क्षेत्रों में बहुत कम स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हैं और मौजूदा सुविधाओं में अक्सर बुनियादी संसाधनों, चिकित्सा कर्मचारियों और उपकरणों की कमी होती है।
  • स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की कमी: ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवरों की काफी कमी है।
  • सांस्कृतिक अंतर: आदिवासी समुदायों की अपनी पारंपरिक स्वास्थ्य प्रथाएँ और मान्यताएँ हो सकती हैं, जिसके कारण आधुनिक चिकित्सा देखभाल लेने में वे अनिच्छुक होते हैं।
    • विभिन्न जनजातीय समूह विभिन्न भाषाएँ और बोलियाँ बोलते हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ संचार संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
  • गरीबी: कई आदिवासी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है, जिससे उनके लिए स्वास्थ्य सेवाओं और दवाओं का खर्च उठाना जटिल हो जाता है।
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के अनुसार, 70% से अधिक ST सबसे कम धन वाले वर्ग में आते हैं।
    • जनजातीय मामलों के मंत्रालय (MoTA) की वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, ST के 45% से अधिक सदस्य ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रह रहे थे और 25% से अधिक शहरी क्षेत्रों में रहते थे।
  • कुपोषण: भोजन और स्वास्थ्य के बारे में शिक्षा की कमी के कारण खराब पोषण प्रायः बीमारियों की उच्च दरों में योगदान देता है।
    • हालाँकि आदिवासी बच्चों में कुपोषण में कमी आई है, लेकिन आदिवासी बच्चों में कम वजन का प्रचलन ‘अन्य’ समूहों की तुलना में लगभग डेढ़ गुना अधिक है।
  • विशिष्ट स्वास्थ्य मुद्दों के प्रति संवेदनशील: आदिवासी समुदाय खराब स्वच्छता और रहने की स्थिति के कारण मलेरिया, तपेदिक और कुपोषण जैसी बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
    • भारत में मलेरिया से संबंधित सभी मौतों में से लगभग 50% मौतें आदिवासी समुदाय के लोगों की होती हैं, जबकि वे कुल आबादी का लगभग 8% हैं।

आगे की राह

  • स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढाँचे का विकास: आदिवासी क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों में अच्छी तरह से सुसज्जित अस्पताल, क्लीनिक और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र बनाने में निवेश करना।
  • स्वास्थ्य सेवा में मानव संसाधन को मजबूत करना: आदिवासी क्षेत्रों में डॉक्टरों और नर्सों सहित स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को नियुक्त करना।
  • स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देना: दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों में निवारक देखभाल, स्वच्छता और रोग प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वास्थ्य शिक्षा अभियान आयोजित करना।
  • मोबाइल स्वास्थ्य सेवाओं और टेलीमेडिसिन के माध्यम से आउटरीच का विस्तार करना: दूरदराज के क्षेत्रों में स्क्रीनिंग, टीकाकरण और उपचार जैसी आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने के लिए मोबाइल स्वास्थ्य सेवा इकाइयों को तैनात करना।
  • सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील स्वास्थ्य सेवा मॉडल को शामिल करना: पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का सम्मान करना और उन्हें आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के साथ एकीकृत करना।
  • सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना: स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रमों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने में आदिवासी नेताओं, प्रतिनिधियों और स्थानीय संगठनों को शामिल करना।

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (Dharti Aaba Jan Jatiya Gram Utkarsh Abhiyan)

  • इसे अक्टूबर 2024 में आदिवासी बहुल क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों में बुनियादी सुविधाओं की पूर्ण संतृप्ति हासिल करने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था।
  • इस योजना को शुरू में पीएम जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान (PM-JUGA) नाम दिया गया था।

मुख्य विशेषताएँ

  • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • कुल परिव्यय: पाँच वर्षों में कार्यान्वयन के लिए 79,156 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
  • लक्ष्य: इसमें 17 मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित किए जाने वाले 25 पहल शामिल हैं, जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अगले पाँच वर्षों में अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (DAPST) से धन का उपयोग करेंगे।
    • DAPST जनजातीय विकास के लिए भारत की रणनीति है, जिसके तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय और अन्य मंत्रालय अपने वार्षिक बजट का एक हिस्सा शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़क, आवास, विद्युतीकरण, रोजगार और कौशल विकास परियोजनाओं के लिए समर्पित करते हैं।
  • नियोजित हस्तक्षेप
    • पर्यटन विकास: आदिवासी परिवारों को अपने घरों को होमस्टे में बदलने के लिए 5 लाख रुपए तक की सहायता।
    • सतत् कृषि: वन अधिकार अधिनियम के तहत अधिकार धारकों को प्रशिक्षण।
    • आवास: अनुसूचित जनजाति परिवारों के लिए 20 लाख पक्के घरों का निर्माण।
    • बुनियादी ढाँचा
      • अनुसूचित जनजाति बाहुल्य गाँवों को जोड़ने वाली 25,000 किलोमीटर सड़कें।
      • प्रत्येक पात्र गाँव में पाइप से जलापूर्ति, 20 से कम घरों वाली 5,000 बस्तियों पर ध्यान केंद्रित करना।
      • लगभग 2.35 लाख घरों और सार्वजनिक संस्थानों के लिए विद्युतीकरण।
    • ऊर्जा पहुँच: 25 लाख LPG  कनेक्शन का प्रावधान।
    • डिजिटल कनेक्टिविटी: भारतनेट परियोजना के तहत 5,000 आदिवासी गाँवों के लिए ब्रॉडबैंड पहुँच।
    • बाजार सुविधाएँ: 100 आदिवासी बहुउद्देश्यीय विपणन केंद्रों की स्थापना।
    • मानचित्रण और निगरानी: मिशन के तहत शामिल आदिवासी गाँवों को PM गतिशक्ति पोर्टल पर मैप किया जाएगा।

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