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समावेशी पेंशन प्रणाली की आवश्यकता

Lokesh Pal June 23, 2025 02:03 43 0

संदर्भ

भारत को गंभीर पेंशन संकट का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि यहाँ कार्यबल कवरेज मात्र 12% है, अनौपचारिक नौकरियों में 85% लोग कार्यरत हैं, तथा वर्ष 2050 तक निर्भरता अनुपात 30% हो जाएगा इस चुनौती से निपटने के लिए एक संरचित, समावेशी पेंशन प्रणाली की तत्काल आवश्यकता है।

भारत की पेंशन प्रणाली

  • पेंशन एक प्रकार की स्थगित आय है, जो सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और सामाजिक सम्मान सुनिश्चित करने के लिए प्रदान की जाती है।

भारत में पेंशन कवरेज की वर्तमान स्थिति

  • पेंशन परिसंपत्तियाँ: सकल घरेलू उत्पाद का 17% (बनाम उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में 80%)।
  • केवल 12% कार्यबल औपचारिक पेंशन योजनाओं के अंतर्गत आते हैं।
  • असंगत कवरेज
    • सार्वजनिक और संगठित निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के पास कई योजनाएँ हैं।
    • अनौपचारिक क्षेत्र राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) और अटल पेंशन योजना (APY) पर निर्भर है, जो केवल 5.3% आबादी (वित्त वर्ष 2024) को शामिल करता है।
  • अनौपचारिक कार्यबल का 85% हिस्सा सकल घरेलू उत्पाद में 50% का योगदान देता है, लेकिन पेंशन सुरक्षा का अभाव है।
  • मर्सर सीएफए ग्लोबल पेंशन इंडेक्स 2024: भारत का प्रदर्शन
    • समग्र सूचकांक: 45.9 (वर्ष 2023) से घटकर 44 (वर्ष 2024) हो गया।
    • उप-सूचकांक
      • पर्याप्तता (40% भार): 41.9 से 34.2 तक तीव्र गिरावट (कम शुद्ध पेंशन प्रतिस्थापन दरों के कारण)।
      • स्थायित्व (35% भार): सुधार (बेहतर दीर्घकालिक व्यवहार्यता)।
      • अखंडता (25% भार): सुधार (मजबूत शासन/विनियमन)।

भारत के पेंशन क्षेत्र का विकास

  • ग्राहक आधार
    • कुल ग्राहक: प्रेस सूचना ब्यूरो के अनुसार, सितंबर 2024 में भारत का पेंशन क्षेत्र 7.83 करोड़ ग्राहकों तक पहुँच गया, जो वर्ष-दर-वर्ष 16% की वृद्धि दर्शाता है।
    • APY प्रभुत्व: अप्रैल 2025 तक, APY ने 7.65 करोड़ से अधिक ग्राहक आधार संकलित किया है, कुल 45,974.67 करोड़ रुपये की धनराशि जुटाई है, तथा महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि दर्ज की है, जो अब सभी ग्राहकों का लगभग 48% है।
    • आयु परिवर्तन: 45.5% ग्राहक 18-25 वर्ष की आयु के हैं (बनाम वित्त वर्ष 2016 में 29.2%)।
  • पेंशन कवरेज: NPS/APY  के अंतर्गत 5.3% आबादी शामिल है (वित्त वर्ष 2016 में 0.95% से ऊपर)।
  • प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियाँ (Assets Under Management- AuM): GDP का 4% (वित्त वर्ष 2016 में 0.86% बनाम)।
  • चुनौतियाँ: 93.7% APY खाते ₹1,000/माह पेंशन (कम आय प्राथमिकता) का विकल्प चुनते हैं।

भारत को समावेशी और मजबूत पेंशन प्रणाली की आवश्यकता क्यों है?

  • वृद्धावस्था में आर्थिक सुरक्षा
    • आय में कमी: सेवानिवृत्ति के बाद, व्यक्तियों की आय-उत्पादन क्षमता में तीव्र गिरावट आती है।
    • स्वास्थ्य सेवा की बढ़ती लागत: पुराने रोगों और चिकित्सा सेवाओं में मुद्रास्फीति के कारण बुजुर्गों को अधिक खर्च उठाना पड़ता है।
      • स्वास्थ्य सेवा पर भारत का ‘पॉकेट व्यय’ अभी भी कुल स्वास्थ्य व्यय का लगभग 50 प्रतिशत है।
    • मुद्रास्फीति का जोखिम: नियमित आय के बिना, बुजुर्गों को जीवन की बढ़ती लागत से निपटने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
    • निर्भरता का बोझ: पेंशन के बिना, बुजुर्ग नागरिक आर्थिक रूप से परिवारों या राज्य पर निर्भर हो जाते हैं।
    • आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत के सकल घरेलू उत्पाद का केवल 17% पेंशन परिसंपत्तियों में रखा जाता है, जबकि OECD देशों में यह 60-80% है।
  • जनसांख्यिकीय तात्कालिकता
    • वृद्ध होती जनसंख्या: भारत का वृद्धावस्था निर्भरता अनुपात 16% (वर्ष 2021) से बढ़कर वर्ष 2050 तक 30% होने का अनुमान है।
    • आय सुरक्षा के बिना बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त आबादी सार्वजनिक कल्याण योजनाओं पर बोझ बढ़ाती है।
  • सामाजिक न्याय और समावेशी विकास
    • वृद्धावस्था में गरीबी: पेंशन की कमी से वृद्धों में, खासतौर पर BPL और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों में, गरीबी बढ़ती है।
    • लैंगिक असमानता: महिलाएँ लंबे समय तक जीवित रहती हैं, लेकिन उनकी जीवन भर की कमाई और बचत कम होती है एवं पेंशन लैंगिक समानता का एक साधन प्रदान करती है।
      • विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 में कहा गया है कि भारत में पुरुष श्रम आय का 82% कमाते हैं, जबकि महिलाएँ 18% कमाती हैं।
    • क्षेत्रीय असमानता: बेहतर पेंशन अवसंरचना वाले राज्य बेहतर वृद्ध कल्याण संकेतक दर्शाते हैं।
    • DPSP का अनुच्छेद-41 राज्य को वृद्धावस्था, बीमारी और बेरोजगारी के मामलों में सहायता प्रदान करने का आदेश देता है।
  • अनौपचारिक और गिग अर्थव्यवस्था के श्रमिक जोखिम में: भारत का 85% कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में है, जहाँ सामाजिक सुरक्षा का अभाव है।
    • गिग वर्कर्स, स्ट्रीट वेंडर्स और दैनिक वेतन भोगियों को नियोक्ता द्वारा प्रायोजित सेवानिवृत्ति लाभ नहीं मिलते हैं।
    • NPS या APY जैसी स्वैच्छिक योजनाओं में जागरूकता और सामर्थ्य की कमी के कारण नामांकन कम है।
  • राजकोषीय स्थिरता और दीर्घकालिक योजना: अंशदायी पेंशन संस्कृति के बिना, सरकारों को उच्च कल्याणकारी देनदारियों का सामना करना पड़ता है।
    • पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme- OPS) पर वापस लौटने वाले राज्यों को भविष्य के पेंशन बिलों के अस्थिर होने का जोखिम है।
    • एक स्तरीय पेंशन प्रणाली राज्य, व्यक्ति और नियोक्ता के बीच जिम्मेदारी साझा करके दीर्घकालिक राजकोषीय तनाव को कम करती है।
  • वित्तीय समावेशन के लिए उत्प्रेरक: पेंशन योजनाएँ दीर्घकालिक बचत की आदतों को प्रोत्साहित करती हैं।
    • APY और NPS जैसे प्लेटफॉर्म बैंकिंग पहुँच और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देते हैं।
    • पेंशन से जुड़े बीमा और वार्षिकी उत्पाद न केवल व्यक्तियों के लिए आय सुरक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि दीर्घकालिक निवेश को प्रोत्साहित कर पूँजी बाजारों को भी मजबूत बनाते हैं।

भारत की पेंशन प्रणाली का व्यापक वर्गीकरण

वर्ग

योजना का प्रकार

लक्षित समूह

द्वारा प्रशासित

गैर अंशदायी सामाजिक सहायता बीपीएल बुजुर्ग ग्रामीण विकास मंत्रालय
अंशदायी – परिभाषित लाभ (Defined Benefit-DB) APY अनौपचारिक क्षेत्र PFRDA
अंशदायी – परिभाषित लाभ (Defined Benefit-DB) NPS सरकार + सभी नागरिक PFRDA
नियोक्ता-आधारित भविष्य निधि EPF + EPS (संकर) संगठित निजी कर्मचारी EPFO (श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधीन)
राज्य पेंशन योजनाएँ OPS (कुछ राज्यों में) राज्य सरकार के कर्मचारी संबंधित राज्य सरकारें

परिभाषित लाभ (Defined Benefit – DB): इस प्रणाली में पेंशन की राशि तय होती है। सरकार या नियोक्ता एक निश्चित पेंशन का वादा करते (जैसे- पुरानी पेंशन योजना, APY) हैं। 

परिभाषित योगदान (Defined Contribution- DC): इसमें पेंशन की राशि इस बात पर निर्भर करती है कि व्यक्ति कितना योगदान देता है और निवेश कितना बढ़ता (जैसे- राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली, EPF) है।

भारत में महत्त्वपूर्ण पेंशन योजनाएँ

  • राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (National Pension System- NPS): वर्ष 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू की गई और बाद में सभी के लिए उपलब्ध कराई गई।
    • कोई भी व्यक्ति – सरकारी कर्मचारी, निजी क्षेत्र के कर्मचारी या स्वरोजगार करने वाला व्यक्ति – इसमें शामिल हो सकता है।
    • कोई भी व्यक्ति नियमित रूप से धन का योगदान करता है और उसकी पेंशन इस बात पर निर्भर करती है कि आपका निवेश कैसे बढ़ता है।
    • सेवानिवृत्ति के समय, आप इसका कुछ हिस्सा निकाल सकते हैं और बाकी का उपयोग मासिक पेंशन खरीदने के लिए कर सकते हैं।
  • अटल पेंशन योजना (Atal Pension Yojana- APY): अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों (जैसे- किसान, ड्राइवर, विक्रेता) के लिए वर्ष 2015 में शुरू की गई।
    • 18-40 वर्ष के बीच के लोग इसमें शामिल हो सकते हैं और 60 वर्ष की आयु के बाद प्रति माह ₹1,000 से ₹5,000 प्राप्त कर सकते हैं।
    • प्राप्त होने वाली पेंशन की राशि इस बात पर निर्भर करती है कि प्रतिभागी ने कितनी जल्दी योजना में प्रवेश किया और कितनी नियमितता से योगदान किया।
    • सरकार पेंशन फंड में भी योगदान देकर गरीब ग्राहकों की मदद करती है।
  • एकीकृत पेंशन योजना (Unified Pension Scheme- UPS): यह योजना उन कर्मचारियों पर लागू होगी, जो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के तहत इस विशेष विकल्प का चयन करेंगे।
  • यह प्रावधान 1 अप्रैल, 2025 से प्रभाव में आया।
    • सुनिश्चित पेंशन
      • सेवानिवृत्ति से पूर्व पिछले 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन का 50%।
      • न्यूनतम अर्हक सेवा: 25 वर्ष।
      • 25 वर्ष से कम सेवा अवधि के लिए, पेंशन आनुपातिक होगी (न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा आवश्यक)।
    • सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन: कर्मचारी की मृत्यु से ठीक पहले उसकी पेंशन का 60%।
    • न्यूनतम पेंशन: न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति पर ₹10,000/माह।
    • मुद्रास्फीति सूचकांक: औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (All India Consumer Price Index for Industrial Workers- AICPI-IW)।
  • कर्मचारी भविष्य निधि (Employees’ Provident Fund- EPF) और पेंशन योजना (Pension Scheme- EPS): बड़ी निजी कंपनियों (20 से अधिक कर्मचारियों वाली) में कार्यरत कर्मचारियों के लिए अनिवार्य।
    • वेतन का कुछ हिस्सा हर महीने बचाया जाता है और नियोक्ता भी इसमें योगदान देता है।
    • बचाई गई राशि पर ब्याज मिलता है और इसे सेवानिवृत्ति के समय निकाला जा सकता है।
    • कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) न्यूनतम 10 वर्षों की सेवा पूरी करने के बाद एक सीमित (छोटी) मासिक पेंशन प्रदान करती है।
  • पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme – OPS): सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन प्रदान करती है।
    • पेंशन अंतिम वेतन का 50% है।
    • कर्मचारियों को सेवा के दौरान कोई पैसा नहीं देना पड़ता है।
    • केंद्र सरकार ने नए कर्मचारियों के लिए इस योजना को बंद कर दिया है, लेकिन कुछ राज्य सरकारों ने इसे पुनः लागू कर दिया है।
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (Indira Gandhi National Old Age Pension Scheme – IGNOAPS): 60 वर्ष से अधिक आयु के अत्यंत गरीब लोगों के लिए।
    • उन्हें सरकार से बिना कुछ योगदान दिए प्रत्येक महीने 200 से 500 रुपये मिलते हैं। 
    • यह वर्ष 1995 में शुरू किए गए राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (National Social Assistance Programme- NSAP) का एक हिस्सा है।
  • राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (National Social Assistance Programme- PM-SYM): लॉन्च: वर्ष 2019, श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा।
    • असंगठित क्षेत्र के उन कामगारों के लिए स्वैच्छिक पेंशन योजना, जिनकी आय ₹15,000/माह तक है।
    • 60 वर्ष की आयु के बाद ₹3,000/माह पेंशन प्रदान की जाती है; 18-40 वर्ष की आयु के कामगार इसमें नामांकन करा सकते हैं।
    • सरकार द्वारा मासिक अंशदान (₹55-₹200) दिया जाता है।
    • आधार से जुड़े बैंक खातों के साथ कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से नामांकन।

पेंशन के नए और उभरते क्षेत्र

  • गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर: नए नियमों (सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 के तहत) का उद्देश्य डिलीवरी एजेंट और ऐप आधारित ड्राइवर जैसे कर्मचारियों को पेंशन योजनाओं के तहत शामिल करना है।
  • स्वैच्छिक पेंशन योजनाएँ: लोग NPS टियर II और LIC की पेंशन योजनाओं जैसी योजनाओं के माध्यम से अपनी सेवानिवृत्ति के लिए अधिक बचत कर सकते हैं।
  • कॉरपोरेट NPS: निजी कंपनियाँ भी अपने कर्मचारियों को NPS की पेशकश कर सकती हैं और कर लाभ प्राप्त कर सकती हैं।
  • डिजिटल सुधार: लोग अब मोबाइल ऐप, UPI भुगतान और आधार सत्यापन के माध्यम से पेंशन योजनाओं में शामिल हो सकते हैं।

भारत में पेंशन योजनाओं का विनियमन कौन करता है?

  • पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (Pension Fund Regulatory and Development Authority-PFRDA): NPS और APY का प्रबंधन करता है।
  • कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation- EPFO): निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए EPF, EPS और बीमा योजनाओं का प्रबंधन करता है।
  • राज्य सरकारें: वृद्धावस्था पेंशन प्रदान करती हैं तथा अपने कर्मचारियों के लिए OPS पर नियंत्रण रखती हैं।

भारत की पेंशन प्रणाली का संवैधानिक और कानूनी आधार

  • राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (Directive Principles of State Policy- DPSP): भारतीय संविधान के अनुच्छेद-41 में कहा गया है कि राज्य को वृद्धावस्था, बेरोजगारी, बीमारी और दिव्यांगता के मामलों में सार्वजनिक सहायता प्रदान करनी चाहिए।
  • अनुच्छेद-21 के तहत जीवन का अधिकार: अश्विनी कुमार बनाम भारत संघ (2018) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद-21 के अर्थ को बढ़ाकर सम्मान के साथ जीने के अधिकार को शामिल किया है।
  • इसमें वृद्धावस्था में वित्तीय सुरक्षा शामिल है।
  • PFRDA अधिनियम, 2013: इस कानून के तहत पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (Pension Fund Regulatory and Development Authority – PFRDA) की स्थापना की गई।
    • यह NPS और अन्य पेंशन-संबंधी गतिविधियों का प्रबंधन और विनियमन करता है।
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: इस नए श्रम संहिता में गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों (जैसे- ऐप-आधारित डिलीवरी कर्मचारी, कैब ड्राइवर) के लिए पेंशन प्रावधान शामिल हैं।
    • यह नियोक्ताओं, एग्रीगेटर्स और सरकार के योगदान के साथ असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए पेंशन योजनाएँ बनाने की अनुमति देता है।
  • न्यायिक सहायता और ऐतिहासिक मामले: डी.एस. नकारा बनाम भारत संघ (1982) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि पेंशन एक सामाजिक कल्याण उपाय और अधिकार है, दान नहीं।

भारत की पेंशन प्रणाली में चुनौतियाँ

  • अनौपचारिक श्रमिकों के बीच कम कवरेज: भारत के केवल 12% कार्यबल को किसी औपचारिक पेंशन योजना के अंतर्गत शामिल किया जाता है।
    • अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक (जो कार्यबल का लगभग 85% हिस्सा बनाते हैं) बड़े पैमाने पर EPF और NPS से बाहर रखे गए हैं।
    • यहाँ तक कि अनौपचारिक क्षेत्र के लिए बनाई गई APY ने भी वित्त वर्ष 2024 में आबादी के केवल 5.3% को शामिल किया।
  • पेंशन योजनाओं का विखंडन: भारत में NPS, EPS, APY, OPS और विभिन्न राज्य-विशिष्ट पेंशन जैसी कई योजनाएँ हैं।
    • एकरूपता की कमी, प्रयासों का दोहराव और लाभार्थियों के बीच भ्रम।
  • सीमित वित्तीय साक्षरता और जागरूकता: कई पात्र नागरिक पेंशन विकल्पों से अनभिज्ञ हैं या वित्तीय उत्पादों पर भरोसा नहीं करते हैं।
    • व्यापक आउटरीच के बावजूद, कई राज्यों में APY नामांकन कम बना हुआ है और मोबाइल ऑनबोर्डिंग के माध्यम से केवल 22.9 लाख APY खाते खोले गए हैं।
  • अपर्याप्त पेंशन राशि: IGNOAPS केवल ₹200-₹500/माह प्रदान करता है – जो बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी पर्याप्त नहीं है।
    • मर्सर पेंशन इंडेक्स 2024 ने भारत को खराब पर्याप्तता स्कोर दिया – यह दर्शाता है कि सेवानिवृत्ति में प्रदान की जाने वाली आय सम्मान या सुरक्षा के लिए बहुत कम है।
  • पहुँच और योगदान में लैंगिक असमानता: महिलाएँ, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, कम पेंशन प्राप्त करती हैं और बुढ़ापे में आर्थिक रूप से अधिक संवेदनशील होती हैं।
    • जबकि APY की 44% ग्राहक महिलाएँ हैं, आय असमानताओं के कारण उनकी योगदान राशि काफी कम है।
  • राजनीतिक और राजकोषीय चुनौतियाँ: कुछ राज्य (जैसे- राजस्थान, छत्तीसगढ़) OPS पर वापस लौट आए हैं, जो आर्थिक रूप से अस्थिर है।
    • आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 से पता चलता है कि भारत की पेंशन परिसंपत्तियाँ सकल घरेलू उत्पाद का केवल 17% हैं, जबकि OECD देशों में यह 80% है।
  • गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था के साथ कमजोर एकीकरण: सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 में गिग कर्मचारियों के लिए पेंशन समावेशन का उल्लेख किया गया है, लेकिन कार्यान्वयन लंबित है।
    • कैब ड्राइवर, डिलीवरी पार्टनर (स्विगी, जोमैटो) जैसे कर्मचारियों को जीडीपी में योगदान देने के बावजूद कोई पेंशन सहायता नहीं मिलती है।
  • स्थिरता संबंधी चिंताएँ: जन्म दर में गिरावट और बढ़ती दीर्घायु पेंशन प्रणालियों की स्थिरता पर दबाव डालती है, क्योंकि बढ़ती संख्या में पेंशनभोगियों का समर्थन करने के लिए कम युवा लोग उपलब्ध हैं।

वैश्विक उदाहरण

  • जापान – सभी वयस्कों के लिए अनिवार्य फ्लैट-रेट पेंशन: जापान 20-59 वर्ष की आयु के सभी निवासियों के लिए अनिवार्य अंशदायी पेंशन संचालित करता है, जिसमें स्व-नियोजित, वेतनभोगी कर्मचारी और आश्रित शामिल हैं।
  • न्यूजीलैंड – निवास से जुड़ी सार्वभौमिक सार्वजनिक पेंशन: न्यूजीलैंड 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी नागरिकों को कम से कम 10 वर्ष के निवास के आधार पर फ्लैट-रेट पेंशन प्रदान करता है।
  • यूनाइटेड किंगडम – ऑप्ट-आउट नामांकन प्रणाली: यू.के. पेंशन के लिए एक डिफॉल्ट ऑप्ट-इन दृष्टिकोण का उपयोग करता है, जहाँ कर्मचारियों को स्वचालित रूप से नामांकित किया जाता है, जब तक कि वे ऑप्ट आउट करने का विकल्प नहीं चुनते।
  • ऑस्ट्रेलिया – ऑस्ट्रेलिया अपने स्कूल-स्तरीय वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों में पेंशन शिक्षा (Superannuation) को भी शामिल करता है। इसका उद्देश्य बच्चों को प्रारंभिक अवस्था से ही सेवानिवृत्ति योजना, दीर्घकालिक बचत और वित्तीय जिम्मेदारी के प्रति जागरूक बनाना है, ताकि वे भविष्य में बेहतर वित्तीय निर्णय ले सकें।
  • नीदरलैंड – पारदर्शी वार्षिक पेंशन प्रकटीकरण: नीदरलैंड में व्यावसायिक पेंशन निधियों को सभी योगदानकर्ताओं द्वारा वार्षिक रूप से अर्जित पेंशन अधिकारों का खुलासा करना आवश्यक है।

भारत के पेंशन क्षेत्र के लिए अवसर

  • अनौपचारिक क्षेत्र में पेंशन कवरेज का विस्तार: भारत अपने पेंशन कवरेज को व्यापक रूप से बढ़ा सकता है यदि वह अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत लगभग 85% श्रमिकों को लक्षित करने के लिए प्रभावी रणनीतियाँ अपनाए।
    • NPS और APY जैसी योजनाएँ केवल 5.3% आबादी को कवर करती हैं, जबकि अनौपचारिक श्रमिक भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आधे से अधिक हिस्सा उत्पन्न करते हैं।
  • युवा आबादी के वृद्ध होने से पहले सीमित जनसांख्यिकीय अवसर: भारत के पास अपनी युवा आबादी के वृद्ध होने से पहले सीमित जनसांख्यिकीय अवसर उपलब्ध है। इस अवसर के तेजी से बंद होने के कारण समय से पहले पेंशन प्रणाली का विस्तार करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
    • वर्ष 2050 तक, वृद्धावस्था निर्भरता अनुपात 30% तक पहुँचने का अनुमान है, जो अभी एक स्थायी पेंशन आधार बनाने की आवश्यकता को दर्शाता (आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25) है।
    • पेंशन एक्सेस के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग
    • आधार, UPI और मोबाइल ऐप जैसी तकनीक पेंशन नामांकन और माइक्रो-योगदान को सरल बना सकती है, खासकर ग्रामीण और बिना बैंक वाले लोगों के लिए।
  • निर्बाध पोर्टेबिलिटी के लिए एकीकृत पेंशन प्रणाली (UPS): NPS, EPFO ​​और APY को मिलाकर एक सामंजस्यपूर्ण प्रणाली पोर्टेबिलिटी और बेहतर विनियमन सुनिश्चित कर सकती है।
  • महिला-केंद्रित पेंशन विस्तार: महिला केंद्रित पहुँच, महिलाओं के बढ़ते वित्तीय समावेशन को दीर्घकालिक सेवानिवृत्ति सुरक्षा में बदल सकती है।
  • शिक्षा में पेंशन साक्षरता को शामिल करना: पेंशन और सेवानिवृत्ति योजना को जल्दी लागू करने से दीर्घकालिक स्वैच्छिक भागीदारी बढ़ सकती है।
  • निजी पेंशन और भागीदारी को प्रोत्साहित करना: निजी निधि भागीदारी को प्रोत्साहित करने से सार्वजनिक पेंशन पर दबाव कम हो सकता है और स्थिरता में सुधार हो सकता है।
    • नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश सार्वजनिक प्रणालियों का समर्थन करने के लिए निजी पेंशन फंड का सफलतापूर्वक उपयोग करते हैं।

प्रस्तावित त्रिस्तरीय पेंशन प्रणाली

  • टियर I: अनिवार्य बुनियादी पेंशन गारंटी: रोजगार की स्थिति की परवाह किए बिना सभी के लिए फ्लैट-रेट अंशदायी पेंशन
    • अनौपचारिक श्रमिकों और गिग अर्थव्यवस्था के लिए न्यूनतम वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  • टियर II: व्यावसायिक पेंशन: स्व-नामांकन के साथ अनिवार्य या ऑप्ट-आउट नियोक्ता-आधारित योजनाएँ।
    • पर्याप्तता सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम योगदान मानक।
  • टियर III: स्वैच्छिक पेंशन बचत: कर लाभ, बाजार से जुड़े रिटर्न और लचीले उत्पादों के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाता है।
    • उच्च आय वालों के लिए सेवानिवृत्ति आय को पूरक बनाता है।

भारत के पेंशन क्षेत्र के लिए आगे की राह

  • सभी पेंशन योजनाओं को एकीकृत प्रणाली के अंतर्गत एकीकृत करना: भारत को NPS, EPFO, APY और अन्य योजनाओं को एकल, डिजिटल और पोर्टेबल पेंशन आर्किटेक्चर में समन्वित करना चाहिए।
    • इससे सरलता सुनिश्चित होगी, दोहराव कम होगा और सभी क्षेत्रों में कवरेज में सुधार होगा।
  • यूनिवर्सल बेसिक पेंशन गारंटी लागू करना: सभी नागरिकों के लिए एक समान दर वाली अंशदायी पेंशन सुनिश्चित की जानी चाहिए, चाहे उनका रोजगार का प्रकार कुछ भी हो।
    • यह उन लोगों के लिए सुरक्षा जाल प्रदान करेगा, जो औपचारिक रोजगार के दायरे में नहीं आते हैं।
  • ऑप्ट-आउट लचीलेपन के साथ ऑटो-एनरोलमेंट लागू करना: पेंशन योजनाओं में श्रमिकों को स्वचालित रूप से नामांकित करने से बिना किसी दबाव के भागीदारी में सुधार हो सकता है।
    • यह विधि लोगों को व्यक्तिगत पसंद को बनाए रखते हुए सेवानिवृत्ति के लिए बचत करने के लिए प्रेरित करती है।
  • डिजिटल पहुँच तथा मोबाइल-आधारित नामांकन को मजबूत करना: पेंशन नामांकन को तीव्र, पेपरलैस और समावेशी बनाने के लिए आधार, यूपीआई और मोबाइल प्लेटफॉर्म का उपयोग करना।
    • डिजिटल पेंशन बुनियादी ढाँचे में नाइजीरिया के निवेश से सीखते हुए, भारत को अपनी पेंशन प्रणाली की पहुँच बढ़ाने के लिए उपयोगकर्ता के अनुकूल डिजिटल नामांकन प्लेटफॉर्म को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
  • कम उम्र से ही पेंशन साक्षरता को बढ़ावा देना: स्कूलों और सामुदायिक कार्यक्रमों में वित्तीय और पेंशन जागरूकता सिखाई जानी चाहिए।
    • जल्दी जानकारी मिलने से आजीवन वित्तीय नियोजन की आदतें विकसित होती हैं।
  • लैंगिक-संवेदनशील पेंशन नीतियाँ बनाएँ: महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए लचीले योगदान, मातृत्व से जुड़े सुरक्षा उपाय और SHG एकीकरण प्रदान करना।
    • इससे महिला श्रमिकों के बीच दीर्घकालिक आय असुरक्षा को दूर करने में मदद मिलती है।
  • निजी क्षेत्र और बाजार-आधारित पेंशन विकल्पों को प्रोत्साहित करना: बेहतर फंड रिटर्न के लिए निजी पेंशन उत्पादों को बढ़ावा देना और निवेश प्रशासन में सुधार करना।
    • इससे दीर्घकालिक स्थिरता बढ़ेगी और सार्वजनिक निधियों पर बोझ कम होगा।

निष्कर्ष

भारत के पेंशन क्षेत्र को अनौपचारिक कार्यबल के 85% हिस्से को शामिल करने और तेजी से बढ़ती बुजुर्ग आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए समय के साथ विकसित होना चाहिए। आर्थिक सुरक्षा, सामाजिक न्याय और राजकोषीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत को एक ऐसी पेंशन प्रणाली की आवश्यकता है जो एकीकृत, डिजिटल और समावेशी हो, और जो वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से प्रेरित हो।

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