ला नीना के शीतलन प्रभाव के बावजूद वर्ष 2025 का जनवरी माह रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म
कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) के अनुसार, वर्ष 2025 का जनवरी माह अब तक का सबसे गर्म जनवरी माह दर्ज किया गया, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि का रुझान जारी है।
संबंधित तथ्य
वर्ष 2025 के जनवरी में औसत वैश्विक तापमान 13.23 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो पिछले रिकॉर्ड (वर्ष 2024 के जनवरी) की तुलना में 0.09 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है।
यह तापमान वर्ष 1991-2020 के औसत से 0.79°C अधिक एवं पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.75°C अधिक था।
पिछले 19 महीनों में से 18 महीनों में वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा है।
वैश्विक जलवायु पर ला नीना का प्रभाव
ला नीना एक जलवायु पैटर्न है, जहाँ मध्य प्रशांत महासागर की सतह का जल ठंडा होता है, जो वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करता है।
यह आम तौर पर निम्नलिखित मौसमी परिवर्तन के लिए उत्तरदायी है:
भारत में मजबूत मानसून एवं भारी वर्षा।
अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में सूखा।
अल नीनो के विपरीत, वैश्विक तापमान में हल्की ठंडक, जो तापन का कारण बनती है।
कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (C3S)
कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (C3S) एक यूरोपीय संघ कार्यक्रम है, जो विश्वसनीय एवं अद्यतन जलवायु डेटा तथा विश्लेषण प्रदान करता है।
इसे यूरोपीय आयोग की ओर से यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट्स (ECMWF) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
C3S ने रिकॉर्ड स्तर वाले वैश्विक तापमान, चरम मौसमी घटनाओं एवं समुद्र के तापमान में वृद्धि की रिपोर्ट करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को उजागर करने में मदद मिली है।
एयरो इंडिया 2025
द्विवार्षिक एयरो इंडिया के 15वें संस्करण का उद्घाटन बंगलूरू के येलहंका वायु सेना स्टेशन में किया गया।
एयरो इंडिया के बारे में
यह एशिया का सबसे बड़ा एयर शो है।
थीम: इस वर्ष की थीम “द रनवे टू ए बिलियन अपॉर्चुनिटीज” है।
नोडल मंत्रालय: यह रक्षा प्रदर्शनी संगठन, रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाता है।
100 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता
भारत ने सौर ऊर्जा क्षमता के 100 गीगावाट के लक्ष्य को पार करके एक प्रमुख उपलब्धि हासिल की है।
संबंधित तथ्य
सौर ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से विकास
पिछले दशक में सौर क्षमता में 3,450% की वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2014 में 2.82 गीगावाट से बढ़कर वर्ष 2025 में 100 गीगावाट हो गई है।
31 जनवरी, 2025 तक, भारत में 100.33 गीगावाट स्थापित सौर ऊर्जा है, जिसमें 84.10 गीगावाट कार्यान्वयन एवं 47.49 गीगावाट निविदा के अधीन है।
सौर ऊर्जा नवीकरणीय विकास में अग्रणी
भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 47% है।
वर्ष 2024 में, 24.5 गीगावाट नई सौर क्षमता जोड़ी गई, जो वर्ष 2023 में स्थापित क्षमता से दोगुनी है।
यूटिलिटी-स्केल सौर परियोजनाओं ने 18.5 गीगावाट का योगदान दिया, जो वर्ष 2023 की तुलना में लगभग 2.8 गुना अधिक है।
शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों में राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश शामिल हैं।
छत पर सोलर पैनल नेटवर्क का विस्तार
छत पर सोलर पैनल से सौर ऊर्जा क्षेत्र ने वर्ष 2024 में अतिरिक्त 4.59 गीगावाट विद्युत का उत्पादन किया, जो वर्ष 2023 से 53% अधिक है।
PM सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना ने 9 लाख छतों पर सौर पैनलों को स्थापित किया है, जिससे घरेलू स्तर पर सौर ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा मिला है।
भारत का बढ़ता सौर विनिर्माण
वर्ष 2014 में, भारत के पास केवल 2 गीगावाट सौर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता थी।
वर्ष 2024 तक, यह बढ़कर 60 गीगावाट हो गई, जिससे भारत सौर विनिर्माण में एक प्रमुख वैश्विक हितधारक बन गया है।
डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत वन सलाहकार समिति (FAC) ने डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान के अंदर एक्सटेंडेड रीच ड्रिलिंग (Extended Reach Drilling- ERD) तकनीक के उपयोग की सिफारिश की है।
यह मंजूरी पूरी तरह से अनुसंधान एवं विकास (R&D) उद्देश्यों के लिए है, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रौद्योगिकी का उपयोग पार्क के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाए बिना किया जाता है।
डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
स्थिति: डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान को राष्ट्रीय उद्यान एवं बायोस्फीयर रिजर्व दोनों के रूप में नामित किया गया है।
इसे बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (IBA) के रूप में मान्यता दी गई है, जो पक्षी संरक्षण के लिए इसके महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
स्थान: यह भारत के असम राज्य में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है।
नदियाँ: पार्क प्राकृतिक रूप से कई नदियों से घिरा हुआ है:
उत्तर में, यह ब्रह्मपुत्र एवं लोहित नदियों से घिरा है।
दक्षिण में इसकी सीमा डिब्रू नदी से लगती है।
वनस्पति एवं जैव विविधता: पार्क विविध प्रकार के वन पारिस्थितिकी तंत्रों की मेजबानी करता है, जिनमें शामिल हैं:
अर्द्ध-सदाबहार वन, पर्णपाती वन, तटीय एवं दलदली वन तथा नम सदाबहार वनों के क्षेत्र
इसमें पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा सैलिक्स दलदली वन (Salix Swamp Forest) है, जो कई प्रजातियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण निवास स्थान है।
यह पार्क दुर्लभ व्हाइट विंग्ड वुड डक (White-Winged Wood Ducks) एवं फेरल हॉर्स (Feral Horses) के आवास के लिए सबसे प्रसिद्ध है, जो इसकी सबसे विशिष्ट वन्यजीव प्रजातियों में से हैं।
संबद्ध आर्द्रभूमि: मागुरी मोटापुंग आर्द्रभूमि, एक महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी क्षेत्र, डिब्रू सैखोवा बायोस्फीयर रिजर्व का एक हिस्सा है। यह विभिन्न प्रवासी पक्षियों एवं जलीय प्रजातियों के लिए आवास के रूप में कार्य करता है।
देशज समुदाय: कई देशज आदिवासी समुदाय राष्ट्रीय उद्यान एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में निवास करते हैं।
इस क्षेत्र में रहने वाली प्रमुख जनजातियों में मिशिंग, सोनोवाल कछारी एवं देवरिस शामिल हैं।
स्वावलंबिनी: महिला उद्यमिता कार्यक्रम
पूर्वोत्तर में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास में, केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने नीति आयोग के सहयोग से असम, मेघालय तथा मिजोरम में ‘स्वावलंबिनी: एक महिला उद्यमिता कार्यक्रम’ लॉन्च किया।
स्वावलंबिनी के बारे में
केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) तथा नीति आयोग की संयुक्त पहल।
भारतीय उद्यमिता संस्थान (IIE) द्वारा कार्यान्वित।
उद्देश्य
महिला छात्रों को उद्यमशीलता की मानसिकता, कौशल, मार्गदर्शन एवं वित्तपोषण सहायता उपलब्ध करना।
महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देना।
एक संरचित चरण-वार उद्यमशीलता प्रक्रिया प्रदान करना: जागरूकता; विकास; परामर्श; धन सहायता।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ
प्रशिक्षण मॉड्यूल
उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम (EAP): बुनियादी उद्यमशीलता अवधारणाओं को कवर करने वाले 2-दिवसीय सत्र के माध्यम से 600 छात्राओं को एक व्यवहार्य कॅरियर विकल्प के रूप में उद्यमिता से परिचित कराया जाता है।
महिला उद्यमिता विकास कार्यक्रम (EDP): 300 चयनित छात्रों के लिए, 40 घंटे का गहन प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है:-
प्रशिक्षण एवं कौशल विकास।
वित्त तक पहुँच।
बाजार संपर्क।
अनुपालन एवं कानूनी सहायता।
व्यापार सेवाएँ।
नेटवर्किंग के अवसर।
संकाय विकास कार्यक्रम (FDP): उद्यमिता में छात्रों को सलाह देने की क्षमता बढ़ाने के लिए HEIs में संकाय सदस्यों के लिए 5 दिवसीय प्रशिक्षण।
संविधान का अनुच्छेद-371
मेघालय में एक क्षेत्रीय पार्टी ने कहा है कि राज्य को अनुच्छेद-371 के दायरे में लाने से रैट-होल कोयला खनन को पुनः शुरू करने में मदद मिल सकती है, जिस पर अप्रैल 2014 से प्रतिबंध लगा हुआ है।
अनुच्छेद-371 के बारे में
भारत के संविधान का अनुच्छेद-371 कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान प्रदान करता है।
ये प्रावधान इन राज्यों के हितों की रक्षा करते हैं, विशेष रूप से विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान या आदिवासी आबादी वाले राज्यों के हितों की रक्षा करते हैं।
Latest Comments