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न्यूट्रिनो यूनिवर्स

Lokesh Pal July 24, 2024 03:18 419 0

संदर्भ

संयुक्त राज्य अमेरिका के मिनेसोटा में ‘NOvA अर्थात् NuMI ऑफ-एक्सिस वी अपीयरेंस'(NuMI Off-axis νe Appearance) प्रोग्राम से जुड़े वैज्ञानिक न्यूट्रिनो पर उन्नत शोध कर रहे हैं। उनके नवीनतम आँकड़ों की खोज से न्यूट्रिनो द्रव्यमान और ब्रह्मांडीय उद्भव के बारे महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकेगी। 

न्यूट्रिनो का ऐतिहासिक संदर्भ

  • पहली बार पता लगाना: न्यूट्रिनो का पहली बार पता वर्ष 1987 में एक सुपरनोवा विस्फोट से चला था, जिसका पता विस्फोट से उत्पन्न प्रकाश के पृथ्वी पर पहुँचने से तीन घंटे पहले लगाया गया था। 
    • इससे न्यूट्रिनो खगोल विज्ञान (Neutrino Astronomy) की शुरुआत हुई।
  • द्रव्यमान संबंधी धारणा (Mass Assumption): लगभग 50 वर्षों तक भौतिकशास्त्री यह मानते रहे कि न्यूट्रिनो भी फोटॉन की तरह द्रव्यमानहीन होते हैं। 
    • यह धारणा इस विचार पर आधारित थी कि विशाल कण प्रकाश की गति से यात्रा नहीं कर सकते।

न्यूट्रिनो अनुसंधान में सफलता

  • द्रव्यमान की खोज: 1990 के दशक के अंत में, जापान और कनाडा से प्राप्त साक्ष्यों से पता चला कि न्यूट्रिनो में द्रव्यमान होता है, क्योंकि वे यात्रा करते समय एक प्रकार से दूसरे प्रकार में बदल सकते हैं, जो द्रव्यमान रहित कण नहीं कर सकते। 
  • मानक मॉडल अद्यतन: न्यूट्रिनो द्रव्यमान की खोज कण भौतिकी के मानक मॉडल को चुनौती देती है, जो प्रारंभ में विशाल न्यूट्रिनो की भविष्यवाणी नहीं करता है। 

न्यूट्रिनो (Neutrinos) या घोस्ट पार्टिकल (Ghost Particle)

  • परिचय: न्यूट्रिनो एक प्रकार के उप-परमाण्विक कण (Subatomic Particle) हैं।
    • उनमें विद्युत आवेश नहीं होता, उनका द्रव्यमान कम होता है, तथा वे ‘लेफ्ट हैंडेड’ (भौतिकी का एक शब्द जिसका अर्थ है कि उनके घूमने की दिशा उनकी गति की दिशा के विपरीत होती है) वाले होते हैं। 
  • इन्हें घोस्ट पार्टिकल (Ghost Particle) कहे जाने का कारण: अन्य कणों के साथ इनकी दुर्लभ अंतःक्रिया के कारण इन्हें ट्रैक करना लगभग असंभव है।  
    • इसीलिए उन्हें ‘घोस्ट पार्टिकल’ कहा जाता है, जिनमें से अधिकांश का पता नहीं चल पाता। 
  • न्यूट्रिनो की प्रचुरता: वे फोटॉन (प्रकाश के कण) के बाद दूसरे सबसे प्रचुर कण हैं और पदार्थ बनाने वाले कणों में सबसे प्रचुर हैं। 
  • न्यूट्रिनो का उत्पादन और स्रोत: न्यूट्रिनो आमतौर पर तब उत्पन्न होते हैं, जब लेप्टॉन पदार्थ के साथ परस्पर क्रिया करते हैं।
    • इसे प्राकृतिक [ब्रह्मांड संबंधी न्यूट्रिनो (बिग-बैंग) आदि] और मानव निर्मित [रिएक्टर न्यूट्रिनो (विखंडन के दौरान) आदि] दोनों स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है। 
  • प्रकार: न्यूट्रिनो तीन प्रकार के होते हैं– इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो, टाऊ न्यूट्रिनो (Tau Neutrino) और म्यूऑन न्यूट्रिनो (Muon Neutrino)।
    • न्यूट्रिनो दोलन: वे यात्रा करते समय एक अवस्था से दूसरी अवस्था में परिवर्तित हो सकते हैं। इस प्रक्रिया को ‘न्यूट्रिनो दोलन’ कहा जाता है और यह एक असामान्य क्वांटम घटना है।
      • उदाहरण: सूर्य से आने वाले न्यूट्रिनो प्रारंभ में इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो होते हैं, लेकिन पृथ्वी पर उनमें से कुछ म्यूऑन न्यूट्रिनो (Muon Neutrinos) के रूप में पाये जाते हैं।
  • अवलोकन: न्यूट्रिनो का कमजोर आवेश और लगभग नगण्य द्रव्यमान के कारण वैज्ञानिकों के लिए उनका अवलोकन करना बेहद कठिन हो गया है। 
    • उन्हें केवल तभी ‘देखा’ जा सकता है, जब वे अन्य कणों के साथ परस्पर क्रिया करते हैं।
  • न्यूट्रिनो का पता लगाने की विधियाँ (Neutrino Detection Methods)
    • भौतिकविदों ने न्यूट्रिनो का अध्ययन करने के लिए बहुत सूक्ष्म ट्रैकिंग क्षमता वाले डिटेक्टरों का निर्माण किया है। 
    • इन डिटेक्टरों को न्यूट्रिनो और डिटेक्टर के पदार्थ के बीच अंतःक्रिया की तीव्रता को अधिकतम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 

नोवा अवलोकन (NOvA Overview)

  • संक्षिप्त नाम: NOvA का अर्थ है ‘NuMI ऑफ-एक्सिस वी अपीयरेंस’ (NuMI Off-axis νe Appearance)। 
  • स्थान: यह मिनेसोटा, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है।
  • कार्य: NOvA न्यूट्रिनो की एक किरण प्रकाशित करता है।
  • पता लगाना: न्यूट्रिनो किरण 800 किमी. की दूरी तय करके 14,000 टन के डिटेक्टर तक पहुँचती है।
  • प्रबंधन: NOvA का प्रबंधन ‘फर्मी नेशनल एक्सेलेरेटर प्रयोगशाला’ (Fermi National Accelerator Laboratory) द्वारा किया जाता है।
    • फर्मी नेशनल एक्सेलेरेटर लेबोरेटरी (फर्मिलैब), संयुक्त राज्य अमेरिका के ऊर्जा विभाग की एक राष्ट्रीय प्रयोगशाला है, जो उच्च ऊर्जा कण भौतिकी में विशेषज्ञता रखती है। 

नोवा के लक्ष्य और निष्कर्ष

  • ब्रह्मांडीय विकास (Cosmic Evolution): NOvA को ब्रह्मांड के विकास में न्यूट्रिनो की भूमिका निर्धारित करने के लिए डिजाइन किया गया है। 
  • न्यूट्रिनो द्रव्यमान (Neutrino Mass): इसका उद्देश्य यह समझना है कि किस प्रकार के न्यूट्रिनो का द्रव्यमान सबसे अधिक है और किसका सबसे कम। 
  • द्रव्यमान तंत्र (Mass Mechanism): यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि न्यूट्रिनो अन्य पदार्थ कणों की तुलना में एक भिन्न तंत्र के माध्यम से अपना द्रव्यमान प्राप्त कर सकते हैं। 
  • भौतिकी के प्रश्न: इसे जानने से भौतिकी के कई खुले प्रश्नों के उत्तर मिल सकते हैं।
  • मुख्य निष्कर्ष: न्यूट्रिनो तीन प्रकार के होते हैं: म्यूऑन (Muon), इलेक्ट्रॉन (Electron) और टाऊ (Tau)। NOvA प्रयोग के हालिया परिणामों से पता चलता है कि इनमें से दो हल्के न्यूट्रिनो और एक भारी न्यूट्रिनो हैं। 

न्यूट्रिनो के अध्ययन का महत्त्व

  • ब्रह्मांड की बेहतर समझ: न्यूट्रिनो को समझने से हमें ब्रह्मांड के निर्माण और इसकी वर्तमान स्थिति के रहस्यों को जानने में मदद मिलती है। 
  • सूचना वाहक: न्यूट्रिनो बिना किसी अंतःक्रिया के अधिकांश पदार्थों के माध्यम से यात्रा कर सकते हैं, जिससे वे विशाल दूरी तक सूचना ले जाने में सक्षम होते हैं। 
    • यद्यपि विद्युत चुंबकीय तरंगों का उपयोग सामान्यतः सूचना प्रेषित करने के लिए किया जाता है, फिर भी वे सभी स्थितियों में प्रभावी नहीं होती हैं।
    • जहाँ विद्युत चुंबकीय तरंगें अपर्याप्त हो सकती हैं, वहाँ न्यूट्रिनो महत्त्वपूर्ण डेटा उपलब्ध करा सकते हैं।
    • उदाहरण: समुद्री जल कम तरंगदैर्घ्य वाले विद्युत चुंबकीय विकिरण के लिए अपारदर्शी होता है, जो पनडुब्बियों तक कुछ आवृत्तियों की तरंगों के संचरण में बाधा डालता है।

न्यूट्रिनो यूनिवर्स (Neutrino Universe) और इंडिया न्यूट्रिनो प्रोजेक्ट (India Neutrino Project- INO) से जुड़े प्रयोग

  • प्रमुख न्यूट्रिनो प्रयोग
    • सुपर-K III: जापान में अवस्थित है।
    • सुडबरी न्यूट्रिनो वेधशाला (Sudbury Neutrino Observatory): कनाडा में अवस्थित है। 
    • मिनीबून (MiniBOONE) और माइक्रोबून (MicroBOONE): अमेरिका में अवस्थित है। 
    • डबल चूज (Double CHOOZ): फ्राँस में अवस्थित है। 
    • जियांगमेन भूमिगत न्यूट्रिनो वेधशाला (Jiangmen Underground Neutrino Observatory (JUNO): चीन में अवस्थित है।
    • आइसक्यूब न्यूट्रिनो वेधशाला (IceCube Neutrino Observatory): यह अंटार्कटिका में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी न्यूट्रिनो दूरबीन है। 
  • भारत की न्यूट्रिनो परियोजना
    • भारत-आधारित न्यूट्रिनो वेधशाला (India based Neutrino Observatory- INO): तमिलनाडु, भारत के लिए योजना बनाई गई। 
    • स्थान: INO सहयोग ने तमिलनाडु के थेनी (Theni) जिले के ‘बोडी वेस्ट हिल्स’ (Bodi West Hills- BWH) क्षेत्र में एक स्थान पर निर्णय लिया है। 
    • वित्तपोषण एवं सहायता (Funding and Support): परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा वित्तपोषण।
    • वर्तमान स्थिति: प्रक्रियागत मुद्दों और राजनीतिक समर्थन की कमी के कारण अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ रहा है। 

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