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न्यू एग्रीकल्चर मार्केट ऑर्डर (NAMO) ड्रोन दीदी योजना

Lokesh Pal July 08, 2024 02:30 156 0

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHD Chamber of Commerce & Industry- PHDCCI) द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय नवाचार सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान कहा कि सरकार ड्रोन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है और इस क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों में तेजी से विकास देखा गया है। 

  • ड्रोन पारिस्थितिकी तंत्र का विकास और उन्हें देश भर के गाँवों में तैनात करना प्रधानमंत्री की ‘नमो ड्रोन दीदी’ (NAMO Drone Didi) पहल के अनुरूप है, जो कृषि क्षेत्र में महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद करेगा। 

‘नमो ड्रोन दीदी’ (NAMO Drone Didi) पहल के बारे में

  • इस पहल के तहत ग्रामीण महिलाओं को कृषि उद्देश्यों के लिए ड्रोन पायलट बनने का प्रशिक्षण दिया जाता है। 
  • इस पहल का उद्देश्य, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण और वित्तीय स्वायत्तता को बढ़ाना है।
  • इस पहल का उद्देश्य 15,000 महिला नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups- SHGs) को कृषि ड्रोन से लैस करना है ताकि फसल की निगरानी, ​​उर्वरकों का छिड़काव और बीज बोने जैसे कार्यों में सहायता मिल सके। 
  • इससे कई महिलाओं को अतिरिक्त आय के अवसर भी मिलेंगे। 

स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups- SHGs) क्या हैं?

  • स्वयं सहायता समूह (SHGs): ये लोगों के छोटे समूह हैं। स्वयं सहायता समूह के सदस्य समान समस्याओं का सामना करते हैं। वे अपनी समस्याओं को हल करने के लिए एक-दूसरे की मदद करते हैं। 
  • सदस्यों को ऋण देना: स्वयं सहायता समूह अपने सदस्यों के बीच लघु बचत को बढ़ावा देते हैं।
    • बचत धनराशि बैंक में रखी जाती है। 
    • यह स्वयं सहायता समूह के नाम पर एक साझा कोष है। 
    • स्वयं सहायता समूह अपने साझा कोष से अपने सदस्यों को छोटे-छोटे ऋण देता है।

ड्रोन क्या हैं?

  • ड्रोन छोटे या मध्यम आकार के मानव रहित हवाई वाहन (UAV) होते हैं।
  • वे इस मायने में अद्वितीय हैं कि वे दूर से और स्वायत्त रूप से चल सकते हैं तथा वे उड़ान का नियंत्रित, निरंतर स्तर बनाए रखने में सक्षम हैं। 
  • ड्रोन प्रणाली रोबोटिक्स को वैमानिकी के साथ जोड़ती है।

कृषि क्षेत्र में ड्रोन के लाभ

  • बेहतर दक्षता : ड्रोन भूमि के बड़े क्षेत्रों को शीघ्रता और कुशलता से कवर कर सकते हैं, जिससे किसान अधिक प्रभावी ढंग से डेटा एकत्र कर सकते हैं और फसलों की निगरानी कर सकते हैं। 
    • इससे समस्याओं की शीघ्र पहचान करने में मदद मिलेगी, जिससे त्वरित एवं अधिक प्रभावी हस्तक्षेप संभव होगा।
  • फसल की पैदावार में वृद्धि: फसल के स्वास्थ्य पर डेटा एकत्र करने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है, जिससे किसानों को उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। 
    • इन मुद्दों का समाधान करके किसान अपनी फसल की पैदावार में सुधार कर सकते हैं और अपने लाभ को बढ़ा सकते हैं। 
  • लागत में कमी: ड्रोन खेत के उन क्षेत्रों की पहचान करके लागत को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे मैनुअल श्रम की आवश्यकता कम हो जाती है और कीटनाशकों एवं अन्य रसायनों के उपयोग में कमी आती है। 
  • बेहतर सटीकता: ड्रोन उच्च-रिजॉल्यूशन वाली छवियाँ और डेटा प्राप्त कर सकते हैं, जिससे किसानों को उनकी फसलों का विस्तृत परिदृश्य मिल सकता है। 
    • इससे उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिल सकती है, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है तथा यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि हस्तक्षेप लक्षित एवं प्रभावी हों। 

कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक अपनाने की चुनौतियाँ 

यहाँ कुछ प्रमुख चुनौतियाँ दी गई हैं

  • रोजगार में कमी होने का डर: कई किसान चिंतित हैं कि ड्रोन प्रौद्योगिकी अपनाने से रोजगार में कमी आ जाएगी, क्योंकि खेतों में शारीरिक श्रम करने के लिए कम श्रमिकों की आवश्यकता होगी। 
  • ज्ञान और प्रशिक्षण का अभाव: किसानों के पास ड्रोन को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए आवश्यक ज्ञान या प्रशिक्षण का अभाव हो सकता है। 
    • इससे उनके लिए इस तकनीक को अपनाना कठिन हो सकता है, क्योंकि वे इसका उपयोग करने की अपनी क्षमता के प्रति आश्वस्त नहीं हो सकते। 
  • लागत: ड्रोन महंगे हो सकते हैं और कई किसानों के पास इस तकनीक में निवेश करने के लिए वित्तीय संसाधन नहीं हो सकते हैं। 
  • नियामक बाधाएँ: कृषि में ड्रोन के उपयोग पर नियामक बाधाएँ हो सकती हैं, जिससे किसानों के लिए इस तकनीक को अपनाना मुश्किल हो सकता है। 

ज्ञान और प्रशिक्षण की कमी को दूर करने के उपाय

  • डिजिटल इंडिया अभियान (Digital India Campaign)
    • इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढाँचा और कनेक्टिविटी प्रदान करना है। 
    • इस पहल में प्रशिक्षण और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे किसानों में ज्ञान और प्रशिक्षण की कमी को दूर करने में मदद मिल सकती है।
  • कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) ने परिशुद्धता एवं कृषि प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना की है, जो ड्रोन सहित परिशुद्धता कृषि प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

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