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जलवायुवीय वित्त पर नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG)

Lokesh Pal May 04, 2024 06:48 132 0

संदर्भ 

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा सम्मेलन (United Nations Framework Convention on Climate Change- UNFCCC) के सदस्य देशों ने जलवायुवीय वित्त पर नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) निर्धारित किए हैं।

संबंधित तथ्य 

  • जलवायुवीय वित्त पर चर्चा: UNFCCC के सदस्य देशों के 29वें सम्मेलन (COP 29) का आयोजन नवंबर 2024 में अजरबैजान में होगा, जहाँ जलवायुवीय वित्त जैसे प्रमुख मुद्दे पर प्रारंभिक चर्चा होने की संभावना है।
  • नौवीं तकनीकी विशेषज्ञ वार्ता (Technical Expert Dialogue- TED 9): TED 9 और इससे संबंधित कार्यक्रमों के तहत पहली बैठक 23 से 26 अप्रैल, 2024 तक कोलंबिया के कार्टाजेना में आयोजित होगी।

जलवायुवीय वित्त की आवश्यकता

  • जलवायु कार्रवाई हेतु वित्तीय सहायता: विकासशील देश, छोटे द्वीपीय राष्ट्र और दुनिया के सबसे कम विकसित देश सबसे अधिक जलवायु परिवर्तन का नुकसान झेल रहे हैं, जो विकसित देशों द्वारा प्रकृति के अन्यायसंगत और निरंतर दोहन का नतीजा है।
    • दुनिया में लगातार चरम मौसमी घटनाएँ बढ़ रही हैं, जिसके प्रभाव को कम करने या अपनाने के लिए वे देश मजबूर हैं।
  • विकासशील देशों पर असंगत प्रभाव: जलवायु आपदाओं के आर्थिक प्रभाव गरीब देशों पर गंभीर प्रभाव डालते हैं, इसलिए वित्तीय लक्ष्य स्थापित करना महत्त्वपूर्ण हो जाता है, जिसके माध्यम से उनकी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है, जिससे जलवायुवीय न्याय को बढ़ावा मिलेगा।
  • जलवायुवीय न्याय को बढ़ावा देना: इन देशों की आवश्यकताओं को सर्वश्रेष्ठ रूप में पूरा करने वाले लक्ष्यों की ओर बढ़ना होगा तथा यह जलवायुवीय न्याय को बढ़ावा देने के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।

जलवायुवीय वित्त पर नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (New Collective Quantified Goal- NCQG) 

  • परिचय: वर्ष 2025 के बाद से NCQG को जलवायुवीय वित्तीय लक्ष्य के रूप में भी जाना जाएगा। यह विकासशील देशों की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं का ध्यान रखेगा तथा कम-से-कम प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
  • पृष्ठभूमि: वर्ष 2009 में विकसित देशों ने वर्ष 2010 और 2012 के बीच विकासशील देशों को लगभग 30 बिलियन डॉलर के अतिरिक्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने पर अपनी सहमति दी है।
    • उन्होंने वर्ष 2020 तक प्रत्येक वर्ष संयुक्त रूप से 100 अरब डॉलर प्रदान करने की बात की है।
  • 100 बिलियन डॉलर के जलवायुवीय वित्तीय लक्ष्य का विस्तार: विकसित देशों द्वारा 100 बिलियन डॉलर की सामूहिक वित्तीय सहायता के इस लक्ष्य को वर्ष 2025 तक बढ़ा दिया गया है।
    • यह भी निर्णय लिया गया है कि वर्ष 2025 से पहले नया जलवायुवीय वित्तीय लक्ष्य का निर्धारण करना होगा, जिसकी राशि प्रति वर्ष कम-से-कम 100 बिलियन डॉलर होगी, जो मुख्य रूप से विकासशील देशों की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को संबोधित करेगा।
    • वर्ष 2025 के बाद ‘NCQG’ जलवायुवीय वित्तीय लक्ष्य या नए वित्तीय लक्ष्य का रूप ग्रहण कर लेगा।

NCQG का महत्त्व

  • वर्तमान जलवायुवीय वित्त और विकासशील देशों की आवश्यकताओं के बीच विसंगति: विकासशील देशों की जलवायुवीय वित्तीय आवश्यकताओं की तुलना में 100 बिलियन डॉलर की सहायता राशि अपर्याप्त है, जो कई अनुमानों के अनुसार वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष 1 से 2.4 ट्रिलियन डॉलर तक हो सकती है।
    • यह अनुमान उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के आधार पर लगाया गया है, परिणामस्वरूप गरीब देशों के लिए आवश्यक कुल धनराशि में वृद्धि हो सकती है।
  • अधूरा लक्ष्य और वित्तीय संग्रह: 100 बिलियन डॉलर के लक्ष्य को इसकी घोषणा के बाद किसी भी वर्ष में पूरा नहीं किया गया है।
    • नवीनतम आँकड़ें बताते हैं कि विकसित देशों ने वर्ष 2021 में विकासशील देशों के लिए वित्तीय सहायता के रूप में 89.6 बिलियन डॉलर का संग्रह किया था।

NCQG की कार्य-प्रणाली पर चर्चा और विस्तार 

पिछले दो वर्षों में नौ तकनीकी विशेषज्ञ संवाद (Technical Expert Dialogues- TED) आयोजित किए गए हैं, जिसमें नए लक्ष्यों से जुड़े तत्त्वों के लिए कई विकल्पों पर चर्चा की गई है। निम्नलिखित बातों पर चर्चा हुई है-

  • समय सीमा: विकासशील देशों के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contributions- NDCs) के अनुरूप नए वैश्विक लक्ष्यों के लिए भी अल्पकालिक समय अवधि (वर्ष 2025-29) का निर्धारण होना चाहिए।
  • संरचना: यह निर्धारित करना आवश्यक है कि ‘क्या वित्तीय लक्ष्य के रूप में निश्चित राशि तय कर देनी चाहिए’
    • चर्चा हुई कि अतिरिक्त ‘धन संग्रह’ का विकल्प दिया जाना चाहिए, साथ ही वित्तीय सहायता को देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) या सकल राष्ट्रीय आय के संदर्भ में निर्धारित किया जाना चाहिए।
    • वार्षिक लक्ष्यों के अलावा विषयगत क्षेत्रों जैसे शमन, अनुकूलन के रूप में उप-लक्ष्यों का निर्धारण किया जाना चाहिए।
    • प्रेरणादायक लक्ष्य का विकल्प भी प्रस्तुत किया गया, जिसका लक्ष्य सभी वित्तीय सहायता को कम उत्सर्जन करने वाले विकासात्मक कार्यों हेतु प्रदान करना है।
  • मात्रा (Quantum): लक्ष्य से संबंधित मात्रात्मक पहलुओं पर भी चर्चा की गई।
    • इनमें विकासशील देश की अनुमानित वित्तीय आवश्यकता के आधार पर नीचे से ऊपर  दृष्टिकोण (Bottom-up Approach) के साथ योगदानकर्ताओं की सीमा (विकसित देश, निजी संस्थाएँ, अन्य हितधारक) का निर्धारण करना शामिल है।
    • साथ ही, स्रोतों और उपकरणों के उपयोग हेतु उपलब्ध विकल्पों पर भी चर्चा की गई।
  • गुणात्मक तत्त्व : स्पष्ट रूप से चर्चा हुई कि वित्त के प्रकार (रियायती, अनुदान आधारित, सार्वजनिक या निजी) को मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में शामिल किया जाना चाहिए अथवा नहीं।
  • पारदर्शिता: लक्ष्यों की प्रगति की निगरानी करने के लिए मौजूदा ढाँचा जैसे पेरिस समझौता के अलावा निगरानी के कई नए तरीकों पर विचार किया गया है।

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