सऊदी अरब की अध्यक्षता में UNCCD COP16 में नई पहल एवं विश्व सूखा एटलस 2024 (World Drought Atlas 2024) लॉन्च किया गया।
‘रियाद ग्लोबल ड्राउट रिजिलियंस पार्टनरशिप’ (Riyadh Global Drought Resilience Partnership)
परिचय:‘रियाद ग्लोबल ड्राउट रिजिलियंस पार्टनरशिप’, UNCCD COP16 के दौरान सऊदी अरब द्वारा घोषित की गई।
इसका उद्देश्य सार्वजनिक एवं निजी वित्त जुटाकर वैश्विक स्तर पर सूखे से उत्पन्न बढ़ती चुनौतियों से निपटना है।
उद्देश्य: सूखा लचीलापन उपायों को लागू करने में 80 सूखा प्रभावित देशों, विशेष रूप से कम विकसित देशों (LDCs) एवं निम्न मध्यम-आय वाले देशों (LMICs) की सहायता करना।
वैश्विक संसाधन जुटाना एवं फोकस को अल्पकालिक राहत से दीर्घकालिक तैयारियों तथा स्थिरता पर स्थानांतरित करना।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देकर, ज्ञान साझा करने की सुविधा प्रदान करके एवं क्षमता निर्माण करके जीवन तथा आजीविका को बचाना।
फंडिंग तंत्र
साझेदारी सार्वजनिक एवं निजी फंडिंग स्रोतों के संयोजन पर निर्भर करेगी।
सरकारों, वित्तीय संस्थानों, परोपकारी संगठनों एवं अन्य हितधारकों से स्वैच्छिक योगदान के माध्यम से धन सुरक्षित किया जाएगा।
साझेदारी मिश्रित वित्तपोषण मॉडल को नियोजित करती है, जिसमें शामिल हैं:
रियायती ऋण
वाणिज्यिक ऋण
इक्विटी भागीदारी
बीमा योजनाएँ
बचत कार्यक्रम
प्रारंभिक फंडिंग: सऊदी अरब, इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक एवं ‘अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए OPEC फंड’ द्वारा $2.15 बिलियन की प्रारंभिक प्रतिबद्धता का वादा किया गया है।
आशा है कि अरब समन्वय समूह (Arab Coordination Group) COP16 के दौरान अतिरिक्त प्रतिज्ञाओं की घोषणा करेगा।
कार्यान्वयन योजना
हितधारक सहयोग: साझेदारी प्रभावशाली परियोजनाओं की पहचान करने एवं प्राथमिकता देने के लिए सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों तथा निजी क्षेत्रों के साथ सहयोग करेगी।
तकनीकी एवं वित्तीय सहायता: कमजोर क्षेत्रों में सूखा लचीलापन पहल के डिजाइन, निष्पादन एवं स्केलिंग के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।
ज्ञान साझा करना एवं क्षमता निर्माण: स्थायी लचीलापन बनाने के लिए समुदायों, संगठनों एवं सरकारों के लिए विशेषज्ञता तथा प्रशिक्षण के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करना।
प्रमुख साझेदारियाँ एवं सहयोग: वैश्विक सूखा लचीलापन के लिए प्रयासों को संरेखित करने एवं सामंजस्य बढ़ाने के लिए स्पेन तथा सेनेगल की सह-अध्यक्षता में इंटरनेशनल ड्राउट रिजिलियंस अलायंस (International Drought Resilience Alliance- IDRA) के साथ सहयोग।
विश्व सूखा एटलस (World Drought Atlas)
विश्व सूखा एटलस 2024, संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय (UNCCD) द्वारा लॉन्च किया गया।
उद्देश्य: महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सूखे के प्रणालीगत जोखिमों को चित्रित करना।
सूखे के जोखिमों को प्रबंधित करने, कम करने और अनुकूलन के लिए ठोस उपायों तथा मार्गों का वर्णन करना।
कार्यान्वयन: एटलस एक ‘इंटरैक्टिव ऑनलाइन प्लेटफॉर्म’ है, जो सूखे के जोखिम पर डेटा एवं विश्लेषण प्रदान करता है।
इसे नई सूचना के साथ नियमित रूप से अपडेट किया जाएगा।
इस एटलस का उद्देश्य नीति निर्माताओं, अभ्यासकर्ताओं एवं शोधकर्ताओं के लिए एक मूल्यवान उपकरण बनना है।
फंडिंग: एटलस को UNCCD, यूरोपीय आयोग संयुक्त अनुसंधान केंद्र (JRC) एवं अन्य भागीदारों द्वारा वित्तपोषित किया जाता है।
रियाद में ‘2024 विश्व सूखा एटलस’ का शुभारंभ किया गया
वर्ष 2050 तक व्यापक प्रभाव: वर्ष 2050 तक वैश्विक जनसंख्या का लगभग 75% हिस्सा सूखे से प्रभावित होगा, जो जलवायु परिवर्तन और मानवीय कुप्रबंधन के कारण और भी अधिक गंभीर हो जाएगा।
एक बहुआयामी संकट के रूप में सूखा: जलवायु संबंधी चरम स्थितियों के अलावा, असंतुलित जल उपयोग, खराब भूमि प्रबंधन, तथा विभिन्न क्षेत्रों (कृषि, ऊर्जा और व्यापार) के बीच जल संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्द्धा जैसे कारकों के कारण सूखे की स्थिति और भी बदतर हो जाती है।
क्षेत्रीय प्रभाव: सूखे से ऊर्जा उत्पादन, कृषि और व्यापार पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है तथा खाद्य सुरक्षा तथा आजीविका पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
डेटा एवं निगरानी का आह्वान: प्रभावी सूखा प्रबंधन के लिए निगरानी प्रणालियों, डेटा साझाकरण, पूर्व चेतावनी प्रणालियों और जोखिम पूर्वानुमान में निवेश की आवश्यकता होती है।
भारत के लिए विशिष्ट अंतर्दृष्टि
कृषि भेद्यता: भारत अपने बड़े कृषि कार्यबल (25 मिलियन से अधिक लोगों) के कारण विशेष रूप से असुरक्षित है।
पूर्वानुमानित सूखे प्रभावों में सोयाबीन की पैदावार में महत्त्वपूर्ण नुकसान शामिल है, जिससे किसानों की आजीविका को खतरा है।
केस स्टडी-चेन्नई का ‘डे जीरो’ (वर्ष 2019): उच्च वार्षिक वर्षा (~1,400 मिमी.) एवं वर्षा जल संचयन अधिदेश के बावजूद, जल संसाधनों के कुप्रबंधन तथा अनियोजित शहरीकरण के कारण गंभीर जल संकट उत्पन्न हुआ।
जल कुप्रबंधन: वर्ष 2020 एवं वर्ष 2023 के बीच, भारत में जल कुप्रबंधन को लेकर संघर्ष देखा गया, नीतिगत हस्तक्षेप के बिना इस स्थिति के और खराब होने की आशंका है।
उप-सहारा अफ्रीका: इस क्षेत्र में सूखे की बढ़ती तीव्रता एवं जल प्रतिस्पर्द्धा के कारण तनाव बढ़ने का अनुमान है।
विश्व सूखा एटलस 2024 में सूखा शमन सिफारिशें
नीतिगत स्तर की कार्रवाई: सूखे के लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए मजबूत राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय नीतियों की आवश्यकता है।
कार्रवाइयों में भूमि एवं जल उपयोग प्रथाओं को संबोधित किया जाना चाहिए तथा सतत् विकास को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
बेहतर पद्धतियाँ: कृषि पर सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए उपयुक्त मिट्टी एवं कृषि प्रबंधन तकनीकों को अपनाना।
पूर्वानुमान एवं ज्ञान साझा करने में निवेश: सूखे के जोखिमों का पूर्वानुमान लगाने एवं उन्हें कम करने के लिए निगरानी प्रणाली विकसित करना तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेटा साझा करना।
IDRA की भूमिका: वर्ष 2022 में गठित ‘इंटरनेशनल ड्राउट रिजिलियंस अलायंस’ (IDRA), वैश्विक स्तर पर सूखे से निपटने के लिए नवीन वित्तपोषण तंत्र, ज्ञान साझाकरण एवं प्रभावशाली कार्यों का समर्थन करता है।
क्रॉस-सेक्टर सहयोग: ऊर्जा, कृषि एवं व्यापार में लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए सरकारों, निजी क्षेत्रों तथा नागरिक समाज के बीच सहयोग।
‘इंटरनेशनल ड्राउट रिजिलियंस ऑब्सर्वेटरी’ (International Drought Resilience Observatory-IDRO) के बारे में
IDRO सक्रिय सूखा प्रबंधन के लिए पहला वैश्विक, AI-संचालित डेटा प्लेटफॉर्म है एवं ‘इंटरनेशनल ड्राउट रिजिलियंस अलायंस’ (IDRA) की एक पहल है।
वेधशाला एक एकल पोर्टल प्रदान करेगी जहाँ प्रबंधक आसानी से प्रमुख सामाजिक एवं पर्यावरणीय सूखा लचीलापन संकेतकों का विश्लेषण तथा कल्पना कर सकते हैं एवं व्यावहारिक निर्णय लेने के लिए उनका उपयोग कर सकते हैं।
उद्देश्य: सूखे से निपटने के लिए एक वैश्विक, AI-संचालित डेटा प्लेटफॉर्म बनाना।
सूखे की स्थिति पर समय पर एवं सटीक जानकारी प्रदान करना।
निर्णय लेने एवं पूर्व चेतावनी प्रणालियों का समर्थन करना।
कार्यान्वयन: IDRO उपग्रह इमेजरी, मौसम स्टेशनों एवं जमीनी अवलोकन सहित विभिन्न स्रोतों से डेटा एकत्र तथा विश्लेषण करेगा।
यह प्लेटफॉर्म सूखे की घटनाओं की पहचान करने एवं उन्हें ट्रैक करने के लिए AI का उपयोग करेगा।
IDRO सरकारों एवं समुदायों को प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करेगा।
फंडिंग: IDRO को ‘इंटरनेशनल ड्राउट रिजिलियंस अलायंस’ (IDRA) द्वारा वित्तपोषित किया जाता है।
गठबंधन सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों एवं निजी क्षेत्र के संगठनों की साझेदारी है।
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