केंद्रीय बजट 2025 में कई उपायों की घोषणा की गई है, जिनका उद्देश्य भारत के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) को मजबूत करना है।
निवेश (रु. करोड़ में)
कारोबार
(रु. करोड़ में)
मौजूदा
संशोधित
मौजूदा
संशोधित
अति लघु उद्योग
1
2.5
5
10
लघु उद्यम
10
25
50
100
मध्यम उद्यम
50
125
250
500
सुधारों के बारे में मुख्य बिंदु
MSMEs के लिए वर्गीकरण मानदंड को संशोधित किया गया है:-
सभी MSMEs के वर्गीकरण के लिए निवेश एवं टर्नओवर सीमा को क्रमशः 2.5 तथा 2 गुना तक बढ़ाया जाएगा, ताकि MSMEs को पैमाने की उच्च दक्षता, तकनीकी उन्नयन एवं पूँजी तक बेहतर पहुँच हासिल करने में मदद मिल सके।
गारंटी कवर के साथ ऋण उपलब्धता में वृद्धि
ऋण तक पहुँच में सुधार के लिए क्रेडिट गारंटी कवर बढ़ाया जाएगा।
MSME: यह 5 करोड़ से बढ़कर 10 करोड़ हो जाएगा, जिससे अगले 5 वर्षों में 1.5 लाख करोड़ का अतिरिक्त ऋण मिलेगा।
स्टार्टअप: 10 करोड़ से बढ़कर 20 करोड़ हो जाएगा।
आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्त्वपूर्ण 27 फोकस क्षेत्रों में ऋण के लिए गारंटी शुल्क को घटाकर 1 प्रतिशत किया जा रहा है।
निर्यातक MSMEs: 20 करोड़ तक के टर्म लोन के लिए इसमें बढोतरी होगी।
सूक्ष्म उद्यमों के लिए क्रेडिट कार्ड
उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत सूक्ष्म उद्यमों के लिए 5 लाख की सीमा वाले अनुकूलित क्रेडिट कार्ड पेश किए जाएँगे।
पहले वर्ष में ऐसे 10 लाख कार्ड जारी किए जाएँगे।
स्टार्टअप्स के लिए निधि का कोष
विस्तारित दायरे एवं अन्य 10,000 करोड़ के नए योगदान के साथ एक नया फंड ऑफ फंड्स स्थापित किया जाएगा।
उदाहरण: 10,000 करोड़ के सरकारी योगदान के साथ स्थापित फंड ऑफ फंड्स द्वारा समर्थित स्टार्टअप्स के लिए वैकल्पिक निवेश फंड (AIFs) को 91,000 करोड़ से अधिक की प्रतिबद्धताएँ प्राप्त हुई हैं।
‘डीप टेक फंड ऑफ फंड्स’: इस पहल के एक हिस्से के रूप में अगली पीढ़ी के स्टार्टअप को उत्प्रेरित करने के लिए ‘डीप टेक फंड ऑफ फंड्स’ की भी खोज की जाएगी।
उद्यमियों को सशक्त बनाना
अगले 5 वर्षों के दौरान 5 लाख महिलाओं, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के पहली बार उद्यमियों को 2 करोड़ तक का सावधि ऋण प्रदान करने के लिए एक नई योजना शुरू की जाएगी।
निर्यात प्रोत्साहन मिशन
वाणिज्य, MSME एवं वित्त मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से संचालित क्षेत्रीय तथा मंत्रिस्तरीय लक्ष्यों के साथ एक निर्यात संवर्द्धन मिशन स्थापित किया जाएगा।
मिशन निर्यात ऋण तक आसान पहुँच, सीमा पार फैक्टरिंग समर्थन एवं विदेशी बाजारों में गैर-टैरिफ उपायों से निपटने के लिए MSMEs को समर्थन की सुविधा प्रदान करेगा।
फोकस क्षेत्र: रोजगार एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए दो फोकस उद्योगों में लक्षित नीतिगत उपाय लागू किए जाएँगे।
जूते एवं चमड़ा क्षेत्रों के लिए फोकस उत्पाद योजना: यह योजना चमड़े एवं सामान्य जूते दोनों के लिए डिजाइन क्षमता, घटक निर्माण तथा उत्पादन मशीनरी का समर्थन करके उत्पादकता, गुणवत्ता एवं प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाएगी।
उद्देश्य: 2.2 मिलियन लोगों के लिए रोजगार उत्पन्न करना, 4 लाख करोड़ रुपये का कारोबार एवं 1.1 लाख करोड़ रुपये का निर्यात करना।
खिलौना क्षेत्र का विकास: सरकार खिलौनों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना पर आधारित, ‘मेड इन इंडिया’ ब्रांड के तहत क्लस्टर विकसित करने, कौशल को मजबूत करने एवं सतत्, अभिनव तथा उच्च गुणवत्ता वाले खिलौना विनिर्माण के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित योजना की योजना बना रही है।
भारत में MSME क्षेत्र
वर्ष 2022-23 में भारत की GDP में MSME सेक्टर की हिस्सेदारी 30.1% थी।
भारत में 10 मिलियन से अधिक पंजीकृत MSME हैं, जो लगभग 75 मिलियन लोगों को रोजगार देते हैं।
MSME क्षेत्र देश के विनिर्माण उत्पादन में 36 प्रतिशत का योगदान देता है एवं भारत के निर्यात में इसका योगदान 45 प्रतिशत है।
बजट 2025-2026
MSME सेक्टर को विकास का दूसरा इंजन माना गया है।
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय को 23,168 करोड़ रुपये (वर्ष 2024-25 की तुलना में 4.6 प्रतिशत की वृद्धि) आवंटित किया गया है।
प्रमुख योजना के लिए आवंटन
खादी, ग्राम एवं कॉयर उद्योग: आवंटन 9 प्रतिशत बढ़ाकर 1,532 करोड़ रुपये किया गया।
प्रौद्योगिकी उन्नयन एवं गुणवत्ता प्रमाणन: फंडिंग 74.42 करोड़ रुपये पर अपरिवर्तित है।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) एवं अन्य ऋण सहायता योजनाएँ: आवंटन 1.5 प्रतिशत घटाकर 11,954.42 करोड़ रुपये किया गया।
भारत के विकास पथ में MSMEs क्षेत्र का महत्त्व
निर्यात पॉवरहाउस: वर्ष 2024-25 में MSMEs से निर्यात बढ़कर ₹12.39 लाख करोड़ हो गया, जो 45.73% का योगदान देता है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है एवं वैश्विक व्यापार मजबूत होता है।
निर्यात करने वाले MSMEs की कुल संख्या भी वर्ष 2020-21 में 52,849 से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 1,73,350 हो गई है।
GDP वृद्धि: भारत की GDP में MSMEs द्वारा सकल मूल्य वर्द्धित (GVA) वर्ष 2017-18 में 29.7% से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 30.1% हो गया।
रोजगार सृजन: भारत में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs ) ने जुलाई 2024 तक 20 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार दिया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 66% की वृद्धि है।
महिला सशक्तीकरण: उद्यम पंजीकरण पोर्टल पर पंजीकृत 20.5% MSMEs का नेतृत्व महिलाओं द्वारा किया जाता है, जो उद्यम-पंजीकृत MSMEs द्वारा उत्पन्न कुल रोजगार का 18.73% है।
MSMEs में कार्यरत 4.54 करोड़ महिलाएँ हैं।
उद्यमिता: MSMEs ने नवाचार एवं लागत प्रभावी व्यवसाय को अपना मुख्य मॉडल बनाकर देश में उद्यमशीलता संस्कृति को बढ़ावा दिया है।
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