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नए MIDH दिशा-निर्देशों में 4 नए घटक शामिल होंगे

Lokesh Pal October 30, 2024 03:36 40 0

संदर्भ

केंद्र सरकार ने कथित तौर पर एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Mission for Integrated Development of Horticulture- MIDH) के तहत चार नए घटकों [हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics), एक्वापोनिक्स (Aquaponics), वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) और प्रिसिजन एग्रीकल्चर (Precision Agriculture)] को शामिल करने का निर्णय लिया है। 

CSS का युक्तीकरण

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विभिन्न CSS को दो प्रमुख योजनाओं में विलय करने को मंजूरी दी:
    • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (Pradhan Mantri Rashtriya Krishi Vikas Yojana (PM-RKVY) 
    • कृष्णोन्नति योजना (Krishonnati Yojana- KY) 

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Mission for Integrated Development of Horticulture- MIDH)

  • वर्ष 2014-15 में शुरू की गई केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • यह भारत में बागवानी क्षेत्र के व्यापक विकास को बढ़ावा देती है।
  • यह फलों, सब्जियों, कंदमूल, मशरूम, मसालों, फूलों, सुगंधित पौधों, नारियल, काजू और कोको जैसी फसलों को पोषण देता है।
    • यह केसर मिशन (Saffron Mission), RKVY और NMSA जैसी पहलों के लिए राज्य सरकारों और राज्य बागवानी मिशनों (State Horticulture Missions- SHMs) को तकनीकी और प्रशासनिक सहायता प्रदान करता है। 
  • इसके तहत कार्यान्वित: हरित क्रांति – कृष्णोन्नति योजना (Green Revolution – Krishonnati Yojana)।
  • फंडिंग पैटर्न: भारत सरकार 60% तथा राज्य सरकारें 40% योगदान देती हैं।
  • पूर्वोत्तर राज्यों और हिमालयी राज्यों के मामले में भारत सरकार 90% योगदान देती है।
  • उद्देश्य
  • उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि: बेहतर रोपण सामग्री और आधुनिक तकनीकों के साथ उपज और गुणवत्ता में वृद्धि करना।
  • कटाई के बाद प्रबंधन: भंडारण, प्रसंस्करण और विपणन के लिए बुनियादी ढाँचा विकसित करके कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना।
  • स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देना: जैविक खेती, पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं और एकीकृत कीट प्रबंधन को प्रोत्साहित करना।
  • क्षमता निर्माण: आय में सुधार के लिए आधुनिक बागवानी प्रथाओं में किसानों को प्रशिक्षित और समर्थन देना।
  • बाजार तक पहुँच: घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक बेहतर पहुँच के लिए आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करना।

बागवानी के बारे में

  • बागवानी भोजन, दवा और सौंदर्य प्रयोजनों के लिए पौधों को उगाने का विज्ञान एवं कला है। इसमें फलों, सब्जियों, जड़ी-बूटियों, मेवों, पेड़ों, झाड़ियों, फूलों के पौधों और टर्फ सहित विभिन्न प्रकार के पौधों की खेती शामिल है।
  • उप-विषय: ओलेरीकल्चर (सब्जियाँ), पोमोलॉजी (फल), फ्लोरीकल्चर (फूल वाले पौधे), और लैंडस्केप बागवानी।

मुख्य तथ्य

  • देश में बागवानी उत्पादन खाद्यान्न उत्पादन से अधिक है।
  • भारत का कुल बागवानी उत्पादन वर्ष 2010-11 में 240.53 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 334.60 मिलियन मीट्रिक टन हो गया।
  • भारतीय बागवानी क्षेत्र कृषि सकल मूल्य वर्द्धित (GVA) में लगभग 33% योगदान देता है।
  • भारत दुनिया में फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।

मुख्य घटक

  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन (National Horticulture Mission- NHM): सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बागवानी विकास का समर्थन करता है।
  • पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन (Horticulture Mission for North East and Himalayan States- HMNEH): पूर्वोत्तर और हिमालयी क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप।
  • राष्ट्रीय बाँस मिशन (National Bamboo Mission-NBM): बाँस की खेती और इसकी मूल्य शृंखला को बढ़ावा देता है।
  • नारियल विकास बोर्ड (Coconut Development Board (CDB): नारियल क्षेत्र के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • केंद्रीय बागवानी संस्थान (Central Institute of Horticulture-CIH): पूर्वोत्तर में तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए नागालैंड के मेडिजिपेहिमा (Medizipehima) में अवस्थित है।

उन्नत कृषि तकनीक

हीड्रोपोनिक्स (Hydroponics)
  • परिभाषा: यह मिट्टी के बिना पौधों को उगाने की एक विधि है, जिसमें पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक संतुलित खनिज पोषक तत्त्वों से समृद्ध जल का उपयोग किया जाता है।
  • लाभ
    • पारंपरिक खेती की तुलना में कम जल का उपयोग करता है।
    • खराब मिट्टी या सीमित भूमि वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होता है।
    • सटीक पोषक तत्त्व नियंत्रण की अनुमति देता है, जिससे बर्बादी कम होती है।
  • सीमाएँ
    • उच्च प्रारंभिक सेटअप लागत।
    • पोषक तत्त्व प्रबंधन के निरंतर निगरानी और विशेष ज्ञान की आवश्यकता होती है।
एक्वापोनिक्स (Aquaponics)
  • परिभाषा: यह हाइड्रोपोनिक्स को जलकृषि के साथ एकीकृत करता है तथा पौधों, मछलियों और लाभकारी जीवाणुओं के साथ सहजीवी प्रणाली का निर्माण करता है।
  • प्रक्रिया
    • मछली का अपशिष्ट पौधों की वृद्धि के लिए पोषक तत्त्व प्रदान करता है।
    • बदले में, पौधे जल को फिल्टर करते और शुद्ध करते हैं, जिसे मछली के टैंक में वापस रिसाइकिल किया जाता है।
  • लाभ
    • पौधों एवं मछलियों दोनों का उत्पादन करने वाली सतत् प्रणाली।
    • सिंथेटिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करता है।
    • जल का कुशल उपयोग।
  • सीमाएँ
    • मछली एवं पौधों की जरूरतों के बीच संतुलन बनाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है।
    • जल की गुणवत्ता और पोषक तत्त्वों के स्तर की सावधानीपूर्वक निगरानी की आवश्यकता होती है।

प्रिसिजन एग्रीकल्चर (Precision Agriculture)

  • परिभाषा: यह फसल उत्पादन को अत्यधिक विस्तृत स्तर पर प्रबंधित करने के लिए डेटा संचालित प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है।
  • प्रयुक्त प्रौद्योगिकियाँ
    • GPS: खेतों की सटीक मैपिंग प्रदान करता है।
    • ग्रिड सैंपलिंग (Grid Sampling): pH, पोषक तत्त्वों और नमी का आकलन करने के लिए मिट्टी के नमूने एकत्र करता है।
    • परिवर्तनीय दर प्रौद्योगिकी (Variable-Rate Technology- VRT): खेतों में बीज, उर्वरक और जल के उपयोग की दर को समायोजित करता है, जिससे अधिक एवं कम उपयोग को रोका जा सकता है।
    • ड्रोन, सेंसर, सैटेलाइट इमेजरी: फसल के स्वास्थ्य, विकास और खेत की स्थितियों पर वास्तविक समय में नजर रखना।
  • लाभ
    • फसल की पैदावार एवं गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
    • जल और उर्वरक जैसे इनपुट कम हो जाते हैं, लागत और पर्यावरणीय प्रभाव कम हो जाते हैं।
  • सीमाएँ
    • प्रौद्योगिकी की उच्च प्रारंभिक लागत।
    • कुशल ऑपरेटरों और विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी की आवश्यकता है।

वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming)

  • परिभाषा: वर्टिकल फार्मिंग का अर्थ है, पौधों को ऊर्ध्वाधर रूप से खड़ी परतों या झुकी हुई सतहों पर, आमतौर पर नियंत्रित वातावरण में उगाना।
  • नियंत्रित पर्यावरण कृषि (Controlled-Environment Agriculture- CEA): पौधों की वृद्धि को बढ़ाने के लिए प्रकाश, तापमान, आर्द्रता और पोषक तत्त्वों जैसी स्थितियों को अनुकूलतम बनाता है।
  • पोषक तत्त्व उपलब्ध कराने की विधियाँ
    • हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics): पोषक तत्त्वों के घोल का उपयोग करके मिट्टी से मुक्त खेती।
    • एरोपोनिक्स (Aeroponics): जड़ों को पोषक तत्त्वों से भरपूर जल से भिगोया जाता है, जिसके लिए हाइड्रोपोनिक्स की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है।
    • एक्वापोनिक्स (Aquaponics): बंद सिस्टम में हाइड्रोपोनिक प्लांट उत्पादन के साथ मछली पालन को जोड़ता है।
  • लाभ
    • इससे जगह का अधिकतम उपयोग होता है, विशेष तौर पर शहरी इलाकों में।
    • इससे बड़ी मात्रा में जमीन की जरूरत कम हो जाती है।
  • सीमाएँ
    • उच्च सेटअप और परिचालन लागत।
    • कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था और जलवायु नियंत्रण के उपयोग के कारण ऊर्जा-गहन।

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