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भारत में जैविक संसाधनों के लाभ बँटवारे के लिए नए नियम

Lokesh Pal May 07, 2025 03:30 14 0

संदर्भ

राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण ने नए जैव विविधता (जैविक संसाधनों और उनसे संबंधित ज्ञान तक पहुँच तथा लाभों का उचित एवं न्यायसंगत बँटवारा) विनियम, 2025 को अधिसूचित किया है।

जैव विविधता विनियम, 2025 की मुख्य विशेषताएँ 

  • ये नियम यह नियंत्रित करते हैं कि जैविक संसाधनों, चाहे वे भौतिक हों या डिजिटल, के उपयोग से होने वाले लाभों को किस तरह साझा किया जाना चाहिए।
  • डिजिटल अनुक्रम सूचना (Digital Sequence Information- DSI) का समावेश: DSI अब आधिकारिक तौर पर लाभ-साझाकरण नियमों के अंतर्गत आता है।
    • यह मान्यता देता है कि भौतिक सामग्री तक पहुँच के बिना आनुवंशिक जानकारी का उपयोग किया जा सकता है।
  • टर्नओवर-आधारित लाभ साझाकरण स्लैब: 5 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर के लिए कोई लाभ साझाकरण नहीं।
  • संवर्द्धित औषधीय पौधों के लिए छूट: संवर्धित पौधों के उपयोगकर्ताओं को लाभ साझा करने से छूट दी गई है।
    • यह जैव विविधता (संशोधन) अधिनियम, 2023 के अनुरूप है।
  • स्वीकृत मिश्रित-स्रोत उत्पादों के लिए कोई साझाकरण नहीं: किसी उत्पाद में संवर्धित और जंगली दोनों प्रकार के पौधे प्रयोग किए गए हैं, तो लाभ साझाकरण की आवश्यकता नहीं है, यदि इसे MoEFCC और आयुष मंत्रालय द्वारा सूचीबद्ध किया गया है।
  • उच्च मूल्य वाली प्रजातियों के लिए उच्च लाभ साझाकरण: निम्नलिखित प्रजातियों के लिए बिक्री या नीलामी आय का न्यूनतम 5%:
    • लाल चंदन
    • चंदन
    • अगरवुड
  • शोधकर्ताओं तथा IPR आवेदकों द्वारा अनिवार्य साझाकरण: शोधकर्ताओं और पेटेंट/आईपी चाहने वालों को एबीएस नियमों का पालन करना चाहिए।
  • लाभों का वितरण: 10-15% राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (National Biodiversity Authority- NBA) द्वारा रखा जाता है और शेष स्थानीय समुदायों और ज्ञान धारकों के साथ साझा किया जाता है।

विनियमन में क्या शामिल 

  • लागू करना: जैविक संसाधन, डिजिटल अनुक्रम जानकारी (Digital Sequence Information- DSI), और संबंधित पारंपरिक ज्ञान।
  • प्रतिस्थापित करना: वर्ष 2014 के दिशा-निर्देश, जिसमें डिजिटल अनुक्रम जानकारी शामिल नहीं थी।

वार्षिक कारोबार के आधार पर लाभ साझा करना

वार्षिक कारोबार लाभ साझाकरण दर
5 करोड़ रुपये तक लाभ साझा करने से छूट
5 करोड़ रुपये से 50 करोड़ रुपये तक सकल पूर्व- फैक्टरी बिक्री मूल्य का 0.2%
50 करोड़ रुपये – 250 करोड़ रुपये सकल पूर्व-फैक्टरी बिक्री मूल्य का 0.4%
250 करोड़ रुपये से अधिक सकल पूर्व-फैक्टरी बिक्री मूल्य का 0.6%
रिपोर्टिंग आवश्यकता: 1 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाले सभी उपयोगकर्ताओं को संसाधन उपयोग पर वार्षिक विवरण प्रस्तुत करना होगा।

जैव विविधता विनियमन की आवश्यकता

  • प्राकृतिक संसाधनों तक पहुँच: ये नियम प्राकृतिक संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान तक उचित पहुँच सुनिश्चित करते हैं।
    • भारत एक बहुत ही विविधतापूर्ण देश है, जिसके पास विश्व की 7-8% जैव विविधता है।
  • उचित और न्यायसंगत लाभ साझाकरण सुनिश्चित करना: ये नियम सुनिश्चित करते हैं कि स्थानीय समुदायों तथा ज्ञान धारकों को उनके योगदान के लिए उचित मुआवजा मिले।
  • संरक्षण और सतत् उपयोग को बढ़ावा देना: आर्थिक लाभों को जैव विविधता से जोड़कर, नियम संरक्षण को प्रोत्साहित करते हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के साथ संरेखित करना: भारत जैविक विविधता पर कन्वेंशन (Convention on Biological Diversity- CBD) और नागोया प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्ता है।
    • नया विनियमन राष्ट्रीय कानून को अंतरराष्ट्रीय समझौतों, विशेष रूप से DSI के साथ संरेखित करता है।
  • जैव विविधता संरक्षण के साथ वाणिज्यिक उपयोग को संतुलित करना: नियमों का उद्देश्य उद्योगों को नवाचार करने की अनुमति देने और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना है।

डिजिटल अनुक्रम जानकारी (Digital Sequence Information- DSI)

  • डिजिटल अनुक्रम सूचना (Digital Sequence Information- DSI) जैविक संसाधनों से प्राप्त आनुवंशिक डेटा के डिजिटल रूप को संदर्भित करता है। इसमें निम्नलिखित के बारे में जानकारी शामिल है:
    • डीएनए, आरएनए या प्रोटीन अनुक्रम
    • जेनेटिक मानचित्र
    • डेटाबेस में सगृहीत जीनोमिक डेटा
  • यह शोधकर्ताओं तथा कंपनियों को भौतिक नमूनों की आवश्यकता के बिना आनुवंशिक जानकारी का अध्ययन और उपयोग करने की अनुमति देता है।
  • DSI को अब नियमों में शामिल किया गया है क्योंकि यह भौतिक आनुवंशिक सामग्री का विकल्प बन सकता है।
  • DSI लाभ साझा करने के लिए एक वैश्विक बहुपक्षीय तंत्र कैली, कोलंबिया (2024) में आयोजित COP16 के दौरान जैव विविधता पर कन्वेंशन के तहत प्रस्तुत किया गया था।
  • फार्मास्यूटिकल्स, सौंदर्य प्रसाधन, कृषि और बायोटेक जैसे क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं को इस तंत्र के तहत लाभ साझा करना चाहिए।

एक्सेस एंड बेनिफिट शेयरिंग (Access and Benefit Sharing-ABS)

  • एक्सेस एंड बेनिफिट शेयरिंग (ABS) जैव विविधता पर कन्वेंशन (CBD) के तहत स्थापित एक ढाँचा है और नागोया प्रोटोकॉल द्वारा इसे और विस्तृत किया गया है।
  • यह नियंत्रित करता है कि आनुवंशिक संसाधनों और संबंधित पारंपरिक ज्ञान तक कैसे पहुँचा जाए तथा उनके उपयोग से प्राप्त लाभों को निष्पक्ष एवं न्यायसंगत तरीके से कैसे साझा किया जाए।
  • ABS यह सुनिश्चित करता है कि जैव विविधता से समृद्ध देशों और समुदायों को उचित मुआवजा दिया जाए यदि उनके संसाधनों का उपयोग फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और जैव प्रौद्योगिकी जैसे उद्योगों में किया जाता है।

ABS के मुख्य घटक

  • पहुँच: किसी देश या स्वदेशी समुदाय से आनुवंशिक संसाधन (जैसे- पौधे, जीव, सूक्ष्मजीव) या पारंपरिक ज्ञान प्राप्त करना।
  • लाभ साझा करना: यह सुनिश्चित करता है कि संसाधन प्रदान करने वाले देश या समुदाय को उचित मुआवजा मिले।

ABS का महत्त्व 

  • बायोपाइरेसी (आनुवंशिक संसाधनों का अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग) को रोकता है।
  • शोधकर्ताओं, कंपनियों और स्वदेशी समुदायों के मध्य न्यायसंगत भागीदारी को बढ़ावा देता है।
  • प्रदाताओं को पुरस्कृत करके जैव विविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग को प्रोत्साहित करता है।

राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (National Biodiversity Authority- NBA)

  • राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (National Biodiversity Authority- NBA) जैव विविधता अधिनियम, 2002 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
  • इसका गठन वर्ष 2003 में हुआ था और इसका मुख्यालय चेन्नई में है।

महत्त्वपूर्ण कार्य

  • भारत सरकार के लिए एक सुविधाप्रदाता, विनियामक और सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करता है।
  • निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित करता है:
    • जैविक विविधता का संरक्षण, 
    • इसके घटकों का सतत् उपयोग, 
    • जैविक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों का उचित और न्यायसंगत बँटवारा।
  • जैव विविधता अधिनियम (वर्ष 2002) तथा जैव विविधता नियम (वर्ष 2004) के अंतर्गत, दो अतिरिक्त निकाय NBA के पूरक हैं:
    • राज्य जैव विविधता बोर्ड (State Biodiversity Boards- SBB) – राज्य स्तर पर।
    • जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ (Biodiversity Management Committees- BMC) – स्थानीय/ग्राम स्तर पर।

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