केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority- CZA) ने गुजरात के बन्नी घास के मैदानों में चीता संरक्षण प्रजनन केंद्र के लिए अपनी अंतिम मंजूरी दे दी है।
बन्नी घास के मैदान के बारे में
बन्नी घास के मैदान: गुजरात के कच्छ जिले में कच्छ के रण के दक्षिणी किनारे पर स्थित बन्नी ग्रासलैंड रिजर्व, एक शुष्क घास के मैदान का पारिस्थितिकी तंत्र है।
गठन: बन्नी क्षेत्र का निर्माण वर्ष 1819 के भूकंप के बाद हुआ था, जिसमें सिंधु एवं अन्य नदियों द्वारा हजारों वर्षों से जमा तलछट से भूमि की ऊपरी परत का निर्माण हुआ था।
वनस्पति: बन्नी में बिखरे हुए पेड़ों एवं झाड़ियों के साथ कम उगने वाले फोर्ब्स और ग्रैमिनोइड्स शामिल हैं, जिनमें लवण-सहिष्णु हेलोफाइल भी शामिल हैं।
वृक्ष आवरण में मुख्य रूप से साल्वाडोरा प्रजातियाँ एवं आक्रामक प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा शामिल हैं।
प्रमुख प्रजातियाँ क्रेसा क्रेटिका, साइपरस, एवं स्पोरोबोलस, डिकैन्थियम तथा अरिस्टिडा जेनेरा की घास हैं।
जीव-जंतु: नीलगाय, चिंकारा, काला हिरण, जंगली सूअर, सुनहरा सियार भारतीय खरगोश, भारतीय भेड़िया, कैराकल, एशियाई जंगली बिल्ली, एवं रेगिस्तानी लोमड़ी, कांकरेज कौआ, सिंधी भैंस।
महत्त्व: भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने इस घास के मैदान को भारत में चीता के अंतिम बचे आवासों में से एक एवं उनके पुनरुत्पादन के लिए एक संभावित स्थल के रूप में मान्यता दी है।
स्थिति: वर्ष 1955 में, न्यायालय ने घास के मैदान को आरक्षित वन के रूप में नामित किया। वर्ष 2019 में, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने बन्नी की सीमाओं के सीमांकन का आदेश दिया एवं गैर-वन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया।
गांधी सागर अभयारण्य
गुजरात के उत्तरी कच्छ में चिंकारा और काले हिरण वाला 3,500 वर्ग किलोमीटर का घास का मैदान, कूनो एवं गांधी सागर अभयारण्यों से भी बड़ा है।
गांधी सागर अभयारण्य के बारे में
गांधी सागर अभयारण्य: यह मध्य प्रदेश में मंदसौर एवं नीमच जिलों की उत्तरी सीमा पर स्थित है। इसका नाम चंबल नदी पर बने गांधी सागर बाँध के नाम पर रखा गया है। इसे वर्ष 1974 में अधिसूचित किया गया एवं वर्ष 1984 में अभयारण्य सूची में शामिल किया गया।
नदी: चंबल नदी, अभयारण्य से होकर बहती है, जो इसे दो अलग-अलग हिस्सों में विभाजित करती है।
स्थलाकृति: अभयारण्य में विविध परिदृश्य हैं, जिनमें पहाड़ियाँ, पठार एवं चंबल नदी पर गांधी सागर बाँध का जलग्रहण क्षेत्र शामिल है।
वनस्पति: यह खथियार-गिर शुष्क पर्णपाती वन क्षेत्र में स्थित है।
सांस्कृतिक महत्त्व: अभयारण्य में कई ऐतिहासिक, पुरातात्त्विक एवं धार्मिक रूप से महत्त्वपूर्ण स्थल हैं, जिनमें चौरासीगढ़, चतुर्भुजनाथ मंदिर, भड़काजी रॉक पेंटिंग, नरसिंहझार हिंगलाजगढ़ किला तथा करकेश्वर मंदिर शामिल हैं।
वनस्पति: खैर, सलाई, करधई, धावड़ा, तेंदू एवं पलाश।
जीव-जंतु: चिंकारा, नीलगाय, चित्तीदार हिरण, भारतीय तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, सियार, मगरमच्छ, ऊदबिलाव, कछुए एवं विभिन्न मछलियाँ।
टाइफून गेमी
टाइफून गेमी के कारण ताइवान के निचले इलाकों में बाढ़ आ गई है।
टाइफून गेमी के बारे में
टाइफून गेमी: टाइफून गेमी, जिसे फिलीपींस में सुपर टाइफून कैरिना कहा जाता है, एक सक्रिय उष्णकटिबंधीय चक्रवात है, जो वर्तमान में ताइवान के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।
उत्पत्ति: गेमी की शुरुआत 19 जुलाई को पलाऊ के निकट एक उष्णकटिबंधीय विक्षोभ के रूप में हुई।
लक्षण वर्गीकरण
उष्णकटिबंधीय अवदाब: सबसे कमजोर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को उष्णकटिबंधीय अवदाब के रूप में जाना जाता है।
उष्णकटिबंधीय तूफान: यदि अवदाब 39 मील प्रति घंटे की अधिकतम निरंतर हवाओं तक तीव्र हो जाता है, तो यह एक उष्णकटिबंधीय तूफान बन जाता है।
हरिकेन/टाइफून: 74 मील प्रति घंटे या उससे अधिक की अधिकतम निरंतर हवाओं वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात को उसके मूल क्षेत्र के आधार पर हरिकेन, टाइफून या उष्णकटिबंधीय चक्रवात के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
नामकरण की परंपरा
उत्तरी अटलांटिक, मध्य उत्तरी प्रशांत एवं पूर्वी-उत्तरी प्रशांत: ‘हरिकेन’ शब्द का प्रयोग किया जाता है।
उत्तर-पश्चिमी प्रशांत: उसी विक्षोभ को ‘टाइफून’ कहा जाता है।
दक्षिण प्रशांत एवं हिंद महासागर: सामान्य शब्द ‘उष्णकटिबंधीय चक्रवात’ का उपयोग किया जाता है।
‘फैक्ट चेक’ इकाई
(Fact-check Unit- FCU)
केंद्र ने ‘फैक्ट चेक इकाई’ (FCU) का बचाव किया, सूचना को सही करने के अधिकार को महत्त्वपूर्ण बताया।
फैक्ट चेक इकाई के बारे में
कानूनी समर्थन: फैक्ट चेक इकाई का अधिदेश 2021 के IT नियमों से उत्पन्न हुआ है, जिसमें कहा गया है कि सोशल मीडिया साइटें कानूनी दायित्व सुरक्षा खोने का जोखिम उठाती हैं, यदि वे गलत सूचना का तेजी से समाधान करने में विफल रहती हैं।
वैधानिक निकाय: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने प्रेस सूचना ब्यूरो के भीतर FCU को एक वैधानिक निकाय के रूप में नामित किया है।
FCU की शक्तियाँ: FCU के पास सोशल मीडिया साइटों पर केंद्र सरकार एवं उसकी एजेंसियों के बारे में गलत जानकारी की पहचान करने का अधिकार है।
परिचालन ढाँचा
FCU का नेतृत्व भारतीय सूचना सेवा के तीन संयुक्त निदेशक रैंक के अधिकारियों द्वारा किया जाता है, जो सरकार के प्रचार कार्यों के प्रबंधन का प्रभारी है।
रिपोर्टिंग प्राधिकरण: यूनिट PIB के प्रधान महानिदेशक को रिपोर्ट करती है, जो भारत सरकार के प्रधान प्रवक्ता के रूप में भी कार्य करते हैं।
समतुल्यीकरण शुल्क
(Equalisation Levy)
भारत सरकार ने अनिवासी ई-कॉमर्स कंपनियों को प्रभावित करने वाले 2% समतुल्यीकरण शुल्क (Equalisation Levy) को हटाने का प्रस्ताव रखा।
समतुल्यीकरण शुल्क (Equalisation Levy) के बारे में
समतुल्यीकरण शुल्क: इसेवर्ष 2016 में भारत में प्रस्तुत किया गया था, यह शुल्क शुरू में ऑनलाइन विज्ञापनों एवं डिजिटल विज्ञापन स्थान के लिए संबंधित भुगतानों पर 6% की दर से लागू होता था।
शुल्क: वर्ष 2020 में, अनिवासी ई-कॉमर्स ऑपरेटरों द्वारा भारतीय निवासियों को प्रदान की जाने वाली ई-कॉमर्स आपूर्ति या सेवाओं को शामिल करने के लिए शुल्क का दायरा बढ़ाया गया था।
2% लेवी अब भारत में स्थायी प्रतिष्ठान वाले अनिवासी ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर लागू होती है।
उद्देश्य: निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना, तर्कसंगतता सुनिश्चित करना एवं सरकारों को व्यवसायों पर प्रभावी ढंग से कर लगाने की अनुमति देना।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम 2024
मार्च 2024 में चार महीने की अवधि के लिए शुरू की गई इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (Electric Mobility Promotion Scheme- EMPS) 31 जुलाई, 2024 को समाप्त होने वाली है।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन योजना (EMPS) के बारे में
EMPS: देश में EV अपनाने को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा शुरू की गई इस योजना की फंड सीमा 500 करोड़ रुपये है। इसकी अवधि चार महीने की है।
लाभ: इसका लाभ केवल उन्नत बैटरी से सुसज्जित वाहनों को प्रदान किया जाएगा।
प्रोत्साहन के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए, EVs को EMPS-2024 प्रमाण-पत्र की वैधता अवधि के भीतर निर्मित एवं पंजीकृत किया जाना चाहिए।
योग्य EV श्रेणियाँ
दोपहिया वाहन (निजी, कॉरपोरेट एवं वाणिज्यिक वाहन)
तिपहिया वाहन (ई-रिक्शा एवं गाड़ियाँ सहित)
टीबी का पता लगाने वाली प्रणाली
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) ने तपेदिक (TB) का पता लगाने के लिए सस्ती, तेज एवं उपयोग में आसान परीक्षण तकनीक लाने पर कार्य शुरू कर दिया है।
टीबी जाँच प्रणाली
विकास: ICMR- RMRCNE संस्थान, डिब्रूगढ़ द्वारा विकसित इस तकनीक को ‘दुनिया की सबसे सस्ती TB परीक्षण प्रणाली’ कहा जाता है।
जाँच: यह प्रणाली बहुत कम लागत पर रोगी के लार से DNA का उपयोग करके TB बैक्टीरिया का पता लगा सकती है, प्रारंभिक लक्षणों के साथ बैक्टीरिया की पहचान कर सकती है, एवं लगभग दो घंटों के भीतर एक साथ 1,500 से अधिक नमूनों का परीक्षण कर सकती है।
केटामाइन टैबलेट
एक नया टैबलेट जो धीरे-धीरे केटामाइन दवा छोड़ता है, उपचार-प्रतिरोधी अवसाद को कम कर सकता है।
केटामाइन टैबलेट
केटामाइन, जिसे केटलार के नाम से भी जाना जाता है, सर्जरी के दौरान दर्द को रोकने के लिए डॉक्टरों द्वारा उपयोग की जाने वाली दवा है।
कार्य: हेलुसीनोजेनिक दवा फाइसाइक्लिडीन (PCP) से प्राप्त, केटामाइन मस्तिष्क रासायनिक न्यूरोट्रांसमीटर ग्लूटामेट को बढ़ाते हुए मस्तिष्क एवं रीढ़ की हड्डी में NMDA रिसेप्टर को अवरुद्ध करके कार्य करता है।
उपचार: यह रीढ़ की हड्डी में दर्द संचरण को बाधित करता है एवं मस्तिष्क के इनाम मार्गों को सक्रिय करता है।
साइकेडेलिक गुणों के साथ एक विघटनकारी संवेदनाहारी के रूप में, इसका उपयोग एनेस्थीसिया के लिए तथा उपचार-प्रतिरोधी अवसाद के इलाज के लिए सख्त चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत किया जाता है।
अनुप्रयोग: केटामाइन थेरेपी का उपयोग अन्य स्थितियों के अलावा अवसाद, चिंता, PTSD, जीवन के अंत की परेशानी, पुराने दर्द एवं दवा/शराब के मुद्दों को संबोधित करने के लिए किया जाता है।
शरीर पर प्रभाव: केटामाइन, मतिभ्रम का कारण बन सकता है एवं दृष्टि तथा ध्वनि की धारणा को विकृत कर सकता है, जिससे वियोग की भावनाएँ उत्पन्न हो सकती हैं और नियंत्रण खो सकता है।
संभावित दुष्प्रभावों में उत्तेजना, अवसाद, संज्ञानात्मक समस्याएँ, बेहोशी एवं स्मृति हानि शामिल हैं।
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