भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन के दो महत्त्वपूर्ण हॉल अर्थात् ‘दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’ का नाम बदलकर ‘गणतंत्र मंडप’ और ‘अशोक मंडप’ रखने की घोषणा की है।
गणतंत्र मंडप
परिचय: राष्ट्रीय पुरस्कार जैसे महत्त्वपूर्ण समारोहों के लिए प्रयुक्त ‘दरबार हॉल’ भारतीय और ब्रिटिश शासकों के दरबारों एवं सभाओं को संदर्भित करता है।
स्वतंत्रता के बाद इसकी प्रासंगिकता कम हो गई, जिससे ‘गणतंत्र मंडप’ (जो लोकतंत्र की प्राचीन भारतीय अवधारणा को दर्शाता है) इस स्थल के लिए अधिक उपयुक्त नाम बन गया।
अशोक हॉल
परिचय: ‘अशोक हॉल’ मूल रूप से एक बॉलरूम था, जिसका नाम ‘अशोक’ के नाम पर रखा गया है, जिसका अर्थ है ‘दुख से मुक्त’ और यह एकता के प्रतीक सम्राट अशोक को संदर्भित करता है।
राष्ट्रीय प्रतीक में अशोक सिंह शीर्ष अंकित है, तथा अशोक वृक्ष का सांस्कृतिक महत्त्व है।
इसका नाम बदलकर ‘अशोक मंडप’ रखना भारतीय परंपराओं के अनुरूप है और ब्रिटिश काल की मानसिकता को दूर करता है।
कृष्णराज सागर बाँध (Krishnaraja Sagar Dam)
कावेरी नदी पर कृष्णराज सागर (Krishnaraja Sagar) से जल की मात्रा बढ़ाकर 1,00,000 क्यूसेक से अधिक कर दी जाएगी।
कावेरी नदी
उद्गम: कावेरी नदी कर्नाटक के कुर्ग जिले में पश्चिमी घाट के ब्रह्मगिरि पर्वतमाला से।
दायाँ किनारा: लक्ष्मणतीर्थ (Lakshman Tirtha), कब्बानी (Kabbani), सुवर्णावती (Suvarnavathi), भवानी (Bhavani), नोयिल (Noyil) और अमरावती (Amaravati)।
कृष्णराज सागर बाँध
परिचय: कृष्णराज सागर बाँध, जिसे आमतौर पर KRS बाँध के नाम से जाना जाता है, दक्षिण भारत का एक प्रमुख बाँध है।
यह कावेरी नदी पर, कावेरी, हेमावती और लक्ष्मण तीर्थ नदियों के संगम के पास बनाया गया है।
इतिहास: मैसूर के कृष्णराज वोडेयार चतुर्थ (Krishnaraja Wodeyar IV) के नाम पर बने इस बाँध का निर्माण 1932 में वोडेयार शासन के दौरान किया गया था।
महत्त्व: कृष्णराज सागर बाँध मैसूर और बैंगलोर के लिए पेयजल का एक प्रमुख स्रोत है।
यह मांड्या और मैसूर के लिए आवश्यक सिंचाई जल भी उपलब्ध कराता है, तथा शिवनसमुद्र जलविद्युत स्टेशन (Shivanasamudra Hydroelectric Power station) को विद्युत आपूर्ति करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बृंदावन गार्डन, एक सजावटी उद्यान, बाँध के निकट स्थित है।
रवांडा (Rwanda)
हाल ही में रवांडा में वर्ष 1994 के तुत्सी नरसंहार (Tutsi Genocide) के बाद चौथा राष्ट्रपति चुनाव हुआ।
रवांडा (Rwanda)
अवस्थिति: मध्य/पूर्वी अफ्रीका में स्थित एक स्थलरुद्ध देश, रवांडा दक्षिणी और पूर्वी दोनों गोलार्द्धों में, भूमध्य रेखा से कुछ ही डिग्री दक्षिण में अवस्थित है।
यह अफ्रीका के ग्रेट रिफ्ट वैली क्षेत्र में अवस्थित है।
सीमावर्ती देश: युगांडा, तंजानिया, बुरुंडी और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य।
उल्लेखनीय झीलें: बुरेरा, कोहाना, रुहोंडो, मुहाजी, रवेरू और इहेमा।
अपवाह तंत्र: रवांडा का 80% जल विक्टोरिया झील के माध्यम से नील नदी में प्रवाहित होता है, जबकि शेष 20% रुसिजी नदी के माध्यम से कांगो नदी में बहता है।
जनसंख्या: रवांडा अफ्रीका के सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक है, जहाँ प्रति वर्ग मील लगभग 1,000 लोग रहते हैं।
यहाँ की अधिकांश आबादी हुतु (Hutu) और तुत्सी (Tutsi) नृजातीय समूहों की है, दोनों समूह मुख्य रूप से ईसाई धर्म का पालन करते हैं।
प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएँ: अल्बर्टीन रिफ्ट (Albertine Rift) और विरुंगा पर्वत (Virunga Mountains)।
डिमेंशिया
(Dementia)
जोखिम कारकों पर ध्यान देने से डिमेंशिया के मामलों में 40% तक कमी आ सकती है
डिमेंशिया (Dementia)
परिचय: यह एक ऐसा सिंड्रोम है, जो प्रायः दीर्घकालिक या प्रगतिशील होता है, तथा जो सामान्य उम्र बढ़ने से अपेक्षित संज्ञानात्मक कार्य में गिरावट का कारण बनता है।
प्रभाव: यह स्मृति, चिंतन, अभिविन्यास, समझ, गणना, सीखने की क्षमता, भाषा और निर्णय पर प्रभाव डालता है, लेकिन चेतना को प्रभावित नहीं करता है।
लक्षण: स्मृति हानि, सोचने में कठिनाई, दृश्य धारणा, आत्म-प्रबंधन, समस्या-समाधान, भाषा एवं ध्यान, व्यक्तित्व परिवर्तन, जिसमें अवसाद, उत्तेजना, व्यामोह और मनोदशा में उतार-चढ़ाव शामिल हैं
कारण: डिमेंशिया तब उत्पन्न हो सकता है जब मस्तिष्क की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जो सिर की चोट, स्ट्रोक, मस्तिष्क ट्यूमर या HIV संक्रमण के कारण हो सकता है।
उपचार: वर्तमान में डिमेंशिया का कोई इलाज नहीं है, यद्यपि नैदानिक परीक्षणों में कई नए उपचारों की खोज की जा रही है।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन एवं प्राधिकरण केंद्र
(Indian National Space Promotion and Authorization Centre)
IN-SPACe ने PPP मॉडल के तहत उपग्रह प्रणाली के निर्माण और प्रबंधन के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe)
परिचय:यह एक स्वतंत्र, एकल-खिड़की एजेंसी है जो अंतरिक्ष विभाग (DOS) के भीतर स्वायत्त रूप से कार्य करती है।
अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार के एक भाग के रूप में स्थापित यह अधिनियम निजी संस्थाओं की भागीदारी को सुविधाजनक एवं प्रोत्साहित करता है।
उद्देश्य: IN-SPACe गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देने, सक्षम बनाने, अधिकृत करने और देखरेख करने के लिए जिम्मेदार है।
इसमें प्रक्षेपण यान और उपग्रह विकसित करना, अंतरिक्ष आधारित सेवाएँ प्रदान करना, DOS/ISRO द्वारा नियंत्रित अंतरिक्ष अवसंरचना और सुविधाओं को साझा करना, तथा नई अंतरिक्ष अवसंरचना और सुविधाओं की स्थापना करना शामिल है।
कार्य: यह एजेंसी ISRO और गैर-सरकारी संस्थाओं (NGE) के बीच इंटरफेस के रूप में कार्य करती है, तथा यह मूल्यांकन करती है कि भारत के अंतरिक्ष संसाधनों का अनुकूलन कैसे किया जाए तथा अंतरिक्ष-आधारित गतिविधियों का विस्तार कैसे किया जाए।
यह शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों सहित निजी हितधारकों की जरूरतों का भी आकलन करता है, तथा ISRO के सहयोग से इन जरूरतों को पूरा करने के तरीके तलाशता है।
लिस्टेरियोसिस
(Listeriosis)
हाल ही में संयुक्त राष्ट अमेरिका और कनाडा में लिस्टेरिया के दो अलग-अलग प्रकोपों की सूचना मिली है, जो खाद्य पदार्थों को संदूषित करने वाले बैक्टीरिया के कारण हुए हैं।
लिस्टेरियोसिस (Listeriosis)
परिचय: लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेन्स एक प्रकार का बैक्टीरिया है जो मिट्टी, वनस्पति, जल, मल और जानवरों एवं मनुष्यों के मल में पाया जाता है। लिस्टेरिया से दूषित भोजन खाने से लिस्टेरियोसिस नामक संक्रमण हो सकता है।
संदूषण: कुछ खाद्य पदार्थ लिस्टेरिया संदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जिनमें दूध, अंकुरित अनाज, मांस, हॉट डॉग, सॉफ्ट चीज और स्मोक्ड समुद्री भोजन शामिल हैं।
लक्षण: लक्षणों में उल्टी, मतली, ऐंठन, गंभीर सिरदर्द, कब्ज और बुखार शामिल हैं।
सुभेद्यता: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति, गर्भवती महिलाएँ और उनके नवजात शिशु, तथा 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोग जो विशेष रूप से कमजोर हैं।
गर्भवती महिलाओं में लिस्टेरिया संक्रमण होने की संभावना 10 गुना अधिक होती है, जिसके कारण गर्भपात, समय से पहले जन्म, या नवजात शिशु में गंभीर संक्रमण हो सकता है।
उपचार: उपचार, संक्रमण की गंभीरता के अनुसार बदलता रहता है और आम तौर पर सामान्य पेट के संक्रमण जैसा ही होता है, जिसमें अक्सर एंटीबायोटिक्स भी शामिल होते हैं।
कारगिल विजय दिवस
कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगाँठ मनाई गई।
कारगिल विजय दिवस
परिचय: कारगिल दिवस, जिसे कारगिल विजय दिवस भी कहा जाता है, प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के सम्मान में मनाया जाता है।
यह दिन उन भारतीय सैनिकों की बहादुरी एवं बलिदान को याद करता है जिन्होंने राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा की।
संघर्ष: भारत और पाकिस्तान के बीच मई से जुलाई 1999 तक कश्मीर के कारगिल जिले और नियंत्रण रेखा (LOC) पर युद्ध हुआ।
ऑपरेशन विजय: भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत उल्लेखनीय साहस का परिचय दिया और वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़कर प्रतिष्ठित ‘टाइगर हिल’ और अन्य प्रमुख स्थानों पर पुनः नियंत्रण कर लिया।
उच्च ऊँचाई पर युद्ध: यह संघर्ष अत्यधिक ऊँचाई पर हुआ, जिसमें कुछ युद्ध क्षेत्र 18,000 फीट से भी अधिक ऊँचाई पर थे।
अवधि: युद्ध लगभग तीन महीने तक चला।
संघर्ष का अंत: युद्ध 26 जुलाई, 1999 को समाप्त हुआ, जब भारत ने पाकिस्तानी सेना को उनके नियंत्रण वाले स्थानों से सफलतापूर्वक पीछे खदेड़ दिया।
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