केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने लोकसभा को बताया कि राष्ट्रीय संस्कृति कोष (National Culture Fund- NCF) को पिछले पाँच वर्षों में गैर-सरकारी स्रोतों से ₹3.70 करोड़ मिले।
राष्ट्रीय संस्कृति कोष (NCF)
परिचय: राष्ट्रीय संस्कृति कोष की स्थापना भारत सरकार द्वारा वर्ष 1890 के धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम (Charitable Endowment Act) के तहत एक ट्रस्ट के रूप में की गई थी एवं आधिकारिक तौर पर वर्ष 1996 में एक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से स्थापित की गई थी।
कार्य: भारत में कला एवं संस्कृति के लिए पारंपरिक स्रोतों से अलग एक नई फंडिंग व्यवस्था की पेशकश करना।
यह संस्थानों एवं व्यक्तियों को सरकार के सहयोग से कला तथा संस्कृति परियोजनाओं का सीधे समर्थन करने में सक्षम बनाता है।
उद्देश्य: मूर्त (भौतिक कलाकृतियों) एवं अमूर्त (सांस्कृतिक प्रथाओं तथा परंपराओं) दोनों पहलुओं सहित भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने, संरक्षित करने एवं सुरक्षित करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnerships- PPP) के माध्यम से अतिरिक्त संसाधन इकट्ठा करना।
कर लाभ: राष्ट्रीय संस्कृति कोष में दान आयकर अधिनियम के तहत कर लाभ के लिए पात्र है।
प्रबंधन: NCF की देखरेख एक परिषद और एक कार्यकारी समिति द्वारा की जाती है जो इसकी नीतियों को लागू करती है।
प्रशासन: केंद्रीय संस्कृति मंत्री की अध्यक्षता वाली परिषद में अध्यक्ष एवं सदस्य सचिव सहित 24 सदस्य शामिल हैं।
इसमें निर्णय लेने में विविध इनपुट सुनिश्चित करने के लिए कॉरपोरेट क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र, निजी फाउंडेशन एवं गैर-लाभकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
संस्कृति मंत्रालय के सचिव के नेतृत्व में कार्यकारी समिति NCF के प्रशासन का प्रबंधन करती है।
बोहाई खाड़ी
(Bohai Gulf)
हाल ही में यूनेस्को ने यलो सी-बोहाई गल्फ (द्वितीय चरण) के साथ चीन के प्रवासी पक्षी अभयारण्यों को अपनी विश्व विरासत सूची में शामिल किया है।
बोहाई खाड़ी (Bohai Gulf)
स्थान: बोहाई खाड़ी, जिसे बोहाई सागर या बो हाई (Bo Hai) के नाम से भी जाना जाता है, यलो सागर का सबसे भीतरी भाग है, जो चीन के उत्तर-पूर्वी तट पर स्थित है।
ऐतिहासिक रूप से, इसे चिली की खाड़ी (Gulf of Chili) या पेचिली की खाड़ी (Gulf of Pechili) के रूप में जाना जाता था।
कवरेज: यह लगभग 78,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है एवं बीजिंग से निकटता के कारण दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक है।
सीमा: खाड़ी की सीमा उत्तर-पूर्व में लियाओडोंग प्रायद्वीप (Liaodong Peninsula) एवं दक्षिण में शेडोंग प्रायद्वीप (Shandong Peninsula) से लगती है।
शहर: बोहाई खाड़ी के आसपास के प्रमुख शहरों में डालियान (Dalian) एवं तियानजिन (Tianjin) शामिल हैं। इसके तटों में लियाओडोंग खाड़ी (Liaodong Bay), बोहाई खाड़ी (Bohai Bay) तथा लाइजहौ खाड़ी (Laizhou Bay) शामिल हैं।
नदी: यलो (पीली) नदी, चीन की दूसरी सबसे लंबी नदी, बोहाई खाड़ी में गिरती है।
संसाधन: यह क्षेत्र पेट्रोलियम भंडार से समृद्ध है एवं इसमें तेल रिफाइनरियाँ तथा विभिन्न उद्योग हैं।
पैंगोंग झील
(Pangong Lake)
चीन ने पैंगोंग त्सो (Pangong Tso) के उत्तरी एवं दक्षिणी तटों को जोड़ने वाले 400 मीटर लंबे पुल का निर्माण पूरा कर लिया है।
पैंगोंग त्सो (Pangong Tso)
स्थान: पैंगोंग त्सो एक भू-आबद्ध झील है, जो आंशिक रूप से भारत के लद्दाख क्षेत्र एवं आंशिक रूप से तिब्बत में स्थित है। यह 600 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है।
सांस्कृतिक विशेषता: इस झील का नाम इसकी विविध विरासत को दर्शाता है: लद्दाखी भाषा में ‘पैंगोंग’ का अर्थ व्यापक समतलता है, जबकि ‘त्सो’ झील के लिए तिब्बती शब्द है।
भू-वैज्ञानिक उत्पत्ति: झील का निर्माण टेथिस जियोसिंक्लाइन (Tethys Geosyncline) से हुआ है।
भौगोलिक विशेषताएँ: काराकोरम पर्वत शृंखला, जो ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन एवं भारत तक फैली हुई है, जिसमें दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची चोटी K2 सहित 6,000 मीटर से अधिक ऊँची चोटियाँ हैं, जो झील के उत्तरी तट पर समाप्त होती हैं।
दक्षिणी तट भी ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों से घिरा हुआ है, जिसका ढलान स्पैंगुर झील (Spangur Lake) की ओर है।
झील का पानी एकदम साफ होने के बावजूद खारा एवं पीने योग्य नहीं है।
यह सर्दियों में जम जाता है, जिससे इसकी सतह पर कुछ वाहनों की आवाजाही संभव हो जाती है।
पैंगोंग त्सो पर नियंत्रण: पैंगोंग त्सो के लगभग दो-तिहाई हिस्से पर चीन का नियंत्रण है, जबकि झील का लगभग 45 किलोमीटर हिस्सा भारत के नियंत्रण में है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) झील के पश्चिमी भाग को क्रास करते हुए उत्तर-दक्षिण तक फैली है, जो पूर्व-पश्चिम में संरेखित है।
भारत और चीन के बीच सीमाएँ विवादित हैं, और पैंगोंग त्सो सहित विभिन्न क्षेत्रों में LAC की धारणा अलग-अलग है।
बैगलेस डे
(Bagless Days)
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training- NCERT) ने कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के लिए एक नई पहल शुरू की है।
बैगलेस डे (Bagless Days)
बैगलेस डे के बारे में: बैगलेस डे वे दिन हैं, जब छात्रों को अपना सामान्य स्कूल बैग लाने की आवश्यकता नहीं होती है।
उद्देश्य: इन दिनों को छात्रों को उनकी नियमित कक्षाओं एवं पाठ्यपुस्तकों से छुट्टी प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
विशेषज्ञों से सीखना: छात्र बढ़ई, माली, कुम्हार एवं कलाकारों जैसे स्थानीय व्यावसायिक विशेषज्ञों द्वारा संचालित गतिविधियों में संलग्न होंगे।
छात्रों को नए कौशल हासिल करने एवं विभिन्न व्यवसायों में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद करने के लिए शिक्षक इन गतिविधियों का समन्वय करेंगे।
महत्त्व: वे छात्रों को कक्षा से परे की दुनिया का अनुभव करने एवं अन्वेषण करने का अवसर प्रदान करते हैं।
छात्र व्यावहारिक गतिविधियों में भाग लेंगे एवं प्रदर्शित करेंगे कि सैद्धांतिक ज्ञान को वास्तविक जीवन में कैसे लागू किया जाता है।
ये दिन छात्रों को अपने समुदाय को समझने में सक्षम बनाते हैं एवं विभिन्न नौकरियाँ इसमें कैसे योगदान देती हैं।
पाठ्यचर्या विषय-वस्तु: ‘बैगलेस डे’ के दौरान गतिविधियों को तीन प्राथमिक विषयों में व्यवस्थित किया गया है:-
विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी- इन क्षेत्रों के विभिन्न पहलुओं की खोज।
स्थानीय व्यवसाय एवं सार्वजनिक कार्यालय – उनके संचालन के बारे में जानकारी प्राप्त करना।
स्थानीय संस्कृति, कला एवं ऐतिहासिक प्रथाएँ- क्षेत्रीय परंपराओं एवं ऐतिहासिक प्रथाओं के बारे में सीखना।
मशीन अनलर्निंग (MUL)
LLMs एवं डीप न्यूरल नेटवर्क सहित मशीन लर्निंग मॉडल की बढ़ती जटिलता के कारण नीति निर्माताओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
मशीन अनलर्निंग (Machine Unlearning- MUL)
MUL के बारे में: मशीन अनलर्निंग (MUL), AI सिस्टम के लिए विशिष्ट प्रकार के डेटा, जैसे गलत, भेदभावपूर्ण, पुरानी या संवेदनशील जानकारी को चुनिंदा रूप से भूलने की एक तकनीक है।
उत्पत्ति: इस अवधारणा को काओ एवं यांग ने अपने कार्य, ‘टुवार्ड्स मेकिंग सिस्टम्स फॉरगेट विद मशीन अनलर्निंग’ में पेश किया था।
उद्देश्य: MUL बड़ी मात्रा में डेटा को सँभालने वाले AI से जुड़ी जटिलताओं एवं जोखिमों का प्रबंधन करना चाहता है, जिसके परिणामस्वरूप गोपनीयता उल्लंघन, गलत सूचना तथा AI पूर्वाग्रह हो सकता है।
एप्लिकेशन उदाहरण: IBM AI सिस्टम से अनावश्यक या हानिकारक डेटा को हटाने में सटीकता, स्पष्टता एवं लागत-दक्षता बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से MUL मॉडल का परीक्षण कर रहा है।
महत्व
जटिलता प्रबंधन: MUL AI सिस्टम की जटिलता को प्रबंधित करने में सहायता करता है जो बड़ी मात्रा में डेटा को सँभालता है, जो डेटा अखंडता को चुनौती दे सकता है।
गोपनीयता और पूर्वाग्रह के मुद्दे: यह AI पूर्वाग्रह, गलत सूचना एवं गोपनीयता उल्लंघन के मुद्दों से निपटता है, विशेष रूप से चुनाव जैसे संवेदनशील अवधि के दौरान।
लागत और दक्षता: संपूर्ण डेटासेट को हटाने एवं AI मॉडल को फिर से प्रशिक्षित करने की तुलना में MUL अधिक लागत प्रभावी तथा कुशल समाधान हो सकता है, जो महंगा है एवं सटीकता को कम कर सकता है, जैसा कि MUL मॉडल पर IBM के परीक्षणों से पता चलता है।
वन DAE वन सब्सक्रिप्शन
परमाणु ऊर्जा विभाग ने हाल ही में ‘वन DAE वन सब्सक्रिप्शन’ (One DAE One Subscription- ODOS) पहल शुरू की है।
वन DAE वन सब्सक्रिप्शन
उद्देश्य: ODOS का उद्देश्य परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) एवं इसकी लगभग 60 इकाइयों को एक ही सदस्यता के माध्यम से राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय शोध-पत्रों एवं वैज्ञानिक पत्रिकाओं तक पहुँच प्रदान करना है।
ODOS की विशेषताएँ: ODOS, DAE एवं इसकी इकाइयों को कई स्रोतों से शोध-पत्रों तथा पत्रिकाओं तक पहुँचने एवं प्रकाशित करने में सक्षम बनाएगा।
इस पहल का उद्देश्य संसाधनों को डिजिटल रूप से साझा करना एवं सभी इकाइयों में सहयोगात्मक कार्य को बढ़ावा देना है।
ODOS के लाभ: वर्ष 2024 के लिए स्थायी अधिकार एवं आर्टिकल प्रोसेसिंग शुल्क (Article Processing Charges- APC) के कवरेज के साथ 1,353 विली पत्रिकाओं (166 से ऊपर) तक पहुँच।
2,686 स्प्रिंगर नेचर शीर्षकों तक पहुँच, जिसमें 553 ओपन-एक्सेस जर्नल, वर्ष 2024 के लिए सतत् अधिकार, वर्ष 1997 (स्प्रिंगर) एवं वर्ष 2012 (नेचर) से अभिलेखागार, तथा APC के बिना स्प्रिंगर हाइब्रिड पत्रिकाओं में 281 ओपन-एक्सेस लेखों का प्रकाशन शामिल है।
ODOS का प्रभाव: ODOS वैज्ञानिक प्रकाशनों की एक विस्तृत शृंखला तक पहुँच का विस्तार करेगा एवं अनुसंधान प्रयासों का समर्थन करेगा।
इस पहल से वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने, नवाचार को बढ़ावा देने एवं अकादमिक प्रकाशनों की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है।
म्याँमार के विभिन्न सशस्त्र समूह
हाल ही में म्याँमार के जुंटा एवं एक नृजातीय समूह दोनों ने 3 जुलाई को शुरू हुई झड़पों के बाद लैशियो (Lashio) की सैन्य कमान पर नियंत्रण का दावा किया।
म्याँमार के विभिन्न सशस्त्र समूह
सशस्त्र समूह: ब्रदरहुड एलायंस, जिसमें अराकान आर्मी (Arakan Army- AA), म्याँमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (Myanmar National Democratic Alliance Army- MNDAA), एवं ताआंग नेशनल लिबरेशन आर्मी (Ta’ang National Liberation Army- TNLA) शामिल हैं, ने उल्लेखनीय क्षेत्रीय प्रगति की है।
शान प्रांत में रणनीतिक स्थानों एवं चीन के साथ सीमा व्यापार मार्गों को काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (Kachin Independence Army- KIA) जैसे समूहों द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया।
क्षेत्रीय प्रभुत्व: अराकान सेना ने स्थानीय शासन एवं संसाधन प्रबंधन को प्रभावित करते हुए रखाइन राज्य के बड़े क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल कर लिया है।
रखाइन में शांति: बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं एवं रोहिंग्या संकट के समाधान के लिए रखाइन में शांति हासिल करना महत्त्वपूर्ण है।
दक्षिणी अग्रिम: करेन नेशनल यूनियन (Karen National Union- KNU) जैसे नृजातीय सशस्त्र संगठनों (Ethnic Armed Organizations- EAOs) ने थाईलैंड सीमा के साथ प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया है, जिससे सैन्य आपूर्ति लाइनें प्रभावित हो रही हैं।
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