100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal July 23, 2024 01:22 131 0

फ्लोगाकैंथस सुधांसुसेखरी

(Phlogacanthus Sudhansusekharii)

भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India- BSI) के शोधकर्ताओं ने अरुणाचल प्रदेश में फ्लोगाकैंथस सुधांसुसेखरी (Phlogacanthus Sudhansusekharii) नामक पौधे की एक नई प्रजाति की पहचान की है।

फ्लोगाकैंथस सुधांसुसेखरी (Phlogacanthus Sudhansusekharii)

  • परिचय: यह एक नई खोजी गई पौधे की प्रजाति है, जो एकेंथेसी (Acanthaceae) परिवार एवं फ्लोगाकैंथस जीनस से संबंधित है। 
  • नामकरण: भारतीय हिमालयी क्षेत्र में पौधों और पारिस्थितिक अनुसंधान में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान को मान्यता देते हुए, BSI के वैज्ञानिक डॉ. सुधांसु शेखर दास के सम्मान में इस प्रजाति का नाम फ्लोगाकैंथस सुधांसुसेखरी रखा गया है। 
  • वंश: फ्लोगाकैंथस जीनस, जिससे यह प्रजाति संबंधित है, में भारत में 13 प्रजातियाँ शामिल हैं एवं यह मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी तथा पूर्वी हिमालयी राज्यों में पाई जाती है।
  • विशेषताएँ: नई पहचानी गई प्रजाति फ्लोगाकैंथस गुट्टाटस (वॉल) नीस से निकटता से संबंधित है, लेकिन कई रूपात्मक विशेषताओं में भिन्न है।
वॉइसबॉक्स प्रोग्राम

(Voicebox Programme)

हाल ही में राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (National Film Development Corporation- NFDC) ने भारत में वॉयस ओवर कलाकारों के लिए ‘द वॉयसबॉक्स’ नामक एक अपस्किलिंग कार्यक्रम शुरू करने के लिए नेटफ्लिक्स इंडिया के साथ साझेदारी की है।

वॉयसबॉक्स कार्यक्रम के बारे में

  • वॉयसबॉक्स कार्यक्रम: यह अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, बंगाली, मलयालम, तमिल, तेलुगु एवं गुजराती सहित भाषाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए वॉयसओवर कलाकारों के लिए रिकॉग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग (Recognition of Prior Learning- RPL) प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
  • पात्रता: यह कार्यक्रम मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्र में दो वर्ष से अधिक के अनुभव वाले पेशेवरों, आदर्श रूप से महिलाओं के लिए खुला है, जो अपने वॉयसओवर कौशल को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं।
  • फंडिंग: क्रिएटिव इक्विटी के लिए नेटफ्लिक्स फंड द्वारा प्रायोजित, जो पाँच वर्षों में सालाना 100 मिलियन डॉलर आवंटित करता है, इस पहल का उद्देश्य विभिन्न वैश्विक कार्यक्रमों के माध्यम से टीवी एवं फिल्म उद्योगों में सफलता प्राप्त करने में कम प्रतिनिधित्व वाले समुदायों का समर्थन करना है।
  • मूल्यांकन: कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, भारत भर के सात प्रमुख शहरों- नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद, हैदराबाद, चेन्नई एवं कोच्चि में संरचित कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँगी। 
    • इन कार्यशालाओं में अतिथि व्याख्यान एवं सलाह के साथ प्रशिक्षण सत्र तथा उसके बाद मूल्यांकन शामिल होगा।
  • भागीदार: भारत का प्रमुख डिजाइन संस्थान, पर्ल एकेडमी, इस कार्यक्रम के लिए प्रशिक्षण भागीदार के रूप में शामिल होगा। 
  • परियोजना का अवसर: प्रत्येक बैच से सात शीर्ष प्रतिभागियों को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में कहानियाँ सुनाने के लिए अपनी आवाज देकर नेटफ्लिक्स की विशेष परियोजना, ‘आजादी की अमृत कहानियाँ’ में योगदान देने के लिए चुना जाएगा।
डायसन स्फीयर

(Dyson Sphere)

हाल ही में खगोलविदों ने डायसन स्फीयर्स (Dyson Sphere) के लिए संभावित उपयोगिता की पहचान करने में प्रगति की है, जिससे अलौकिक जीवन के बारे में नई जागरूकता एवं बहस छिड़ गई है।

डायसन स्फीयर (Dyson Sphere) के बारे में

  • डायसन स्फीयर: डायसन क्षेत्र वर्ष 1960 में भौतिक विज्ञानी फ्रीमैन डायसन द्वारा प्रस्तावित एक सैद्धांतिक मेगास्ट्रक्चर है। इसकी ऊर्जा उत्पादन को कैप्चर करने के लिए एक तारे के चारों ओर बनाई गई एक विशाल, गोलाकार संरचना के रूप में कल्पना की गई है। 
    • हालाँकि इसे आम तौर पर तारे के चारों ओर एक ठोस खोल के रूप में दर्शाया जाता है, लेकिन समय के साथ कई डिजाइन एवं कॉन्फिगरेशन को सिद्धांतित किया गया है।
  • तारकीय ऊर्जा का दोहन: डायसन स्फीयर का मुख्य लक्ष्य किसी तारे द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा को कैप्चर करना एवं उसका उपयोग करना है। 
    • यह ऊर्जा विभिन्न उद्देश्यों को पूरा कर सकती है, जैसे उन्नत सभ्यताओं को शक्ति प्रदान करना, अंतरतारकीय यात्रा को सुविधाजनक बनाना, या ग्रहों की भू-आकृति बनाना।
  • सतत् विकास की संभावना: डायसन स्फीयर्स वस्तुतः असीमित ऊर्जा की क्षमता प्रदान करते हैं, जो उन्हें दीर्घकालिक स्थिरता एवं विकास का लक्ष्य रखने वाली सभ्यताओं के लिए आकर्षक बनाता है।

डायसन स्फीयर्स के प्रकार

  • डायसन समूह (Dyson Swarm): एक ठोस खोल के बजाय, डायसन समूह में तारे के चारों ओर कई स्वतंत्र रूप से परिक्रमा करने वाली संरचनाएँ होती हैं, जैसे उपग्रह या सौर संग्राहक। ये संरचनाएँ तारे की ऊर्जा को कैप्चर करने के लिए मिलकर कार्य करती हैं।
  • डायसन सेल (Dyson Shell): इस क्लासिक अवधारणा में तारे को पूरी तरह से घेरने वाला एक ठोस आवरण शामिल है। यद्यपि सैद्धांतिक रूप से संभव है, ऐसी विशाल संरचना बनाना महत्त्वपूर्ण इंजीनियरिंग चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है।
  • डायसन बबल (Dyson Bubble): एक काल्पनिक संस्करण जहाँ आंशिक रूप से निर्मित गोला तारे को घेरता है, उसके ऊर्जा उत्पादन के केवल एक हिस्से को कैप्चर करता है।
प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना

(Prime Minister SVANidhi scheme)

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना (Prime Minister SVANidhi scheme) में ‘बेस्ट परफॉर्मिंग स्टेट’ श्रेणी में मध्य प्रदेश ने पहला स्थान हासिल किया है।

पीएम स्ट्रीट वेंडर की आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना

  • लॉन्चिंग: इसे 1 जून, 2020 को आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • उद्देश्य: उन रेहड़ी-पटरी वालों को किफायती कार्यशील पूँजी ऋण प्रदान करना, जिनकी आजीविका कोविड-19 लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुई है।
    • यह माइक्रो-क्रेडिट सुविधा सड़क विक्रेताओं को एक वर्ष के लिए कम ब्याज दरों (12% से कम) पर 10,000 रुपये का संपार्श्विक-मुक्त ऋण प्रदान करती है, जिससे उन्हें वित्तीय रूप से मजबूत होने एवं अपने व्यवसाय को पुनः शुरू करने में मदद मिलती है।
  • अवधि: यह योजना मूल रूप से मार्च वर्ष 2022 तक चलने के लिए निर्धारित की गई थी लेकिन इसे दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया गया है। 
    • विस्तार का उद्देश्य संपार्श्विक-मुक्त ऋण कोष का विस्तार करना, डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना एवं सड़क विक्रेताओं तथा उनके परिवारों के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास का समर्थन करना है।
  • पात्रता: वे विक्रेता जो 24 मार्च, 2020 से या उससे पहले कार्य कर रहे हैं एवं उनके पास वेंडिंग प्रमाण-पत्र है, वे ऋण के लिए पात्र हैं। 
  • जारी करना: स्ट्रीट वेंडर्स अधिनियम, 2014 के अनुसार, टाउन वेंडिंग समितियाँ (जो स्थानीय अधिकारियों एवं क्षेत्र के विक्रेताओं से बनी होती हैं) सभी विक्रेताओं का सर्वेक्षण करने के बाद यह प्रमाण-पत्र जारी करती हैं।
मशको पीरो जनजाति

(Mashco Piro Tribes)

हाल ही में सुदूर पेरू अमेज़ॅन में रहने वाली एक संपर्क रहित देशज जनजाति मश्को पिरो (Mashco Piro) की दुर्लभ तस्वीरें प्रकाशित हुई हैं।

मश्को पीरो जनजाति

  • स्थान: ये खानाबदोश शिकारी ब्राजील एवं बोलीविया के साथ पेरू की सीमा के पास, माद्रे डी डिओस क्षेत्र के अमेज़ॅन जंगलों में निवास करते हैं। 
  • पृष्ठभूमि: ऐसा माना जाता है कि 1800 के दशक के अंत में अमेज़ॅन रबर बूम के दौरान वे जंगल के मध्य तक पहुँच गए थे, यह अवधि कई जनजातियों के लिए दासता और मृत्यु से चिह्नित की गई थी।
  • भाषा: मश्को-पीरो जनजाति पीरो भाषा की एक बोली बोलती है।
  • जीवन शैली: जनजाति के सदस्य कम से कम कपड़े पहनते हैं, आम तौर पर कमर के ऊपर सिर्फ एक पीला-भूरा कपड़ा, साथ ही संभवतः उसी रंग के हाथ एवं पैर के बैंड। उनका कद मध्यम और एथलेटिक कद-काठी है, सीधे काले बाल कंधे की लंबाई या उससे अधिक लंबे होते हैं।
भील जनजाति

हाल ही में राजस्थान में आदिवासी समुदाय ने ‘भील प्रदेश’ नाम से एक नए राज्य के निर्माण का आह्वान किया है।

भील जनजाति

  • नृजातीयता: भील पारंपरिक हिंदू जाति व्यवस्था से बाहर एक आदिवासी समूह है। वे भील भाषाएँ बोलते हैं, जो इंडो-आर्यन भाषा परिवार के पश्चिमी क्षेत्र का हिस्सा हैं।
  • भौगोलिक वितरण: भील समुदाय गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, बंगाल एवं त्रिपुरा सहित विभिन्न राज्यों में रहता है। वे मुख्य रूप से जंगली तथा पहाड़ी इलाकों में रहते हैं, जो पर्यावरण से उनके गहरे संबंध को दर्शाता है।
  • सामाजिक संरचना: परंपरागत रूप से, प्रत्येक भील गाँव एक मुखिया (गमेती) द्वारा शासित होता है, जो स्थानीय विवादों एवं मुद्दों को सँभालता है।
  • धार्मिक प्रथाएँ: भीलों के बीच धार्मिक प्रथाएँ क्षेत्र के अनुसार भिन्न-भिन्न होती हैं। अधिकांश खंडोबा, कन्होबा, बहिरोबा एवं सीतलमाता जैसे स्थानीय देवताओं की पूजा करते हैं, जबकि कुछ बाघ देवता की पूजा करते हैं, जिन्हें ‘वाघदेव’ ​​के नाम से जाना जाता है। 
    • वे विभिन्न अवसरों के लिए वंशानुगत जादूगर बडवास से भी परामर्श लेते हैं।
  • मुख्य त्योहार: बाणेश्वर मेला भीलों द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। शिवरात्रि के दौरान आयोजित, यह बाणेश्वर महादेव को समर्पित है, जिन्हें भगवान शिव के नाम से भी जाना जाता है।
बागमती नदी

(Bagmati River)

बिहार के मुख्यमंत्री ने नेपाल के कई नेताओं के साथ बागमती नदी में बाढ़ की चिंताओं को बार-बार उठाया।

बागमती नदी (Bagmati River) के बारे में

  • बागमती नदी: यह प्रमुख सीमा पार नदियों में से एक है, जो नेपाल में हिमालय के ऊपरी क्षेत्र से बड़ी मात्रा में जल लेकर बिहार के मैदानी इलाकों से होकर बहती है।
  • उद्गम: बागमती नदी का उद्गम काठमांडू घाटी के उत्तर में शिवपुरी पहाड़ों से होता है। 
    •  यह दक्षिण-पश्चिम की ओर बहती है, चोवर में घाटी को काटती है एवं बिहार में कोसी में बहने से पहले कटुवाल दाहा में महाभारत शृंखला को विच्छेदित करती है।
  • नदी मार्ग: बागमती नदी नेपाल से बिहार के दरभंगा, सीतामढी, शिवहर, मुजफ्फरपुर एवं खगड़िया जिलों से होकर बहती है तथा समस्तीपुर में कमला नदी से मिलती है।
  • प्रारंभिक संदर्भ: नदी का उल्लेख विनय पिटक एवं नंदबग्गा में किया गया है। 
  • नदी के मार्ग में परिवर्तन: अतीत में, नदी का मार्ग अलग था, सीधे गंगा में गिरती थी, लेकिन यह नया मार्ग है, जिसने बाढ़ की समस्या उत्पन्न कर दी है। 
    • इसके कारण आई सबसे भीषण बाढ़ वर्ष 1994 में आई थी, लेकिन यह समस्या बार-बार उभर रही है।
  • धार्मिक महत्त्व
    • पशुपतिनाथ मंदिर, काठमांडू के उत्तर में एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, एक प्रमुख हिंदू पवित्र स्थल है। 
    • काठमांडू घाटी के उत्तर में स्थित गोकर्णेश्वर मंदिर भी एक महत्त्वपूर्ण हिंदू मंदिर है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.