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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 19, 2024 03:07 192 0

कैलीफोर्नियम

हाल ही में, बिहार पुलिस ने 50 ग्राम अत्यधिक रेडियोधर्मी धातु कैलीफोर्नियम को जब्त किया, जो बेहद असामान्य और खतरनाक है।

कैलीफोर्नियम  (Californium)

  • कैलीफोर्नियम एक चांदी के सामान सफेद सिंथेटिक रेडियोधर्मी धातु है, जिसकी आवर्त सारणी में परमाणु संख्या 98 है। 
    • कैलीफोर्नियम आवर्त सारणी में एक्टिनाइड श्रृंखला का तत्त्व है। 
    • यह प्राकृतिक रूप से नहीं पाया जाता है और इसका उत्पादन नाभिकीय अभिक्रियाओं के माध्यम से होता है, विशेष रूप से क्यूरियम पर हीलियम आयनों की बमबारी से।
  • इसे पहली बार वर्ष 1950 में बर्कले, कैलिफ़ोर्निया में बनाया गया, जहाँ से इसका नाम कैलीफोर्नियम पड़ा।
  • कैलीफोर्नियम अपनी तीव्र रेडियोधर्मिता के लिए जाना जाता है एवं इसे मूल्यवान तथा खतरनाक दोनों माना जाता है।
  • आइसोटोप: इस तत्व के सबसे उल्लेखनीय आइसोटोप में शामिल हैं।
    • Cf-251, जिसका अर्द्ध-आयुकाल 898 वर्ष है एवं यह सबसे स्थिर है।
    • Cf-249 एवं Cf-250, जिनका अर्द्ध-आयुकाल कम है। 
  • गुण: यह एक बहुत शक्तिशाली न्यूट्रॉन उत्सर्जक है एवं इसका उपयोग सोने तथा चांदी के अयस्कों की पहचान के लिए पोर्टेबल मेटल डिटेक्टरों में किया जाता है।
    • परमाणु रिएक्टर: यह रिएक्टर के प्रदर्शन को अनुकूलित करते हुए, परमाणु अभिक्रियाओं को शुरू करने एवं बनाए रखने के लिए न्यूट्रॉन स्रोत के रूप में कार्य करता है। 
  • उपयोग: तेल के कुओं में जल एवं तेल की परतों की पहचान करने में मदद के लिए।
  • चिकित्सा क्षेत्र में: कैलीफोर्नियम विकिरण चिकित्सा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेष रूप से मस्तिष्क जैसे कैंसर के उपचार में।
  • औद्योगिक अनुप्रयोग: विमान संरचनाओं के निरीक्षण के लिए न्यूट्रॉन रेडियोग्राफी में इसका उपयोग शामिल है।
    • सोने जैसी कीमती धातुओं का पता लगाने के लिए पोर्टेबल मेटल डिटेक्टरों में। 
    • इसका उपयोग न्यूट्रॉन सक्रियण विश्लेषण में किया जाता है, जो विभिन्न नमूनों में ट्रेस तत्वों की पहचान करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है।
    • इसका उपयोग कोयला बिजली संयंत्रों को अनुकूलित करने के लिए किया जाता है।

माइक्रोवेव ओवन पर सूक्ष्मजीव

एक नए अध्ययन के अनुसार, घरों, कार्यालयों और प्रयोगशालाओं में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोवेव ओवन में सूक्ष्मजीवों की समृद्ध मात्रा पाई जाती  है।

मुख्य निष्कर्ष

  • नया अध्ययन, ‘माइक्रोवेव बैक्टीरियोम: घरेलू एवं प्रयोगशाला ‘माइक्रोवेव ओवन’ की जैव विविधता’, जर्नल फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित हुआ था।
  • पूर्वधारणा: ये निष्कर्ष लंबे समय से चली आ रही धारणा को चुनौती देते हैं, कि भोजन को गर्म करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला माइक्रोवेव विकिरण बैक्टीरिया को पूरी तरह से नष्ट कर देता है, जो भोजन से होने वाली बीमारियों का कारण बन सकता है।
  • हालाँकि, इसका अर्थ यह नहीं है, कि माइक्रोवेव में पाए जाने वाले रोगाणु रसोई के अन्य हिस्सों की तुलना में एक अलग जोखिम उत्पन्न करते हैं।
  • एक्स्ट्रीमोफाइल्स की उपस्थिति: प्रयोगशाला के माइक्रोवेव ओवन के नमूनों में सबसे विविध बैक्टीरिया शामिल थे, जिनमें ‘एक्स्ट्रीमोफाइल्स’ या रोगाणु शामिल थे। 
    • यह उच्च विकिरण, उच्च तापमान एवं अत्यधिक शुष्कता का सामना कर सकता है।
  • सामान्य बैक्टीरिया की उपस्थिति: प्रमुख बैक्टीरिया बैसिलस, माइक्रोकॉकस और स्टैफिलोकॉकस प्रजाति के थे, जो आमतौर पर मानव त्वचा और उन सतहों पर रहते हैं, जिन्हें लोग अक्सर छूते हैं।

माइक्रोवेव कार्य

  • माइक्रोवेव का उत्पादन ओवन के अंदर मैग्नेट्रॉन नामक इलेक्ट्रॉन ट्यूब द्वारा किया जाता है।
  • माइक्रोवेव ओवन की धातु आंतरिक भाग में परावर्तित होती है, जहाँ वह भोजन द्वारा अवशोषित होती है। 
  • माइक्रोवेव भोजन में मौजूद जल के अणु कंपन करने का कारण बनते हैं, जिससे उष्मा उत्पन्न होती है जो भोजन को पकाती है।
पैटोंगटारन शिनावात्रा

(Paetongtarn Shinawatra)

हाल ही में, 37 वर्षीय पेटोंगटार्न शिनवात्रा (Paetongtarn Shinawatra) थाईलैंड ककी सबसे युवा प्रधान मंत्री बनी है।

पैटोंगटारन शिनावात्रा  (Paetongtarn Shinawatra)

  • पैटोंगटारन पूर्व थाई प्रधानमंत्री ‘थाकसिन’ की सबसे छोटी बेटी हैं।
  • पैटोंगटारन ने वर्ष 2022 में राजनीति में प्रवेश किया, उन्हें ‘फीयू थाई परिवार (Pheu Thai Family) के प्रमुख’ के रूप में चुना गया, जिसने उन्हें फीयू थाई पार्टी के लिए एक प्रमुख प्रधान मंत्री-उम्मीदवार बना दिया।
  • इतिहास: ‘थाकसिन शिनावात्रा’ ने दो दशक पहले राजवंश की शुरुआत की थी, जब वे एक पूर्व पुलिस अधिकारी से दूरसंचार सुप्रीमो बने और दक्षिण पूर्व एशियाई देश के प्रधानमंत्री बने।
  • सैन्य तख्तापलट: वे वर्ष 2001 से वर्ष 2006 तक राष्ट्रपति रहे, उसके बाद एक सैन्य तख्तापलट में उन्हें पद से हटा दिया गया, जिसके कारण उन्हें स्व-निर्वासन का सामना करना पड़ा।
  • हालाँकि, राजनीति में उनकी पकड़ उनकी बहन के माध्यम से बनी रही, जो वर्ष 2011 से इस पद पर थीं। 
  • दूसरा तख्तापलट: वर्ष 2014 में एक सैन्य तख्तापलट द्वारा सरकार को फिर से गिरा दिया गया।
  • गठबंधन: पैटोंगटारन की स्थिति राजनीतिक अनिश्चितता के मद्देनजर आई है, क्योंकि फियू थाई पार्टी ने प्रधानमंत्री पद को सुरक्षित करने के लिए सेना के साथ गठबंधन किया था।
  • चुनौतियाँ: पैटोंगटारन, सेना द्वारा शिनावात्रा सरकारों को गिराए जाने की बार-बार की जाने वाली घटना को भी समाप्त करने की कोशिश करेगी ।

पडोसी देशो की चिंताएँ

  • अस्थिरता का काल: यह घटनाक्रम भारत के पूर्व में हिंद महासागर के पड़ोस में अस्थिरता के समय हुआ है। बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना के निष्कासन ने देश को अनिश्चितता के दौर में भेज दिया है, जिसका अंतरिम सरकार को सामना करना होगा। 
  • अधिक हिंसा: यह घटनाक्रम उग्रवादी समूहों और म्यांमार की संकटग्रस्त सेना के बीच हिंसा में वृद्धि के बाद हुआ है, जिससे भारत के निवेश के साथ-साथ भारत की उत्तर-पूर्व सीमा पर शांति को भी खतरा है।

वर्चुअल कोर्ट

हाल ही में, केरल उच्च न्यायालय ने कोल्लम जिले में ’24×7 ऑन कोर्ट्स – ओपन एंड नेटवर्क्ड कोर्ट्स’ नामक अपनी तरह का पहला वर्चुअल कोर्ट लॉन्च किया।

’24×7 ऑन कोर्ट्स- ओपन एंड नेटवर्क्ड कोर्ट्स’  (‘24×7 ON Courts Open and Networked Courts)

  • यह एक पायलट प्रोजेक्ट है, जो सभी अदालती प्रक्रियाओं को विशेष रूप से ऑनलाइन आयोजित करने की अनुमति देगा। जैसे- केस पंजीकरण, प्रवेश, उपस्थिति, सुनवाई तथा आदेशों और निर्णयों को पारित करने के माध्यम से दाखिल करने के चरण आदि।
  • उद्देश्य: वादियों, वकीलों एवं पुलिस सहित किसी मामले में शामिल सभी पक्षों को सूचना के निर्बाध प्रसारण की सुविधा प्रदान करना। 
    • संबंधित पक्ष पोर्टल पर लॉग-इन करके केस फाइलों तक पहुँच सकते हैं। 
  • E-पोस्ट के माध्यम से समन एवं वारंट साझा करना भी उपलब्ध है, क्योंकि इस पोर्टल में एकीकृत कोर पुलिसिंग सिस्टम (Integrated Core Policing System- iCoPS) ​​होगा, जो वर्ष 2021 में केरल पुलिस द्वारा विकसित तथा लॉन्च किया गया एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है।
  • E-सेवा केंद्र: इंटरनेट की अनुपलब्धता की स्थिति में, इस पोर्टल तक प्रत्येक न्यायलय परिसर में स्थित ई-सेवा केंद्र केंद्रों के माध्यम से पहुँचा जा सकता है। 
    • ई-सेवा केंद्र वादियों को अपने मामलों की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करने एवं निर्णयों तथा आदेशों की प्रतियाँ प्राप्त करने की अनुमति देता है।

बांग्लादेश में अस्थिरता

बांग्लादेश में चल रहे संकट का अल्पावधि में भारतीय टेक्सटाइल एवं परिधान क्षेत्र पर प्रभाव पड़ने की आशंका है।

भारतीय टेक्सटाइल उद्योग

  • टेक्सटाइल उद्योग भारत के  सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) में 2.3% का योगदान देता है। 
  • साथ ही, निर्यात में 12% एवं औद्योगिक उत्पादन को 13% का योगदान देता है। 
  • टेक्सटाइल एवं परिधान के वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 4% है।
  • टेक्सटाइल उद्योग के वित्त वर्ष 2020 से 10% की CAGR से बढ़कर वित्त वर्ष 2026 तक 190 बिलियन डॉलर और वित्त वर्ष 2030 तक 350 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
  • वैश्विक टेक्सटाइल उद्योग: वर्ष 2022 में इसका मूल्य 1.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक था।
    • चीन 182 अरब डॉलर के निर्यात के साथ शीर्ष पर है, उसके बाद 45 अरब डॉलर के साथ बांग्लादेश है। 18 अरब डॉलर के कपड़ा निर्यात के साथ भारत पाँचवें स्थान पर रहा।

भारत बांग्लादेश व्यापार 

  • बांग्लादेश को निर्यात: भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में बांग्लादेश को $1.7 बिलियन डॉलर मूल्य का कपास, सूती धागा एवं कपड़े का निर्यात किया, जो भारत के सूती कपड़ा निर्यात का 17% है।
  • बांग्लादेश ने वित्त वर्ष 2023 में $1 बिलियन डॉलर मूल्य के सूती कपड़ों का निर्यात किया।
  • बांग्लादेश मासिक तौर पर 3.8 अरब डॉलर के परिधान निर्यात करता है, जबकि भारत 1.3 अरब डॉलर का निर्यात करता है।

भारतीय कपड़ा निर्माताओं के लिए अप्रत्यक्ष अवसर 

  • पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में आयात में पहले ही कमी आ चुकी है तथा आयात में और गिरावट आने की आशंका है।
  • प्रभाव: संकटग्रस्त देश में विनिर्माण परिचालन वाली भारतीय कंपनियाँ 
    • इसे अपने उत्पादन प्रवाह को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जिससे देरी होगी एवं बाजार में संभावित कमी होगी। 
    • विकल्प: निवेश सेवा प्रदाता ICICI डायरेक्ट ने एक रिपोर्ट में कहा, कि यह व्यवधान, उत्पादों की उपलब्धता को प्रभावित कर सकता है एवं कंपनियों को विकल्प तलाशने के लिए मजबूर कर सकता है।
  • निर्यात ऑर्डर: उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है, कि यदि बांग्लादेश के 10-11 प्रतिशत निर्यात ऑर्डर तिरुपुर जैसे भारतीय कपड़ा केंद्रों में स्थानांतरित कर दिए जाते हैं, तो भारत को प्रति माह 300-400 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त व्यापार प्राप्त हो सकता है। 
    • बांग्लादेश का मासिक परिधान निर्यात 3.5-3.8 बिलियन डॉलर के मध्य है। 
    • बांग्लादेश की यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम एवं संयुक्त राज्य अमेरिका में महत्त्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी है।

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