हाल ही में, कुछ वैज्ञानिकों ने ‘मिरर माइक्रोब्स’ का निर्माण प्रारंभ किया है। ये सिंथेटिक बैक्टीरिया हैं, जिनके बिल्डिंग ब्लॉक उनके प्राकृतिक समकक्षों की ‘मिरर इमेज’ हैं।
‘मिरर माइक्रोब्स’ के अनुप्रयोग
औद्योगिक इकाइयाँ जो अपघटन या किण्वन के लिए बैक्टीरिया का उपयोग करती हैं, उन्हें मिरर माइक्रोब्स से प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
मिरर लाइफ एवं काइरल (Chiral) अणुओं के बारे में
दर्पण (मिरर) में बायाँ और दायाँ एक दूसरे से बदल जाते हैं। रसायन विज्ञान में, कोई अणु या आयन काइरल (Chiral) कहलाता है यदि वह अणु और उसका दर्पण-प्रतिबिंब एक दूसरे को ‘ढक’ न सकें।
जीव विज्ञान में काइरलता (Chirality)
जैविक अणुओं का एक विशिष्ट अभिविन्यास होता है, जो लेफ्ट या राईट हैण्ड की तरह है।
काइरलता (Chirality) इस बात को प्रभावित करती है, कि अणु किस प्रकार परस्पर क्रिया करते हैं, जैसे कि एंजाइम्स का सब्सट्रेट से सम्बद्ध होना या प्रोटीन का कार्यात्मक आकार में फोल्ड हो जाना।
काइरल (Chiral) अणु जो एक दूसरे की मिरर इमेज होते हैं, एनैन्टीओमर कहलाते हैं।
उदाहरण: यौगिक थैलिडोमाइड। राइट हैण्ड एनैन्टीओमर शामक के रूप में कार्य करता था लेकिन लेफ्ट हैण्ड एनैन्टीओमर गंभीर जन्म दोष उत्पन्न करता है।
वैज्ञानिक मिरर माइक्रोब्स का विरोध क्यों कर रहे हैं?
मिरर माइक्रोब्स संभवतः काइरल (Chiral) अणुओं द्वारा मध्यस्थ कई प्रतिरक्षा तंत्रों से बच निकलेंगे, जिससे मनुष्यों, जानवरों एवं पौधों में घातक संक्रमण हो सकता है।
मिरर एंटीबायोटिक्स जैसे प्रतिउपाय वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र में ‘मिरर बैक्टीरिया’ के प्रसार को रोकने या परिवर्तित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
वन में मिरर बैक्टीरिया के प्रसार एवं विकासवादी विविधीकरण को रोकने या उसका मुकाबला करने में असमर्थता।
इस प्रकार शोधकर्ताओं का कहना है कि ‘मिरर लाइफ’ संबंधी उनके विश्लेषण की आलोचना होती है।
भारत-चीन विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अपने चीनी समकक्ष एवं चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ विशेष प्रतिनिधियों (Special Representatives- SR) की 23वें दौर की वार्ता करेंगे।
उद्देश्य: दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख (डेमचोक एवं डेपसांग के संघर्ष बिंदु) में सैनिकों की वापसी तथा 21 अक्टूबर के समझौते के बाद द्विपक्षीय संबंधों का पुनर्निर्माण करना।
भारत-चीन सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि मंडल
गठन: इस तंत्र का गठन पहली बार वर्ष 2003 में 3,488 किलोमीटर तक विस्तृत भारत-चीन सीमा विवाद को संबोधित करने के लिए दोनों देशों द्वारा एक संयुक्त घोषणा के माध्यम से किया गया था।
विशेष प्रतिनिधि मंडल 21 दिसंबर 2019 को हुई पिछली बैठक के बाद से पाँच वर्ष के अंतराल के बाद गठित किया गया है।
सुझावकर्ता: विशेष प्रतिनिधि मंडल का सुझाव स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिया गया था, जब उन्होंने वर्ष 1979 में भारत के विदेश मंत्री के रूप में चीन की यात्रा की थी।
प्रक्रिया: विशेष प्रतिनिधि मंडल तंत्र भारत-चीन सीमा प्रश्न के समाधान के लिए 3 चरणीय फॉर्मूले का पालन करता है।
राजनीतिक मानदंड एवं मार्गदर्शक सिद्धांत स्थापित करना।
अंतिम स्तरीय निपटान के लिए रूपरेखा स्थापित करना।
सीमा का रेखांकन एवं सीमांकन करना।
हेंडरसन सिद्धांत
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने CELIR LLP बनाम श्री सुमति प्रसाद बाफना एवं अन्य नामक मामले में हेंडरसन सिद्धांत की व्याख्या की।
हेंडरसन सिद्धांत सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) की धारा 11 के स्पष्टीकरण IV में संहिताबद्ध रचनात्मक ‘रिस-ज्युडिकेटा’ के भारतीय सिद्धांत का एक स्वाभाविक परिणाम है।
हेंडरसन सिद्धांत
प्रतिपादन: यह सिद्धांत पहली बार हेंडरसन बनाम हेंडरसन, 1843 के ब्रिटिश मामले में प्रतिपादित किया गया था।
इस सिद्धांत के अनुसार, किसी वाद में एक ही विषय से उत्पन्न होने वाले सभी मुद्दों को एक ही मुकदमे में संबोधित किया जाना चाहिए। सिद्धांत उन मुद्दों पर पुनः मुकदमा चलाने पर रोक लगाता है जिन्हें पूर्व कार्यवाही में उठाया जा सकता था या उठाया जाना चाहिए था।
हेंडरसन सिद्धांत’ प्रक्रिया के दुरुपयोग (Doctrine of Abuse of Process) के व्यापक सिद्धांत का एक मुख्य घटक है।
प्रक्रिया के दुरुपयोग का सिद्धांत: मुकदमेबाजी सद्भावनापूर्वक की जानी चाहिए, तथा पक्षकारों को ऐसी प्रक्रियागत रणनीति नहीं अपनानी चाहिए जो विवादों को खंडित कर दे, मुकदमेबाजी को लंबे समय तक खींच दे, या इसके परिणामों को कमजोर कर दे।
स्लिनेक्स (SLINEX) अभ्यास
स्लिनेक्स (SLINEX) अभ्यास 2024 (श्रीलंका-भारत अभ्यास) 17 से 20 दिसंबर, 2024 तक पूर्वी नौसेना कमान के तहत विशाखापत्तनम में आयोजित किया जा रहा है।
स्लिनेक्स (SLINEX) 2024
द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास: स्लिनेक्स (SLINEX) भारत एवं श्रीलंका के बीच आयोजित एक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास है।
प्रारंभ: यह अभ्यास पहली बार वर्ष 2005 में आयोजित किया गया था।
वर्ष 2024 संस्करण का लक्ष्य
भारत एवं श्रीलंका के बीच समुद्री संबंधों को और मजबूत करना।
क्षेत्र में सुरक्षित, संरक्षित एवं नियम-आधारित समुद्री वातावरण को बढ़ावा देना।
भाग लेने वाली इकाइयाँ
भारत से: भारतीय नौसेना जहाज (INS) सुमित्रा, पूर्वी बेड़े से एक नौसेना अपतटीय गश्ती जहाज (NOPV) एवं भारतीय नौसेना से स्पेशल फोर्स टीम।
श्रीलंका से:श्रीलंकाई नौसेना जहाज (SNLS) सयूरा, एक अपतटीय गश्ती जहाज एवं श्रीलंकाई नौसेना की स्पेशल फोर्स टीम।
श्रीलंका के साथ अन्य द्विपक्षीय अभ्यास: मित्र शक्ति, जो दोनों देशों के बीच आयोजित एक संयुक्त सैन्य अभ्यास है।
मोरक्को
रक्षा निर्यात के लिए अफ्रीका में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की भारत की महत्वाकांक्षाओं के लिए मोरक्को एक ‘स्प्रिंगबोर्ड’ के रूप में उभर रहा है।
मोरक्को
अवस्थित: पृथ्वी के उत्तरी एवं पश्चिमी गोलार्द्ध क्षेत्रों में माघरेब क्षेत्र।
माघरेब क्षेत्र में मूल रूप से एटलस पर्वत एवं मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया एवं लीबिया के तटीय मैदान शामिल हैं।
इसकी सीमा दो देशों से संलग्न है: दक्षिण में पश्चिमी सहारा एवं पूर्व में अल्जीरिया।
तटरेखा: अटलांटिक महासागर एवं भूमध्य सागर दोनों से तटरेखा साझा करने वाला एकमात्र अफ्रीकी देश।
यह उन तीन देशों (स्पेन एवं फ्राँस के साथ) में से एक है, जिनसे अटलांटिक तथा भूमध्यसागरीय दोनों तटरेखाएँ लगती हैं।
सबसे बड़ा शहर एवं प्रमुख अटलांटिक महासागर बंदरगाह: कासाब्लांका: एक औद्योगिक तथा वाणिज्यिक केंद्र।
जलवायु: पश्चिमी सहारा के उत्तर में मोरक्को का अधिकांश भाग, विशेष रूप से तटों के साथ, अल्प शीत ऋतु एवं गर्म शुष्क ग्रीष्मकाल के साथ एक विशिष्ट भूमध्यसागरीय जलवायु का अनुभव करता है।
नदी:
मौउया नदी: इसका स्रोत एटलस पर्वत में स्थित है एवं यह भूमध्य सागर में प्रवाहित होती है।
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