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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal December 31, 2024 06:03 34 0

एम-सैंड (M-sand)

राजस्थान ने सतत् निर्माण एवं बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देने के लिए एम-सैंड नीति 2024 (M-Sand Policy 2024) लागू की।

एम-सैंड क्या है?

  • एम-सैंड का तात्पर्य विनिर्मित रेत (Manufactured Sand) से है।
  • यह एक कृत्रिम रेत है, जिसे ‘वर्टिकल शाफ्ट इम्पैक्ट’ (Vertical Shaft Impact-VSI) मशीन का उपयोग करके कठोर पत्थरों को पीसकर तैयार किया जाता है।
    • इसे निर्माण उद्देश्यों के लिए प्राकृतिक नदी रेत की कमी को दूर करने के लिए विकसित किया गया था।
  • बढ़ती निर्माण माँगों को पूरा करने एवं पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए शुरुआत में इसे तमिलनाडु तथा केरल में प्रस्तुत किया गया।

विनिर्मित रेत (एम-सैंड) के लाभ

  • लागत-प्रभावी: कम उत्पादन लागत एम-सैंड को प्राकृतिक रेत की तुलना में अधिक किफायती बनाती है।
  • गुणवत्ता स्थिरता: एकसमान दाने का आकार और आकृति इसे निर्माण परियोजनाओं के लिए आदर्श बनाती है।
  • पर्यावरणीय लाभ: प्राकृतिक रेत खनन पर निर्भरता कम करता है, पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करता है।
    • कोयला खदानों से निकलने वाले अतिरिक्त भार का पुनः उपयोग, अपशिष्ट को उपयोगी सामग्री में परिवर्तित करना।
  • जल की कम खपत: इसे वाशिंग की आवश्यकता नहीं होती, जिससे निर्माण के दौरान जल की बचत होती है।
  • उन्नत खान सुरक्षा: भूमिगत खदानों में रेत जमा करने, सुरक्षा और संरक्षण में सुधार के लिए उपयोगी।
  • नदी रेत उत्खनन में कमी
    • नदी तल के कटाव को रोकता है।
    • जलीय आवासों की रक्षा करता है एवं पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखता है।

लड़ाकू जेट की विभिन्न पीढ़ियाँ

चीनी छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान की अपुष्ट तस्वीरें ऑनलाइन प्रसारित की गईं।

संबंधित तथ्य

  • बैदी व्हाइट एम्परर ‘बी टाइप फाइटर जेट’: नवंबर में, चीन के एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (Aviation Industry Corporation- AVIC) ने झुहाई एयरशो 2024 (Zhuhai Airshow 2024) में अपनी छठी पीढ़ी के फाइटर जेट कॉन्सेप्ट का प्रदर्शन किया।

फाइटर जेट क्या हैं?

  • लड़ाकू जेट उन्नत सैन्य विमान हैं, जो हवा-से-हवा में लड़ाई और हवा-से-जमीन पर हमले के लिए डिजाइन किए गए हैं।
  • उनकी प्राथमिक भूमिका दुश्मन के विमानों को घेरकर आसमान पर अपना प्रभुत्व कायम करना, हवाई क्षेत्र की रक्षा करना और जमीनी बलों को सहायता प्रदान करना है।

पहली से पाँचवीं पीढ़ी तक

  • पहली पीढ़ी (वर्ष 1940-1950): प्रारंभिक जेट इंजन, सबसोनिक गति और बुनियादी रडार प्रणालियाँ। उदाहरण के रूप में मिकोयान-गुरेविच मिग-15 (Mikoyan-Gurevich MiG-15)
  • दूसरी पीढ़ी (वर्ष 1950-1960): सुपरसोनिक गति, रडार-निर्देशित मिसाइलें एवं उन्नत गतिशीलता। उदाहरण के रूप में लॉकहीड F-104 स्टारफाइटर एवं मिग-21। 
  • तीसरी पीढ़ी (वर्ष 1960-1970): बेहतर एवियोनिक्स एवं उन्नत मारक क्षमता वाले बहु-भूमिका वाले विमान। उदाहरण के रूप में मिग-23, हॉकर सिडली हैरियर एवं मैकडॉनेल डगलस F-4 फैंटम। 
  • चौथी पीढ़ी (वर्ष 1970-1990): उन्नत रडार, फ्लाई-बाय-वायर नियंत्रण एवं सक्रियता तथा त्वरित हमले पर ध्यान केंद्रित करना। उदाहरण के रूप में मिग-29 (रूस), तेजस MK-1 (भारत)। 
  • पाँचवीं पीढ़ी (2000-वर्तमान)
    • विशेषताएँ: स्टील्थ तकनीक, उन्नत एवियोनिक्स, एकीकृत सेंसर एवं डेटा फ्यूजन।
    • उदाहरण: F-22 रैप्टर (USA), चेंगदू J-20 (चीन)।

छठी पीढ़ी (भविष्य)

  • काल्पनिक विशेषताएँ 
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) एकीकरण।
    • नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमताएँ।
    • हाइपरसोनिक हथियार।
    • अनुकूली सामग्रियों के साथ उन्नत गोपनीयता।

लड़ाकू विमान में ‘पीढ़ी’ का क्या मतलब है?

  • फाइटर जेट ‘पीढ़ी’ समय के साथ तकनीकी प्रगति एवं डिजाइन सुधार के विभिन्न चरणों को संदर्भित करती हैं।

इडुक्की चर्च में कॉफी के पेड़ के रोपण का इतिहास

यह लेख CSI चर्च, पल्लीकुन्नु में ऐतिहासिक कॉफी प्लांट पर केंद्रित है।

इडुक्की में कॉफी बागान के बारे में

  • स्थान: इडुक्की जिले में कुट्टीक्कनम के पास।
  • 150 वर्ष पूर्व 
  •  (Peerumade) में शुरुआती वृक्षारोपण अवधि के दौरान अंग्रेजों ने चर्च के मैदान में कॉफी का पौधरोपण किया था।
  • इडुक्की में कॉफी बागानों का ऐतिहासिक संदर्भ
    • प्रारंभिक उद्योग: प्रारंभ में, कॉफी के पौधे इडुक्की में प्राथमिक फसल के रूप में लगाए गए थे।
    • चाय की ओर परिवर्तन: वर्ष 1875 में, पत्तियों में होने वाली एक बीमारी के कारण कॉफी के पौधे नष्ट हो गए, जिसके कारण बागान मालिकों को चाय की खेती करनी पड़ी।
    • महत्त्वपूर्ण उपज: पीरमेड/पीर्मदे के निकट थेंगाकल (Thengakal) ने दक्षिण भारत में सर्वाधिक कॉफी उत्पादन प्राप्त किया, जहाँ प्रति एकड़ दो टन कॉफी का उत्पादन हुआ।

अभ्यास सूर्य किरण

भारतीय सेना के 334 जवानों का एक दल बटालियन स्तरीय संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्य किरण के 18वें संस्करण में भाग लेने के लिए नेपाल रवाना हो गया है।

  • यह अभ्यास 31 दिसंबर, 2024 से 13 जनवरी 2025 तक नेपाल के सलझंडी में होगा।

अभ्यास सूर्य किरण के बारे में

  • अभ्यास की प्रकृति: भारतीय सेना एवं नेपाल सेना के बीच एक संयुक्त सैन्य अभ्यास।
  • आवृत्ति: वार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है एवं दोनों देशों द्वारा वैकल्पिक रूप से मेजबानी की जाती है।
  • उद्देश्य: जंगल में युद्ध और पहाड़ी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों में अंतर-संचालन को बढ़ाना।
    • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के ढाँचे के तहत मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (Humanitarian Assistance and Disaster Relief- HADR) का संचालन करना।

मानवीय सहायता आपदा राहत (HADR) के बारे में

  • HADR प्राकृतिक आपदाओं (भूकंप, बाढ़) या संघर्ष जैसी आपात स्थितियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण प्रतिक्रिया है।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद स्थापित, इसका प्राथमिक उद्देश्य जीवन बचाना, पीड़ा को कम करना और संकट के दौरान और उसके बाद मानवीय गरिमा को बनाए रखना है।
  • HADR में कई तरह की गतिविधियाँ शामिल हैं, जिनमें प्रभावित लोगों को भोजन, पानी, आश्रय, चिकित्सा देखभाल और सुरक्षा प्रदान करना शामिल है।

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