अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (Inter-Ministerial Central Team- IMCT) ने वायनाड में मेप्पाडी भूस्खलन को उसकी तीव्रता और परिमाण के कारण ‘गंभीर प्रकृति की आपदा’ माना है।
संबंधित तथ्य
अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (IMCT) केंद्र सरकार द्वारा गठित एक कार्यकारी निकाय है, जो महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव और क्षति का आकलन करने के लिए गठित किया जाता है।
आपदा के बारे में
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में आपदा को प्राकृतिक, मानव निर्मित, आकस्मिक या लापरवाहीपूर्ण कारकों के कारण होने वाली तबाही, दुर्घटना या विपत्ति के रूप में परिभाषित किया गया है।
‘राष्ट्रीय आपदा’ पर दिशा-निर्देश
राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (State Disaster Response Fund- SDRF) एवं राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (National Disaster Response Fund- NDRF) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी आपदा को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है।
हालाँकि, वित्तीय सहायता आपदा की गंभीरता के आधार पर प्रदान की जाती है, जैसा कि IMCT द्वारा मूल्यांकन किया गया है।
वित्तीय सहायता एवं राहत
गंभीर प्रकृति की आपदाओं के लिए, भूस्खलन सहित अधिसूचित प्राकृतिक आपदाओं के लिए वित्तीय सहायता SDRF के अंतर्गत प्रदान की जाती है।
IMCT के आकलन के बाद, NDRF से अतिरिक्त धनराशि प्रदान की जा सकती है।
गंभीर आपदाओं की घोषणा के लिए विचार किए जाने वाले कारक
तीव्रता एवं परिमाण: आपदा का पैमाना एवं प्रभाव।
आवश्यक सहायता: राज्य को आवश्यक बाहरी सहायता का स्तर।
राज्य की क्षमता: स्थिति को प्रबंधित करने की राज्य की क्षमता।
राहत योजनाओं में लचीलापन: आपदा राहत योजनाओं के भीतर विकल्पों की उपलब्धता।
भारत वर्ष 2025 में पहली बार WAVES की मेजबानी करेगा
प्रधानमंत्री ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान घोषणा की कि भारत वर्ष 2025 में पहली बार गोवा में विश्व ऑडियो विजुअल मनोरंजन शिखर सम्मेलन (World Audio Visual Entertainment Summit- WAVES) की मेजबानी करेगा।
WAVES के बारे में
यह विश्व ऑडियो विजुअल मनोरंजन शिखर सम्मेलन को संदर्भित करता है।
यह एक वैश्विक मंच है, जिसका उद्देश्य मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग में संवाद, व्यापार सहयोग तथा नवाचार को बढ़ावा देना है।
WAVES 2025 की विशेषताएँ
आयोजक: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार एवं गोवा सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।
केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (CPGRAMS)
वर्ष 2022 एवं वर्ष 2024 के बीच, CPGRAMS ने 70 लाख से अधिक शिकायतों का सफलतापूर्वक समाधान किया, जिससे भारत में अधिक संवेदनशील तथा प्रभावी शासन प्रणाली में योगदान हुआ।
केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (Centralized Public Grievance Redress and Monitoring System- CPGRAMS) के बारे में
CPGRAMS चिंताओं को कुशलतापूर्वक संबोधित करके नागरिकों एवं सरकार के बीच अंतर को पाटने के लिए एक महत्त्वपूर्ण तंत्र के रूप में कार्य करता है।
एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म CPGRAMS नागरिकों के लिए 24/7 उपलब्ध एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो उन्हें सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा सेवा वितरण से संबंधित शिकायतें दर्ज करने में सक्षम बनाता है।
अद्वितीय पंजीकरण ID: CPGRAMS पर पंजीकृत प्रत्येक शिकायत को एक अद्वितीय पंजीकरण ID दी जाती है, जो नागरिकों को उनकी शिकायतों की प्रगति को ट्रैक करने की अनुमति देती है।
एकल एकीकृत पोर्टल: यह मंच भारत सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों के सभी मंत्रालयों तथा विभागों को जोड़ने वाले एक एकीकृत पोर्टल के रूप में कार्य करता है।
आसान पहुँच: CPGRAMS नागरिकों के लिए गूगल प्ले स्टोर के माध्यम से डाउनलोड किए जा सकने वाले स्टैंडअलोन मोबाइल एप्लिकेशन एवं UMANG के साथ एकीकृत मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से उपलब्ध है।
विकास एवं निगरानी: कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विकसित।
वैश्विक मान्यता: CPGRAMS को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली है तथा राष्ट्रमंडल सचिवालय ने इसे शासन में सर्वोत्तम अभ्यास के रूप में मान्यता दी है, जो राष्ट्रमंडल देशों में अनुकरण के लिए उपयुक्त है।
शिकायत निवारण समय सीमा में कमी: शिकायतों के निवारण में लगने वाला समय 30 दिन से घटाकर 21 दिन कर दिया गया है, जिससे मुद्दों का तेजी से समाधान सुनिश्चित हो सका है।
शीत लहर (कोल्ड वेव)
IMD की रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर में शीत लहर (कोल्ड वेव) की स्थिति और भी गंभीर हो गई है तथा दो पश्चिमी विक्षोभों (Western Disturbances) के कारण जनवरी के प्रारंभ में ताजा बर्फबारी की संभावना है।
शीत लहर (कोल्ड वेव) के बारे में
IMD द्वारा शीत लहर की परिभाषा
मैदानी क्षेत्रों के लिए
तापमान सीमा: मौसम स्टेशन पर न्यूनतम तापमान ≤10°C है।
उस अवधि के लिए तापमान विचलन सामान्य से 4.5°C से 6.4°C कम है।
गंभीर शीत लहर: न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर जाता है या उस अवधि के लिए तापमान विचलन सामान्य से 6.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक कम हो जाता है।
वैकल्पिक मानदंड: न्यूनतम तापमान ≤4°C होने पर भी शीत लहर घोषित की जाती है।
पहाड़ी क्षेत्रों के लिए
तापमान सीमा: न्यूनतम तापमान ≤0°C है।
वैकल्पिक रूप से, सामान्य से 4.5°C या उससे अधिक का विचलन भी माना जाता है।
भारत में कोर शीत लहर क्षेत्र: भारत के ‘कोर शीत लहर क्षेत्र’ के अंतर्गत वर्गीकृत क्षेत्र निम्नलिखित हैं:
उत्तरी राज्य: पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश।
केंद्रीय राज्य: गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़।
पूर्वी राज्य: बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा।
दक्षिणी राज्य: तेलंगाना।
कश्मीर में शीत लहर के दौरान स्थिति: कश्मीर में चिल्लई-कलान (21 दिसंबर-30 जनवरी) का दौर चल रहा है अर्थात् चालीस दिनों की भीषण ठंड, जो सर्दियों का सबसे कठोर दौर है।
चिल्लई-कलान के बाद चिल्लई-खुर्द (20 दिन) और चिल्लई-बच्चा (10 दिन) आएँगे, जिससे फरवरी तक ठंड बनी रहेगी।
पश्चिमी विक्षोभ के बारे में
पश्चिमी विक्षोभ (WD) भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय तूफान हैं।
शीतकालीन वर्षा: वे उत्तर-पश्चिम भारत में शीतकालीन वर्षा एवं हिमालय में बर्फबारी का प्राथमिक स्रोत हैं।
कृषि पर प्रभाव: रबी फसलों (गेहूँँ, जौ, आदि) की वृद्धि के लिए WDs महत्त्वपूर्ण हैं।
मानसून पर प्रभाव: WDs भारतीय मानसून की शुरुआत एवं तीव्रता को भी प्रभावित कर सकता है।
NMCG की 59वीं कार्यकारी समिति की बैठक
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga- NMCG) की 59वीं कार्यकारी समिति (Executive Committee- EC) की बैठक में कई राज्यों में गंगा पुनरुद्धार के लिए 794 करोड़ रुपये की महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।
स्वीकृत प्रमुख परियोजनाएँ
उत्तर प्रदेश: चंदौली (45 MLD) एवं मानिकपुर (15 KLD) में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (Sewage Treatment Plants- STPs) के लिए 272 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए, जिसमें सौर ऊर्जा और पर्यावरण अनुकूल अपशिष्ट प्रबंधन को दीर्घकालिक संचालन एवं रखरखाव के साथ एकीकृत किया जाएगा।
बिहार एवं पश्चिम बंगाल: बक्सर (50 MLD STP, सीवर नेटवर्क) और उत्तरपाड़ा-कोटरुंग (22 KLD ट्रीटमेंट प्लांट) के लिए 265 करोड़ रुपये मंजूर किए गए, जिससे उन्नत मॉडल और बुनियादी ढाँचे के माध्यम से टिकाऊ संचालन सुनिश्चित होगा।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के बारे में
स्थापना: वर्ष 2011 में जल शक्ति मंत्रालय के तहत गठित, NMCG राष्ट्रीय गंगा परिषद की परिचालन शाखा के रूप में कार्य करता है।
उद्देश्य: नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदूषण को संबोधित करके, स्थायी नदी बेसिन प्रबंधन सुनिश्चित करके एवं अपनी सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करके गंगा नदी का कायाकल्प करना।
संरचना एवं सदस्य
महानिदेशक: मिशन का प्रमुख होता है एवं सभी गतिविधियों की देखरेख करता है।
कार्यकारी समिति (EC): प्रमुख निर्णय लेने वाली संस्था, जिसमें केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों एवं तकनीकी विशेषज्ञों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
शक्तियाँ
परियोजनाओं को मंजूरी देना एवं नदी की सफाई तथा बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए धन आवंटित करना।
गंगा बेसिन वाले राज्यों में कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी करना।
स्थायी परिणाम प्राप्त करने के लिए राज्य सरकारों, निजी संस्थाओं एवं गैर-सरकारी संगठनों के साथ सहयोग करना।
इन पहलों को चलाकर, NMCG प्रदूषण मुक्त एवं सतत् गंगा पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
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