भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) 15 जनवरी, 2025 को अपनी सेवा के 150 वर्ष पूर्ण कर लेगा।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
IMD भारतीय उपमहाद्वीप में मौसम के व्यवस्थित अवलोकन, नियमित रिपोर्टिंग एवं वैज्ञानिक पूर्वानुमान के लिए बनाए गए प्रारंभिक सरकारी विभागों में से एक है।
IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक के रूप में भी कार्य करता है।
स्थापना: IMD की स्थापना वर्ष 1875 में श्री एच.एफ. ब्लैनफोर्ड को भारत सरकार के मौसम रिपोर्टर के रूप में नियुक्त किए जाने के साथ हुई थी।
नोडल मंत्रालय: IMD पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक नोडल एजेंसी है।
मुख्यालय: यह दिल्ली में स्थित है।
इसके छह क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (RMCs) हैं, जो देश के छह क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान करते हैं।
उद्देश्य: IMD को भारतीय उपमहाद्वीप के लिए मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान एवं भूकंप विज्ञान के अनुकूल बनाना।
विकास
वर्ष 1878 में पहली दैनिक मौसम रिपोर्ट तैयार की गई थी।
वर्ष 1886: समुद्री सुरक्षा को मजबूत करते हुए सभी भारतीय बंदरगाहों को कवर करने के लिए बंदरगाह चेतावनी प्रणाली का विस्तार किया गया।
वर्ष 1890: IMD ने वर्षा पंजीकरण प्राधिकरण (Rainfall Registration Authority) की भूमिका निभाई, एक सामान्य वर्षा गेज प्रकार को अपनाकर वर्षा माप का मानकीकरण किया।
वर्ष 1947-1959: रडार युग एवं बाढ़ मौसम सेवाओं (Radar age and Flood Met Services) की शुरुआत।
वर्ष 1960-1983: वैश्विक उपग्रह युग की शुरुआत एवं वैश्विक निगरानी (Global Satellite era and Global monitoring) तथा 24 घंटे तक बेहतर पूर्वानुमान।
वर्ष 2004-2023: अवलोकन, संचार एवं मॉडलिंग सुविधाओं में तेजी से प्रगति, पूर्वानुमान सटीकता तथा सेवाओं में आदर्श परिवर्तन।
कार्य
मौसम संबंधी अवलोकन: IMD कृषि, सिंचाई, शिपिंग, विमानन, अपतटीय तेल अन्वेषण आदि जैसी मौसम-संवेदनशील गतिविधियों के इष्टतम संचालन के लिए मौसम संबंधी जानकारी प्रदान करता है।
चेतावनियाँ एवं पूर्वानुमान: यह गंभीर मौसमी घटनाओं जैसे उष्णकटिबंधीय चक्रवात, भारी बारिश तथा बर्फबारी, ठंड एवं गर्मी की लहरें आदि के खिलाफ चेतावनी प्रदान करता है, जिससे जीवन एवं संपत्ति की हानि होती है।
चक्रवात का पूर्वानुमान एवं नामकरण: यह भूमध्य रेखा के उत्तर में हिंद महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के बारे में पूर्वानुमान, नामकरण एवं चेतावनी प्रदान करने के लिए क्षेत्रीय नोडल एजेंसी है।
भूकंपीय अवलोकन: यह भूकंप की निगरानी एवं माप के लिए प्रमुख स्थानों पर निगरानी केंद्र स्थापित करने के लिए भी जिम्मेदार है।
पल्लासेस कैट
(Pallas’s Cat)
केरल के वन्यजीव फोटोग्राफर शेफीक बशीर अहमद ने CBSE पाठ्यपुस्तक में चित्रित पल्लासेस कैट
(Pallas’s Cat) की तस्वीर लेने के लिए अपनी वर्ष 2017 मंगोलिया यात्रा की थी।
पल्लासेस कैट (Pallas’s Cat) के बारे में
पल्लासेस कैट [ओटोकोलोबस मैनुल (Otocolobus Manul)], जिसे मैनुल, स्टेपी बिल्ली या रॉक वाइल्डकैट के नाम से भी जाना जाता है, विश्व स्तर पर सबसे छोटी जंगली बिल्लियों में से एक है, जिसे अक्सर ‘पहाड़ों का छोटा भूत’ कहा जाता है।
संरचना: ये घने बालों वाली बिल्लियाँ ठंडे एशियाई मैदानों के अनुकूल होती हैं, इनके शरीर का रंग ग्रे और ब्राउन एवं यहाँ तक कि नारंगी-लाल रंग का भी होता हैं, जो मौसम के साथ बदलते रहते हैं।
उनके कान गोल होते हैं, जिससे चट्टानी इलाकों में छिपने की उनकी क्षमता बढ़ जाती है।
व्यवहार: पल्लासेस कैट्स रात्रिचर होती हैं, उनके पास असाधारण कौशल होता है, जो उन्हें उनके प्राकृतिक आवासों में लगभग अदृश्य बना देता है।
पर्यावास: मुख्य रूप से मंगोलिया, चीन और तिब्बती पठार के मैदानी घास के मैदानों में निवास करने वाले ये जीव चरम जलवायु, न्यूनतम वर्षा और विस्तृत तापमान सीमा वाले क्षेत्रों में निवास करते हैं।
उनकी सीमा कैस्पियन सागर से लेकर ईरान, अफगानिस्तान एवं उत्तरी भारत से लेकर मध्य चीन, मंगोलिया तथा दक्षिणी रूस तक पूरे मध्य एशिया तक विस्तृत है।
लद्दाख तीन फेलिड्स (Felids) का आवास स्थल है: हिम तेंदुआ, लिनेक्स एवं पल्लासेस कैट।
इन तीन फेलिड्स में से पल्लासेस कैटया मैनुल सबसे छोटी बिल्ली है, जो लद्दाख के ठंडे रेगिस्तान में रहती है।
संरक्षण की स्थिति
IUCN रेड लिस्ट: कम चिंताग्रस्त (Least Concern)।
CITES: परिशिष्ट-II (Appendix II)।
भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम: अनुसूची (Schedule I)-।
वर्ष 2020 में COP-14 के दौरान प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन (CMS) के अंतर्गत संरक्षित की जाने वाली प्रवासी प्रजातियों की सूची में शामिल किया गया।
मिथाइलकोबालामिन (Methylcobalamin)
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने स्वास्थ्य पूरक, चिकित्सा उत्पादों तथा न्यूट्रास्युटिकल्स में मिथाइलकोबालामिन के उपयोग को स्पष्ट किया है।
मिथाइलकोबालामिन क्या है?
मिथाइलकोबालामिन (MeCbl या MeB12) विटामिन B12 का एक रूप है।
यह साइनोकोबालामिन से अलग है क्योंकि इसमें साइनो समूह को मिथाइल समूह से बदल दिया जाता है।
इसमें एक अष्टफलकीय कोबाल्ट (III) केंद्र होता है और यह चमकीले लाल क्रिस्टल बनाता है।
विटामिन B12 पर वर्तमान विनियमन
अनुमत प्रपत्र
FSSAI साइनोकोबालामिन और हाइड्रोक्सोकोबालामिन की अनुमति देता है।
मिथाइलकोबालामिन को विशिष्ट परिस्थितियों में अनुमति दी जाती है।
खुराक सीमा
उत्पादों में विटामिन B12 का स्तर अनुशंसित आहार भत्ता (Recommended Dietary Allowance-RDA) से अधिक नहीं होना चाहिए, सिवाय इसके:
विशेष चिकित्सा प्रयोजनों के लिए भोजन।
विशेष आहार उपयोग के लिए भोजन।
उच्चतर स्तरों के लिए FSSAI की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है।
मेथिलकोबालामिन का स्वास्थ्य महत्त्व
शरीर में भूमिका
DNA संश्लेषण, लाल रक्त कोशिका उत्पादन तथा तंत्रिका संबंधी स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
इसकी कमी से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, जिसके लिए पूरक की आवश्यकता होती है।
विटामिन B12 की कमी का क्या कारण है?
आहार संबंधी कमी: मांस, अंडे और डेयरी जैसे पशु आधारित खाद्य पदार्थों की कमी, विशेष रूप से शाकाहारियों और शाकाहारी लोगों में।
खराब अवशोषण: घातक एनीमिया या पेट में एसिड की कमी जैसी स्थितियाँ B12 के अवशोषण में बाधा डालती हैं।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार: क्रोहन या सीलिएक जैसी बीमारियाँ पोषक तत्त्वों के अवशोषण को प्रभावित करती हैं।
दवाओं का हस्तक्षेप: प्रोटॉन पंप अवरोधकों, मेटफॉर्मिन या H2 अवरोधकों का दीर्घकालिक उपयोग अवशोषण को बाधित करता है।
आयु-संबंधित गिरावट: बुजुर्गों में पेट में एसिड की कमी B12 के अवशोषण को सीमित करती है।
शराब का सेवन: पेट की परत को नुकसान पहुँचाता है, जिससे पोषक तत्त्वों का अवशोषण प्रभावित होता है।
IIT मद्रास तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रोजेक्ट विस्तार (Project VISTAAR) के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
प्रोजेक्ट विस्तार के बारे में
पूर्ण रूप: कृषि संसाधनों तक पहुँच के लिए वस्तुतः एकीकृत प्रणाली (Virtually Integrated System to Access Agricultural Resources)।
उद्देश्य: डिजिटलीकरण के माध्यम से कृषि विस्तार प्रणाली की दक्षता और पहुँच को बढ़ाना।
पहल की मुख्य विशेषताएँ
कृषि-स्टार्टअप डेटा का एकीकरण
IIT मद्रास के स्टार्टअप सूचना प्लेटफॉर्म पर 12,000 से अधिक कृषि स्टार्टअप सूचीबद्ध हैं। यह किसानों को स्टार्टअप के अभिनव समाधानों से आसानी से जुड़ने में सक्षम बनाता है।
व्यापक सलाहकार सेवाएँ
जैसे प्रमुख क्षेत्रों को कवर करता है:
फसल उत्पादन तकनीकें।
विपणन रणनीतियाँ।
मूल्य संवर्द्धन प्रक्रियाएँ।
आपूर्ति शृंखला प्रबंधन।
सरकारी योजनाओं तक पहुँच
किसान कृषि से संबंधित सरकारी योजनाओं तथा ग्रामीण विकास पहलों के बारे में आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
सटीक एवं समय पर जानकारी
किसानों को बेहतर निर्णय लेने में सहायता के लिए सटीक, प्रासंगिक और समय पर डेटा प्रदान करता है।
टिकाऊ और जलवायु-लचीली कृषि पद्धतियों का समर्थन करता है।
पिग बुचरिंग स्कैम (Pig-Butchering Scam)
इस लेख में साइबर धोखाधड़ी पर चर्चा की गई है, जिसमें लोगों को ऑनलाइन निवेश के अवसरों, विशेष रूप से क्रिप्टोकरेंसी और स्टॉक के माध्यम से उनके साथ धोखाधड़ी की जाती है।
पिग बुचरिंग स्कैम क्या है?
‘पिग बुचरिंग स्कैम’ शब्द की उत्पत्ति वर्ष 2016 में चीन से हुई थी।
इसे मंदारिन में ‘शा झू पैन’ के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है “सुअर का शिकार करना।”
इसमें साइबर अपराधी फर्जी ऑनलाइन पहचान तथा फर्जी ऑनलाइन निवेश के जरिए पीड़ितों को लुभाते हैं।
यह बेरोजगार युवाओं, गृहिणियों और छात्रों जैसे कमजोर व्यक्तियों को निशाना बनाता है।
साइबर अपराधी कैसे शिकार बनाते हैं
इस्तेमाल किए जाने वाले प्लेटफॉर्म: धोखेबाज सोशल मीडिया, डेटिंग ऐप और भ्रामक संदेशों के जरिए पीड़ितों को निशाना बनाते हैं।
तकनीक
गूगल सेवाओं, फेसबुक विज्ञापनों और प्रायोजित विज्ञापनों का उपयोग।
ऑनलाइन निवेश, विशेष रूप से क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग को बढ़ावा देने से पहले ‘दोस्ती’ के माध्यम से विश्वास का निर्माण करना।
‘द स्लाटर’ (The ‘Slaughter’): जब पीड़ित पैसे निकालने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि उनके पैसे चोरी हो गए हैं, जो अक्सर ब्लॉकचेन लेन-देन के कारण वापस नहीं मिल पाते।
द्वीपीय विकास एजेंसी (IDA)
हाल ही में केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने नई दिल्ली में द्वीपीय विकास एजेंसी (Island Development Agency-IDA) की 7वीं बैठक की अध्यक्षता की।
द्वीपीय विकास एजेंसी के बारे में
संविधान: द्वीपों के समग्र विकास की देखरेख के लिए गृह मंत्रालय के तहत वर्ष 2017 में स्थापित किया गया।
नेतृत्व
अध्यक्ष: भारत के गृह मंत्री।
संयोजक: नीति आयोग के CEO।
सदस्य: पर्यटन, जनजातीय मामले, पर्यावरण, गृह मामले सचिव और कैबिनेट सचिव।
अधिदेश: नीति आयोग को द्वीपों के सतत् और समग्र विकास का कार्य सौंपा गया है।
‘फरल सखी’ पहल
‘Faral Sakhi’ Initiative
मीरा भयंदर नगर निगम (Mira Bhayandar Municipal Corporation-MBMC) ने महाराष्ट्र के मीरा भयंदर में महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक प्रमुख पहल ‘फरल सखी’ (Faral Sakhi) शुरू की है।
फरल सखी पहल के बारे में
इसे मीरा भयंदर नगर निगम (MBMC) द्वारा नीति आयोग के महिला उद्यमिता मंच (WEP) के सहयोग से लॉन्च किया गया।
उद्देश्य: प्रशिक्षण, सहायता और बाजार पहुँच के माध्यम से पारंपरिक स्नैक उत्पादन में महिला उद्यमियों को सशक्त बनाना।
Latest Comments