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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 21, 2024 03:23 45 0

सुपर ब्लू मून

(Super Blue Moon)

एक असामान्य एवं दुर्लभ खगोलीय घटना है, जब सुपर मून और ब्लू मून के मौके साथ में आते हैं। इस तरह के चंद्रमा को ‘स्टर्जन मून’ या ‘सुपर ब्लू मून’ कहते हैं, जो खगोलीय घटनाओं का एक दुर्लभ ट्राइफेक्टा है।

सुपरमून (Super Moon)

  • प्रतिपादन: सुपरमून शब्द वर्ष 1979 में खगोलशास्त्री रिचर्ड नोल द्वारा दिया गया था।
  • सुपरमून तब होता है, जब चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे निकट होता है। 
    • इन्हें वर्ष का सबसे चमकीला एवं सबसे बड़ा पूर्ण चंद्रमा माना जाता है। यह सामान्य चंद्रमा की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत अधिक चमकीला तथा 14 प्रतिशत बड़ा दिखाई देता है।
  • चंद्र भ्रम (Moon Illusion): यह तब होता है, जब चंद्रमा क्षितिज के पास होता है। इस वजह से चंद्रमा बड़ा दिखाई देता है और इसका प्रभाव तब सबसे अधिक होता है जब चंद्रमा उदय या अस्त हो रहा हो।
  • अगस्त का सुपर ब्लू मून इस वर्ष के लगातार चार बार देखे गए सुपर मून में से पहला है, अगला सुपर मून 18 सितंबर, 17 अक्टूबर एवं 15 नवंबर को दिखाई देगा।

ब्लू मून (Blue Moon) 

  • उत्पत्ति: पहला ब्लू मून वर्ष 1528 से दर्ज किया गया था एवं माना जाता है कि ब्लू मून नाम की उत्पत्ति एक पुराने वाक्यांश से हुई है, जिसका अर्थ है ‘विश्वासघाती चंद्रमा’ (Betrayer moon)। हालाँकि, ब्लू मून का रंग नीला नहीं है।
  • प्रकार: ब्लू मून दो प्रकार के होते हैं,
    • दो पूर्णिमा वाले एक महीने की दूसरी पूर्णिमा को वर्ष 1940 से ‘ब्लू मून’ के रूप में जाना जाने लगा।
    • मौसमी ब्लू मून: चार पूर्णिमा वाले सीजन में तीसरी पूर्णिमा को मौसमी ब्लू मून के रूप में जाना जाता है। 

मास्टर क्लॉक सिस्टम

(Master Clock System)

पहली बार भारतीय रेलवे अपने नेटवर्क में अनुप्रयोगों एवं प्रणालियों के साथ समय को सिंक्रोनाइज करने के लिए एक मास्टर क्लॉक सिस्टम विकसित करेगा।

मास्टर-क्लॉक सिस्टम 

  • वर्तमान प्रणाली के मुद्दे: मौजूदा मैनुअल टाइम-कीपिंग मेथड, (Manual Time-keeping Method), जिसमें स्टेशन मास्टर सेक्शन नियंत्रकों के निर्देशों के आधार पर समय निर्धारित करते हैं, जिससे विभिन्न रेलवे अनुप्रयोगों में विसंगतियाँ उत्पन्न होती हैं।
  • उच्च-स्तरीय समिति: रेलवे बोर्ड एवं अनुसंधान डिजाइन तथा मानक संगठन (Research Designs and Standards Organisation- RDSO) सहित एक उच्च-स्तरीय समिति, समान समय सिंक्रोनाइजेशन सुनिश्चित करने के लिए इस प्रणाली की संरचना को अंतिम रूप दे रही है।
  • लाभ: इससे समय संबंधी विसंगतियों का समाधान हो जाएगा, विशेषकर रेल दुर्घटना जाँच में।
    • यह भारतीय रेलवे में विभिन्न अनुप्रयोगों एवं प्रणालियों के मध्य समन्वय सुनिश्चित करेगा।
  • समय स्रोत: मास्टर घड़ी सभी रेलवे प्रणालियों में एक सुसंगत समय स्रोत प्रदान करने के लिए NAVIC या राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशालाओं (NPL) से समय प्राप्त करेगी।
  • प्रोटोटाइप प्रदर्शन: RDSO द्वारा 2 अक्टूबर, 2024 तक मास्टर क्लॉक सिस्टम का एक प्रोटोटाइप प्रदर्शित करने की संभावना है।

जनरल एस. पद्मनाभन

(General S. Padmanabhan)

हाल ही में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल एस. पद्मनाभन का चेन्नई स्थित उनके आवास पर निधन हो गया।

जनरल एस. पद्मनाभन

  • जनरल पद्मनाभन सितंबर 2000 से  दिसंबर 2002 के मध्य भारत के थल सेनाध्यक्ष थे।
  • उनकी विरासत सैनिकों के कल्याण, सेना के आधुनिकीकरण और रणनीतिक दृष्टि के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से चिह्नित है।
  • जनरल पद्मनाभन ने ‘ऑपरेशन पराक्रम’ की महत्त्वपूर्ण अवधि के दौरान सेना का नेतृत्व किया।

राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA)

राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (National Financial Reporting Authority- NFRA) ने कॉफी डे एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Coffee Day Enterprises Ltd- CDEL) एवं उसकी सहायक कंपनियों से संबंधित ऑडिटिंग कदाचार पर अपनी कार्रवाई तेज कर दी है।

NFRA के बारे में: राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) का गठन 01 अक्टूबर, 2018 को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत भारत सरकार द्वारा किया गया था।

  • संरचना: कंपनी अधिनियम के अनुसार NFRA के लिए एक अध्यक्ष होगा, जिसे केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा एवं अधिकतम 15 सदस्य होंगे।

कार्य

  • ऑडिट गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करना: यह कंपनी अधिनियम एवं इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (Institute of Chartered Accountants of India- ICAI) द्वारा निर्धारित ऑडिट गुणवत्ता मानकों के पालन को सत्यापित करने के लिए ऑडिट फर्मों का निरीक्षण करता है। 
    • इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI): ICAI चार्टर्ड अकाउंटेंट का सबसे बड़ा वैश्विक पेशेवर निकाय है।
    • अर्थव्यवस्था की सेवा: सार्वजनिक हित में भारतीय अर्थव्यवस्था की सेवा करने की इसकी एक मजबूत परंपरा है।
    • स्थापना: चार्टर्ड अकाउंटेंट अधिनियम, 1949 के तहत हुई थी।
    • उद्देश्य: भारत में चार्टर्ड अकाउंटेंट के पेशे को विनियमित एवं विकसित करना।
    • नोडल मंत्रालय: कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय, भारत सरकार।
    • सदस्य: कुल 40 सदस्य।
      • निर्वाचित सदस्य: 32 सदस्य चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा चुने जाते हैं।
      • नामांकित सदस्य: केंद्र सरकार द्वारा नामांकित 8 सदस्य, जो भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, SEBI, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय, वित्त मंत्रालय तथा अन्य हितधारकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • जाँच किए गए प्रमुख क्षेत्र: इनमें ऑडिट फर्म की स्वतंत्रता मानदंडों का अनुपालन, कंपनी अधिनियम में ऑडिटर अयोग्यता प्रावधानों का पालन एवं ऑडिट दस्तावेजीकरण की वैधता आदि शामिल है। 

NFRA रिपोर्ट

  • प्रकाशन के माध्यम से पारदर्शिता: ऑडिट फर्म एवं उद्योग दोनों को वित्तीय विवरण तैयार करने तथा ऑडिटिंग प्रथाओं में कमियों की जानकारी प्रदान करने के लिए रिपोर्ट प्रकाशित की जाती हैं। 
  • सुधारात्मक कार्रवाई को प्रोत्साहित करना: अनुशासनात्मक कार्रवाई न होते हुए भी, नियामक की रिपोर्ट पहचानी गई कमियों को दूर करने के लिए ऑडिट फर्मों एवं उनके ग्राहकों को दृढ़ता से प्रोत्साहित करती है। 
  • गोपनीयता एवं विवरण: निरीक्षण रिपोर्ट ऑडिटर के व्यावसायिक ग्राहक का खुलासा नहीं करती है बल्कि उनके खातों तथा ऑडिट प्रक्रियाओं में पाए गए मुद्दों का विवरण देती है।

RBI ने स्व-नियामक संगठनों (SROs) की मान्यता के लिए रूपरेखा जारी की

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय बाजारों में स्व-नियामक संगठनों (SRO) की मान्यता के लिए एक रूपरेखा जारी की है, जिसका उद्देश्य SRO सदस्यों के बीच अनुपालन संस्कृति को मजबूत करना और नीति निर्माण के लिए एक परामर्श मंच प्रदान करना है।

स्व-नियामक संगठन (SROs)

  • परिभाषा: SROs स्वयं को विनियमित करने के लिए विशिष्ट उद्योगों के भीतर बनाई गई संस्थाएँ हैं, जो अक्सर सरकारी नियामकों के साथ काम करती हैं।
  • उद्देश्य: अपने क्षेत्रों में नैतिक आचरण एवं सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देना।
  • पर्यवेक्षण: सरकारी पर्यवेक्षण के तहत कार्य करना, जिसमें नियामकों को कुछ नियामक कार्य सौंपे जाएँ।
  • अनुपालन निगरानी: उद्योग-विशिष्ट नियमों एवं मानकों के अनुपालन की निगरानी एवं उसे लागू करना।
  • सार्वजनिक हित: यह सुनिश्चित करने के लिए कि विनियामक गतिविधियाँ जनहित में हों, पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ कार्य करना।
  • सेतु के रूप में कार्य करना: SRO अपने सदस्यों एवं नियामक के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगा। यह नियामक दिशा-निर्देशों का बेहतर अनुपालन, प्रारंभिक चेतावनी संकेतों का विकास, हितधारको के  हितों की सुरक्षा एवं नवाचार को बढ़ावा देना सुनिश्चित करेगा।

मुख्य ढाँचा

  • पात्रता सीमा: भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय बाजारों में स्व-नियामक संगठनों के लिए एक रूपरेखा पेश की, जिसमें ₹10 करोड़ की पात्रता सीमा निर्धारित की गई। 
  • आवेदन आमंत्रण: RBI ने वित्तीय बाजारों में SRO के रूप में मान्यता प्राप्त करने के इच्छुक संस्थाओं से कहा है, कि वे अपना आवेदन ईमेल के माध्यम से या भारतीय रिजर्व बैंक के वित्तीय बाजार विनियमन विभाग के मुख्य महाप्रबंधक को प्रस्तुत करें।
  • व्यापक आचार संहिता: RBI चाहता है कि SRO अपने सदस्यों के लिए एक व्यापक आचार संहिता तैयार करे और उसे लागू करे, ताकि वे विशेष रूप से क्षेत्र की छोटी संस्थाओं को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान कर सकें तथा वैधानिक और नियामक नीतियों के साथ संरेखित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा कर सकें।

संभावित प्रभाव: इस पहल का उद्देश्य बाजार पहुँच का विस्तार करना, भागीदारी को बढ़ावा देना एवं उद्योग मानकों तथा सर्वोत्तम प्रथाओं की स्थापना करके उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा करना, अनुपालन को बढ़ावा देना एवं विशेष रूप से छोटे क्षेत्र की संस्थाओं के लिए नवाचार का समर्थन करना है।

नवीन समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (New Maritime Rescue Coordination Centre)

हाल ही में भारतीय रक्षा मंत्री ने चेन्नई में समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (Maritime Rescue Coordination Centre- MRCC) का उद्घाटन किया।

समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (MRCC)

  • उद्देश्य: समुद्र में आपदा में फँसे नाविकों एवं मछुआरों के बचाव के लिए समन्वय बढ़ाना।
  • विशेषताएँ: नवीनतम स्थलीय एवं उपग्रह संकट निगरानी प्रणाली तथा उन्नत संचार प्रौद्योगिकी से सुसज्जित प्रणाली।
  • भूमिका: भारत के पूर्वी तट एवं उससे आगे समुद्री बचाव कार्यों के समन्वय के लिए मुख्य केंद्र के रूप में कार्य करता है।
    • संकट की चेतावनियों, मौसम प्रणालियों की निगरानी के लिए 24/7 संचालित होता है एवं भारतीय तटरक्षक वायु तथा समुद्री संपत्तियों, वाणिज्यिक जहाजों एवं मछुआरों के साथ समन्वय करता है।
    • भारत के पूर्वी तट एवं उससे आगे मछुआरों तथा नाविकों की सुरक्षा एवं कल्याण  सुनिश्चित करना।
  • अन्य उद्घाटन
    • क्षेत्रीय समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया केंद्र (Regional Marine Pollution Response Centre- RMPRC)
      • स्थान: चेन्नई।
      • कार्य: हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय जल में समुद्री प्रदूषण के प्रति प्रतिक्रियाओं का समन्वय करता है।
    • कोस्ट गार्ड  एयर एन्क्लेव (Coast Guard Air Enclave)
      • स्थान: पुडुचेरी।
      • क्षमताएँ: समुद्री गश्त, खोज एवं बचाव तथा तटरक्षक जहाजों को सहायता के लिए चेतक एवं उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन से सुसज्जित करना।

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