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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 22, 2024 03:25 60 0

हेफ्लिक लिमिट 

(Hayflick Limit)

बायोमेडिकल शोधकर्ता लियोनार्ड हेफ्लिक की मृत्यु हो गई, जिनके कोशिकाओ के संबंध में एक शोध के अनुसार,  ‘सामान्य कायिक कोशिकाएँ केवल एक निश्चित संख्या में विभाजित हो  सकती हैं।’

हेफ्लिक लिमिट  (Hayflick Limit)

  • खोज: 1960 के दशक की शुरुआत में, हेफ्लिक ने पाया कि कायिक (गैर-प्रजनन) कोशिकाओं में कोशिका विभाजन लगभग 40-60 बार के बाद बंद हो जाता है। 
  • उम्र बढ़ने का कारण: हेफ्लिक के अनुसार, कोशिका विभाजन की समाप्ति ही उम्र बढ़ने का कारण बनती है – जैसे-जैसे वृद्ध कोशिकाएँ (जिन्होंने विभाजित होना बंद कर दिया है) जमा हो जाती हैं, व्यक्ति का शरीर वृद्ध होने लगता है।
  • सेलुलर क्लॉक: इसका अर्थ है, कि मानव शरीर (एवं  अन्य जीवों) में एक अंतर्निहित ‘सेलुलर क्लॉक’ है, जो यह निर्धारित करती है, कि कोई कितने समय तक जीवित रह सकता है। अर्थात् यह जीवों के जीवनकाल को निर्धारित करती है।
  • अधिकतम सीमा: मनुष्यों के लिए ‘अंतिम हेफ्लिक लिमिट’ लगभग 125 वर्ष अनुमानित की गई है।
  • इसके अतिरिक्त कोई भी आहार, व्यायाम, या यहाँ तक ​​कि बीमारियों के खिलाफ आनुवंशिक परिवर्तन भी मानव जीवन काल को नहीं बढ़ा सकता है।
  • विभिन्न जंतुओं की सीमाएँ: हेफ्लिक की खोज को विभिन्न जंतुओं की कोशिकाओं पर लागू किया गया है, जिससे प्रजातियों के जीवनकाल के आधार पर विभिन्न हेफ्लिक लिमिट की जानकारी मिलती है।
    • उदाहरण: गैलापागोस कछुए की कोशिकाएँ, जो सदियों तक जीवित रह सकती हैं, लगभग 110 बार विभाजित होती हैं, जबकि प्रयोगशाला के चूहों की कोशिकाएँ, जिनका जीवनकाल बहुत कम होता है, लगभग 15 बार विभाजन के बाद जीर्ण हो जाती हैं।
  • खोज का महत्त्व: हेफ्लिक की खोज ने उम्र बढ़ने की समझ को मौलिक रूप से बदल दिया – विशेष रूप से यह धारणा की कोशिकाएँ कभी मरती नहीं है।

टीलोमयेर्स (Telomeres)

  • खोज: वर्ष 1970 के दशक में, शोधकर्ताओं ने टीलोमेयर (Telomere) की खोज की, जो गुणसूत्रों के अंत में दोहराए जाने वाले डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic Acid- DNA) अनुक्रम हैं, जो कोशिका विभाजन के दौरान उनकी रक्षा करते हैं। 
  • अंततः, टीलोमेयर की क्षति एक महत्त्वपूर्ण बिंदु तक पहुँच जाती है, जहाँ कोशिका विभाजन समाप्त हो जाता है।
  • उम्र बढ़ना: यद्यपि टीलोमेयर का छोटा होना उम्र बढ़ने से संबंधित है, लेकिन टीलोमेयर की लंबाई और जीवनकाल के बीच सटीक संबंध अभी भी अस्पष्ट है।
    • उदाहरण के लिए: लैब चूहों में टीलोमेयर होते हैं, जो मनुष्यों की तुलना में पाँच गुना लंबे होते हैं, लेकिन उनका जीवन 40 गुना कम होता है।
  • आलोचक: यही कारण है, कि कुछ शोधकर्ताओं ने यह तर्क दिया है, कि टीलोमेयर क्षति एवं हेफ्लिक लिमिट उम्र बढ़ने की सीमा नहीं हैं, बल्कि उम्र बढ़ने के लक्षण हैं। 

‘निपुण’ युद्ध सामग्री

(‘Nipun’ Munition)

 

हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) ने ‘निपुण’ युद्ध सामग्री के सीलबंद विवरण की अथॉरिटी  (Authority Holding Sealed Particulars- AHSP) को गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (Directorate General of Quality Assurance- DGQA) को सौंप दिया है। 

निपुण (‘Nipun’)

  • स्थान: आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (Armament Research & Development Establishment- ARDE), पुणे में।
  • विकास: ‘NIPUN’ एक सॉफ्ट टारगेट म्यूनिशन (Soft Target Munition) है, जिसे आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान द्वारा हाई एनर्जी मैटेरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी (High Energy Materials Research Laboratory- HEMRL), पुणे के सहयोग से डिजाइन एवं विकसित किया गया है।
  • निपुण को अत्यधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल और दुश्मन के ठिकानों के खिलाफ प्रभावकारी माना जाता है।

भारत का जीआई-टैग कृषि-उत्पाद अंजीर

कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority- APEDA) ने GI-टैग पुरंदर अंजीर से बने भारत के रेडी-टू-ड्रिंक अंजीर जूस का पोलैंड को पहला निर्यात किया है।

पुरंदर अंजीर 

  • पुरंदर अंजीर अपने अद्वितीय स्वाद एवं बनावट के लिए प्रसिद्ध है। 
  • इसमें गूदे (Pulp Content) की मात्रा अधिक है एवं यह विटामिन और खनिजों का समृद्ध स्रोत है। इसके अलावा, इसका स्वाद बहुत ही मीठा होता है और इसका रंग भी आकर्षक बैंगनी होता है।
  • कारण: इस विशेषता का श्रेय क्षेत्र में पाई जाने वाली जलवायु संबंधी कारकों, लाल-काली मिट्टी एवं लवण रहित कुँआ सिंचाई तकनीक को दिया जाता है।

आरोग्य मैत्री आपदा प्रबंधन क्यूब 

हाल ही में भारतीय वायु सेना (Indian Air Force- IAF) ने आगरा में अपने ‘आरोग्य मैत्री आपदा प्रबंधन क्यूब’ को एयरड्रॉप करने का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।

‘आरोग्य मैत्री आपदा प्रबंधन क्यूब’ 

  • यह क्यूब ‘प्रोजेक्ट BHISHM’ (Bharat Health Initiative for Sahyog, Hita and Maitri) नामक व्यापक पहल का एक भाग है। 
  • यह लगभग 200 घायलों के उपचार के लिए तैयार किया गया है तथा इसमें त्वरित प्रतिक्रिया और व्यापक देखभाल पर जोर दिया गया है।
  • विशेषताएँ: एड-क्यूब (Aid Cube) कई नवीन उपकरणों से सुसज्जित है, जो आपात स्थितियों के दौरान आपदा प्रतिक्रिया और चिकित्सा सहायता बढ़ाने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
    • उन्नत प्रौद्योगिकी: यह क्षेत्र में चिकित्सा सेवाओं के प्रभावी समन्वय, वास्तविक समय की निगरानी एवं कुशल प्रबंधन की सुविधा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence – AI) तथा डेटा एनालिटिक्स को एकीकृत करता है।
    • आपातकाल में उपयोगी: ये क्यूब्स मजबूत, जलरोधक एवं हल्के हैं, जो विभिन्न कॉन्फिगरेशन के लिए डिजाइन किए गए हैं, जो उन्हें विभिन्न आपातकालीन परिदृश्यों के लिए आदर्श बनाते हैं। 
    • तीव्र तैनाती: एयरड्रॉप से ​​लेकर जमीनी परिवहन तक, क्यूब को तेजी से कहीं भी तैनात किया जा सकता है, जिससे तत्काल प्रतिक्रिया क्षमता सुनिश्चित होती है।
      • एड-क्यूब (Aid Cube)  12 मिनट के भीतर तैनात होने की अपनी क्षमता के कारण सबसे अलग है।
  • उन्नत चिकित्सा उपकरण: कुशल रिपैकेजिंग एवं पुनः तैनाती के लिए RFID-टैग किया गया।
  • उपलब्ध कराए गए टैबलेट में एकीकृत अत्याधुनिक BHISHM सॉफ्टवेयर प्रणाली ऑपरेटरों को वस्तुओं का शीघ्र पता लगाने, उनके उपयोग और समाप्ति की निगरानी करने तथा आगामी तैनाती के लिए तैयारी सुनिश्चित करने में सक्षम बनाती है।

जलस्तंभ/वाटरस्पॉट

 (Waterspouts)

हाल ही में इटली के सिसिली तट पर एक भयंकर तूफान की चपेट में आकर एक नौका डूब गई, विशेषज्ञों का सुझाव है, कि यह तूफान ‘जल स्तंभ’ (Waterspouts) हो सकता है, जो मूल रूप से जल के ऊपर एक टाॅरनैडो होता है।

‘जल स्तंभ’ (Waterspouts)

  • जल स्तंभ किसी जल निकाय के ऊपर घूमने वाली हवा और धुंध का एक बड़ा स्तंभ है।
  •  यह टोरनाडो के समान आम तौर पर लगभग 5 मिनट से 10 मिनट  तक रहता है।
  • औसत जल स्तंभ लगभग 165 फीट (50 मीटर) व्यास का हो सकता है, जिसमें वायु की गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। 
    • दूसरी ओर, सबसे बड़े टोरनाडो पथ की चौड़ाई एक मील से अधिक हो सकती है। टोरनाडो का सामान्य व्यास 50 से 1,000 मीटर (औसत ~ 100 मीटर) के मध्य होता है।
  • गठन का कारण: यद्यपि जल स्तंभ उष्णकटिबंधीय जल में अधिक आम हैं, वे कहीं भी दिखाई दे सकते हैं। 
    • ये तब घटित  होते हैं, जब आर्द्रता का स्तर अधिक होता है और ऊपरी वायु की तुलना में जल का तापमान अपेक्षाकृत गर्म होता है।
  • जलस्तंभ  के प्रकार: जलस्तंभ दो प्रकार के होते हैं: टोरनाडो वाटरस्पॉट/जलस्तंभ (Tornadic waterspouts) एवं   फेयर-वेदर वाटरस्पॉट/जलस्तंभ (Fair-weather waterspouts)
    • टोरनाडो वाटरस्पॉट/जलस्तंभ (Tornadic Waterspouts): वे वास्तविक टोरनाडो हैं, जो जल के ऊपर बनते हैं या सतह से जल की ओर बढ़ते हैं। 
      • यह अक्सर तेज हवाओं, ओले तथा लगातार बिजली गिरने जैसी घटनाओ के साथ घटित होती हैं।
    •  फेयर-वेदर वाटरस्पॉट/जलस्तंभ (Fair-weather Waterspouts): यह जलस्तंभ  बहुत अधिक सामान्य हैं, केवल जल के ऊपर निर्मित होते हैं। 
      • यह जलस्तंभ अच्छे मौसम के दौरान बनते हैं। जो कम खतरनाक होते हैं एवं आमतौर पर छोटे होते हैं।
  • आवृत्ति में वृद्धि: जैसे-जैसे समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, जलस्तंभ की आवृत्ति बढ़ रही है।
    • वर्तमान में, सिसिली के क्षेत्र में समुद्र की सतह वर्ष 1990-2020 के औसत से लगभग 2.5 से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है।

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