ग्लोबल प्लास्टिक एक्शन पार्टनरशिप (GPAP) में 7 नए सदस्य
विश्व आर्थिक मंच की पहल, ग्लोबल प्लास्टिक एक्शन पार्टनरशिप (GPAP), ने साझेदारी में सात नए देशों- अंगोला, बांग्लादेश, गैबॉन, ग्वाटेमाला, केन्या, सेनेगल एवं तंजानिया को शामिल किया है।
ग्लोबल प्लास्टिक एक्शन पार्टनरशिप (GPAP)
GPAP प्लास्टिक प्रदूषण पर प्रतिबद्धताओं को वास्तविक कार्रवाई में बदलने के लिए विश्व आर्थिक मंच का एक प्लेटफॉर्म है।
लॉन्च: सितंबर 2018 में सतत् विकास प्रभाव शिखर सम्मेलन में आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया।
लक्ष्य: बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण संकट से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों में तीव्रता लाना।
सहयोग: राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर कार्य करने के लिए सरकारों, व्यवसायों तथा नागरिक समाज को एक साथ लाता है।
GPAP एक चक्रीय प्लास्टिक अर्थव्यवस्था के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है, जहाँ प्लास्टिक का पुन: उपयोग, पुनर्चक्रण एवं अधिक सतत् रूप से प्रबंधन किया जाता है।
यह पहल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने में भी योगदान देती है।
चूँकि प्लास्टिक उत्पादन एवं अपशिष्ट प्रबंधन वैश्विक उत्सर्जन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें लैंडफिल से शक्तिशाली मेथेन गैसें भी शामिल हैं।
GPAP के विस्तार का महत्त्व
वैश्विक प्रभाव: साझेदारी की वृद्धि प्लास्टिक प्रदूषण के विरुद्ध संघर्ष को मजबूत करती है।
स्थिरता एवं विकास: एक चक्रीय अर्थव्यवस्था, समान विकास एवं पर्यावरणीय लचीलेपन को प्रोत्साहित करता है।
यूरोड्रोन
भारत एक पर्यवेक्षक राज्य के रूप में मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (MALE RPAS) में शामिल हो गया है, जिसे सामान्यत: ‘यूरोड्रोन कार्यक्रम’ के रूप में जाना जाता है।
यूरोड्रोन कार्यक्रम
यूरोड्रोन एक ‘रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम’ (RPAS) है।
यह चार देशों की पहल है, जिसमें जर्मनी, फ्राँस, इटली एवं स्पेन शामिल हैं।
“यूरोपीय संप्रभुता के लिए यूरोपीय कार्यक्रम” के रूप में इसकी कल्पना की गई है।
इस पहल की स्थापना वर्ष 2022 में की गई थी एवं वर्ष 2024 में इसकी प्रारंभिक डिजाइन समीक्षा (PDR) पारित हुई।
प्रबंधन: संयुक्त आयुध सहयोग संगठन (OCCAR)
उद्देश्य
मिशन क्षमताएँ: लंबे समय तक चलने वाले मिशनों के लिए डिजाइन किया गया, जिनमें शामिल हैं:
खुफिया, निगरानी, लक्ष्य प्राप्ति, एवं टोही (Intelligence, Surveillance, Target Acquisition, and Reconnaissance- ISTAR)
समुद्री निगरानी
पनडुब्बी रोधी युद्ध
हवाई पूर्व चेतावनी
विशेषताएँ
डेटा सुरक्षा: उपयोगकर्ताओं के लिए विशिष्ट एवं सुरक्षित डेटा प्रबंधन सुनिश्चित करता है।
भारत की भागीदारी का रणनीतिक महत्त्व
यूरोप के साथ रक्षा सहयोग: यूरोप के साथ भारत के रक्षा संबंधों को मजबूत करता है।
पूरक परियोजनाएँ
भारत में C-295 विमान का उत्पादन (टाटा एवं एयरबस द्वारा)।
नौसैनिक उपयोग के लिए राफेल M लड़ाकू विमान।
स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के लिए अपेक्षित अनुबंध।
साझा रक्षा लक्ष्य: रीपर एवं हेरॉन जैसे अमेरिकी तथा इजरायली ड्रोनों पर निर्भरता कम करने के लिए यूरोप की सामूहिक रणनीति के अनुरूप।
कवचम (KaWaCHaM)
हाल ही में केरल के मुख्यमंत्री ने कवचम (KaWaCHaM) लॉन्च किया है, जो विश्व की सबसे तीव्र मौसम चेतावनी प्रणालियों में से एक है।
कवचम (KaWaCHaM)को जलवायु परिवर्तन से प्रेरित चरम मौसम की घटनाओं के दौरान बचाव एवं पुनर्वास प्रयासों को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है।
कवचम (KaWaCHaM)
कवचम (KaWaCHaM)का अर्थ केरल चेतावनी संकट एवं खतरा प्रबंधन प्रणाली है।
कवचम एक उन्नत आपदा चेतावनी प्रणाली है, जो राज्य की प्रारंभिक आपदा तैयारियों एवं सार्वजनिक सुरक्षा में सुधार के लिए अलर्ट, सायरन तथा वैश्विक मौसम मॉडल को एकीकृत करती है।
विकास: केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA)
डेटा स्रोत: कवचम विभिन्न स्रोतों से डेटा एकत्र करता है, जैसे-
मौसम नेटवर्क जैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग, INCOIS एवं CWC, निजी तथा सार्वजनिक एजेंसियाँ, सोशल मीडिया नेटवर्क एवं इंटरनेट।
वित्तपोषण: इस पहल को राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना के हिस्से के रूप में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित किया गया था।
नेतृत्व: कवचम का नेतृत्व राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र करेगा एवं यह तालुका (उपजिला) स्तर पर कार्य करेगा तथा सभी संवेदनशील क्षेत्रों को कवर करेगा।
प्रमुख विशेषताएँ
एकल ढाँचा: केरल सभी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों को एक ढाँचे में एकीकृत करेगा जो ज्ञान का प्रसार करता है, चेतावनियाँ जारी करता है, विकासशील संकटों की निगरानी करता है एवं प्रतिक्रियाएँ सुनिश्चित करता है।
भूमिकाएँ: खतरे का आकलन, चेतावनी जारी करना, एवं खतरे के स्तर के अनुसार कार्य योजना बनाना।
कवरेज: चेतावनियाँ समुद्री हमलों, भारी वर्षा, तेज हवाओं एवं अत्यधिक गर्मी को कवर करेंगी।
कलर कोडित सायरन: परियोजना का लक्ष्य पूरे केरल में 126 सायरन एवं स्ट्रोब लाइटें स्थापित करना है। प्रत्येक सायरन में तीन रंग होते हैं अर्थात् स्ट्रोब लाइट में लाल, पीला तथा नारंगी रंग एवं आठ लाउडस्पीकरों से सुसज्जित है।
ये सायरन 1,200 मीटर दूर तक चेतावनी प्रसारित कर सकते हैं एवं आपातकालीन शिविरों तथा सुरक्षा सावधानियों के बारे में आवश्यक जानकारी प्रदान कर सकते हैं।
सिस्टम में विभिन्न चेतावनियाँ प्रदान करने के लिए पहले से रिकॉर्ड किए गए ध्वनि संदेश एवं ऑडियो अलर्ट शामिल होंगे।
गुइलेन-बैरी सिंड्रोम
पुणे शहर में गुइलेन-बैरी सिंड्रोम (GBS) का प्रकोप देखा गया है, जो एक दुर्लभ तंत्रिका संबंधी विकार है एवं 59 लोगों में इसका निदान किया गया है।
गुइलेन-बैरी सिंड्रोम (GBS)
यह एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं पर हमला करती है, जिसके परिणामस्वरूप कमजोरी, सुन्नता या यहाँ तक कि पक्षाघात भी हो सकता है।
यह परिधीय तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है, जो मांसपेशियों की गति, दर्द संकेतों एवं तापमान तथा स्पर्श संवेदनाओं को नियंत्रित करती हैं।
लक्षित व्यक्ति: यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन यह आमतौर पर 30 से 50 वर्ष के लोगों को प्रभावित करती है।
लक्षण: इसकी शुरुआत श्वसन संबंधी बीमारी या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण जैसे संक्रमण से हो सकती है, इसके बाद चेहरे में कमजोरी एवं फिर शरीर में कमजोरी हो सकती है।
कारण
डायरिया या श्वसन संक्रमण: कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया से संक्रमण, जो डायरिया का कारण बनता है, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के सबसे आम ट्रिगर में से एक है।
वायरल संक्रमण: GBS वाले कुछ लोगों को फ्लू या साइटोमेगालोवायरस, एपस्टीन-बार वायरस, जीका वायरस या अन्य वायरस से संक्रमण हुआ है।
टीका: GBS टीकाकरण के बाद भी हो सकता है, हालाँकि यह दुर्लभ है।
सर्जरी: बहुत कम ही, किसी सर्जरी के बाद भी GBS विकसित हो सकता है।
निदान: स्थिति का निदान शारीरिक परीक्षण करके किया जाता है। सिग्नल भेजने की तंत्रिका की क्षमता को मापने के लिए तंत्रिका चालन वेग परीक्षण (Nerve conduction velocity)।
उपचार: गुइलेन-बैरी सिंड्रोम का कोई ज्ञात इलाज नहीं है लेकिन कुछ उपचार विकल्पों में शामिल हैं,
प्लाज्मा एक्सचेंज (प्लाज्माफेरेसिस): प्लाज्मा एक्सचेंज, आपके प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी को फिल्टर करता है।
अंतःशिरा इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी (IVIG): इसमें हमलावर जीवों पर हमला करने के लिए इम्युनोग्लोबुलिन के ‘अंतःशिरा (IV) इंजेक्शन’ शामिल हैं।
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