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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal January 31, 2025 04:12 133 0

क्षुद्रग्रह बेन्नु से एकत्रित  किए गए नमूने

(Samples from Asteroid Bennu)

हाल ही में NASA द्वारा क्षुद्रग्रह बेन्नु से प्राप्त चट्टान एवं धूल के नमूनों के विश्लेषण दो अलग-अलग पत्रिकाओं में प्रकाशित किए गए थे।

विश्लेषण से प्राप्त मुख्य निष्कर्ष

  • पहला विश्लेषण: यह नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित हुआ था,
    • अध्ययन में पाया गया कि नमूनों में कार्बनिक यौगिकों का विविध मिश्रण था। 
  • दूसरा विश्लेषण: यह नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ था,
    • अध्ययन में यह पाया गया कि नमूनों में खनिज शामिल थे, जो बेन्नू क्षुद्रग्रह के मूल भाग पर लवणीय जल के वाष्पित होने पर निर्मित हुए थे।
      • यह उस प्रकार का आर्द्र वातावरण है, जहाँ प्रीबायोटिक कार्बनिक रसायन का निर्माण हुआ होगा।
  • अमीनो एसिड की उपस्थिति: नमूनों में अमीनो एसिड (प्रोटीन बनाने के लिए प्रयुक्त) नामक 20 कार्बनिक यौगिकों में से 14 पाए गए।
    • प्रोटीन जटिल अणु होते हैं, जो जीवित जीवों की संरचना, कार्य एवं नियमन में अपरिहार्य भूमिका निभाते हैं। 
  • आनुवंशिक घटकों की उपस्थिति: नमूनों में सभी पाँच न्यूक्लियोबेस (पृथ्वी पर सभी जीवों के DNA एवं RNA के आनुवंशिक घटक) भी पाए गए।
  • महत्त्व
    • यह जीवन के उद्भव के सिद्धांत का समर्थन करता है: बेन्नू नमूनों का विश्लेषण इस सिद्धांत का समर्थन करता है कि क्षुद्रग्रहों और उनके टुकड़ों ने पृथ्वी के प्रारंभिक जीवन के उद्भव के लिए आवश्यक अवयवों को उत्पन्न किया।
    • बाह्यग्रहीय जीवन: चूँकि जीवन के रासायनिक निर्माण खंड अंतरिक्ष में निर्मित हो सकते हैं तथा पूरे सौरमंडल में विस्तृत हैं, इसलिए बाह्यग्रहीय जीवन की संभावना वास्तविक है।

क्षुद्रग्रह बेन्नू 

  • बेन्नू एक छोटा कार्बन समृद्ध क्षुद्रग्रह है, जो लगभग प्रत्येक छह वर्ष में पृथ्वी के करीब से गुजरता है। 
    • उत्पत्ति: क्षुद्रग्रह बेन्नू अपने बड़े बर्फीले मूल पिंड का एक भाग है, जो बाह्य सौरमंडल में निर्मित हुआ होगा एवं बाद में संभवतः 1-2 अरब वर्ष पहले नष्ट हो गया था।
  • NASA मिशन OSIRIS-REx: क्षुद्रग्रह बेन्नू नासा के पहले क्षुद्रग्रह आधारित मिशन से संबंधित था, OSIRIS-REx को वर्ष 2020 में लॉन्च किया गया था।
  • नमूने वर्ष 2023 में OSIRIS-REx द्वारा छोड़े गए एक कैप्सूल के अंदर पैराशूट द्वारा पृथ्वी पर पहुँचाए गए थे।

नियमित नमक के स्थान पर कम सोडियम युक्त नमक: WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें नियमित नमक के स्थान पर कम सोडियम युक्त नमक के विकल्प का उपयोग करने की सिफारिश की गई है, जिसमें पोटेशियम होता है। 

WHO की प्रमुख सिफारिशें

  • प्राथमिक सलाह: नियमित टेबल साल्ट को कम-सोडियम नमक के विकल्प (पोटेशियम क्लोराइड, KCl युक्त) से बदलना।
  • लक्ष्य: गैर-संचारी रोगों (NCDs) से निपटने के लिए वैश्विक सोडियम सेवन को प्रतिदिन 2 ग्राम से कम करना।

नमक कम करना क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • नमक मानव शरीर क्रिया विज्ञान को प्रभावित करता है क्योंकि सोडियम एवं जल शरीर में एक साथ संचालित होते हैं।
  • अधिक नमक के सेवन से जल प्रतिधारण होता है, रक्त की मात्रा बढ़ती है एवं रक्तचाप बढ़ता है।
  • नमक कम करने से रक्तचाप कम होता है, हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है एवं स्ट्रोक से बचा जा सकता है।

अधिक नमक के सेवन के खतरे 

  • नमक के अधिक सेवन से प्रत्येक वर्ष विश्व भर में 1.9 मिलियन मौतें होती हैं।
  • अतिरिक्त सोडियम हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी एवं यहाँ तक ​​कि गैस्ट्रिक कैंसर का कारण बन सकता है।
  • सोडियम कम करने से रक्तचाप कम करने में मदद मिलती है, जिससे प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम कम हो जाता है।

पॉलिसाइक्ल की रासायनिक पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकी

हाल ही में प्लास्टिक कचरे की समस्या के समाधान के लिए एक स्वदेशी पेटेंट रासायनिक रीसाइक्लिंग तकनीक लॉन्च की गई है।

  • यह तकनीक चंडीगढ़ स्थित स्टार्टअप पॉलिसाइक्ल द्वारा लॉन्च की गई है। 

प्रौद्योगिकी के बारे में

  • यह एक स्वदेशी पेटेंट नवाचार है, जो एकल-उपयोग एवं ‘हार्ड-टू-रीसाइक्लिंग प्लास्टिक’ को खाद्य-ग्रेड पॉलिमर, नवीकरणीय रसायनों तथा सतत् ईंधन में परिवर्तित करने में सक्षम बनाता है।
  • पॉलिसाइक्ल की तकनीक: यह तकनीक ‘कॉन्टिफ्लो क्रैकर’ (एक थर्मो-केमिकल पायरोलिसिस प्रक्रिया) को PyOilClean रिफाइनिंग तकनीक के साथ मिलाकर एक ‘क्लोज्ड-लूप रीसाइक्लिंग’ समाधान प्रदान करती है।
  • प्रक्रिया
    • अपशिष्ट प्लास्टिक को तरलीकृत हाइड्रोकार्बन तेल में विघटित कर दिया जाता है, जिसे दूषित पदार्थों को हटाने के लिए और अधिक शुद्ध किया जाता है।
    • पुनर्चक्रण: परिणामी रासायनिक फीडस्टॉक्स का उपयोग पेट्रोकेमिकल और हाइड्रोकार्बन उद्योगों द्वारा वृत्ताकार पॉलिमर सहित नई निम्न-कार्बन सामग्री के उत्पादन के लिए किया जा सकता है।
  • महत्त्व: प्रौद्योगिकी गुणवत्ता में किसी भी नुकसान के बिना लगातार रीसाइक्लिंग द्वारा पुनर्चक्रीकरण की अनुमति देती है एवं आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक, जैसे पॉलिओलेफिन पैकेजिंग, को लैंडफिल या भस्मक में समाप्त होने से रोकती है।
    • भारत में वार्षिक रूप से 10.2 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें 40 प्रतिशत से अधिक एकल-उपयोग प्लास्टिक जैसे किराना बैग एवं लचीली पैकेजिंग होता है।
  • विशेषताएँ
    • स्केलेबिलिटी: मॉड्यूलर प्रसंस्करण लाइनें प्रतिदिन 15 से 100 टन प्लास्टिक अपशिष्ट का प्रबंधन करने में सक्षम हैं।
    • व्यावसायिक रूप से आकर्षक: प्रौद्योगिकी 50 प्रतिशत से अधिक EBITDA (परिचालन लाभ) प्रदान करती है।
    • भारत के EPR लक्ष्यों का समर्थन: यह उच्च गुणवत्ता वाले पुनर्नवीनीकृत पॉलिमर का उत्पादन करता है, जो खाद्य-संपर्क और दवा पैकेजिंग के लिए आवश्यक उच्च मानकों को पूरा करते हैं।
      • विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility) लक्ष्य: इसमें वर्ष 2025-26 तक 10 प्रतिशत लचीली पैकेजिंग एवं 30 प्रतिशत कठोर प्लास्टिक पैकेजिंग में पुनर्नवीनीकरण सामग्री शामिल होनी चाहिए।
    • रूपांतरण दर: प्रौद्योगिकी में कई वैश्विक पेट्रोकेमिकल कंपनियों द्वारा मान्य 65-75 प्रतिशत प्लास्टिक अपशिष्ट रूपांतरण दर है।

आकाशीय विद्युत, वनाग्नि एवं सूखे जैसी आपदाओं से निपटने के लिए परियोजनाओं को मंजूरी

केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने आकाशीय विद्युत् एवं सूखे जैसी आपदाओं को कम करने के लिए ₹3,027.86 करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। 

स्वीकृत परियोजनाएँ

  • सूखे के लिए उत्प्रेरक सहायता के लिए परियोजनाएँ: समिति ने 12 सर्वाधिक सूखाग्रस्त राज्यों के 49 जिलों को ₹2,022.16 करोड़ के कुल परिव्यय पर उत्प्रेरक सहायता को मंजूरी दी है।
    • आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना एवं उत्तर प्रदेश।
  • आकाशीय बिजली सुरक्षा पर शमन परियोजना: ₹186.78 करोड़ के कुल परिव्यय पर 10 राज्यों में बिजली की घटनाओ को कम करने एवं सुरक्षा के लिए परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
    • आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, ओडिशा, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल।
  • वनाग्नि जोखिम प्रबंधन योजना: इसे 19 राज्यों के 144 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में ₹818.92 करोड़ के कुल परिव्यय पर कार्यान्वयन के लिए अनुमोदित किया गया था।
    • आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, महाराष्ट्र, मिजोरम, मध्य प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना एवं उत्तराखंड। 
    • उद्देश्य: वनाग्नि प्रबंधन दृष्टिकोण को बदलने के लिए एक शमन परियोजना को लागू करना एवं महत्त्वपूर्ण वनाग्नि की रोकथाम एवं शमन गतिविधियों का समर्थन करना।
  • सभी परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण (केंद्र सरकार का हिस्सा) राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) से प्रदान किया जाएगा।

बहुभाषी शासन के लिए भाषिणी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

त्रिपुरा सरकार ने भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के डिजिटल इंडिया भाषिणी डिवीजन (DIBD) के साथ एक समझौता ज्ञापन समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।

नए MoU के बारे में

  • MoU पर हस्ताक्षर समारोह राज्य स्तरीय कार्यशाला- ‘भाषिणी राज्यम’ के दौरान अगरतला के प्रज्ञा भवन में आयोजित किया गया था। 
  • MoU का उद्देश्य
    • क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देना: शासन एवं डिजिटल प्लेटफॉर्मों में त्रिपुरा की मूल भाषाओं (जैसे, कोकबोरोक) के प्रयोग को बढ़ावा देना।
    • डिजिटल विभाजन को कम करना: नागरिकों, विशेषकर ग्रामीण/आदिवासी आबादी को उनकी स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सेवाओं तक पहुँचने में सक्षम बनाना।

भाषिणी पहल 

  • यह भारत का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित भाषा अनुवाद प्लेटफॉर्म है।
  • लॉन्च: अगस्त 2022 गांधीनगर, गुजरात में।
  • नाम का अर्थ: “भाषिणी” का अर्थ “भारत के लिए भाषा इंटरफेस” है, जो भारत की भाषायी विविधता पर इसके फोकस को दर्शाता है।
  • प्रबंधन: डिजिटल इंडिया भाषिणी डिवीजन (DIBD), डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (DIC) के तहत एक स्वतंत्र बिजनेस डिवीजन।
  • विकास: इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY), भारत सरकार।
  • प्राथमिक लक्ष्य: भाषा संबंधी बाधाओं को कम करने एवं समावेशी संचार को बढ़ावा देने के लिए 22 भारतीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री का निर्बाध अनुवाद सक्षम करना।
  • प्रमुख विशेषताएँ
    • भारतीय भाषाओं एवं अंग्रेजी के बीच रियल टाइम में अनुवाद।
    • AI एवं NLP उपकरण: स्पीच-टू-टेक्स्ट, टेक्स्ट-टू-स्पीच, वॉयस-टू-वॉइस अनुवाद।
    • साक्षरता चुनौतियों से निपटने के लिए ध्वनि आधारित समाधानों पर ध्यान केंद्रित करना।

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