हाल ही में 7.0 तीव्रता के भूकंप के बाद रूस में शिवेलुच ज्वालामुखी में विस्फोट हो गया।
शिवेलुच ज्वालामुखी (Shiveluch Volcano)
अवस्थिति: शिवेलुच रूस के कमचटका क्षेत्र में अवस्थिति है।
प्रकार: यह एक स्ट्रैटोवोल्कानो है, जिसकी विशेषता इसकी खड़ी ढलान है, जो ठोस राख, लावा और ज्वालामुखीय चट्टानों के संचय से बनी है।
भौगोलिक स्थिति: यह रूस के कमचटका क्राय (Kamchatka Krai) में सबसे उत्तरी सक्रिय ज्वालामुखी है।
ज्वालामुखीय गतिविधि: शिवेलुच, कमचटका में सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है, जिसमें होलोसीन युग के दौरान कम-से-कम 60 बड़े विस्फोट दर्ज किए गए थे।
इसका वर्तमान विस्फोटक चरण लगभग 900 ईसा पूर्व शुरू हुआ और इसमें अभी भी लगातार मध्यम विस्फोट हो रहे हैं।
प्रभाव: शिवेलुच के विस्फोटों से अक्सर ज्वालामुखीय राख निकलती है, जो हवाई यातायात को बाधित कर सकती है, विशेष रूप से एशिया और उत्तरी अमेरिका के बीच उड़ान मार्गों पर।
कमचटका प्रायद्वीप
अवस्थिति: कमचटका प्रायद्वीप रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में स्थित है, जो पश्चिम में ओखोटस्क सागर एवं पूर्व में प्रशांत महासागर से घिरा है।
ज्वालामुखीय गतिविधि: यहाँ 160 से अधिक ज्वालामुखी हैं, जिनमें से 29 वर्तमान में सक्रिय हैं। उल्लेखनीय ज्वालामुखी में सबसे ऊँचा क्लुचेव्स्काया सोपका (Klyuchevskaya Sopka) और अपने प्रतिष्ठित शंकु आकार के लिए जाना जाने वाला क्रोनोट्स्की (Kronotsky) शामिल हैं।
गीजर घाटी: इस प्रायद्वीप में गीजर घाटी भी स्थित है, जो विश्व के सबसे बड़े भू-तापीय क्षेत्रों में से एक है, और यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।
जैव विविधता: कमचटका जैव विविधता से समृद्ध है, जिसके उत्तर में शंकुधारी वन एवं टुंड्रा वन पाए जाते हैं।
यह अपनी विशाल भूरे भालू (Brown Bear) की आबादी के लिए प्रसिद्ध है, एवं सील, समुद्री शेर तथा व्हेल जैसी समुद्री प्रजातियों का भी आवास है।
ग्लोबल फाइनेंस सेंट्रल बैंकर रिपोर्ट कार्ड
(Global Finance Central Banker Report Cards)
ग्लोबल फाइनेंस मैगजीन द्वारा जारी वर्ष 2024 की ‘ग्लोबल फाइनेंस सेंट्रल बैंकर रिपोर्ट कार्ड’ में RBI गवर्नर शक्तिकांत दास को लगातार दूसरे वर्ष ‘A+’ रेटिंग से सम्मानित किया गया है।
ग्लोबल फाइनेंस सेंट्रल बैंकर रिपोर्ट
वार्षिक प्रकाशन:ग्लोबल फाइनेंस सेंट्रल बैंकर रिपोर्ट कार्ड वर्ष 1994 से प्रत्येक वर्ष प्रकाशित किया जाता है, जो विश्व भर में केंद्रीय बैंक गवर्नरों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।
कवरेज: रिपोर्ट लगभग 100 देशों, क्षेत्रों एवं जिलों के केंद्रीय बैंक गवर्नरों को ग्रेड देती है, साथ ही यूरोपीय संघ, पूर्वी कैरेबियाई सेंट्रल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ़ अफ़्रीकी स्टेट तथा सेंट्रल बैंक ऑफ़ पश्चिमी अफ्रीकी स्टेट के गवर्नरों को भी ग्रेड देती है।
ग्रेडिंग मापदंड
मुद्रास्फीति नियंत्रण, आर्थिक विकास, मुद्रा स्थिरता एवं ब्याज दर प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में प्रदर्शन का आकलन करते हुए रेटिंग ‘A+’ से ‘F’ के पैमाने पर दी जाती है।
‘A’ उत्कृष्ट प्रदर्शन को दर्शाता है, जबकि ‘F’ विफलता को दर्शाता है।
उद्देश्य: रिपोर्ट उन केंद्रीय बैंक प्रमुखों का सम्मान करती है, जो अपने वैश्विक समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए नवीन, रचनात्मक एवं दृढ़ रणनीतियों के माध्यम से अपनी भूमिकाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं।
शक्तिकांत दास के अतिरिक्त, डेनमार्क के क्रिश्चियन केटेल थॉमसन एवं स्विट्जरलैंड के थॉमस जॉर्डन को भी वर्ष 2024 की रिपोर्ट में ‘A+’ रेटिंग प्राप्त हुई है।
शीर्ष स्थान: डेनमार्क के क्रिश्चियन केटल थॉमसन पहले स्थान पर, शक्तिकांत दास दूसरे स्थान पर एवं स्विट्जरलैंड के थॉमस जॉर्डन तीसरे स्थान पर रहे।
क्वांटम नॉनलोकलिटी
(Quantum Nonlocality)
भारतीय वैज्ञानिकों सहित वैज्ञानिकों के एक समूह ने प्रदर्शित किया है कि नॉनलोकलिटी क्वांटम सहसंबंधों को मापने एवं मात्रा निर्धारित करने के लिए एक सार्वभौमिक मानक संभव नहीं है।
क्वांटम नॉनलोकलिटी
क्वांटम नॉनलोकलिटी: यह एक ऐसी घटना है, जहाँ अव्यवस्थित कण सहसंबंध प्रदर्शित करते हैं, जिन्हें पारंपरिक भौतिकी द्वारा समझाया नहीं जा सकता है।
ये सहसंबंध तुरंत घटित होते हैं, जो पारंपरिक अवधारणा को खारिज करते हैं कि प्रकाश की गति से अधिक तेज गति वाली किसी भी वस्तु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता।
पृष्ठभूमि
वर्ष 1964 में, भौतिक विज्ञानी जॉन स्टीवर्ट बेल ने बेल प्रमेय (Bell Theorem) को प्रस्तुत किया, जिससे पता चला कि स्थानीय यथार्थवाद क्वांटम स्तर पर लागू नहीं होता है।
प्रयोगों ने बेल प्रमेय की पुष्टि की, क्वांटम सिस्टम की नॉनलोकलिटी प्रकृति की स्थापना की एवं उन्हें वर्ष 2022 का भौतिकी नोबेल पुरस्कार दिलाया।
क्वांटम नॉनलोकलिटी के अनुप्रयोग
यह सुरक्षित संचार, यादृच्छिक संख्या निर्माण एवं क्रिप्टोग्राफिक कुंजी निर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण है।
प्राकृतिक विज्ञान में इसकी सार्वभौमिक अपील है एवं यह उपकरण-स्वतंत्र प्रौद्योगिकियों में हाल की प्रगति को प्रभावित करना जारी रखता है।
नॉनलोकलिटी के मापन में चुनौती
वैज्ञानिक विभिन्न प्रणालियों में क्वांटम नॉनलोकलिटी सहसंबंधों का मापन एवं तुलना करने के लिए एक सार्वभौमिक मानक की तलाश कर रहे हैं।
एक हालिया अध्ययन के अनुसार, नॉनलोकलिटी सहसंबंधों की विविध प्रकृति के कारण ऐसा सार्वभौमिक मानक असंभव है।
हाल के शोध निष्कर्षों में कहा गया है कि प्रत्येक नॉनलोकलिटी संसाधन अद्वितीय है, विशिष्ट क्षमताओं के साथ जिन्हें दूसरों द्वारा दोहराया नहीं जा सकता है।
निहितार्थ: यह खोज एक संसाधन के रूप में क्वांटम नॉनलोकलिटी की जटिलता एवं विविधता पर प्रकाश डालती है। यह क्वांटम यांत्रिकी की समझ में नए मानक जोड़ता है, प्रत्येक नॉनलोकलिटी सहसंबंध की विशिष्टता पर जोर देता है।
ICGS सुजय (ICGS Sujay)
हाल ही में भारतीय तट रक्षक बल (ICG) के अपतटीय गश्ती जहाज ‘सुजय’ (Sujay) ने पूर्वी एशिया में विदेशी तैनाती के तहत दो दिवसीय यात्रा के लिए इंडोनेशिया के बंदरगाह का दौरा किया।
ICGS ‘सुजय’
यह भारतीय तट रक्षक (ICG) का एक अपतटीय गश्ती जहाज (Offshore Patrol Vessel- OPV) है, जो ओडिशा के पारादीप में तैनात है।
यह तटरक्षक क्षेत्र (उत्तर-पूर्व) के कमांडर की कमान के तहत संचालित होता है एवं इसे अक्सर विभिन्न अभियानों के लिए तैनात किया जाता है।
विशेषताएँ
यह उन्नत नेविगेशनल और संचार प्रणाली, सेंसर एवं मशीनरी से सुसज्जित है।
जहाज को विभिन्न समुद्री क्षेत्रों में विस्तारित तैनाती, निगरानी, खोज एवं बचाव तथा कानून प्रवर्तन जैसे विविध मिशनों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है।
जकार्ता (इंडोनेशिया) में ICGS ‘सुजय’ की तैनाती का महत्त्व
समुद्री सहयोग में वृद्धि: भारत और इंडोनेशिया के बीच समुद्री संबंधों को मजबूत करता है, समुद्री सहयोग बढ़ाने के लिए ICG एवं इंडोनेशिया के बादान केमैनन लौट रिपब्लिक इंडोनेशिया (Badan Keamanan Laut Republik Indonesia- BAKMALA) अर्थात् इंडोनेशिया तट रक्षक के बीच वर्ष 2020 के MoU के तहत प्रतिबद्धताओं को मजबूत करता है।
लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा: पहली बार, दो महिला ICG अधिकारी विदेशी तैनाती का हिस्सा हैं, जो ‘समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षण में महिलाओं’ का प्रतिनिधित्व करती हैं।
प्रमुख समुद्री संचालन पर ध्यान: इस यात्रा में समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया, समुद्री खोज एवं बचाव, तथा समुद्री कानून प्रवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने वाली पेशेवर गतिविधियाँ शामिल हैं, जो वर्तमान समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
पर्यावरण जागरूकता पहल: ICGS सुजय के इस मिशन में शामिल NCC कैडेट भारत की ‘पुनीत सागर अभियान’ पहल में योगदान देते हुए पर्यावरण संरक्षण वॉकथॉन में शामिल होंगे।
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