केंद्र सरकार ने वर्ष 2027 तक कुष्ठ रोग संचरण को रोकने के लिए पॉसी-बैसिलरी (PB) मामलों के संबंध में छह महीने के लिए ‘टू-ड्रग रिजीम’ के स्थान पर थ्री-ड्रग रिजीम की शुरुआत की है।
कुष्ठ रोग
कुष्ठ रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होता है एवं मुख्य रूप से त्वचा तथा परिधीय तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है।
निदान के लिए लक्षण
त्वचा पर पीले या लाल धब्बे, जिनमें संवेदना समाप्त हो जाती है।
नसें मोटी या बड़ी हो गईं, जिससे मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं।
त्वचा के धब्बों में बैक्टीरिया का सूक्ष्मदर्शी द्वारा पता लगाना।
कुष्ठ रोग के प्रकार
पॉसी-बैसिलरी (Paucibacillary-PB): कम बैक्टीरिया, सामान्य रूप।
मल्टीबैसिलरी (Multibacillary-MB): अधिक बैक्टीरिया, गंभीर रूप।
संचरण एवं उपचार
अनुपचारित रोगियों के निकट संपर्क के दौरान नाक एवं मुँह से निकलने वाली बूँदों के माध्यम से फैलता है।
मल्टीड्रग थेरेपी (MDT) से उपचार संभव है।
कुष्ठ रोग के उच्च प्रसार वाले राज्य: बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र एवं ओडिशा।
भारत का वैश्विक कुष्ठ रोग बोझ: विश्व के नए कुष्ठ रोग मामलों में से 52% भारत में हैं।
कुष्ठ रोग उन्मूलन में भारत की प्रगति
भारत ने वर्ष 2005 में सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में कुष्ठ रोग का उन्मूलन लक्ष्य प्राप्त कर लिया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) राष्ट्रीय स्तर पर प्रति 10,000 लोगों पर 1 से कम मामले होने को उन्मूलन के रूप में परिभाषित करता है।
प्रमुख पहल
राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (NSP) एवं रोडमैप (2023-27)
वर्ष 2027 तक (सतत् विकास लक्ष्य पूर्ण होने से तीन वर्ष पूर्व) इसके प्रसार को समाप्त करने के लिए 30 जनवरी, 2023 को लॉन्च किया गया।
मुख्य फोकस क्षेत्र
उपेक्षा एवं भेदभाव को समाप्त करने के लिए जागरूकता बढ़ाना।
मामलों का शीघ्र पता लगाने को बढ़ावा देना।
पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस के माध्यम से संचरण को रोकना।
कुष्ठ रोग मामले की रिपोर्टिंग के लिए एक वेब-आधारित पोर्टल निकुष्ठ 2.0 (Nikusth 2.0) को लागू करना।
राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP) पहल
दिव्यांगता (ग्रेड 2 दिव्यांगता) को रोकने के लिए शीघ्र पता लगाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
कुष्ठ रोगियों का निशुल्क उपचार किया जाता है।
INSV-तारिणी ने ‘पॉइंट निमो’ को पार किया
हाल ही में INSV-तारिणी ने पृथ्वी के सबसे दूरस्थ स्थान पॉइंट निमो को सफलतापूर्वक पार किया।
INSV तारिणी
INSV तारिणी एक्वेरियस शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित 56 फुट का नौकायन जहाज है।
इसका नाम तारा तारिणी मंदिर के नाम पर रखा गया है।
इसे 18 फरवरी, 2017 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
विशेषताएँ
INSV तारिणी में उन्नत विशेषताएँ शामिल हैं जैसे:
उपग्रह संचार प्रणाली।
रेमरीन नेविगेशन सुइट।
आपातकालीन स्टीयरिंग के लिए विंडवेन की निगरानी करना।
INSV तारिणी की अब तक की यात्रा
INSV-तारिणी अपने तीसरे चरण के लिए जनवरी 2025 की शुरुआत में न्यूजीलैंड के लिटलटन पोर्ट से रवाना हुई।
यह अभियान, इसका सबसे लंबा चरण है, जो 5,600 समुद्री मील (10,400 किमी.) को कवर करता है।
इस अभियान को 2 अक्टूबर, 2024 को गोवा से प्रारंभ किया गया था।
पॉइंट निमो के बारे में
पॉइंट निमो दक्षिण प्रशांत महासागर में एक पृथक क्षेत्र है, जो फ्राँस से 34 गुना बड़े क्षेत्र को कवर करता है।
इसे दुर्गमता का महासागरीय ध्रुव भी कहा जाता है।
इसकी सुदूरता एवं कमजोर समुद्री धाराओं के कारण, इसमें बहुत कम पोषक तत्त्व उपस्थित हैं, जिससे समुद्री जीवन का विकसित होना संभव नही है।
इस क्षेत्र में बड़ी एवं अधिक विकसित समुद्री प्रजातियाँ लगभग अनुपस्थित हैं।
पॉइंट निमो समुद्र में सबसे दुर्गम स्थल है, जो किसी भी स्थलीय भू-भाग से सबसे दूरस्थ स्थित है।
अंतरिक्ष एजेंसियाँ पॉइंट निमो को ‘स्पेसक्राफ्ट सिमेट्री’ (Spacecraft Cemetery) के रूप में उपयोग करती हैं, जहाँ निष्क्रिय उपग्रहों एवं अंतरिक्ष स्टेशनों को सुरक्षित रूप से दुर्घटनाग्रस्त होने के लिए निर्देशित किया जाता है।
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