रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के तट से दूर चाँदीपुर से वेरी शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) के तीन सफल उड़ान परीक्षण किए है।
वेरी शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS)
VSHORADS कम दूरी की, हल्की और सतह-से-हवा में मार करने वाली ‘पोर्टेबल मिसाइल’ है।
इसे स्पेसक्राफ्ट या हेलीकॉप्टरों को नष्ट करने के लिए दागा जा सकता है।
विकास: DRDO प्रयोगशालाओं के सहयोग से रिसर्च सेंटर इमारत (Research Centre Imarat- RCI), हैदराबाद द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
रेंज एवं क्षमताएँ: यह एक ड्यूल थ्रस्ट सॉलिड मोटर द्वारा संचालित है और कम दूरी पर एवं ऊँचाई वाले हवाई खतरों को निष्क्रिय करने के लिए उत्तरदायी है।
अधिकतम सीमा 8 किलोमीटर।
4.5 किमी तक की ऊँचाई पर स्थित लक्ष्य पर हमला कर सकती है।
सामरिक महत्त्व: पोर्टेबिलिटी एवं तीव्र तैनाती क्षमताएँ इसे भारत की वायु रक्षा को मजबूत करने के लिए एक महत्त्वपूर्ण हथियार प्रणाली का निर्माण करती हैं।
इसका उपयोग भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं यानी थल सेना, नौसेना एवं वायु सेना द्वारा किया जा सकता है।
प्रमुख प्रौद्योगिकी एकीकरण
रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम (RCS): उड़ान के दौरान मिसाइलों, अंतरिक्ष यान एवं उच्च गति वाली वस्तुओं के संचलन एवं स्थिरीकरण करने के लिए उपयोग की जाने वाली एक छोटी लेकिन शक्तिशाली तकनीक है।
इसमें छोटेथ्रस्टर्स या जेट नोजल होते हैं, जो वायु में ही मिसाइल की गति को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
एकीकृत एवियोनिक्स: सटीक लक्ष्यीकरण एवं बेहतर प्रदर्शन के लिए उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स को शामिल किया गया है।
भारतीय भाषा पुस्तक योजना
हाल ही में वित्त मंत्री द्वारा केंद्रीय बजट वर्ष 2025-26 में भारतीय भाषा पुस्तक योजना शुरू की गई थी।
भारतीय भाषा पुस्तक योजना के बारे में
यह भाषायी विविधता को बढ़ावा देते हुए शिक्षा में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के सरकार के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
नोडल मंत्रालय: शिक्षा मंत्रालय (भारत सरकार)।
उद्देश्य: कई भारतीय भाषाओं में डिजिटल पाठ्यपुस्तकें एवं अध्ययन सामग्री प्रदान करके सीखने को और अधिक सुलभ बनाना।
यह योजना अस्मिता (ASMITA) पहल की पूरक है, जो अगले पाँच वर्षों में 22 भारतीय भाषाओं में 22,000 किताबें विकसित करने पर केंद्रित है।
इसे शिक्षा मंत्रालय एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा जुलाई 2024 में लॉन्च किया गया।
UGC एवं भारतीय भाषा समिति (शिक्षा मंत्रालय के तहत) भारतीय भाषाओं में अनुवाद एवं अकादमिक लेखन पर मिलकर कार्य कर रहे हैं।
भारतीय भाषा पुस्तक योजना की मुख्य विशेषताएँ
डिजिटल पाठ्यपुस्तकों तक पहुँच: स्कूलों एवं विश्वविद्यालयों में छात्र डिजिटल प्रारूप में पाठ्यपुस्तकों तथा अन्य शिक्षण सामग्री का लाभ उठा सकते हैं।
क्षेत्रीय भाषाओं पर ध्यान: यह पहल सुनिश्चित करती है कि विविध भाषायी पृष्ठभूमि वाले छात्रों को उनकी मातृभाषा में शैक्षिक संसाधन प्राप्त हों।
शैक्षिक अंतराल को कम करना: इसका उद्देश्य विभिन्न भाषायी समुदायों के छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक संसाधनों तक पहुँच में असमानताओं को कम करना है।
डीप ओशन मिशन
वर्ष 2025 के केंद्रीय बजट में डीप ओशन मिशन के आवंटन में 600 करोड़ रुपये की बढोतरी की गई है।
गहरे महासागर मिशन को केंद्रीय बजट में 3649.81 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि वर्ष 2024 में यह 3064.80 करोड़ रुपये था।
डीप ओशन मिशन
डीप ओशन मिशन भारत सरकार की ब्लू इकोनॉमी पहल का समर्थन करने के लिए गहरे महासागरीय क्षेत्रों का पता लगाने एवं अपने संसाधनों का उपयोग करने के लिए प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए एक बहु-विषयक कार्यक्रम है।
नोडल मंत्रालय: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES)।
घटक
समुद्रयान: यह एक मानव चालित पनडुब्बी है, जिसे वैज्ञानिक सेंसर एवं उपकरणों के साथ समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक 3 लोगों को ले जाने के लिए विकसित किया जाएगा।
विकास: समुद्रयान वाहन को राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) द्वारा विकसित किया जाएगा।
एक एकीकृत खनन प्रणाली: इसे मध्य हिंद महासागर में 6,000 मीटर की गहराई से पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के खनन के लिए विकसित किया जाएगा, जिससे इसके व्यावसायिक दोहन का मार्ग प्रशस्त होगा।
यह गहरे समुद्र में खनिजों एवं ऊर्जा की खोज एवं दोहन के ब्लू इकोनॉमी प्राथमिकता वाले क्षेत्र में मदद करेगा।
महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवा मॉडल: यह तटीय पर्यटन के ब्लू इकोनॉमी प्राथमिकता क्षेत्र का समर्थन करते हुए महत्त्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन के पूर्वानुमान प्रदान करेगा।
संरक्षण: सूक्ष्म जीवों सहित गहरे महासागर की वनस्पतियों एवं जैव-संसाधनों के सतत् उपयोग के अध्ययन पर मुख्य फोकस होगा।
यह घटक समुद्री मत्स्यपालन एवं संबद्ध सेवाओं के ब्लू इकोनॉमी प्राथमिकता वाले क्षेत्र का समर्थन करेगा।
डीप ओशन सर्वेक्षण एवं अन्वेषण: हिंद महासागर के मध्य-महासागरीय कटकों के साथ बहु-धातु हाइड्रोथर्मल सल्फाइड खनिज के संभावित स्थलों का पता लगाने एवं पहचान करने के लिए।
महासागरीय ऊर्जा का दोहन:अपतटीय महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण (OTEC) संचालित अलवणीकरण संयंत्रों के लिए अध्ययन एवं विस्तृत इंजीनियरिंग डिजाइन की परिकल्पना की गई है।
यह अपतटीय ऊर्जा विकास के ब्लू इकोनॉमी प्राथमिकता वाले क्षेत्र का समर्थन करेगा।
महासागर जीव विज्ञान के लिए उन्नत समुद्री स्टेशन: ऑन-साइट बिजनेस इनक्यूबेटर सुविधाओं के माध्यम से अनुसंधान क्षमता को औद्योगिक अनुप्रयोग एवं उत्पाद संबंधी अवधारणा में परिवर्तित करना।
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