अंतरिक्ष क्षेत्र ने सकल घरेलू उत्पाद में 24 बिलियन डॉलर का इजाफा किया
हाल ही में भारत के राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के दौरान अंतरिक्ष क्षेत्र रिपोर्ट के निष्कर्ष प्रस्तुत किए गए।
संबंधित तथ्य
अध्ययन का प्रारंभ: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) ने वर्ष 2014-2023 के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव का आकलन करने के लिए रिपोर्ट शुरू की।
सहयोग: यह अध्ययन इकोनोन एवं नोवास्पेस (econONE and Novaspace) द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रों के 56 भारतीय संगठनों का विश्लेषण किया गया था।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
आर्थिक योगदान
सकल घरेलू उत्पाद पर प्रभाव: भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र ने पिछले दशक में सकल घरेलू उत्पाद में लगभग $24 बिलियन (₹20,000 करोड़) का योगदान दिया।
नौकरियाँ सृजित: इसने सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों में 96,000 नौकरियों का सृजन किया।
गुणक प्रभाव: अंतरिक्ष क्षेत्र से प्राप्त धन से अर्थव्यवस्था में 2.54 डॉलर का योगदान हुआ, जिससे यह औसत औद्योगिक कार्यबल की तुलना में 2.5 गुना अधिक उत्पादक बन गया।
विकास एवं विविधीकरण
निवेश: भारत ने पिछले दशक में अंतरिक्ष में 13 बिलियन डॉलर का निवेश किया, जो अंतरिक्ष वित्तपोषण में विश्व स्तर पर 8वें स्थान पर रहा।
कंपनी का विस्तार: इस क्षेत्र में अब 200 स्टार्ट-अप सहित 700 कंपनियाँ हैं, जिनका राजस्व वर्ष 2023 में 6.3 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है, जो वैश्विक अंतरिक्ष बाजार का 1.5% प्रतिनिधित्व करता है।
प्रमुख उद्योग योगदान
प्रमुख सेगमेंट: उपग्रह संचार अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का 54%, नेविगेशन 26% एवं प्रक्षेपण 11% है।
उद्योग समर्थन: प्रमुख समर्थित उद्योगों में दूरसंचार (25%), IT (10%), एवं प्रशासनिक सेवाएँ (7%) शामिल हैं।
SC/ST कानून के तहत अपराध
हाल ही में उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के अनुसार, अनूसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (SC/ST) व्यक्तियों के विरुद्ध सभी अपमान या धमकियाँ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अपराध नहीं हैं।
शामिल धाराएँ: अधिनियम की धारा 3(1) (R) एवं 3(1) (U) सार्वजनिक रूप से SC/ST व्यक्ति का अपमान करने तथा SC/ST समुदायों के खिलाफ नफरत या दुर्भावना को बढ़ावा देने से संबंधित हैं।
संदर्भ
यूट्यूब चैनल ‘मरुनादन मलयाली’ के संपादक शाजन स्कारिया पर अनुसूचित जाति समुदाय के सदस्य, केरल के विधायक पी.वी. श्रीनिजिन ने अपमानजनक वीडियो पोस्ट करने का आरोप लगाया गया था।
SC/ST अधिनियम की व्याख्या
कानूनी व्याख्या: न्यायालय ने माना कि SC/ST अधिनियम केवल तभी लागू होता है, जब अपमान या धमकी जानबूझकर की जाती है एवं सीधे पीड़ित की SC/ST पहचान से जुड़ी होती है।
अपराध के लिए मानदंड: किसी अपमान को अपराध माना जाने के लिए, यह जाति आधारित भेदभाव को मजबूत करता हो या जातिगत श्रेष्ठता, जैसे अस्पृश्यता अथवा पवित्रता की ऐतिहासिक रूप से स्थापित धारणाओं को कायम रखता हो।
रेल फोर्स वन
हाल ही में, भारतीय प्रधानमंत्री ने फरवरी 2022 में रूसी आक्रमण के बाद से यूक्रेनी हवाई क्षेत्र बंद होने के कारण पोलैंड से यूक्रेन की यात्रा ट्रेन से की है।
रेल फोर्स वन का नामकरण
बाइडेन की वर्ष 2023 ट्रेन यात्रा: जब राष्ट्रपति जो बाइडेन ने वर्ष 2023 में ट्रेन से यूक्रेन का दौरा किया, तो ट्रेन को ‘रेल फोर्स वन’ नाम मिला था।
इस ट्रेन का यह उपनाम ‘एयर फोर्स वन’ के संदर्भ में रखा गया था, जो अमेरिकी राष्ट्रपतियों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला आधिकारिक हवाई जहाज है।
रेल फोर्स वन
ऑपरेटर: ट्रेन का संचालन उक्रजलिज़्नित्सिया (यूक्रेनी रेलवे) द्वारा किया जाता है।
प्रमुख यात्री: इसका उपयोग अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन एवं फ्राँसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन सहित कई वैश्विक नेताओं द्वारा किया गया है।
विशेषताएँ: यह ट्रेन अपने शानदार इंटीरियर के लिए जानी जाती है।
प्रतीक: ‘रेल फोर्स वन’ वर्तमान में आयरन डिप्लोमेसी‘ का प्रतीक बन गई है।
यह जारी संघर्ष के दौरान यूक्रेन के रेलवे नेटवर्क के लचीलेपन एवं अनुकूलनशीलता को प्रदर्शित करता है।
‘कावेरी निकाय ने पर्यावरण मूल्यांकन के लिए केंद्र की मंजूरी माँगी’
कर्नाटक की कावेरी नीरावरी निगम लिमिटेड (Cauvery Neeravari Nigam Limited – CNNL) ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से मेकेदातु संतुलन जलाशय-सह-पेयजल परियोजना के लिए पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment- EAI) आयोजित करने के लिए शर्तों को मंजूरी देने का अनुरोध किया है।
CNNL का दावा है, कि यह अनुरोध लगभग छह वर्षों से लंबित है।
मेकेदातु परियोजना
यह एक बहुउद्देश्यीय (पेयजल एवं विद्युत) परियोजना है।
उद्देश्य: मेकेदातु परियोजना का लक्ष्य कर्नाटक में कनकपुरा के पास कावेरी नदी पर एक संतुलन जलाशय का निर्माण करना है।
अवस्थिति: कावेरी नदी एवं उसकी सहायक नदी अर्कावती के संगम पर अवस्थित।
लाभ
कृषि सहायता: यह परियोजना कावेरी बेसिन में कृषि गतिविधियों में सहायता के लिए प्रारंभ की गई है।
जल आपूर्ति: यह कर्नाटक एवं तमिलनाडु दोनों में किसानों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी।
जल विनियमन: जलाशय जल प्रवाह को प्रबंधित करने एवं कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू को पेयजल उपलब्ध कराने में मदद करेगा।
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