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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal February 19, 2025 03:30 117 0

टाइफाइड

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) टाइफाइड एवं पैराटाइफाइड वैक्सीन के संयुक्त विकास एवं व्यावसायीकरण के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) आमंत्रित कर रही है।

टाइफाइड के बारे में

  • कारण: टाइफाइड साल्मोनेला टाइफी (Salmonella Typhi) के कारण होने वाला एक जीवाणु संक्रमण है।
  • लक्षण: तेज बुखार, सिरदर्द, पेट दर्द, कमजोरी, उल्टी एवं दस्त।
    • कुछ लोगों को ‘रोज स्पॉट’ (Rose Spots) नामक दाने हो जाते हैं, जो पेट एवं छाती पर छोटे लाल धब्बे होते हैं।
  • संक्रमण 
    • दूषित भोजन या जल द्वारा संक्रमण फैल सकता है।
    • संक्रमित व्यक्ति के मल या मूत्र के संपर्क में आने से जोखिम बढ़ जाता है।
    • संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क भी संक्रमण में योगदान दे सकता है।
  • संक्रमण प्रक्रिया: अंतर्ग्रहण के बाद, बैक्टीरिया गुणन  करते हैं एवं रक्तप्रवाह में फैल जाते हैं।
  • शहरी प्रभाव: शहरी क्षेत्रों में मामलों की उच्च संकेंद्रता की रिपोर्ट है, जिससे टाइफाइड एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बन गई है।
  • उपचार: उपचार के लिए उपयोग किए जाने वाले सामान्य एंटीबायोटिक्स में क्लोरैम्फेनिकॉल, एंपीसिलीन एवं सिप्रोफ्लोक्सासिन शामिल हैं।
  • भारत में उपलब्ध टाइफाइड के टीके: भारत में मौजूदा टीकों में Typbar-TCV, Ty21a, Typhim Vi  एवं Typherix शामिल हैं।

ICMR की नई वैक्सीन तकनीक

  • ICMR-नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर रिसर्च इन बैक्टीरियल इन्फेक्शन (NIRBI), कोलकाता द्वारा विकसित।
  • वैक्सीन संरचना: टाइफाइडल साल्मोनेला प्रजातियों के दो अलग-अलग उपभेदों से प्राप्त बाहरी झिल्ली पुटिकाओं (Outer Membrane Vesicles- OMVs) पर आधारित।
  • उद्देश्य: एक व्यापक-विशिष्टता वाला टीका विकसित करना, जो साल्मोनेला टाइफी (Salmonella Typhi) एवं साल्मोनेला पैराटाइफी (Salmonella Paratyphi) दोनों के विरुद्ध प्रभावी हो।

प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ

हाल ही में मेटा ने ‘प्रोजेक्ट वाटरवर्थ’ नामक वैश्विक कनेक्टिविटी के लिए एक पहल की घोषणा की है।

प्रोजेक्ट वाटरवर्थ के बारे में

  • यह परियोजना विश्व के डिजिटल हाइवेज के पैमाने एवं विश्वसनीयता को मजबूत करने के लिए सबसी केबल (Subsea Cable) इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए AI का उपयोग करेगी।
  • फोकस: केबल की तैनाती एवं रखरखाव को बढ़ाना, विश्व भर में विश्वसनीय तथा कुशल इंटरनेट एक्सेस सुनिश्चित करना।
  • कवरेज: यह परियोजना पाँच महाद्वीपों को जोड़ने के लिए 50,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक विस्तृत एक बहु-अरब डॉलर, बहु-वर्षीय निवेश होगी।
    • यह अमेरिका, भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया एवं अन्य प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ेगी।
  • उद्देश्य: संभावित व्यवधानों की भविष्यवाणी करने एवं उन्हें कम करने के लिए एडवांस मशीन लर्निंग मॉडल का लाभ उठाना, सबसी नेटवर्क (Subsea Cable) की लचीलापन बढ़ाना।
    • दुनिया भर में AI नवाचार को गति देने के लिए आवश्यक उच्च गति कनेक्टिविटी के साथ तीन नए समुद्री गलियारे का प्रयोग करना।
  • विशेषताएँ
    • उच्च स्तरीय केबल: इस परियोजना में दुनिया की सबसे लंबी 24 फाइबर जोड़ी केबल होगी, जो सामान्य 8 से 16 फाइबर जोड़ी से अधिक होगी, तथा इसे टिकाऊपन एवं शीघ्रता से बिछाने के लिए बनाया गया है।
    • सुरक्षा: केबलों को गहरे जल में 7,000 मीटर की गहराई पर बिछाया जाएगा तथा जहाज के खतरों से बचाने के लिए उन्हें बिछाने में उन्नत तकनीक अपनाई जाएगी।
  • लाभ
    • यह परियोजना अधिक आर्थिक सहयोग, डिजिटल समावेशन एवं तकनीकी विकास के लिए खुले अवसरों की सुविधा प्रदान करेगी।
    • यह वैश्विक डिजिटल बुनियादी ढाँचे की रीढ़ बनेगी, जो 95% से अधिक अंतरमहाद्वीपीय डेटा ले जाएगी।
    • ये केबल संचार, वीडियो स्ट्रीमिंग एवं ऑनलाइन लेन-देन सहित कई डिजिटल सेवाओं को सक्षम बनाती हैं।

रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप (RuTAGe) स्मार्ट विलेज सेंटर (RSVC)

हाल ही में सोनीपत के मंडौरा गाँव में रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप (RuTAGe) स्मार्ट विलेज सेंटर (RSVC) का शुभारंभ किया गया।

रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप (RuTAGe) स्मार्ट विलेज सेंटर (RSVC)

  • RuTAGe  स्मार्ट विलेज सेंटर (RSVC) भारत के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) के कार्यालय के तहत एक परिवर्तनकारी पहल है।
  • RSVC का उद्देश्य
    • ग्रामीण आवश्यकताओं एवं तकनीकी प्रगति के बीच की खाई को कम करना। 
    • बेहतर आजीविका के लिए ग्रामीण समुदायों के लिए अभिनव समाधान लाना।
    • पशु अतिक्रमण, जैविक खेती एवं आजीविका प्रौद्योगिकियों (जैसे, मनका बनाने तथा बेकरी मशीनरी) जैसी ग्रामीण चुनौतियों का समाधान करना।
  • RSVC मॉडल की मुख्य विशेषताएँ
    • संरचना एवं पहुँच
      • 15-20 गाँवों को सेवा प्रदान करने वाले स्थायी पंचायत-स्तरीय केंद्र, दीर्घकालिक विश्वास और तकनीक अपनाने को बढ़ावा देंगे।
      • संस्थानों (IIT, SELCO), गैर-सरकारी संगठनों एवं मॉडर्न विलेज फाउंडेशन जैसे स्थानीय निकायों के साथ सहयोग करता है।
    • प्रौद्योगिकियों को लागू करने में गुणवत्ता एवं व्यवहार्यता सुनिश्चित करता है।
    • बाजार तक पहुँच एवं संपर्क
      • ग्रामीण उत्पादकों को अपने माल को बेचने के लिए बड़े बाजारों तक पहुँचने में मदद करता है।
      • सरकारी योजना हेल्प डेस्क वित्तीय सहायता एवं योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • सरकारी मंत्रालयों के साथ एकीकरण
    • ग्रामीण विकास, कृषि, पशुपालन एवं श्रम जैसे मंत्रालयों के उद्देश्यों के साथ संरेखित करता है।
    • ग्रामीण कल्याण को बढ़ाने के लिए योजनाओं पर सहयोग करता है।

नागरिक विज्ञान पहल

नागरिक विज्ञान की मदद से पुडुचेरी-विल्लुपुरम-ऑरोविले-कुड्डालोर (PVAC) जैवक्षेत्र के लिए एक नया जैव विविधता डेटाबेस विकसित किया जा रहा है।

नागरिक विज्ञान पहल के बारे में

  • यह एक जैव विविधता डेटाबेस परियोजना है।
  • अन्य नाम: ‘अपने जैवक्षेत्र को जानना’ (Know Your Bioregion)।
  • लॉन्च: श्री अरबिंदो सोसायटी की एक इकाई ‘स्वर्णिम पुडुचेरी’ द्वारा लॉन्च किया गया है।
  • परियोजना का लक्ष्य: इस पहल का उद्देश्य PVAC जैवक्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित करने एवं उसका दस्तावेजीकरण करने के लिए एक जैव विविधता रजिस्टर बनाना है। 
    • PVAC एक स्थायी नियोजन क्षेत्र है, जिसमें पुडुचेरी, विलुप्पुरम्, ऑरोविले एवं कुड्डालोर शहर शामिल हैं।
  • विधि: नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे:
    • PVAC क्षेत्र में वन्यजीवों की तस्वीरें कैप्चर करें।
    • स्थान के भू-निर्देशांक के साथ iNaturalist ऐप पर फोटो अपलोड करें।
  • प्रारंभिक सर्वेक्षण क्षेत्र: परियोजना थेंगैथिट्टू लैगून में शुरू हुई एवं इसमें मुलोडाई, पनिथिट्टू तथा PVAC जैवक्षेत्र शामिल होंगे।
  • महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष: नल्लावडू लैगून के जैव विविधता सर्वेक्षण में मछलियों, पक्षियों, सरीसृपों, तितलियों, पतंगों एवं मकड़ियों सहित 300 से अधिक प्रजातियों की खोज की गई है।
  • जैवक्षेत्र: यह एक स्थायी नियोजन क्षेत्र है, जिसमें पुडुचेरी, विलुप्पुरम्, ऑरोविले एवं कुड्डालोर के शहर शामिल हैं।

हिंद महासागर सम्मेलन, 2025

इंडिया फाउंडेशन द्वारा ओमान के विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर मस्कट, ओमान में हिंद महासागर सम्मेलन का 8वां सत्र आयोजित किया गया।

  • वर्ष 2025 के इस सम्मेलन की थीम: ‘वॉयेज टू न्यू होराइजन ऑफ मैरीटाइम पार्टनरशिप’ (Voyages to New Horizons of Maritime Partnership) 
  • फोकस: इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग और समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना, ग्लोबल साउथ के मुद्दों को संबोधित करना एवं समुद्री क्षेत्र में प्रमुख चुनौतियों से निपटना होगा।

हिंद महासागर सम्मेलन के बारे में

  • यह सम्मेलन हिंद महासागर क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण राज्यों एवं प्रमुख समुद्री भागीदारों का एक प्रमुख परामर्श प्लेटफॉर्म है, जो क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा तथा विकास (SAGAR) के लिए क्षेत्रीय सहयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करता है।
  • स्थापना: इस सम्मेलन की शुरुआत इंडिया फाउंडेशन द्वारा वर्ष 2016 में सिंगापुर में की गई थी, जिसमें 30 देशों ने भाग लिया था।
  • चर्चा के विषय: एजेंडा आइटम में पारंपरिक सुरक्षा चिंताएँ जैसे- नौसैनिक शक्ति एवं क्षेत्रीय विवाद, साथ ही जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएँ तथा आर्थिक व्यवधान जैसी उभरती चुनौतियाँ शामिल हैं।

परंबिकुलम टाइगर रिजर्व

वन विभाग द्वारा परंबिकुलम टाइगर रिजर्व में किए गए एक जीव सर्वेक्षण ने संरक्षित क्षेत्र की चेकलिस्ट में 15 नई प्रजातियों को जोड़ा है।

  • संचालन: यह अभ्यास परंबिकुलम टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन द्वारा त्रावणकोर नेचर हिस्ट्री सोसायटी के सहयोग से आयोजित किया गया है।

सर्वेक्षण का मुख्य निष्कर्ष

  • रिजर्व में पक्षियों की कुल प्रजातियों की संख्या 302 है एवं रिजर्व में तितलियों की संख्या 273 है।
    • सर्वेक्षण ने ओडोनेट्स की 39 प्रजातियों की भी पहचान की है, जिससे रिजर्व की ओडोनेट्स चेकलिस्ट बढ़कर 69 प्रजातियों की हो गई है।
  • नई प्रजातियाँ 
    • पक्षी: पेंटेड स्परफाउल, रूफस-बेलिड हॉक-ईगल, इंडियन ग्रे हॉर्नबिल, अनामलाई शोलाकिली, टैगा फ्लाईकैचर, प्लेन प्रिनिया एवं ग्रीन लीफ वार्बलर।
    • तितली प्रजातियाँ: इनमें लॉन्ग-ब्रांड बुशब्राउन, शॉट सिल्वरलाइन, स्कार्स शॉट सिल्वरलाइन, व्हाइट-डिस्क हेज ब्लू एवं पलनी डार्ट शामिल हैं। 
    • ओडोनेट्स प्रजातियाँ: तीन नई प्रजातियों की पहचान की गई:- ‘ब्राउन डार्नर’ [गाइनाकांथा द्रविडा (Gynacantha Dravida)], ‘पैराकीट डार्नर’ [गाइनाकांथा मिलार्डी (Gynacantha Millardi)], और ‘वेस्टैस सबमोंटाना फ्रेजर’ जिसे ‘मोंटेन फॉरेस्ट-ग्लोरी’ के नाम से भी जाना जाता है।

परंबिकुलम टाइगर रिजर्व के बारे में

  • स्थान: रिजर्व दक्षिण भारत के केरल राज्य के पलक्कड़ जिले एवं त्रिशूर जिले में स्थित है।
    • परंबिकुलम पश्चिमी घाट के अन्नामलाई पहाड़ियों एवंनेल्लियमपथी पहाड़ी के बीच सुंगम पर्वतमाला में स्थित एक  संरक्षित क्षेत्र  है।
  • टाइगर रिजर्व की स्थापना वर्ष 2010 में की गई थी।
  • विश्व धरोहर स्थल: पश्चिमी घाट के हिस्से के रूप में परंबिकुलम वन्यजीव अभयारण्य को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
  • क्षेत्र: रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 643.66 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से 390.89 वर्ग किलोमीटर को मुख्य या महत्त्वपूर्ण बाघ आवास एवं 252.77 वर्ग किलोमीटर को टाइगर रिजर्व का बफर जोन घोषित किया गया है।
  • आवास: रिजर्व में मुख्य रूप से सदाबहार वन, नम एवंशुष्क पर्णपाती वन एवं घास के मैदान हैं।
    • मोंटेन घास के मैदान एवं दलदली घास के मैदान (स्थानीय रूप से ‘वायल’ के रूप में जाने जाते हैं) बड़े पैमाने पर पाए जाते हैं
  • जनजातियाँ: यह रिजर्व 4 जनजातियों का मूल निवास स्थल है, जिनमें कादर, मालासर जनजाति, मुदुवर एवंमाला मालासर शामिल हैं, जो छह कॉलोनियों में निवास करते  हैं। 
  • नदियाँ: 3 प्रमुख नदियाँ अर्थात् परंबिकुलम, शोलायार एवंथेक्केडी इस क्षेत्र में प्रवाहित होती हैं।
  • जीव-जंतु: ग्रेट इंडियन हॉर्नबिल, सीलोन फ्रॉगमाउथ, लेसर फिश ईगल एवं शाहीन फाल्कन।
  • स्थानिक, दुर्लभ, लुप्तप्राय एवं संकटग्रस्त (RET) प्रजातियाँ
    • हैप्लोथिस्मिया एक्सानुलाटा (Haplothismia Exannulata), बर्मनिएसी का एक मोनोटाइपिक जीनस (1951 के बाद यहाँ फिर से खोजा गया)।
    • कोसिनियम फेनेस्ट्रेटम (Coscinium Fenestratum) एवं यूटलेरिया सैलिसिफोलिया (Utleria Salicifolia)IUCN  ‘रेड लिस्ट में सूचीबद्ध’ औषधीय पौधे, जो अन्नामलाई के स्थानिक हैं।
    • टोमोप्टेरना परंबिकुलमना (Tomopterna Parambikulamana): परंबिकुलम का एक स्थानिक मेंढक
    • गर्रा सुरेन्द्रनाथनी (Garra Surendranathanii): एक स्थानिक मछली
  • पुरस्कार: परंबिकुलम टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन (PaTCoF) ने वर्ष 2021 में अर्थ गार्जियन अवार्ड जीता।
    • यह पुरस्कार नेटवेस्ट ग्रुप इंडिया द्वारा बाघों एवं जैव विविधता की रक्षा के लिए फाउंडेशन के प्रयासों को मान्यता देने के लिए दिया गया था।

अभ्यास कोमोडो 2025

हाल ही में भारतीय नौसेना ने INS शार्दुल एवं P-81 लॉन्ग रेंज मैरीटाइम सर्विलांस एयरक्राफ्ट के साथ इंडोनेशिया के बाली में अभ्यास कोमोडो-2025 में सक्रिय रूप से भाग लिया।

अभ्यास कोमोडो के बारे में

  • उद्देश्य: समुद्री अंतर-संचालन को बढ़ाने एवं क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना।
  • वर्ष 2025 के लिए थीम: ‘शांति एवं स्थिरता के लिए समुद्री साझेदारी।’

भारत एवं इंडोनेशिया के बीच अन्य सैन्य अभ्यास

  • समुद्र शक्ति: भारत एवं इंडोनेशिया के बीच एक द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास।
  • गरुड़ शक्ति: दोनों देशों की सशस्त्र सेनाओं के बीच एक संयुक्त सैन्य अभ्यास।

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