100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal February 22, 2025 01:11 20 0

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (SHCS) को लॉन्च हुए 10 वर्ष पूर्ण हो गए हैं।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के बारे में

  • लॉन्च: वर्ष 2015 में लॉन्च की गई।
  • उद्देश्य: किसानों को उनकी मृदा की पोषक स्थिति एवं उचित उर्वरक उपयोग के लिए सिफारिशें प्रदान करके मृदा के स्वास्थ्य एवं उर्वरता में सुधार करना।
  • लक्ष्य: संतुलित उर्वरक को बढ़ावा देकर एवं मृदा के स्वास्थ्य में सुधार करके सतत् कृषि पद्धतियों को सुनिश्चित करना।
  • कार्यान्वयन: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत सभी राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के कृषि विभाग द्वारा।
  • मृदा परीक्षण: इसमें मृदा का नमूना लेना, परीक्षण करना एवं प्रत्येक किसान के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHCs) बनाना शामिल है।
  • SHC सामग्री: मृदा की पोषक स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिसमें  स्थूल पोषक तत्त्व (N, P, K, S), सूक्ष्म पोषक तत्त्व (Zn, Fe, Cu, Mn, Bo), pH, विद्युत चालकता, एवं कार्बन शामिल हैं।
  • RKVY के साथ एकीकरण: वर्ष 2022-23 से ‘मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता’ नाम से इसके एक घटक के रूप में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) में विलय कर दिया गया है।

अकाल पूर्व चेतावनी प्रणाली नेटवर्क (Fews Net)

हाल ही में एक चेतावनी एवं विश्लेषण प्रणाली ‘अकाल पूर्व चेतावनी प्रणाली नेटवर्क’ (Fews Net), जो विश्व में तीव्र खाद्य असुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करती है, को 30 जनवरी, 2025 को बंद कर दिया गया ।

अकाल पूर्व चेतावनी प्रणाली नेटवर्क (Famine Early Warning Systems Network- Fews Net) 

  • FEWS NET एक वैश्विक प्रणाली है, जो खाद्य असुरक्षा पर जानकारी एवं विश्लेषण प्रदान करती है।
  • इसे वर्ष 1985 में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) एवं अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा स्थापित किया गया था।
  • पूर्वी एवं पश्चिमी अफ्रीका में अकाल के बाद गठित किया गया था।
  • उद्देश्य: निर्णयकर्ताओं को सूचित करके खाद्य संकटों का पूर्वानुमान लगाना एवं उन्हें रोकना।

समुद्री नौवहन सहायता के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन (IALA)

हाल ही में भारत को सिंगापुर में अंतरराष्ट्रीय समुद्री नौवहन सहायता संगठन (ALA) के उपाध्यक्ष पद के लिए चुना गया।

अंतरराष्ट्रीय समुद्री नौवहन सहायता संगठन (IALA) 

  • पूर्व में इसे अंतरराष्ट्रीय समुद्री नौवहन सहायता एवं लाइटहाउस प्राधिकरण संघ के रूप में जाना जाता था।
  • स्थापना: वर्ष 1957 में एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) के रूप में।
  • IGO में परिवर्तन: वर्ष 2024 में, 34 सदस्य देशों द्वारा अनुसमर्थन के बाद IALA आधिकारिक तौर पर एक अंतर-सरकारी संगठन (IGO) बन गया।
  • मुख्यालय: सेंट-जर्मेन-एन-ले, फ्राँस।
  • उद्देश्य: सुरक्षित, कुशल एवं पर्यावरण के अनुकूल समुद्री नौवहन सुनिश्चित करते हुए वैश्विक स्तर पर समुद्री नौवहन सहायता (AtoN) में सामंजस्य तथा सुधार करना।
  • भारत की भूमिका: भारत दिसंबर 2025 में IALA परिषद की बैठक एवं सितंबर 2027 में मुंबई में IALA सम्मेलन तथा आम सभा की मेजबानी करेगा।

डिजिटल ब्रांड आइडेंटिटी मैनुअल (DBIM)

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारत सरकार की डिजिटल मौजूदगी को सुसंगत बनाने के लिए डिजिटल ब्रांड आइडेंटिटी मैनुअल (DBIM) लॉन्च किया।

डिजिटल ब्रांड आइडेंटिटी मैनुअल (DBIM) 

  • उद्देश्य
    • Gov.In पहल के तहत भारत सरकार के डिजिटल फुटप्रिंट को सुसंगत बनाना।
    • डिजिटल शासन को अधिक सुलभ, समावेशी एवं नागरिक-केंद्रित बनाने के लिए प्रधानमंत्री के “सुधार, प्रदर्शन एवं परिवर्तन” के दृष्टिकोण के साथ संरेखित करता है।
  • DBIM पहल की विशेषताएँ
    • डिजिटल पहचान में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए DBIM टूलकिट।
    • सुव्यवस्थित वेबसाइट प्रबंधन के लिए Gov.In CMS प्लेटफॉर्म
    • केंद्रीकृत सामग्री शासन के लिए केंद्रीय सामग्री प्रकाशन प्रणाली (CCPS)।
    • डिजिटल संचार को मानकीकृत करने के लिए सोशल मीडिया अभियान संबंधी दिशा-निर्देश।

Gov.In के बारे में: भारत सरकार की डिजिटल फुटप्रिंट पहल का सामंजस्य

  • यह भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के नेतृत्व में एक रणनीतिक प्रयास है, जिसका उद्देश्य सभी सरकारी प्लेटफार्म पर एकीकृत, सुसंगत एवं उपयोगकर्ता के अनुकूल डिजिटल उपस्थिति बनाना है।
  • उद्देश्य: नागरिक जुड़ाव को बढ़ाना, सरकारी सेवाओं तक पहुँच में सुधार करना एवं विभिन्न मंत्रालयों, विभागों तथा एजेंसियों द्वारा प्रबंधित ऑनलाइन बुनियादी ढाँचे को मानकीकृत करके डिजिटल अनुभव को सुव्यवस्थित करना।

OTT को ‘अश्लील सामग्री’ के खिलाफ चेतावनी

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 20 फरवरी, 2025 को OTT (ओवर-द-टॉप) स्ट्रीमिंग सेवाओं को चेतावनी जारी की।

अश्लील सामग्री

  • ‘अश्लील सामग्री’ आमतौर पर ऐसी सामग्री को संदर्भित करती है, जो शालीनता के सामाजिक मानकों के अनुसार आपत्तिजनक या अनुचित है।

सामग्री प्रतिबंधों पर सलाह

  • OTT प्लेटफॉर्म को सलाह दी जाती है कि वे कानून द्वारा निषिद्ध किसी भी सामग्री को प्रसारित करने से बचना।
  • उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दायित्व एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 का पालन करते हुए, आयु के आधार पर सामग्री को वर्गीकृत करना चाहिए।
  • OTT प्लेटफॉर्म को युवा दर्शकों तक पहुँच को प्रतिबंधित करने के लिए वयस्क सामग्री के लिए आयु-सीमा लागू करनी चाहिए।

IT नियम एवं सामग्री वर्गीकरण

  • IT नियम, 2021 के तहत, OTT प्लेटफॉर्म को:-
    • सामग्री वर्गीकरण दिशा-निर्देशों का सख्त पालन करना चाहिए।
    • उपयोगकर्ता शिकायतों के लिए शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करना।
    • त्रि-स्तरीय प्रणाली के भीतर कार्य करना
      • उपयोगकर्ता सीधे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर शिकायत कर सकते हैं।
      • यदि समाधान नहीं होता है, तो शिकायतें स्व-नियामक निकाय के पास भेजी जाती हैं।
      • अंतिम प्राधिकरण एक अंतर-विभागीय सरकारी समिति है।

माइक्रोसॉफ्ट की मेजराना 1 (Majorana 1)  चिप

हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट ने मेजराना 1 (Majorana 1) नामक अपनी ‘क्वांटम प्रोसेसर चिप’ लॉन्च की है।

मेजराना 1 (Majorana 1) चिप के बारे में

  • मेजराना 1 एक आठ-क्यूबिट चिप है एवं क्वांटम चिप को संभावित रूप से एक मिलियन क्यूबिट तक स्केल करने की अनुमति देता है।
  • क्वांटम कण: माइक्रोसॉफ्ट ने अपने क्वांटम चिप की संरचना के लिए पदार्थ की एक पूरी तरह से नई अवस्था अर्थात् मेजराना कणों का उपयोग किया है।
    • गूगल, इंटेल, IBM द्वारा पूर्व में बनाई गई चिप्स के लिए इलेक्ट्रॉनों का उपयोग किया गया था।
  • टोपोकंडक्टर/टोपोलॉजिकल सुपरकंडक्टर: मेजराना कणों को एक टोपोलॉजिकल अवस्था में मौजूद टोपोलॉजिकल कंडक्टर का उपयोग करके बनाया गया है, जो पदार्थ की पारंपरिक अवस्थाओं जैसे ठोस, तरल और गैस से अलग है।
    • ‘टोपोकंडक्टर मेजराना’ कणों का निरीक्षण एवं नियंत्रण कर सकता है ताकि अधिक विश्वसनीय तथा मापनीय क्यूबिट का उत्पादन किया जा सके, जो तीव्र, लघु और डिजिटल रूप से नियंत्रित किए जा सकते हैं।
    • यह क्वांटम सिस्टम विकसित करने में मदद करेगा, जो एक मिलियन क्यूबिट तक स्केल कर सकते हैं।
  • प्रयुक्त सामग्री: टोपोकंडक्टर इंडियम आर्सेनाइड (एक अर्द्धचालक) एवं एल्यूमीनियम (एक सुपरकंडक्टर) के संयोजन से बनाए जाते हैं।
  • दृष्टिकोण: माइक्रोसॉफ्ट ने एक नया माप दृष्टिकोण अपनाया है, जो मेजराना कणों में संगृहीत क्वांटम सूचना की मात्रा को मापनीय बना सकता है।
    • यह दृष्टिकोण एक सुपरकंडक्टिंग तार में एक बिलियन तथा एक इलेक्ट्रॉन के बीच के अंतर का पता लगा सकता है।
  • अनुप्रयोग: यह विकास निकट भविष्य में औद्योगिक-पैमाने की समस्याओं के लिए परिवर्तनकारी, वास्तविक दुनिया, सार्थक समाधान देने के लिए क्वांटम कंप्यूटर को साकार करने में मदद करेगा।

मेजराना फर्मियन के बारे में

  • सिद्धांत: इसे सबसे पहले इतालवी भौतिक विज्ञानी एटोर मेजराना ने प्रतिपादित किया था।
  • मेजराना फर्मियन ऐसे कण होते हैं, जो अपने स्वयं के प्रतिकण होते हैं।
  • मेजराना जीरो मोड (MZM): मेजराना जीरो मोड (MZM) के रूप में प्रसिद्ध मेजराना फर्मियन के एक प्रकार के संकेत पाए गए हैं, जहाँ इलेक्ट्रॉनों एवं अन्य कणों के समूह एक कण के रूप में कार्य करते हैं।

इंटरनेशनल एस्परगर डे

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण के लिए राष्ट्रीय संस्थान (NIEPID) ने एस्परगर सिंड्रोम वाले व्यक्तियों के लिए जागरूकता बढ़ाने तथा समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए अपने केंद्रों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

एस्परगर सिंड्रोम 

  • यह ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डेवलपमेंट डिसऑर्डर (ASD) का एक प्रकार है, जो लोगों के दूसरों के साथ वार्ता करने, दुनिया को समझने एवं व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करता है।
    • इसे कभी-कभी ‘हाई-फंक्शनिंग ऑटिज्म’ भी कहा जाता है।
  • लक्षण: एस्परगर के लक्षण जीवन में कम आयु में ही शुरू हो जाते हैं एवं आमतौर पर भावनात्मक, संचार तथा व्यवहार कौशल से संबंधित होते हैं जैसे-
    • सामाजिक रूप से दूसरों से जुड़ने में कठिनाई, अनियंत्रित व्यवहार, रुचियों की सीमित सीमा, सामाजिक स्थितियों को समझने में कठिनाई, संचार के सूक्ष्म रूपों को समझने में कठिनाई।
  • निदान: अधिकांश निदान 5 से 9 वर्ष की आयु के बीच होते हैं, जिसमें डॉक्टर संचार कौशल, सामाजिक एवं भावनात्मक क्षमताओं, अधिगम क्षमताओं, संचलन कौशल तथा विशेष रुचियों के बारे में प्रश्न पूछते हैं।
  • थेरेपी: एस्परगर सिंड्रोम वाले बच्चों एवं वयस्कों के लिए निम्नलिखित थेरेपी शामिल होती हैं:-
    • फिजिकल थेरेपी: यह समन्वय और संतुलन को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। यह विचलित करने वाली ध्वनियों या दृश्यों का सामना करने पर उन्हें बेहतर ध्यान केंद्रित करने में भी मदद कर सकती है।
    • स्पीच थेरेपी: यह स्पष्ट रूप से एवं उचित मात्रा में बोलने की क्षमता में सुधार कर सकती है।
    • व्यावसायिक थेरेपी: यह आपको स्वतंत्र बनने एवं बने रहने के लिए आवश्यक रोजगार संबंधी कौशल सीखने में मदद कर सकती है।
    • व्यवहारिक थेरेपी: इस प्रकार की थेरेपी बच्चों एवं वयस्कों को दोस्तों तथा प्रियजनों के साथ स्वस्थ संबंध बनाने में मदद कर सकती है।
  • उपचार: यह विशेष रूप से उपचार के लिए दवाओं को निर्धारित नहीं करता है, लेकिन कुछ प्रकार की दवाएँ एस्परगर के गंभीर लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकती हैं, जैसे कि- 
    • एंटीडिप्रेसेंट (SSRI या चयनात्मक सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर)। 
    • एंटी-साइकोटिक्स आदि।

दिनेश खारा समिति

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बीमा अधिनियम, 1938 के प्रमुख प्रावधानों की समीक्षा के लिए SBI के पूर्व अध्यक्ष दिनेश खारा की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है। 

दिनेश खारा समिति का उद्देश्य

  • बीमा अधिनियम, 1938 की समीक्षा करना एवं उसे आधुनिक उद्योग की आवश्यकतों के लिए प्रासंगिक बनाना। 
  • बीमा क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देने की व्यवहार्यता का आकलन करना। 
  • एक ही इकाई के तहत जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा की पेशकश करने वाली समग्र बीमा कंपनियों की स्थापना की सुविधा प्रदान करना। 
  • पॉलिसीधारक सुरक्षा उपायों को बढ़ाना एवं यह सुनिश्चित करना कि बीमा राजस्व भारत के भीतर ही रहे। 
  • विधायी विचार के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय को प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक संशोधनों का प्रस्ताव करना।

बीमा क्षेत्र का विकास

  • वर्ष 1938: बीमा अधिनियम, 1938, ब्रिटिश शासन के दौरान अधिनियमित किया गया था, जिसने भारत में बीमा उद्योग के लिए कानूनी आधार तैयार किया।
  • यह अधिनियम भारत में बीमा की तीन मुख्य श्रेणियों को परिभाषित करता है- जीवन बीमा, सामान्य बीमा एवं स्वास्थ्य बीमा।
  • वर्ष 1956: भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का राष्ट्रीयकरण किया गया।
  • वर्ष 1972: सामान्य बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण किया गया।
  • वर्ष 1999: भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) की स्थापना की गई, जिसने बीमा क्षेत्र को निजी निवेशकों के लिए खोल दिया।
  • वर्ष 2015: बीमा क्षेत्र में FDI सीमा 26% से बढ़ाकर 49% कर दी गई, जिसे बाद में वर्ष 2021 में बढ़ाकर 74% कर दिया गया।
  • वर्ष 2025 का बजट: FDI सीमा को आगे बढ़ाकर 100% कर दिया गया, इस शर्त के साथ कि शेयरों के अधिग्रहण के लिए भुगतान किया गया कोई भी प्रीमियम देश के भीतर ही रहना चाहिए।
  • वर्ष 2025 आर्थिक सर्वेक्षण: भारत का बीमा क्षेत्र तीव्र विकास की और है एवं अगले पाँच वर्षों में G20 देशों के बीच सबसे तेजी से बढ़ने वाला बीमा बाजार बनने की संभावना है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.