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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal February 24, 2025 04:19 9 0

एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड 

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AoRs) न्यायालय के समक्ष दायर याचिकाओं की सटीकता के लिए पूर्ण जिम्मेदारी लेते हैं, भले ही ड्राफ्ट अन्य अधिवक्ताओं द्वारा तैयार किए गए हों।

एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AoR)

  • एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AoR) की अवधारणा भारतीय संविधान के अनुच्छेद-145 के तहत भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रस्तुत की गई थी।
    • संविधान के अनुच्छेद-145 के तहत, सर्वोच्च न्यायालय को मामलों की सुनवाई के लिए नियम बनाने एवं अपनी प्रक्रिया को विनियमित करने का अधिकार है।
  • ब्रिटिश प्रणाली: AoR प्रणाली, मुख्यतः बैरिस्टर एवं सॉलिसिटर की ब्रिटिश प्रथा पर आधारित है।
  • AoR की भूमिका
    • एक कानूनी पेशेवर, जो सर्वोच्च न्यायालय में ग्राहकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए अधिकृत है।
    • सर्वोच्च न्यायालय में मामले दर्ज करने एवं उनका संचालन करने का विशेष अधिकार रखता है।
    • AoR के निर्देश के बिना कोई अन्य अधिवक्ता सर्वोच्च न्यायालय में उपस्थित या दलील नहीं दे सकता है।
  • यह प्रणाली सर्वोच्च न्यायालय के लिए विशिष्ट है एवं भारत के किसी भी उच्च न्यायालय में मौजूद नहीं है।
  • पात्रता मानदंड: सर्वोच्च न्यायालय नियम, 2013 में निर्धारित
    • किसी भी राज्य बार काउंसिल में नामांकित होना चाहिए।
    • कम-से-कम 4 वर्ष के कानूनी अभ्यास का अनुभव आवश्यक है।
    • वरिष्ठ एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के तहत 1 वर्ष का प्रशिक्षण पूरा करना होगा।
    • उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोजित AoR परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।
    • दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय के 10 मील के भीतर एक कार्यालय बनाए रखना होगा।
    • पंजीकरण के 1 महीने के भीतर एक पंजीकृत क्लर्क को नियुक्त करने का वचन देना होगा।
  • मुख्य जिम्मेदारियाँ
    • वकालतनामा (एक दस्तावेज जो किसी ग्राहक का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार देता है) दाखिल करने के लिए अधिकृत।
    • पंजीकृत क्लर्क की सहायता से याचिकाओं, आवेदनों एवं अन्य कानूनी दस्तावेजों का मसौदा तैयार करने तथा दाखिल करने सहित मामले के सभी प्रक्रियात्मक पहलुओं को सँभालता है।
    • ग्राहक की ओर से सर्वोच्च न्यायालय से सभी नोटिस, आदेश एवं पत्राचार प्राप्त करता है।

सरकार वर्ष 2031 तक क्रिटिकल मिनिरल खदानों की नीलामी करेगी

भारत सरकार ने जनवरी 2025 में ₹16,300 करोड़ के नेशनल क्रिटिकल मिनिरल मिशन (NCMM) को मंजूरी दी है।

क्रिटिकल मिनिरल 

  • आर्थिक विकास एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक खनिज।
  • उदाहरण: एल्युमिनियम, कोबाल्ट, कॉपर, लीथियम, निकल एवं दुर्लभ मृदा तत्त्व।

 नेशनल क्रिटिकल मिनिरल मिशन (NCMM)

  • नेशनल क्रिटिकल मिनिरल मिशन (NCMM) एक महत्त्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य भारत को महत्त्वपूर्ण खनिजों में आत्मनिर्भर बनाना है।
  • ये खनिज अक्षय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं रक्षा क्षेत्रों के लिए आवश्यक हैं।
  • मंत्रालय: खनन मंत्रालय।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य महत्त्वपूर्ण खनिजों का घरेलू उत्पादन बढ़ाना एवं आयात पर निर्भरता कम करना है।
  • NCMM की मुख्य विशेषताएँ
    • ‘एंड-टू-एंड’ खनिज विकास: अन्वेषण से लेकर पुनर्चक्रण तक संपूर्ण मूल्य शृंखला को शामिल करता है।
    • वित्तीय सहायता: अन्वेषण एवं स्थायी खनिज पुनर्प्राप्ति के लिए प्रोत्साहन प्रदान करता है।
    • भंडार रणनीति: दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण खनिजों का राष्ट्रीय भंडार निर्मित करता है।
    • सार्वजनिक-निजी सहयोग: सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं निजी कंपनियों को वैश्विक खनन परियोजनाओं में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है। 
    • कानूनी ढाँचा: खान एवं खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम, 1957 में वर्ष 2023 के संशोधनों द्वारा समर्थित।

‘फ्रैग्मन्टेशन एमुनेशन की’ (Fragmentation Ammunition Key)

सेना अपने 1,300 एयर डिफेन्स गन के लिए नए फ्रैग्मन्टेशन एमुनेशन (Fragmentation Ammunition) को शामिल करने की तैयारी कर रही है, ताकि ड्रोन एवं गतिशील हथियारों जैसे उभरते हवाई खतरों से निपटा जा सके।

फ्रैग्मन्टेशन एमुनेशन (Fragmentation Ammunition)

  • फ्रैग्मन्टेशन एमुनेशन (Fragmentation Ammunition) एक प्रकार की बुलेट है, जो किसी कठोर सतह से टकराने पर छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती है।
  • इससे लक्ष्य को अक्षम करने की संभावना बढ़ जाती है।
  • फ्रैग्मन्टेशन प्रक्रिया में विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे:
    • प्री-फ्रैग्मन्टेशन कोर 
    • विशेष जैकेट डिजाइन- कमजोर डॉट युक्त बुलेट जैकेट, जो इम्पैक्ट पर टूट जाती हैं।
    • भंगुर सामग्री – संपीडित धातु या पॉलीमर द्वारा निर्मित बुलेट,  जो संपर्क में आने पर बिखर जाती हैं।

फ्रैग्मन्टेशन कैसे कार्य करता है?

  • बुलेट किसी लक्ष्य से टकराने पर टूट जाती है, जिससे कई द्वितीयक प्रक्षेप्य पथ निर्मित होते हैं।
  • ये प्रक्षेप्य पथ बाहर की ओर विस्तार करते हैं, ऊर्जा स्थानांतरित करते हैं एवं अनेक ‘बाउंड ट्रेक’ का निर्माण करते हैं।

पीर पंजाल घाटी

हाल ही में पुंछ की पीर पंजाल घाटी के गुलपुर सेक्टर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी की एक घटना हुई।

पाकिस्तानी सैनिकों ने एक भारतीय चौकी पर गोलीबारी की एवं भारतीय सेना ने इसका उचित जवाब दिया।

पीर पंजाल घाटी के बारे में

  • पीर पंजाल घाटी लघु हिमालय का एक हिस्सा है।
  • यह पूर्व-दक्षिण-पूर्व (ESE) से पश्चिम-उत्तर-पश्चिम (WNW) दिशा में विस्तृत है।
  • यह लघु हिमालय की सबसे बड़ी रेंज है।
  • यह रामबन से प्रारंभ होती है एवं दक्षिण जम्मू एवं कश्मीर से होते हुए पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के मुजफ्फराबाद जिले तक पश्चिम की ओर विस्तृत होती है।
  • उच्चावच एवं भूगोल
    • इस  रेंज में 13,000 फीट (4,000 मीटर) से अधिक की औसत ऊँचाई पाई जाती है।
    • यह एक प्राकृतिक विभाजन के रूप में कार्य करती है, जो दक्षिण में जम्मू की पहाड़ियों को उत्तर में कश्मीर की घाटी से अलग करती है।
    • कश्मीर घाटी से आगे, महान हिमालय उत्तर में स्थित है।
  • नदियाँ एवं जल विभाजन
    • पीर पंजाल पर्वतमाला सतलुज नदी के पास हिमालय से अलग हो जाती है।
    • यह दोनों के बीच विभाजन का कार्य करती है।
      • एक तरफ व्यास एवं रावी नदियाँ।
      • दूसरी तरफ चिनाब नदी।
  • प्रमुख दर्रे
    • श्रेणी में छह महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक दर्रे हैं:
      • हाजीपीर दर्रा
      • गुलाबगढ़ दर्रा
      • रतनपीर दर्रा
      • पीर पंजाल दर्रा
      • बनिहाल दर्रा
      • बैरम गाला दर्रा
  • महत्त्वपूर्ण चोटियाँ
    • देव टिब्बा (6,001 मीटर)
    • इंद्रासन (6,221 मीटर)
  • ये चोटियाँ श्रेणी के पूर्वी छोर पर स्थित हैं।

पेरोवस्काइट नैनोक्रिस्टल्स (PNCs)

हाल ही में सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (CeNS), बंगलूरू के शोधकर्ताओं ने पेरोव्स्काइट नैनोक्रिस्टल (PNCs) के लिए एक समान एवं कुशल संश्लेषण विधि विकसित की है, जो कुशल, सतत् ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए मार्ग प्रशस्त करती है।

पेरोव्स्काइट नैनोक्रिस्टल (PNCs) के बारे में

  • PNCs पेरोव्स्काइट जैसी क्रिस्टल संरचना (CaTiO₃) वाले नैनोमटेरियल हैं।
  • ट्यूनेबल बैंडगैप, हाई फोटोल्यूमिनेसेंस क्वांटम यील्ड (PLQY) एवं संकीर्ण उत्सर्जन स्पेक्ट्रा जैसे असाधारण ऑप्टिकल गुण प्रदर्शित करते हैं।
  • लाभ: आसान संश्लेषण, कम लागत एवं अनुकूलन योग्य उत्सर्जन रंग।

PNCs के अनुप्रयोग

  • लाइट-एमिटिंग डायोड (LEDs): अगली पीढ़ी के डिस्प्ले के लिए उच्च दक्षता एवं रंग शुद्धता।
  • सौर सेल: उच्च प्रकाश अवशोषण एवं ट्यूनेबल बैंडगैप ऊर्जा रूपांतरण को बढ़ाते हैं।
  • लेजर: कॉम्पैक्ट एवं ट्यूनेबल लेजर के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • फोटोडिटेक्टर: ऑप्टिकल अनुप्रयोगों के लिए उच्च प्रकाश संवेदनशीलता। 
  • बायोइमेजिंग: मेडिकल डायग्नोस्टिक्स में फ्लोरोसेंट इमेजिंग के लिए उपयोग किया जाता है।

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