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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal February 26, 2025 02:50 29 0

इराक पृथ्वी में क्यों धंस रहा है?

शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया है, कि पृथ्वी की सतह के नीचे एक अवतलित समुद्री ‘स्लैब’ इराक के उत्तरी क्षेत्र को अपने साथ नीचे खींच रहा है।

मुख्य निष्कर्ष

  • इराक का उत्तरी क्षेत्र, विशेष रूप से जाग्रोस पर्वत के आसपास, विवर्तनिकी गतिविधि के कारण धीरे-धीरे अवतलित हो रहा है।
    • जाग्रोस पर्वत आधुनिक ईरान एवं इराक में स्थित हैं।
  • पृथ्वी की सतह के नीचे एक अवतलित समुद्री ‘स्लैब’ (नियोटेथिस समुद्री स्लैब) इस क्षेत्र को नीचे खींच रहा है।

अवतलन का कारण

  • पृथ्वी की सतह के नीचे एक अवतलित समुद्री ‘स्लैब’ (नियोटेथिस समुद्री स्लैब) इराक के उत्तरी क्षेत्र को नीचे खींच रहा है।
  • यह ‘स्लैब’ प्राचीन नियोटेथिस महासागर तल का भाग है, जो 66 मिलियन वर्ष पूर्व अस्तित्व में था।
  • यह ‘स्लैब’ विखंडित होकर पृथ्वी के मेंटल में अवतलित हो रहा है, इस प्रक्रिया में करोड़ों वर्ष लगते हैं।
  • भूवैज्ञानिक प्रक्रिया
    • यह अवतलन,  प्लेट टेक्टोनिक्स के कारण हो रहा है।
    • अरब एवं यूरेशियाई महाद्वीपीय प्लेटें आपस में टकरा रही हैं, जिससे समुद्री ‘स्लैब’ टूट कर अवतलित हो रहा है। 
    • यह प्रक्रिया बेहद धीमी है एवं लाखों वर्षों में होती है।

शोध के निहितार्थ

  • भूकंप की भविष्यवाणी: भूगर्भीय संरचना एवं चट्टान की ज्यामिति को समझने से यह अनुमान लगाने में मदद मिलती है कि भूकंप कहाँ तथा कितने शक्तिशाली हो सकते हैं। 
    • यह तुर्किए, सीरिया एवं इराक जैसे क्षेत्रों के लिए महत्त्वपूर्ण है, जो भूकंप के लिए प्रवण हैं (उदाहरण के लिए, तुर्किए तथा सीरिया में वर्ष 2023 के भूकंप)। 
  • भूतापीय ऊर्जा: शोध भूतापीय ढाल की गहराई का अनुमान लगाने में मदद करता है, जिसका उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जा सकता है। 
  • भू-वैज्ञानिक मॉडल: ये निष्कर्ष पृथ्वी के आंतरिक भाग के अधिक सटीक भूवैज्ञानिक मॉडल में योगदान करते हैं, जो टेक्टोनिक गतिविधियों को समझने में सहायता करते हैं।

शिवाजी के 12 किलों को यूनेस्को विरासत का दर्जा

महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल, छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंधित 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच विकसित किलों को यूनेस्को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए पेरिस रवाना हुआ।

संबंधित तथ्य

  • यह प्रस्ताव ‘भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य’ की अवधारणा के तहत प्रस्तुत किया गया है।

प्रस्ताव में शामिल किले

  • महाराष्ट्र: लोहागढ़, सलहेर, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, शिवनेरी, सुवर्णदुर्ग, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग, पन्हाला, खंडेरी।
  • तमिलनाडु: जिंजी किला।
  • प्रस्ताव का उद्देश्य: महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मान्यता दिलाना।

यूनेस्को विश्व धरोहर दर्जा के बारे में

  • यह सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक स्थलों को दिया जाने वाला दर्जा है, जिन्हें मानवता के लिए उत्कृष्ट मूल्य का माना जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) विश्व धरोहर सूची का प्रबंधन करता है।
  • यूनेस्को विश्व विरासत अभिसमय (1972)
    • उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य (Outstanding Universal Value) की सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत की रक्षा के लिए यूनेस्को द्वारा अपनाया गया।
    • इसका उद्देश्य भावी पीढ़ियों के लिए विरासत को संरक्षित करना एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • विश्व धरोहर स्थल के बारे में
    • यूनेस्को कन्वेंशन के तहत कानूनी संरक्षण वाला एक क्षेत्र।
    • सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक या प्राकृतिक महत्त्व का होना चाहिए।
    • राष्ट्रीय सीमाओं से परे, उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य (Outstanding Universal Value) का माना जाता है।
  • चयन मानदंड
    • मानव रचनात्मक प्रतिभा की उत्कृष्ट कृति।
    • वास्तुकला, प्रौद्योगिकी, कला या डिजाइन में मानव मूल्यों का महत्त्वपूर्ण आदान-प्रदान।
    • एक जीवित या लुप्त सांस्कृतिक परंपरा/सभ्यता का अनूठा प्रमाण।
    • महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक चरणों को दर्शाने वाली इमारत/वास्तुशिल्प समूह का उत्कृष्ट उदाहरण।
    • संस्कृति या मानव-पर्यावरण संपर्क का प्रतिनिधित्व करने वाला असाधारण पारंपरिक निपटान या भूमि-उपयोग।
    • महत्त्वपूर्ण घटनाओं, परंपराओं, विश्वासों या सार्वभौमिक मूल्य के कार्यों से ठोस संबंध।
    • उत्कृष्ट प्राकृतिक घटनाएँ या असाधारण प्राकृतिक सुंदरता।
    • पृथ्वी के इतिहास, भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं या भू-आकृतियों के प्रमुख उदाहरण।
    • पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक/जैविक प्रक्रियाएँ।
    • खतरे में पड़ी प्रजातियों सहित जैव विविधता के संरक्षण के लिए महत्त्वपूर्ण आवास।
  • भारत के विश्व धरोहर स्थल
    • 43 स्थल (फरवरी 2025 तक): 35 सांस्कृतिक स्थल, 7 प्राकृतिक स्थल, 1 मिश्रित स्थल।

टी हॉर्स रोड

हाल ही में, भारत में चीन के राजदूत, जू फेइहोंग ने ‘टी हॉर्स रोड’ के ऐतिहासिक महत्त्व पर प्रकाश डाला।

टी हॉर्स रोड क्या था?

  • यह मात्र एक सड़क नहीं थी, बल्कि 2,000 किलोमीटर से अधिक विस्तृत मार्गों का एक नेटवर्क था।
  • यह सड़क तिब्बत के माध्यम से दक्षिण-पश्चिम चीन को भारत, नेपाल एवं बांग्लादेश से जोड़ती थी।
  • मुख्य मार्ग युन्नान प्रांत के दाली एवं लिजिआंग जैसे शहरों से होकर गुजरते थे।
  • हालाँकि यह सिल्क रोड जितना प्रसिद्ध नहीं था, लेकिन इसने व्यापार एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • तांग राजवंश की उत्पत्ति: ‘टी हॉर्स रोड’ का इतिहास तांग राजवंश (618-907 ई.) से संबंधित है।
    • बौद्ध भिक्षु यिजिंग ने चीनी, वस्त्र एवं चावल नूडल्स जैसे उत्पादों का उल्लेख किया है, जिन्हें चीन से तिब्बत तथा भारत ले जाया जाता था।
  • सोंग राजवंश व्यापार: सोंग राजवंश (960-1279 ई.) तक, व्यापार मुख्य रूप से चाय एवं घोड़ों पर केंद्रित था, हालाँकि अन्य वस्तुओं का भी व्यापार होता था।

‘टी हॉर्स रोड’ का महत्त्व

  • सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक मार्ग: इस मार्ग ने चीन, तिब्बत एवं भारत के बीच वस्तुओं, संस्कृति तथा प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को सुगम बनाया।
  • चाय व्यापार: चीन से चाय तिब्बत एवं फिर कोलकाता ले जाई जाती थी, जहाँ से इसे यूरोप तथा एशिया में बेचा जाता था।
  • चाय की माँग: तिब्बती खानाबदोश चाय को पेय पदार्थ के रूप में अत्यधिक महत्त्व देते थे, जिससे यह एक आवश्यक व्यापारिक वस्तु बन गई।
  • सैन्य संसाधन: घोड़े परिवहन एवं सैन्य उद्देश्यों के लिए महत्त्वपूर्ण थे, तथा चीन उन्हें तिब्बत एवं युन्नान से आयात करता था।

श्रीशैलम लेफ्ट बैंक नहर (SLBC) सुरंग

श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग की छत का एक हिस्सा ढह गया है, जिससे आठ लोग इसके अंदर फँस गए हैं।

  • बचाव प्रयास: देश की शीर्ष नौ एजेंसियां ​​बचाव प्रयासों का समन्वय कर रही हैं, ये हैं:-
    • भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), हैदराबाद आपदा प्रतिक्रिया एवं संपत्ति संरक्षण एजेंसी (HYDRAA), राष्ट्रीय जल विज्ञान जांच एजेंसी, सिंगरेनी कोलियरीज आदि।

श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग के बारे में

  • सुरंग को विश्व की सबसे लंबी सिंचाई सुरंग बताया जा रहा है।
  • प्रारंभ: SLBC सुरंग के निर्माण के लिए वर्ष 2005 में स्वर्गीय वाई. एस. राजशेखर रेड्डी के समय समझौता किया गया था।
  • स्थान: सुरंग का निर्माण तेलंगाना में श्रीशैलम जलाशय के बाएँ किनारे पर किया जा रहा है एवं यह नागरकुरनूल जिले में नल्लामाला पहाड़ियों से होकर गुजरती है।
    • यह सुरंग अमराबाद टाइगर रिजर्व से 400 मीटर नीचे है।
  • उद्देश्य: सुरंग से 30 tmc फीट जल निकाला जाएगा, जिससे तेलंगाना के नालगोंडा एवं खम्मम जिले के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में चार लाख एकड़ जमीन की सिंचाई की जा सकेगी।
  • विशेषताएँ
    • सुरंग की लंबाई: यह श्रीशैलम से देवरकोंडा तक 44 किलोमीटर तक विस्तृत है।
    • लाइनिंग: सुरंग के 360 डिग्री हिस्से को ढहने एवं रिसाव को रोकने के लिए ‘प्रीफैब्रिकेटेड सीमेंट ब्लॉक’ से लाइन किया गया है।
    • तकनीक: सुरंग का निर्माण टनल बोरिंग मशीनों (TBMs) का उपयोग करके किया गया है।

ब्लैक प्लास्टिक

ब्लैक प्लास्टिक से बने उत्पादों पर किए गए एक अध्ययन ने मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रतिकूल प्रभावों पर प्रकाश डाला है।

  • प्रकाशन: अध्ययन केमोस्फीयर पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।
  • संचालन: ‘टॉक्सिक फ्री फ्यूचर’ एवं व्रीजे यूनिवर्सिटी एम्स्टर्डम के वैज्ञानिकों की टीम के द्वारा।
  • विश्लेषण: इसने रसोई के बर्तन, टेकअवे कंटेनर एवं खिलौनों सहित संयुक्त राज्य अमेरिका में बेचे जाने वाले 203 ब्लैक प्लास्टिक घरेलू उत्पादों का विश्लेषण किया।
  • निष्कर्ष
    • अध्ययन में ब्लैक प्लास्टिक से बने विभिन्न घरेलू उत्पादों में कैंसर उत्पन्न करने वाले, हार्मोन को बाधित करने वाले अग्निरोधी रसायनों के उच्च स्तर पाए गए
    • BDE-209: अध्ययन में उत्पादों में डेकाब्रोमोडिफेनिल ईथर (BDE-209) नामक अग्निरोधी रसायन की उपस्थिति पाई गई।
      • इसे अमेरिका में एक दशक से भी अधिक समय पहले चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया गया था।
    • सुरक्षित सीमा: ब्लैक स्पून एवं स्पैटुला से BDE-209 की अनुमानित सुरक्षित एक्सपोजर सीमा EPA की अनुशंसित सीमा के दसवें हिस्से से भी कम पाई गई है।
    • लीचिंग: यह फ्लेम-रिटार्डेंट जहरीला होता है, जो खतरनाक स्तर पर भोजन में घुल सकता है एवं संभावित मानव स्वास्थ्य जोखिमों से जुड़ा हुआ है।

ब्लैक प्लास्टिक

  • इसे अक्सर कंप्यूटर, टीवी एवं उपकरणों जैसे रीसाइकिल किए गए इलेक्ट्रॉनिक कचरे से बनाया जाता है।
  • उपयोग: इलेक्ट्रॉनिक्स से निकलने वाले केमिकल युक्त प्लास्टिक को पिघलाकर खाद्य ग्रेड प्लास्टिक के साथ मिलाया जाता है।
    • जिससे बच्चों के खिलौने, एकल उपयोग के बर्तन एवं कॉफी स्टिरर, गर्म कप के ढक्कन, खाना पकाने के उपकरण, इंसुलेटेड मग, गहने, बगीचे की नली तथा छुट्टियों की सजावट आदि जैसी चीजें बनाई जाती हैं।
  • रंग: प्लास्टिक में कार्बन ब्लैक नामक पदार्थ मिलाकर काला रंग बनाया जाता है।
  • रीसाइकिलिंग: सभी रीसाइकिल किए जाने वाले प्लास्टिक (ज्यादातर एकल उपयोग वाले खाद्य कंटेनर) में 15% हिस्सा ब्लैक प्लास्टिक का होता है
  • हानिकारक प्रभाव
    • कैंसरजन्य: कार्बन ब्लैक में पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) होते हैं, जिन्हें इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) द्वारा मनुष्यों के लिए संभवतः कैंसरजन्य के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • विषाक्त तत्व: पुनर्चक्रित e-अपशिष्ट में विषाक्त रसायन, जैसे कि थैलेट्स, अग्निरोधी पदार्थ एवं भारी धातुएँ जैसे कि कैडमियम, सीसा, निकल, क्रोमियम तथा पारा होते हैं जो भोजन में घुल सकते हैं
    • विकास संबंधी विकार: बहुत कम स्तर पर भी गुर्दे में व्यवधान के साथ गंभीर प्रजनन एवं विकास संबंधी समस्याएँ, मानव थायरॉयड फंक्शन दीर्घकालिक तंत्रिका संबंधी हानि का कारण बनता है।

एशिया में 12वाँ क्षेत्रीय 3R एवं सर्कुलर इकोनॉमी फोरम

भारत 3-4 मार्च 2025 को जयपुर के राजस्थान अंतरराष्ट्रीय केंद्र में एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में 12वें क्षेत्रीय 3R (रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल) एवं सर्कुलर इकोनॉमी फोरम की मेजबानी करने वाला है।

फोरम की मुख्य विशेषताएँ

12वें फोरम का नेतृत्व कर रहे हैं

  • स्वच्छ भारत मिशन – शहरी, आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय। 
  • जापान सरकार का पर्यावरण मंत्रालय। 
  • UN ESCAP, UNCRD, UNDSDG, UNDESA।
  • थीम: एशिया-प्रशांत में SDG एवं कार्बन तटस्थता हासिल करने की दिशा में ‘सर्कुलर सोसाइटीज’ को साकार करना। 
  • उद्देश्य: नीतिगत चर्चाओं, सहयोग एवं ज्ञान के आदान-प्रदान को मजबूत करना। 
    • यह सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) एवं एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था की दिशा में प्रगति को गति देगा। 

फोरम की पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2009 में संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय विकास केंद्र (UNCRD) द्वारा प्रारंभ किया गया।
  • फोरम नीतियों में 3R सिद्धांतों को एकीकृत करने में सरकारों का समर्थन करता है।
  • पिछला फोरम (2023) कंबोडिया द्वारा आयोजित किया गया था।
  • भारत ने इससे पहले वर्ष 2018 (इंदौर) में 8वें फोरम की मेजबानी कर चुका है।

यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव

यूक्रेन एवं उसके यूरोपीय सहयोगियों द्वारा 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान के लिए प्रस्तुत मसौदा प्रस्ताव “यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत तथा स्थायी शांति को आगे बढ़ाना”।

  • यह प्रस्ताव रूस-यूक्रेन संघर्ष की तीसरी वर्षगांठ पर आया है।

संकल्प के बारे में

  • उद्देश्य: प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर एवं अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के “विराम, शत्रुता की शीघ्र समाप्ति तथा शांतिपूर्ण समाधान” का आह्वान किया गया है।
  • मतदान: प्रस्ताव को पारित किया गया:-
    • पक्ष में: जर्मनी, ब्रिटेन, फ्राँस एवं G7 (अमेरिका को छोड़कर) जैसे प्रमुख यूरोपीय देशों सहित 93 देशों ने पक्ष में मतदान किया।
    • विरुद्ध: रूस, अमेरिका, इजरायल एवं हंगरी सहित 18 देशों ने विरोध में मतदान किया।
    • मतदान से तटस्थ: भारत, चीन एवं ब्राजील सहित 65 देश मतदान से तटस्थ रहे।

अमेरिका के रुख में परिवर्तन

  • रूस-यूक्रेन युद्ध के पिछले तीन वर्षों में पहली बार अमेरिका ने रूस के साथ मिलकर प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था।
  • डोनाल्ड ट्रम्प प्रभाव: यह कदम इस विषय पर अमेरिका की नीति में परिवर्तन का संकेत देता है, जो यूरोप से अलग होने के संकेत देते हुए अपनी स्थिति से एक बड़ा बदलाव दर्शाता है।

अमेरिका ने एक संक्षिप्त प्रतिद्वंद्वी प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, अर्थात-

  • “शांति का मार्ग”, “रूसी संघ-यूक्रेन” संघर्ष के दौरान हुई दुखद जनहानि पर शोक व्यक्त करते हुए।
  • स्वीकृति: प्रस्ताव को पक्ष में 93, विपक्ष में 8 और 73 अनुपस्थित मतों के साथ अपनाया गया।
    • हालाँकि अमेरिका मतदान से तटस्थ रहा।

वी. ओ. चिदंबरनार बंदरगाह

वी. ओ. चिदंबरनार बंदरगाह प्राधिकरण, थूथुकुडी में जहाज निर्माण सुविधा स्थापित करने की संभावना तलाश रहा है। 

वी. ओ. चिदंबरनार  बंदरगाह के बारे में

  • पूर्व नाम: वी. ओ. चिदंबरनार बंदरगाह को पहले तूतीकोरिन बंदरगाह के नाम से जाना जाता था। 
  • अवस्थिति: यह मन्नार की खाड़ी के साथ भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है। 
  • सामरिक महत्त्व: बंदरगाह पूर्व-पश्चिम अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों के पास स्थित है, जो इसे समुद्री व्यापार के लिए एक महत्त्वपूर्ण केंद्र का निर्माण करता है। 
  • बंदरगाह वर्गीकरण: यह भारत का एक प्रमुख बंदरगाह (Major Port) है। 
  • बंदरगाह का प्रकार: वी. ओ. चिदंबरनार बंदरगाह एक कृत्रिम बंदरगाह है। 
  • प्राकृतिक लाभ: यह बंदरगाह तूफानों एवं चक्रवाती पवनों से सुरक्षित है, जिससे सुचारू तथा निर्बाध परिचालन सुनिश्चित होता है। 
  • परिचालन क्षमता: यह एक गहरे जल वाला, सभी मौसमों में खुला रहने वाला बंदरगाह है जो वर्ष के 365 दिन चौबीसों घंटे कार्यशील रहता है।

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