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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal March 11, 2025 03:50 26 0

यूनेस्को का TWAS पुरस्कार

यूनेस्को द्वारा इंजीनियरिंग एवं कंप्यूटर विज्ञान में TWAS पुरस्कार,2026 सुमन चक्रवर्ती को प्रदान किया गया है।

  • डायग्नोस्टिक समाधान: यह पुरस्कार एनीमिया, कैंसर, COVID-19, तपेदिक आदि जैसी विभिन्न चिकित्सा समस्याओं को शामिल करने वाले वहनीय, सरलता-से-निष्पादित एवं अभिनव नैदानिक ​​समाधानों से संबंधित उनके कार्य को सम्मानित करने के लिए प्रदान किया जाता है।

प्रोफेसर सुमन  चक्रवर्ती 

  • प्रोफेसर चक्रवर्ती वर्तमान में J.C. बोस नेशनल फेलो हैं एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर (IIT-KGP) में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर हैं।
  • उल्लेखनीय नवाचार
    • ओरोस्क्रीन (Oroscreen): यह मुंह के कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए टॉर्च जैसा इमेजिंग उपकरण है।
    • कोविरैप (Covirap): यह COVID-19 को तेजी से डिटेक्ट करने वाली टेस्ट किट है। इसे DNA, RNA नमूनों का उपयोग करके तेजी से न्यूक्लिक एसिड परीक्षण तकनीक के लिए U.S. पेटेंट दिया गया है।
    • प्रीपैपक्यूआर (PrepapQR): यह महिलाओं के लिए एक घरेलू परीक्षण है, जिसमें स्ट्रिप की मदद से योनि के Ph का सटीक परीक्षण किया जाता है।
    • हेमोक्यूआर (HemoQR): यह एक सरलीकृत एनीमिया स्क्रीनिंग तकनीक है, जो वर्तमान में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध है।
    • वर्तमान में तपेदिक को तेजी से डिटेक्ट करने वाली एक प्रमुख तकनीक विकसित की जा रही है।

UNESCO का TWAS (द वर्ल्ड अकैडमी ऑफ साइंस) पुरस्कार

  • इसकी स्थापना वर्ष 1985 में TWAS द्वारा वैश्विक दक्षिण में वैज्ञानिक अनुसंधान में उत्कृष्टता को मान्यता देने के लिए की गई थी।
  • प्रदाता: UNESCO द्वारा
  • अवधि: यह एक द्विवार्षिक पुरस्कार है (प्रत्येक  दो वर्ष में)।
  • पात्रता: यह पुरस्कार विकासशील देशों के उन व्यक्तिगत वैज्ञानिकों को दिया जाता है जो कम-से-कम 10 वर्षों से वहाँ कार्य कर रहे हैं एवं रह रहे हैं।
  • मानदंड: विज्ञान के नौ क्षेत्रों में वैज्ञानिक ज्ञान में उत्कृष्ट योगदान या सतत् विकास के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग को मानदंड माना जाता है।
  • क्षेत्र: कृषि विज्ञान, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, पृथ्वी, खगोल विज्ञान एवं अंतरिक्ष विज्ञान, इंजीनियरिंग विज्ञान, गणित, चिकित्सा विज्ञान, भौतिकी तथा सामाजिक विज्ञान आदि।

T-72 टैंक

केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने रूसी रक्षा फर्म रोसोबोरोनएक्सपोर्ट (Rosoboronexport- RoE) के साथ 248 मिलियन डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।

अनुबंध की मुख्य विशेषताएँ

  • इस सौदे में T-72 युद्धक टैंकों के लिए 1,000-हॉर्सपॉवर (HP) इंजन की खरीद शामिल है।
  • ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण
    • अनुबंध में भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Transfer of Technology- ToT) शामिल है।
    • चेन्नई स्थित आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (हैवी व्हीकल फैक्ट्री) एकीकरण एवं उत्पादन का प्रबंधन करेगी।
    • यह पहल रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ का समर्थन करती है।

T-72 टैंक के बारे में

  • T-72 सोवियत युग का मुख्य युद्धक टैंक है, जिसका उत्पादन वर्ष 1973 में शुरू हुआ था।
    • यह विश्व में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मुख्य युद्धक टैंक है।
  • इसे T-64 टैंक एवं पहले के ‘ऑब्जेक्ट 167M’ डिजाइन के विचारों का उपयोग करके विकसित किया गया था।
  • विशेषताएँ
    • गतिशीलता: 1,000 HP इंजन के साथ अपग्रेड किया गया है, जो स्पीड एवं गतिशीलता को बेहतर बनाने में मदद करता है।
    • फायर पॉवर: 125 mm स्मूथबोर गन, 7.62 mm कोएक्सियल मशीन गन एवं 12.7 mm एंटी-एयरक्राफ्ट गन से युक्त है।
    • ऑपरेशनल रेंज: 500 किमी. तक की यात्रा कर सकता है।
      • इसकी ईंधन क्षमता लगभग 1,200 लीटर है।
  • लाभ
    • 1,000 HP इंजन में अपग्रेड करने से सुधार होगा
      • युद्धक्षेत्र में गतिशीलता।
      • सेना की आक्रामक क्षमताएँ।

कोच-राजबोंगशी

पश्चिमी असम एवं उत्तरी पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े समुदायों में से एक कोच-राजबोंगशी दशकों से अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा माँग रहे हैं। 

कोच-राजबोंगशी कौन हैं? 

  • कोच-राजबोंगशी, जिन्हें राजबंशी या राजबोंगशी के नाम से भी जाना जाता है, एक समुदाय है, जो निम्नलिखित क्षेत्रों में विस्तृत है: 
    • भारत– असम, उत्तरी बंगाल एवं पूर्वी बिहार। 
    • नेपाल– तराई क्षेत्र। 
    • बांग्लादेश– रंगपुर डिवीजन एवं उत्तरी बांग्लादेश के कुछ भाग। 
    • भूटान
  • ऐतिहासिक रूप से वे स्वयं को कोच राजवंश से जोड़ते रहे हैं। 
  • “राजबोंगशी” शब्द का शाब्दिक अर्थ है “शाही समुदाय”। 
  • उनकी एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं अपनी भाषा है।
    • भाषा: वे राजबंगशी/राजबंशी भाषा बोलते हैं। 
      • भाषा के अन्य नाम हैं-कामतापुरी, राजबंगशी, राजबंसी, राजबंगशी, गोलपारिया एवं ताजपुरी। 
    • धर्म: मूल रूप से, वे जीववाद का पालन करते थे। बाद में, हिंदू धर्म (सनातन धर्म) का पालन करने लगे।
      • इस समुदाय का एक छोटा वर्ग ईसाई धर्म का पालन करता था। 
  • अस्वीकृतियाँ एवं अस्थायी ST का दर्जा 
    • भारत के महापंजीयक (RGI) ने वर्ष 1981 से वर्ष 2006 के बीच आठ बार इन छह समुदायों की ST की माँग को खारिज कर दिया। 
      • ये समुदाय हैं: आदिवासी, अहोम, चुटिया, मटक एवं मोरन। 
    • वर्ष 1996 में, केंद्र ने कोच-राजबंशी को छह महीने के लिए ST का दर्जा दिया। 
      • विरोध के बाद यह निर्णय रद्द कर दिया गया, जब मेडिकल एवं इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में आरक्षित सीटों की अधिकांश सीट पर इस समुदाय के अधीन आ गई।

वानुअतु

वानुअतु ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी को दिए गए पासपोर्ट को रद्द करने का निर्णय किया है, जिन्हें भारतीय जाँच एजेंसियों द्वारा आर्थिक अपराधी बताया गया है।

  • उन्होंने निवेश द्वारा नागरिकता (Citizenship by Investment- CBI) कार्यक्रम के माध्यम से वानुअतु की नागरिकता प्राप्त की है।

वानुअतु का निवेश द्वारा नागरिकता (CBI) कार्यक्रम

  • धनी व्यक्तियों को वित्तीय निवेश करके नागरिकता लेने की अनुमति देता है।
  • कई देशों में वीजा-मुक्त या वीजा-ऑन-अराइवल पहुँच प्रदान करता है, जो इसे वैश्विक भगोड़ों एवं निवेशकों के लिए आकर्षक बनाता है।

वानुअतु के बारे में

  • स्थान: ऑस्ट्रेलिया के पूर्व एवं न्यूजीलैंड के उत्तर में एक दक्षिण प्रशांत राष्ट्र।
  • संरचना: 83 ज्वालामुखी द्वीप, जिनमें से 65 पर लोग निवास करते हैं।
  • राजधानी एवं सबसे बड़ा शहर: पोर्ट विला, इफेट द्वीप (900 वर्ग किमी.) पर स्थित है।

हंतावायरस

ऑस्कर विजेता अभिनेता जीन हैकमैन की पत्नी बेट्सी अराकावा की हंतावायरस से जुड़ी श्वसन संबंधी रोग से मृत्यु हो गई है। 

हंतावायरस के बारे में

  • हंटावायरस विषाणुओं का एक समूह है, जो मुख्य रूप से कुछ कृंतकों, जैसे डियर माइस वाइट-फूट माइस, राइस रैट और कॉटन रैट आदि के संपर्क के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है।
  • हंतावायरस की पहली बार पहचान 1950 के दशक की शुरुआत में कोरियाई युद्ध के दौरान हुई थी। 
  • इस वायरस का नाम हंता रखा गया, जो कोरिया से होकर बहने वाली ‘हंतान’ नदी के नाम पर रखा गया है। 
  • यह वायरस मनुष्यों में गंभीर श्वसन एवं रक्तस्रावी रोगों का कारण बन सकता है, कुछ मामलों में मृत्यु दर बहुत अधिक होती है।

हंतावायरस का संक्रमण

  • कृंतक संपर्क: कृंतक मलमूत्र से एरोसोलयुक्त कणों का साँस द्वारा अंदर जाना संक्रमण का प्राथमिक तरीका है।
  • मानव-से-मानव संचरण: अर्जेंटीना और चिली से आए कुछ वायरस, जैसे एंडीज वायरस (AND), के लोगों के बीच फैलने की खबरें मिली हैं, हालाँकि यह असामान्य घटना है।

हंतावायरस दो प्रमुख बीमारियों का कारण बन सकता है:

  • हंतावायरस पल्मोनरी सिंड्रोम (Hantavirus Pulmonary Syndrome- HPS)
    • यह मुख्य रूप से अमेरिका में पाया जाता है।
    • लक्षण: बुखार, मांसपेशियों में दर्द, थकान, गंभीर श्वसन समस्याएँ एवं अंग विफलता।
  • हेमोरेहेजीक फीवर विद रेनल सिंड्रोम (Hemorrhagic Fever with Renal Syndrome- HFRS)
    • मुख्य रूप से एशिया एवं यूरोप में पाया जाता है।
    • प्रारंभिक लक्षण: तेज बुखार, सिरदर्द, पीठ दर्द, निम्न रक्तचाप, किडनी की विफलता।

हंतावायरस से किसे खतरा है?

  • किसान, निर्माण श्रमिक एवं अप्रयुक्त स्थानों की सफाई करने वाले।
  • शिविरकर्ता एवं पैदल यात्री जो कृंतकों के संपर्क में आते हैं।
  • पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएँ एवं प्रतिरक्षाविहीन व्यक्ति।

निदान एवं उपचार

  • उपचार: हंतावायरस संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार या टीका नहीं है।
    • प्रबंधन मुख्य रूप से जीवित रहने की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रारंभिक पहचान, सहायक देखभाल एवं रोगसूचक उपचार पर केंद्रित है।

पशु औषधि केंद्र

भारत सरकार पशुपालन एवं डेयरी से जुड़े लोगों को सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाइयाँ उपलब्ध कराने के लिए देश भर में “पशु औषधि” स्टोर खोलने की योजना बना रही है।

  • पशुपालन एवं डेयरी विभाग जल्द ही इन स्टोरों के संचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा।

पशु औषधि पहल के बारे में

  • यह संशोधित पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (Livestock Health and Disease Control Programme- LHDCP) का एक हिस्सा है।
    • LHDCP का वर्ष 2024-25 एवं वर्ष 2025-26 के लिए कुल 3,880 करोड़ रुपये का परिव्यय है।
  • इसका उद्देश्य पशुपालन एवं डेयरी से जुड़े लोगों को अच्छी गुणवत्ता वाली तथा सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाइयाँ उपलब्ध कराना एवं दवाओं की बिक्री के लिए प्रोत्साहन उपलब्ध कराना है।
  • पशु औषधि स्टोर सहकारी समितियों एवं प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (PMKSK) द्वारा संचालित किए जाएँगे।
  • एथनोवेटरिनरी दवाएँ: पशु औषधि केंद्र पशु रोगों के इलाज के लिए पारंपरिक मान्यताओं एवं स्वदेशी ज्ञान तथा प्रथाओं पर आधारित एथनोवेटरिनरी दवाएँ भी बेचेंगे।
    • राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) ने खुरपका एवं मुँहपका रोग (Foot and Mouth Disease- FMD), बुखार, दस्त, सूजन एवं अपच तथा कृमि के उपचार के लिए एथनोवेटरिनरी फॉर्मूलेशन की एक सूची तैयार की है।
  • आवश्यकता: 20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत की पशुधन आबादी 535.78 मिलियन थी, जिसमें कुल गोजातीय आबादी (मवेशी, भैंस, मिथुन एवं याक सहित) 302.79 मिलियन थी।
  • पशुधन रोग: वे खुरपका एवं मुँहपका रोग (Foot and Mouth Disease- FMD), ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रुमिनेंट्स (Peste des Petits Ruminants- PPR), सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (Cerebrospinal Fluid- CSF), लंपी स्किन डिजीज आदि जैसी बीमारियों के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित होते हैं।

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