पिछले कुछ हफ्तों में पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
बलूचिस्तान क्षेत्र के बारे में
बलूचिस्तान एक विशिष्ट सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक पहचान वाला क्षेत्र है, जो अब तीन देशों मुख्य रूप से पाकिस्तान, ईरान तथा अफगानिस्तान के बीच विभाजित है।
सीमाएँ: इसकी सीमा पश्चिम में ईरान, उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान, दक्षिण-पूर्व में सिंध एवं दक्षिण में अरब सागर से मिलती है।
भू-भाग: सुलेमान एवं किरथर पर्वतमालाएँ प्रमुख भौगोलिक विशेषताएँ हैं।
आर्थिक संसाधन
खनिज संपदा: बलूचिस्तान ताँबा, सोना, कोयला एवं प्राकृतिक गैस सहित खनिज संसाधनों से समृद्ध है।
सांस्कृतिक विरासत: बलूच लोगों की अपनी भाषाओं, परंपराओं एवं ऐतिहासिक आख्यानों के साथ एक विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है। इस क्षेत्र में बलूची, पश्तो तथा ब्राहुई (Brahui) बोली जाती है।
बलूचिस्तान का भू-सामरिक महत्त्व
रणनीतिक स्थान: अरब सागर के किनारे एवं होर्मुज जलडमरूमध्य के पास होने से यह क्षेत्र समुद्री व्यापार तथा ऊर्जा मार्गों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
ग्वादर बंदरगाह: यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का एक हिस्सा है एवं व्यापार तथा सैन्य उपस्थिति के लिए रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है।
क्षेत्रीय प्रभाव: ईरान एवं अफगानिस्तान से इसकी निकटता इसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय गतिशीलता प्रदान करती है, जो दक्षिण तथा मध्य एशिया में सुरक्षा एवं आर्थिक हितों को प्रभावित करती है।
संसाधन समृद्धि: तेल एवं गैस भंडार सहित प्रांत की खनिज संपदा इसके रणनीतिक महत्त्व को बढ़ाती है, जो राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय दोनों आर्थिक हितों को प्रभावित करती है।
विज्ञान धारा योजना
(Vigyan Dhara Scheme)
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन अम्ब्रेला योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दे दी, जिन्हें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की एकीकृत केंद्रीय क्षेत्रक योजना ‘विज्ञान धारा’ में विलय कर दिया गया।
विज्ञान धारा योजना के बारे में
घटक: इस योजना के तीन व्यापक घटक हैं:-
विज्ञान और प्रौद्योगिकी (S&T) संस्थागत एवं मानव क्षमता निर्माण
अनुसंधान एवं विकास
नवाचार, प्रौद्योगिकी विकास।
परिव्यय: 15वें वित्त आयोग की अवधि वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 के दौरान योजना के कार्यान्वयन के लिए प्रस्तावित परिव्यय 10,579.84 करोड़ रुपये है।
उद्देश्य: देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की दिशा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षमता निर्माण के साथ-साथ अनुसंधान, नवाचार तथा प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना।
महत्त्व
बुनियादी ढाँचा: S&T बुनियादी ढाँचे को मजबूत करता है एवं शैक्षणिक संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं को सुसज्जित करता है।
दक्षता: बेहतर फंड उपयोग एवं सिंक्रनाइडजेशन के लिए मौजूदा योजनाओं का विलय।
अनुसंधान फोकस: अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ बुनियादी, अनुवादात्मक एवं सहयोगात्मक अनुसंधान का समर्थन करता है।
मानव संसाधन: इसका उद्देश्य एक महत्त्वपूर्ण मानव संसाधन पूल का निर्माण करना एवं पूर्णकालिक समकक्ष (FTE) शोधकर्ता संख्या में सुधार की दिशा में देश के अनुसंधान एवं विकास आधार का विस्तार करना है।
लैंगिक समानता: लैंगिक समानता के लक्ष्यों के साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देता है।
नवप्रवर्तन समर्थन: शिक्षा जगत, सरकार एवं उद्योगों के बीच बढ़ते सहयोग के साथ, स्कूल से लेकर उद्योग तक नवप्रवर्तन को प्रोत्साहित करता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के बारे में
यह देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी गतिविधियों के आयोजन, समन्वय तथा प्रचार के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करता है।
विवादित सबीना शोल (Sabina Shoal)
दक्षिण चीन सागर में विवादित सबीना शोल (Sabina Shoal) के पास टकराव के दौरान चीनी एवं फिलीपींस के जहाज टकरा गए।
सबीना शोल (Sabina Shoal) के बारे में
सबीना शोल: यह एक समुद्री प्रवाल एटाॅल है, जो स्प्रैटली के पूर्वी भाग में एक समुद्री पर्वत के शीर्ष पर विकसित हुआ है।
स्थान: यह फिलीपीन द्वीप पलावन के पश्चिम में अवस्थित है।
इसकी निकटतम उथली भौगोलिक विशेषता बॉक्सॉल रीफ (Boxall Reef) है।
चीन-फिलीपींस विवाद: चीन सबीना शोल को जियानबिन रीफ (Xianbin Reef) कहता है, जबकि फिलीपींस इसे एस्कोडा शोल (Escoda Shoal) कहता है।
चीन सबीना शोल पर दावा करता है। यह चीन के निकटतम प्रमुख भू-भाग, हैनान द्वीप से 1,000 किमी. से अधिक दूर है।
चीन एवं फिलीपींस ने हाल के महीनों में तट के आसपास तट रक्षक जहाजों को तैनात किया है, फिलीपींस को डर है कि चीन वहाँ एक कृत्रिम द्वीप निर्मित करने वाला है।
भारत में प्ली बार्गेनिंग
(Plea Bargaining in India)
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय की एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में ‘प्ली बार्गेनिंग’ (Plea Bargaining) का आवेदन न्यूनतम है।
प्ली बार्गेनिंग के बारे में
यह एक ऐसी प्रथा है, जिसके तहत आरोपी खुद को दोषी न मानने एवं पूरी सुनवाई की माँग करने के अपने अधिकार को त्याग देता है तथा इसके बजाय लाभ के लिए सौदेबाजी के अधिकार का उपयोग करता है।
प्ली बार्गेनिंग को वर्ष 2005 में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) में शामिल किया गया था।
अन्य तंत्रों की तुलना में किसी अभियुक्त के लिए कार्यवाही समाप्त करने के लिए प्ली बार्गेनिंग एक कम आकर्षक विकल्प है:-
कंपाउंडिंग (समझौता)।
आपराधिक कार्यवाही को रद्द करना।
गवाह का मुकर जाना (दोनों पक्षों के बीच समझौते का कारण)।
प्ली बार्गेनिंग का उपयोग: केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में प्ली बार्गेनिंग के माध्यम से केवल 0.11% मामलों का समाधान किया गया।
रिपोर्ट: ‘भारत में पारंपरिक आपराधिक मुकदमे के वैकल्पिक मॉडल के रूप में प्ली बार्गेनिंग के माध्यम से न्याय तक पहुँच: चुनिंदा भारतीय राज्यों की एक केस स्टडी’।
वर्ष 2022 की NCRB रिपोर्ट से पता चला कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के 119 मामले एवं POCSO अधिनियम के तहत दर्ज चार मामलों को प्ली बार्गेनिंग द्वारा निपटाया गया।
डिस्कनेक्ट करने का अधिकार
ऑस्ट्रेलिया ने लाखों श्रमिकों को ‘डिस्कनेक्ट’ करने का कानूनी अधिकार दिया, जिससे उन्हें नियोक्ताओं से अनुचित आउट-ऑफ-आवर संपर्क को अनदेखा करने की अनुमति मिली, जिससे बड़े उद्योग को परेशानी हुई।
डिस्कनेक्ट करने के अधिकार के बारे में
उद्देश्य: व्यक्तिगत समय की सुरक्षा करना एवं अधिक संतुलित कार्य-जीवन सामंजस्य को बढ़ावा देना।
कार्य करना: कानून नियोक्ताओं को घंटों के बाद श्रमिकों से संपर्क करने पर प्रतिबंध नहीं लगाता है।
इसके बजाय, यह कर्मचारियों को जवाब न देने का अधिकार देता है, जब तक कि उनका इनकार अनुचित न समझा जाए।
महत्त्व: यह अधिकार कर्मचारियों को हमेशा उपलब्ध रहने की निरंतर अपेक्षा से बचाने का प्रयास करता है, जिससे तनाव कम होता है एवं थकावट से बचाव होता है।
समान नियम: इस कानून को पेश करके, ऑस्ट्रेलिया लगभग दो दर्जन अन्य देशों में शामिल हो गया है, जिनमें ज्यादातर यूरोप एवं लैटिन अमेरिका में हैं, जिनके समान नियम हैं।
फ्रांस ने वर्ष 2017 में डिस्कनेक्ट के अपने अधिकार को लागू करने वाले पहले देशों में से एक था।
लचीला एवं व्यावहारिक: नियोक्ता आपात स्थिति में या जब नौकरी की प्रकृति के लिए अनियमित घंटों की आवश्यकता होती है, तो कर्मचारियों से संपर्क कर सकते हैं।
यह लचीलापन सुनिश्चित करता है कि कानून व्यावहारिक है एवं आवश्यक व्यावसायिक संचालन में बाधा नहीं डालता है।
दुनिया के पहले फेफड़े के कैंसर के टीके का परीक्षण शुरू
यूके में एक 67 वर्षीय व्यक्ति पर फेफड़ों के कैंसर के टीके के लिए परीक्षण शुरू किया गया है।
फेफड़ों के कैंसर के टीके के परीक्षणों का अवलोकन
फेफड़े के कैंसर के टीके के बारे में: BioNTech द्वारा विकसित BNT116 वैक्सीन का उद्देश्य नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (Non-Small Cell Lung Cancer- NSCLC) का इलाज करना है, जो फेफड़ों के कैंसर का सबसे आम प्रकार है।
उद्देश्य: NSCLC के लिए विशिष्ट ट्यूमर मार्करों को पहचानने एवं उन पर हमला करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रशिक्षित करके कैंसर कोशिकाओं को समाप्त करना तथा उनकी पुनरावृत्ति को रोकना।
प्रौद्योगिकी: यह प्रतिरक्षा प्रणाली को निर्देश देने के लिए कुछ कोविड जैब्स के समान mRNA तकनीक का उपयोग करता है।
परीक्षण: ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, स्पेन एवं तुर्किए सहित अन्य देशों में होने वाले परीक्षण को फेफड़ों के कैंसर के इलाज में एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जाता है।
फेफड़ों के कैंसर के बारे में
फेफड़े का कैंसर: यह एक घातक ट्यूमर है, जो फेफड़ों के ऊतकों में बनता है, आमतौर पर उन कोशिकाओं में जो श्वसन मार्ग को रेखांकित करती हैं।
दो मुख्य प्रकार: लघु कोशिका फेफड़ों का कैंसर एवं गैर-लघु कोशिका फेफड़ों का कैंसर।
गैर-लघु कोशिका फेफड़ों का कैंसर सबसे आम प्रकार है।
कारण: धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण है, जो लगभग 85% मामलों के लिए जिम्मेदार है, लेकिन धूम्रपान न करने वालों में भी यह विकसित हो सकता है।
लक्षण
खाँसी जो कुछ हफ्तों के बाद भी दूर नहीं होती।
छाती में संक्रमण जो बार-बार आता रहता है।
खाँसी के साथ खून आना।
स्पेसएक्स का पोलारिस डॉन मिशन (Polaris Dawn Mission)
स्पेसएक्स का पोलारिस डॉन मिशन (Polaris Dawn Mission) पहले निजी तौर पर प्रबंधित स्पेसवॉक के साथ लॉन्च होने के लिए तैयार है, यह एक जोखिम भरा प्रयास है, जो पहले केवल सरकारी अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा किया जाता था।
स्पेसएक्स के पोलारिस डॉन मिशन के बारे में
पोलारिस डॉन: स्पेसएक्स का पाँच दिवसीय मिशन अंडाकार आकार की कक्षा में घूमेगा, जो पृथ्वी के करीब 190 किमी. और 1,400 किमी. दूर से गुजरेगा।
यह वर्ष 1972 में संयुक्त राज्य अमेरिका के अपोलो चंद्रमा कार्यक्रम के अंत के बाद से किसी भी इंसान द्वारा की गई सबसे दूर की यात्रा है।
स्पेसवॉक: मिशन के चार सदस्यीय चालक दल में से दो एक बंधे हुए स्पेसवॉक के लिए पृथ्वी की कक्षा में अपने क्रू ड्रैगन कैप्सूल से बाहर निकलेंगे।
यह स्पेसएक्स के नए स्पेससूट का पहला बड़ा परीक्षण होगा।
प्रमुख चिंता: कैप्सूल में एयरलॉक की कमी है एवं यह स्पेसवॉक के लिए पूरी तरह से दबाव मुक्त कर देगा, जिससे सभी चार चालक दल के सदस्यों को जीवित रहने के लिए अपने सूट पर निर्भर रहना होगा।
महत्त्व: यह मिशन उन प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने का एक अवसर है, जिनका उपयोग चंद्रमा एवं मंगल ग्रह पर किया जा सकता है।
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