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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal March 13, 2025 02:20 79 0

चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों से परे जल-हिम की उपस्थिति

चंद्रयान-3 पर चंद्रा सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरीमेंट (ChaSTE) से प्राप्त डेटा के नए विश्लेषण से पता चलता है कि इस बात की पूर्ण संभावना है कि चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों के बाह्य स्थानों में जल-हिम मौजूद हो।

मुख्य निष्कर्ष

  • चंद्रा के सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरीमेंट (ChaSTE) ने कम दूरी पर उच्च तापमान भिन्नता दर्ज की।

चंद्रा सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरीमेंट (ChaSTE) के बारे में

  • यह चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर पर स्थित तापमान जाँच यंत्र है।
  • उद्देश्य
    • दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मृदा के तापमान प्रोफाइल को मापना।
    • चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझना।
    • लैंडिंग साइट पर 100 मिमी. (10 सेमी) की गहराई तक ऊर्ध्वाधर तापमान ढाल का निर्धारण करना।
    • रेगोलिथ की तापीय चालकता को मापना।

अफ्रीका का विशालकाय गोलियथ बीटल

नए शोध में पाया गया है कि विशाल गोलियथ बीटल की एक प्रजाति को पश्चिम अफ्रीकी कोको उद्योग और कुछ हद तक सूखे कीड़ों (Dried Insects) के अंतरराष्ट्रीय व्यापार द्वारा लगभग समाप्त कर दिया गया है।

मुख्य शोध निष्कर्ष

  • खतरे में प्रजातियाँ
    • गोलियथ कैसिकस (Goliathus Cacicus) (छोटा, वर्षावन-निर्भर): कोटे डी आइवर में 80% की कमी।
    • गोलियथ रेगियस (Goliathus Regius) (सूखे वन प्रजाति): 40% आवास की हानि।
  • कमी के कारण
    • कोको की खेती के कारण वनों की कटाई।
    • अवैध कीट व्यापार (ईबे, फेसबुक के माध्यम से ऑनलाइन बेचा जाता है)।
    • खनन एवं भूमि रूपांतरण से आवास का विनाश।

गोलियथ बीटल  के बारे में

  • गोलियथ बीटल  (जीनस: गोलियथ) विश्व का सबसे बड़ा कीट है, जो अफ्रीकी वर्षावनों में पाया जाता है।
  • पाँच प्रजातियाँ मौजूद हैं, जो 110 मिमी. तक लंबी होती हैं।
  • वन स्वास्थ्य के संकेतक: उनकी उपस्थिति एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत देती है।
  • पारिस्थितिक भूमिका
    • लार्वा (ग्रब) सर्वाहारी होते हैं, जो पौधों के अपशिष्ट एवं मांस का भक्षण करते हैं, जिससे पोषक चक्रण में मदद मिलती है।
    • वयस्क परिपक्व वर्षावनों में पेड़ों के रस पर भोजन करते हैं।
  • IUCN रेड लिस्ट: गोलियथ बीटल का वर्तमान में IUCN रेड लिस्ट में मूल्यांकन नहीं किया गया है।

उत्तरी सागर

हाल ही में उत्तरी सागर में विषैले रसायन ले जा रहे एक मालवाहक जहाज और अमेरिकी सेना के लिए जेट ईंधन ले जा रहे एक तेल टैंकर के बीच हुई टक्कर से पर्यावरणीय आपदा की चिंता उत्पन्न हो गई है।

उत्तरी सागर के बारे में

  • उत्तरी सागर उत्तरी यूरोप का हिस्सा है एवं अटलांटिक महासागर से जुड़ा हुआ है।
  • यह दक्षिण-पश्चिम में इंग्लिश चैनल के माध्यम से अटलांटिक महासागर से जुड़ता है।
  • पूर्व में, यह कैटेगट एवं स्केगराक जलडमरूमध्य के माध्यम से बाल्टिक सागर से जुड़ता है।
  • सबसे व्यस्त कृत्रिम जलमार्गों में से एक कील नहर भी उत्तरी सागर को बाल्टिक सागर से जोड़ती है।
  • उत्तरी सागर की सीमा से लगे देश
    • उत्तरी सागर की सीमाएँ हैं:
      • पश्चिम: यूनाइटेड किंगडम एवं नॉर्वे।
      • दक्षिण: डेनमार्क।
      • पूर्व: जर्मनी, नीदरलैंड, बेल्जियम एवं फ्रांस।
      • उत्तर: फरो आइलैंड्स एवं नॉर्वे का स्वालबार्ड द्वीपसमूह।
  • जलवायु
    • उत्तरी सागर में सामान्य तापमान के साथ समशीतोष्ण महासागरीय जलवायु है।
    • सर्दियाँ लंबी एवं ठंडी होती हैं, जबकि गर्मियाँ छोटी होती हैं।
  • उत्तरी सागर में गिरने वाली प्रमुख नदियाँ हैं: फोर्थ, एल्बे, वेसर, एम्स, राइन एवं मीयूज, शेल्ड्ट, टेम्स तथा हंबर।
  • महत्त्वपूर्ण बंदरगाह
    • उत्तरी सागर तट पर कई प्रमुख बंदरगाह स्थित हैं।
    • रॉटरडैम यूरोप का सबसे व्यस्त बंदरगाह है।
    • अन्य महत्त्वपूर्ण बंदरगाहों में शामिल हैं:
      • एंटवर्प
      • हैम्बर्ग
      • ब्रेमरहेवन
      • फेलिक्सस्टोवे
    • ब्रुग्स-जीब्रुग का बंदरगाह यूरोप का प्रमुख रो-रो (रोल-ऑन/रोल-ऑफ) सेवा युक्त बंदरगाह है।
  • आर्थिक महत्त्व
    • उत्तरी सागर यूरोप के सबसे अधिक उत्पादक मत्स्यन क्षेत्रों में से एक है।
    • यह यूरोप के भीतर एवं यूरोप तथा मध्य पूर्व के बीच व्यापार के लिए एक प्रमुख शिपिंग मार्ग के रूप में कार्य करता है।
    • समुद्र तल के नीचे पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस के विस्तृत भंडार हैं, जो इसे ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण बनाते हैं।

चीन का ‘लार्ज फेज्ड  ऐरे रडार’ (LPAR)

China’s Large Phased Array Radar (LPAR)

चीन ने चीन-म्याँमार सीमा के पास युन्नान प्रांत में एक शक्तिशाली ‘लार्ज फेज्ड ऐरे रडार’ (Large Phased Array Radar- LPAR) तैनात किया है। 

चीन का लार्ज फेज्ड ऐरे रडार 

  • रेंज: 5,000 किलोमीटर से अधिक, भारतीय क्षेत्र एवं हिंद महासागर में गहराई तक। 
  • पारंपरिक रडार के विपरीत, जो यांत्रिक चक्रण पर निर्भर करते हैं, LPAR इलेक्ट्रॉनिक रूप से नियंत्रित एंटिना का उपयोग करके विशाल क्षेत्रों को तुरंत स्कैन करते हैं। 
  • LPAR की रणनीतिक क्षमताएँ 
    • मिसाइल एवं विमान का शीघ्र पता लगाना: यह प्रणाली बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करती है, जो वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने से पहले पृथ्वी की निचली कक्षा में जाती हैं।
    • इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की संभावना: यह रेडियो, TV, GPS एवं विमानन नेविगेशन सहित संचार प्रणालियों में हस्तक्षेप कर सकता है।
    • चीन के रक्षा नेटवर्क के साथ एकीकरण: LPAR एक बड़ी पूर्व चेतावनी प्रणाली का हिस्सा है एवं कोरला तथा झिंजियांग में इसी तरह के रडार का पूरक है।

भारत पर प्रभाव

  • भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने चिंता जताई है कि यह प्रणाली डॉ. APJ अब्दुल कलाम द्वीप (ओडिशा के तट से दूर) से किए गए मिसाइल परीक्षणों की निगरानी कर सकती है।
  • यह द्वीप निम्नलिखित के लिए एक प्रमुख प्रक्षेपण स्थल है:
    • अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें
    • K-4 पनडुब्बी से प्रक्षेपित मिसाइलें
  • मिसाइल के प्रक्षेप पथ, गति और दूरी पर महत्त्वपूर्ण डेटा प्राप्त करके, चीन को रणनीतिक लाभ प्राप्त होता है, जिससे वह प्रतिक्रिया उपायों का विश्लेषण और विकास करने में सक्षम हो जाता है।

विश्वामित्री नदी

गुजरात के वडोदरा में विश्वामित्री नदी की सफाई और तटबंधीकरण के उपायों को राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश का ‘गंभीर उल्लंघन’ बताया गया है, जिसे नागरिकों और पर्यावरणविदों के एक समूह ने उठाया है।

विश्वामित्री नदी के बारे में

  • उत्पत्ति: नदी गुजरात के पंचमहल जिले में पावागढ़ पहाड़ियों एवं जंबुघोड़ा वन से निकलती है।
  • अवस्थिति: विश्वामित्री नदी मुख्य रूप से वडोदरा शहर के पश्चिम से होकर बहती है।
  • नामकरण: नदी का नाम महान संत विश्वामित्र के नाम पर रखा गया है।
  • सहायक नदियाँ: नदी प्रणाली में तीन प्रमुख सहायक नदियाँ खानपुर, ढाढर एवं जंबुवा शामिल हैं।
  • प्रवाह: इसका प्रवाह दो बड़ी बारहमासी नदियों माही एवं नर्मदा के बीच पूर्व से पश्चिम की ओर है।
  • नदी का मुहाना: नदी खंभात की खाड़ी में गिरती है।
  • जीव-जंतु: विश्वामित्री नदी मगर या दलदली मगरमच्छों (क्रोकोडी-लस पलुस्ट्रिस) का आवास है, जिन्हें भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत कानूनी रूप से संरक्षित किया गया है। 
  • नदी प्रणाली में भारतीय सॉफ्टशेल टर्टल भी पाए जाते हैं।

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