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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal March 17, 2025 02:48 17 0

प्लास्टिक आइस VII

हाल ही में प्लास्टिक आइस VII नामक तीन (ठोस, द्रव एवं गैस) मौजूदा अवस्था से परे बर्फ के चौथे रूप की पुष्टि की गई है।

प्लास्टिक आइस VII 

  • यह दुर्लभ अवस्था जल के अणुओं को ठोस संरचना में रहते हुए स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति देती है।
  • वैज्ञानिकों ने पहली बार वर्ष 2008 में इसके अस्तित्व का पूर्वानुमान लगाया था।
  • विधि: वैज्ञानिकों ने परमाणु पैमाने पर आणविक गति का निरीक्षण करने के लिए छोटे बर्फ के नमूनों का अध्ययन करने के लिए ‘एडवांस क्वाजी इलास्टिक न्यूट्रॉन स्कैटरिंग’ (Advanced Quasi Elastic Neutron Scattering-QENS)) डायमंड-एनविल सेल का उपयोग किया।
  • विषय: इस खोज से वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि पृथ्वी के चरम वातावरण में जल किस प्रकार व्यवहार करता है।
  • विशेषताएँ
    • प्लास्टिक आइस VII में नियमित बर्फ के विपरीत एक कठोर संरचना होती है, लेकिन यह विशिष्ट दिशाओं में आणविक घूर्णन की अनुमति देती है।
    • दाब: बर्फ तीन गीगापास्कल (GPa) से अधिक दाब में निर्मित होती है, जो पृथ्वी के वायुमंडलीय दाब से लगभग 30,000 गुना अधिक है।
    • तापमान: इसके लिए 450 केल्विन (177°C) से अधिक तापमान की भी आवश्यकता होती है।
  • महत्त्व
    • इस खोज ने अंतरिक्ष में जल के बारे में मानवीय समझ को बदल दिया है।
    • बृहस्पति एवं शनि के बर्फीले उपग्रहों, जैसे कि गैनीमीड तथा टाइटन पर एक और चरम चरण आइस VII मौजूद है।
  • प्लास्टिक आइस VII का अस्तित्व बताता है कि अंतरिक्ष में जल और भी अप्रत्याशित तरीके से व्यवहार करता है।
  • यह ग्रहों की खोज को एक नई दिशा दे सकता है एवं चरम स्थितियों में कार्य करने वाली नई सामग्रियों तथा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में भी मदद कर सकता है।

क्वासी इलास्टिक न्यूट्रॉन स्कैटरिंग (Quasi Elastic Neutron Scattering- QENS) के बारे में

  • यह एक ऐसी तकनीक है जो नैनोस्केल पर हाइड्रोजन सहित सामग्री की गतिशीलता की जाँच करती है, जिसमें प्रसार, घूर्णी गति एवं अन्य स्टोकेस्टिक प्रक्रियाएँ शामिल हैं।
  • यह इलास्टिक न्यूट्रॉन स्कैटरिंग लाइन के विस्तार का विश्लेषण करता है जो कणों की स्टोकेस्टिक गति के कारण छोटे ऊर्जा हस्तांतरण से उत्पन्न होती है।

अभ्यास बोंगोसागर 25

भारत-बांग्लादेश नौसेना अभ्यास बोंगोसागर 2025 एवं समन्वित गश्ती इस सप्ताह (13 मार्च 2025) बंगाल की खाड़ी में संपन्न हुई।

बोंगोसागर 25 के बारे में

  • यह एक संयुक्त नौसेना संचालन अभ्यास है।
    • मुख्य प्रतिभागी:-
      • भारतीय नौसेना: INS रणवीर।
      • बांग्लादेश नौसेना: BNS अबू उबैदा।
  • यह सहयोग भारत के सागर (SAGAR) अर्थात ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास’ (Security and Growth for All in the Region) दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो क्षेत्रीय स्थिरता तथा समुद्री सुरक्षा पर जोर देता है।
  • अभ्यास के उद्देश्य
    • दोनों नौसेनाओं के बीच अंतर-संचालन को मजबूत करना।
    • साझा समुद्री सुरक्षा चुनौतियों के लिए सहयोगी प्रतिक्रियाओं को बढ़ाना।
    • रणनीतिक योजना एवं सूचना साझाकरण में समन्वय में सुधार करना।

असिस्टेड सुसाइड

(Assisted Suicide)

नोबेल पुरस्कार विजेता एवं थिंकिंग, फास्ट एंड स्लो के लेखक, इजरायली-अमेरिकी मनोवैज्ञानिक डैनियल काह्नमैन का 27 मार्च, 2024 को स्विट्जरलैंड में एक असिस्टेड सुसाइड सेंटर में निधन हो गया।

असिस्टेड सुसाइड क्या है?

  • असिस्टेड सुसाइड, जिसे चिकित्सक-सहायता प्राप्त आत्महत्या (Physician-Assisted Suicide-PAS) भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति दूसरों की सहायता से अपना जीवन समाप्त करने के लिए दवा लेता है।
  • प्रकार
    • सक्रिय: इसमें मृत्यु का कारण बनने के लिए प्रत्यक्ष कार्रवाई शामिल है।
    • निष्क्रिय: इसमें जीवन-रक्षक उपचार जैसे वेंटिलेटर या फीडिंग ट्यूब को रोकना या बंद कर लेना शामिल है।
  • असिस्टेड सुसाइड का उद्देश्य
    • इसका उपयोग दर्दनाक, लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों के लिए जीवन के अंत के विकल्प के रूप में किया जाता है।
    • कानूनी स्वीकृति के बाद, डॉक्टर आमतौर पर दवा की घातक खुराक के लिए प्रिस्क्रिप्शन प्रदान करता है।
    • यह ‘मरने के चिकित्सा अधिकार’ पर आधारित है, जो व्यक्तियों को यह चुनने की अनुमति देता है:-
      • वे कब एवं कैसे मरेंगे।
      • मरने में चिकित्सा सहायता प्राप्त करना या जीवन-रक्षक उपचार से इनकार करना।

कानूनी स्थिति भारत में असिस्टेड सुसाइड या इच्छामृत्यु

  • भारत का कानूनी ढाँचा सक्रिय इच्छामृत्यु एवं निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है।
    • भारत में सक्रिय इच्छामृत्यु निषिद्ध है जिसमें घातक इंजेक्शन दिया जाता है।
    • भारत में निष्क्रिय इच्छामृत्यु को सख्त शर्तों के तहत वैध बनाया गया है।
      • न्यायालय ऐसी मृत्यु की अनुमति देता है, जहाँ मेडिकल बोर्ड से अनुमोदन प्राप्त हो।

मार्क कार्नी: कनाडा के  नए प्रधानमंत्री

मार्क कार्नी ने आधिकारिक तौर पर कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।

  • वे पहले ऐसे कनाडाई प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें कोई अधिक राजनीतिक अनुभव नहीं है।
  • वे लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा के सदस्य हैं।

मार्क कार्नी के बारे में

  • मार्क जोसेफ कार्नी एक कनाडाई राजनीतिज्ञ एवं अर्थशास्त्री हैं।
  • मुख्य भूमिकाएँ
    • गोल्डमैन सैक्स (1990-2003)
      • गोल्डमैन सैक्स में 13 वर्ष तक कार्य किया।
    • बैंक ऑफ कनाडा एवं वित्त विभाग (वर्ष 2003-2007)
      • वर्ष 2003: बैंक ऑफ कनाडा के डिप्टी गवर्नर बने।
      • वर्ष 2004: वरिष्ठ एसोसिएट डिप्टी फाइनेंस मिनिस्टर के रूप में नियुक्त हुए।
    • बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर (वर्ष 2008-2013)
      • वैश्विक वित्तीय संकट की शुरुआत में वर्ष 2008 में बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर बने।
    • बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर (2013-2020)
      • वर्ष 2013 में बैंक ऑफ इंग्लैंड के 120वें गवर्नर के रूप में नियुक्त किए गए।

कनाडा में प्रधानमंत्री के चुनाव की प्रक्रिया

  • यह राष्ट्र एक प्रतिनिधि लोकतंत्र है।
  • वे सीधे प्रधानमंत्री का चुनाव नहीं करते हैं।
    • संघीय चुनाव में, मतदाता हाउस ऑफ कॉमन्स में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए सांसदों का चुनाव करते हैं।
    • कनाडा बहुलता प्रणाली का उपयोग करता है, इसलिए सबसे अधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार निर्वाचन जीतता है।
    • ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में सबसे अधिक सीटें जीतने वाली पार्टी संघीय सरकार बनाती है।
      • उनकी पार्टी का नेता प्रधानमंत्री बन जाता है।

PM-युवा 3.0

हाल ही में PM-YUVA 3.0 (युवा लेखकों को सलाह देने के लिए प्रधानमंत्री की योजना), एक लेखक मेंटरशिप कार्यक्रम शुरू किया गया है। 

PM-YUVA 3.0 के बारे में

  • PM-YUVA को पहली बार वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया था एवं अब इसका तीसरा  संस्करण लॉन्च किया गया है। 
  • नोडल मंत्रालय: शिक्षा मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग (भारत सरकार)। 
  • उद्देश्य: देश में पढ़ने, लिखने एवं पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने तथा भारत एवं भारतीय लेखन को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने के लिए युवा एवं नवोदित लेखकों (30 वर्ष से कम आयु) को प्रशिक्षित करने के लिए इसे लॉन्च किया गया था। 
  • पात्रता: युवा एवं नवोदित लेखक (30 वर्ष से कम आयु) 22 विभिन्न भारतीय भाषाओं तथा अंग्रेजी में भाग ले सकते हैं। 
    • अखिल भारतीय प्रतियोगिता के माध्यम से कुल 50 लेखकों का चयन किया जाएगा। 
  • लक्ष्य: युवाओं को भारत की समृद्ध संस्कृति, विरासत एवं देश के विकास तथा वृद्धि में दूरदर्शी लोगों के योगदान को समझने एवं सराहने के लिए प्रोत्साहित करना। 
  • कार्यान्वयन एजेंसी: शिक्षा मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत, पुस्तकों की कार्यान्वयन एजेंसी एवं प्रकाशक होगा।
  • विषय
    • राष्ट्र निर्माण में प्रवासी भारतीयों का योगदान- 10 लेखक।
    • भारतीय ज्ञान प्रणाली- 20 लेखक।
    • आधुनिक भारत के निर्माता (1950-2025) अभिनव एवं रचनात्मक तरीके से- 20 लेखक।
  • मेंटरशिप: मेंटरशिप के तहत, नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला वर्ष 2026 के दौरान PM-YUVA 3.0 लेखकों के लिए एक राष्ट्रीय शिविर आयोजित किया जाएगा।

बर्नीहाट- दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर

हाल ही में जारी की गई वर्ष 2024 की विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट में मेघालय-असम सीमा पर स्थित बर्नीहाट को ‘विश्व  का सबसे प्रदूषित शहर’ बताया गया है।

बर्नीहाट-विश्व का सबसे प्रदूषित शहर के बारे में

  • स्थान: बर्नीहाट मेघालय के री-भोई जिले में स्थित है एवं यह गुवाहाटी से लगभग 20 किमी. तथा शिलांग से 65 किमी. दूर स्थित है।
  • PM2.5 सांद्रता: बर्नीहाट में वार्षिक औसत PM2.5 सांद्रता 128.2 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (µg/m3) थी।
  • यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के वार्षिक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश 5 µg/m3 से 25 गुना अधिक है।
  • कारण
    • स्थलाकृति: इस क्षेत्र की स्थलाकृति ‘बाउल’ जैसी है, जिसके आसपास की पहाड़ियाँ वायु में प्रदूषकों के फैलाव को रोकती हैं। 
      • यह घाटी एवं बेसिन प्रभाव का अनुभव करता है, जिसके कारण वायु की गति कम हो जाती है। 
    • क्षेत्रीय औद्योगिक केंद्र: मेघालय में कोयला भंडार एवं गुवाहाटी के बड़े शहरी केंद्र की निकटता तथा उमटरू नदी से जल की आपूर्ति ने इसे एक क्षेत्रीय औद्योगिक केंद्र बना दिया है। 
    • रेड श्रेणी के उद्योग: केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने असम में 20 एवं मेघालय में 5 इकाइयों को ‘अत्यधिक प्रदूषणकारी’ उद्योगों के रूप में पहचाना है। 
      • ऑरेंज श्रेणी: असम में 15 एवं मेघालय में 22 इकाइयाँ नारंगी श्रेणी में हैं। 
  • प्रदूषणकारी उद्योगों की उपस्थिति: इसमें कोक (ईंधन), सीमेंट, फेरो मिश्र धातु एवं स्टील का उत्पादन तथा आसवन एवं ईंट बनाने जैसे उद्योग शामिल हैं। 
  • गैर-अनुपालन: प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों के गैर-संचालन, अप्रभावी प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों एवं ऑनलाइन उत्सर्जन डेटा के गैर-प्रसारण के कारण चिमनियों से भारी उत्सर्जन होता है।

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