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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal March 18, 2025 03:57 7 0

रामदेवरा बेट्टा हिल

कर्नाटक के रामनगर में स्थित रामदेवरा बेट्टा हिल में लगातार चौथे वर्ष लुप्तप्राय लॉन्ग-बिल्ड वल्चर (Long-billed Vultures) के प्रजनन संबंधी परियोजना का क्रियान्वयनकिया है।

रामदेवरा बेट्टा गिद्ध अभयारण्य के बारे में

  • रामदेवरा बेट्टा गिद्ध अभयारण्य कर्नाटक के रामनगर में अवस्थित है।
  • यह भारत का पहला एवं एकमात्र गिद्ध अभयारण्य है।
  • इसे लुप्तप्राय गिद्ध प्रजातियों की रक्षा के लिए वर्ष 2012 में स्थापित किया गया था।
  • अभयारण्य में गिद्ध प्रजातियाँ
    • भारत में पाई जाने वाली नौ गिद्ध प्रजातियों में से तीन प्रजातियाँ यहाँ देखी जाती हैं:
      • लॉन्ग-बिल्ड वल्चर (Long-billed Vulture) (भारतीय गिद्ध)- लुप्तप्राय।
      • इजिप्टियन वल्चर  (Egyptian Vulture)- गंभीर रूप से लुप्तप्राय।
      • व्हाइट-बैक्ड वल्चर  (White-backed Vulture)- लुप्तप्राय।

रामदेवरा बेट्टा हिल के बारे में

  • रामदेवरा बेट्टा कर्नाटक के रामनगर में एक प्रसिद्ध पहाड़ी है।
  • इसे रामगिरी के नाम से भी जाना जाता है।
  • ऐतिहासिक महत्त्व
    • प्राचीन विरासत: पहाड़ी का इतिहास बहुत पुराना है, जो विजयनगर साम्राज्य एवं कैम्पेगौड़ा शासको से जुड़ा है।
    • रणनीतिक स्थान: यह अपनी उच्च लाभकारी स्थिति के कारण एक सैन्य एवं रक्षा केंद्र के रूप में कार्य करता है।
  • वास्तुकला के चमत्कार
    • प्राचीन मंदिर: पहाड़ी में भगवान राम एवं लक्ष्मण को समर्पित मंदिर हैं।
    • पारंपरिक दक्षिण भारतीय वास्तुकला: मंदिरों में जटिल नक्काशी एवं पत्थर की मूर्तियाँ हैं।

उपग्रहों पर ग्रीनहाउस गैसों का प्रभाव

हाल ही में नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित एक अध्ययन से संकेत मिलता है कि ग्रीनहाउस गैसों के उच्च स्तर के कारण वर्ष 2100 तक पृथ्वी की सुरक्षित परिक्रमा करने वाले उपग्रहों की संख्या में 66% तक की कमी आ सकती है।

  • विभिन्न उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत पृथ्वी की कक्षीय क्षमता में परिवर्तनों का अनुमान लगाने के लिए ऐटमॉस्फीयर मॉडलिंग का उपयोग किया गया था।

वातावरण पर ग्रीनहाउस गैसों का प्रभाव

  • GHG उत्सर्जन मेसोस्फीयर (50-85 किमी.) एवं थर्मोस्फीयर (85-600 किमी.) के ठंडा होने एवं सिकुड़ने का कारण बनता है, जिससे ऊपरी वायुमंडल सिकुड़ जाता है।
  • कारण: बढ़ी हुई अवरक्त विकिरण अंतरिक्ष में परावर्तित होती है, जिससे वायुमंडलीय आकर्षण कम होता है।
  • प्रभाव
    • कम वायुमंडलीय घनत्व: अंतरिक्ष मलबा कक्षा में लंबे समय तक रहता है।
    • उपग्रहों का जीवनकाल लंबा होता है: लेकिन अंतरिक्ष में टकराव का जोखिम अधिक होता है।
    • उपग्रहों की धीमी गति से कक्षा से बाहर निकलना: उपग्रहों को वायुमंडल में पुनः प्रवेश करने और नष्ट होने में अधिक समय लगता है।

अंतरिक्ष स्थिरता के लिए निहितार्थ

  • डीऑर्बिटिंग रेट में कमी: उपग्रह लंबे समय तक कक्षा में रहते हैं, जिससे अंतरिक्ष में ट्रेफिक एवं टकराव का जोखिम बढ़ जाता है।
  • अध्ययन में बेहतर कक्षीय मलबे प्रबंधन एवं शमन रणनीतियों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।

गोमीरा नृत्य

हाल ही में, एक कलाकार ने पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर के बालुरघाट में चंचला काली माता पूजा के दौरान ‘गोमीरा’ नृत्य प्रस्तुत किया है।

गोमीरा नृत्य के बारे में

  • गोमीरा नृत्य, उत्तर बंगाल का एक मुखौटा वाला लोक नृत्य है, जो अच्छी फसल के लिए आशीर्वाद माँगने एवं बुराई को दूर भगाने के लिए किया जाने वाला एक आनुष्ठानिक नृत्य है।
  • सांस्कृतिक प्रभाव: मान्यता के अनुसार, यह उत्तर बंगाल में विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक प्रभावों के संगम से उभरा है, जिसमें महायान बौद्ध धर्म, तांत्रिक बौद्ध धर्म, शैव तथा शाक्त पंथ पौराणिक कथाएँ एवं आदिवासी जीववादी मान्यताएँ शामिल हैं।
  • अनुष्ठान का उद्देश्य: मुख्य रूप से “ग्राम ठाकुर” (ग्राम देवता) की पूजा करने एवं समृद्ध फसल वर्ष के लिए आशीर्वाद माँगने के लिए किया जाता है।
  • प्रतीकात्मकता: बुराई को हराने एवं गाँव के लिए सुरक्षा का आह्वान करने के लिए धार्मिक शक्ति के उदय का प्रतीक है।
  • आध्यात्मिक कल्याण: ऐसा माना जाता है कि यह गाँव को नकारात्मक ऊर्जाओं से दूर करता है एवं आने वाले वर्ष के लिए सुरक्षा का आह्वान करता है।
  • विशेषताएँ
    • मुखौटे: मुखौटे लकड़ी, पेपर-माचे एवं बाँस जैसी विभिन्न सामग्रियों से बनाए जाते हैं, तथा उन पर जटिल नक्काशी तथा पेंटिंग की जाती है।
    • वर्ष 2018 में भौगोलिक संकेत (GI) टैग दिया गया था।
    • पात्र: शैव एवं शाक्त पंथ पौराणिक कथाओं के पात्र, जैसे बुरा-बुरी (बूढ़ा आदमी तथा पत्नी, जिन्हें शिव एवं पार्वती माना जाता है), शमसान काली, मसान काली, डाकिनी, योगिनी तथा बाघा (बाघ राक्षस)।
    • संगीत: ढाक (एक ताल-ढमाका) एवं कंसर (एक घंटी-धातु की डिस्क जिसे झाँझ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है) जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ नृत्य किया जाता है।
    • प्रदर्शन: केवल पुरुषों द्वारा किया जाता है, लेकिन महिलाएँ जटिल मुखौटा बनाने की प्रक्रिया में भाग लेती हैं।

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