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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal March 26, 2025 03:53 67 0

एंथुरियम फूल

भारत के मिजोरम से पहली बार सिंगापुर में एंथुरियम के फूलों का निर्यात किया गया है, जो फूलों की कृषि के निर्यात में भारत की क्षमता को दर्शाता है।

एंथुरियम फूल के बारे में

  • एंथुरियम के फूल, जिन्हें फ्लेमिंगो फूल या पेंटर पैलेट के नाम से भी जाना जाता है।
  • वैज्ञानिक नाम: एंथुरियम (Anthurium)
  • मूल: उत्तरी मैक्सिको से लेकर उत्तरी अर्जेंटीना एवं कैरेबियन के कुछ हिस्सों में अमेरिका में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है।
    • भारत में: मुख्य रूप से मिजोरम एवं अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में उगाया जाता है।
  • प्रजाति: स्थलीय रूप से या अन्य पौधों पर एपिफाइट्स के रूप में विकसित हो सकता है।
  • मिजोरम में एंथुरियम फूल का महत्त्व
    • स्थानीय आर्थिक प्रभाव
      • एंथुरियम मिजोरम में उगाया जाने वाला एक प्रमुख फूल है, जो आजीविका के अवसर प्रदान करता है।
      • इसकी खेती से स्थानीय किसानों, जिनमें महिलाएँ भी शामिल हैं, को लाभ प्राप्त होता है।
        • वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का फूलों की खेती का निर्यात 86.62 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
    • वायु शोधक: यह अपने वायु शोधक गुणों के लिए जाना जाता है। 
    • पर्यटन को बढ़ावा: मिजोरम में इस फूल की सुंदरता को प्रदर्शित करने एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक वर्ष “एंथुरियम महोत्सव” का आयोजन किया जाता है।

सेकंड फ्रिगेट (तवस्या)

गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) द्वारा निर्मित परियोजना 1135.6 ‘एडवांस फॉलो-ऑन’ जहाजों का सेकंड फ्रिगेट, जिसका नाम ‘तवस्या’ है, हाल ही में गोवा में लॉन्च किया गया।

फ्रिगेट ‘तवस्या’ (Tavasya) के बारे में

  • यह एक युद्धपोत है।
  • महाभारत के महान योद्धा भीम की गदा से प्रेरित होकर फ्रिगेट का नाम ‘तवस्या’ रखा गया है।
    • प्रोजेक्ट 1135.6 ‘एडवांस फॉलो-ऑन’ जहाजों के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया।
  • निर्माता: गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL)।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • सतह, उप-सतह एवं हवाई युद्ध संचालन के लिए डिजाइन किया गया।
    • इसमें स्टील्थ सुविधाएँ, उन्नत हथियार एवं सेंसर तथा प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली शामिल हैं।
    • महत्त्वपूर्ण स्थानीय घटकों के साथ स्वदेशी रूप से निर्मित, भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देता है।
  • रक्षा मंत्रालय एवं गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के बीच 25 जनवरी 19 को दो प्रोजेक्ट 1135.6 फॉलो-ऑन फ्रिगेट बनाने का अनुबंध हस्ताक्षरित किया गया।
    • पहला जहाज ‘त्रिपुट’ 23 जुलाई, 2024 को लॉन्च किया गया था।
      • इन जहाजों को सतह, उप-सतह एवं हवाई युद्ध संचालन के लिए डिजाइन किया गया है।

प्रोजेक्ट 1135.6 के बारे में

  • यह एक नौसैनिक पहल है।
    • यह एक स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है।
  • उद्देश्य: भारत की समुद्री सुरक्षा एवं रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए स्टेल्थ फ्रिगेट का निर्माण करना।
  • निर्माता: भारतीय नौसेना के लिए रूस द्वारा  निर्मित।
  • परियोजना के तहत निर्मित जहाज
    • INS तुशील: इसे रूस में बनाया गया है एवं वर्ष 2024 में कमीशन किया गया।
    • तमाल: रूस में बनाया गया, जून 2025 में कमीशन के लिए तैयार है।
    • त्रिपुट: इसे भारत में बनाया गया एवं वर्ष 2024 में लॉन्च किया गया।

राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन प्लेटफॉर्म

दिल्ली राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन प्लेटफॉर्म में शामिल होने वाली 28वीं विधानसभा बन गई है।

  • दिल्ली विधानसभा ने राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (NeVA) के कार्यान्वयन के लिए संसदीय कार्य मंत्रालय (MoPA) एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (NeVA) के बारे में

  • NeVA एक ‘डिवाइस न्यूट्रल’ एवं सदस्य केंद्रित एप्लीकेशन है, जिसे विधायी सदस्यों को सदन के विविध कार्यों को स्मार्ट तरीके से सँभालने के लिए तैयार करने के लिए बनाया गया है।
  • उद्देश्य: NeVA प्लेटफॉर्म का उद्देश्य प्रधानमंत्री के “एक राष्ट्र, एक एप्लीकेशन” के दृष्टिकोण के अनुरूप एक कागज रहित एवं अधिक पारदर्शी विधायी प्रणाली बनाना है।
  • नोडल मंत्रालय: NeVA प्लेटफॉर्म संसदीय कार्य मंत्रालय (MoPA) के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है।
  • होस्टेड ऑन: NeVA भारत के ‘क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर’, NIC Cloud, MeghRaj 2.0 द्वारा होस्ट किया जाता है।
  • NeVA कैसे कार्य करता है?
    • डिपॉजिटरी: सभी विधायी जानकारी जैसे सदस्य संपर्क विवरण, प्रक्रिया के नियम, व्यवसाय की सूची, नोटिस, बुलेटिन, बिल, तारांकित/अतारांकित प्रश्न एवं उत्तर, प्रस्तुत किए गए पत्र, समिति की रिपोर्ट आदि व्यक्तिगत डिवाइस/टैबलेट के माध्यम से प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं।
    • NeVA डेटा संग्रह के लिए नोटिस/अनुरोध भेजने की प्रक्रिया को पूरी तरह से समाप्त कर देगा।
    • एप्लीकेशन सदन के प्रत्येक सदस्य के लिए प्रश्न एवं अन्य नोटिस प्रस्तुत करने के लिए एक सुरक्षित पेज होस्ट करता है।
  • लाभ
    • देश के सभी विधानमंडलों को एक मंच पर एक साथ लाकर एक विशाल डेटा डिपॉजिटरी बनाई जाएगी।
    • यह अधिक दक्षता, पहुँच एवं स्थिरता को बढ़ावा देकर तथा मजबूत मापनीयता, सुरक्षा एवं डेटा अखंडता सुनिश्चित करके विधायी प्रक्रियाओं को बढ़ाता है।
    • समन्वय को सक्षम बनाता है: यह सदन के व्यवसाय को डिजिटल बनाता है एवं विधायकों तथा सचिवालय कर्मचारियों के बीच निर्बाध समन्वय को सक्षम करने वाले दस्तावेजों तक रियल टाइम पहुँच प्रदान करता है।
    • कागज रहित प्रशासन: एप्लिकेशन कागज की खपत को कम करेगा एवं विधायी प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए वर्कफ्लो को सुव्यवस्थित करेगा।
    • निर्बाध संचालन: यह किसी भी डिवाइस से, कभी भी, कहीं भी, स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप एवं डेस्कटॉप पर निर्बाध पहुँच की अनुमति देता है। 
    • बहुभाषी क्षमताएँ: यह प्लेटफॉर्म बहुभाषी क्षमताएँ भी प्रदान करता है, जो राज्यों एवं क्षेत्रों में भाषायी विविधता को पूरा करता है, जिससे यह उपयोगकर्ताओं की व्यापक श्रेणी के लिए सुलभ हो जाता है।

लोकसभा की ‘गुप्त बैठक’

संविधान में लोकसभा की “गुप्त बैठक” का प्रावधान स्वतंत्रता के बाद से अब तक उपयोग नहीं किया गया है।

लोकसभा की ‘गुप्त बैठक’ के बारे में प्रावधान

  • संवैधानिक प्रावधान
    • लोकसभा में प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियम: नियम के अध्याय 25 में सदन के नेता के अनुरोध पर गुप्त बैठक आयोजित करने का प्रावधान है।
    • नियम 248, उपखंड (1): सदन के नेता को अध्यक्ष के समक्ष अनुरोध प्रस्तुत करना होगा, जो तब सदन की “गुप्त बैठक” के लिए एक दिन या उसका एक भाग निर्धारित करेंगे।
  • ‘गुप्त बैठक’ का अर्थ
    • बाहरी लोगों की उपस्थिति: इसका अर्थ है कि सदन की कार्यवाही के दौरान उपखंड 2 के अनुसार किसी भी अजनबी को “कक्ष, लॉबी या दीर्घाओं” में उपस्थित होने की अनुमति नहीं होगी।
    • लोकसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण संसद TV पर नहीं किया जाएगा एवं सरकार की डिजिटल संसद वेबसाइट पर भी इसका रिकॉर्ड नहीं रखा जाएगा।
    • रिकॉर्डिंग एवं रिपोर्टिंग: कोई भी उपस्थित व्यक्ति किसी गुप्त बैठक की कार्यवाही या निर्णयों का नोट या रिकॉर्ड नहीं रखेगा अथवा ऐसी कार्यवाही का वर्णन करने के लिए कोई रिपोर्ट जारी नहीं करेगा।
      • कार्यवाही पर रिपोर्ट अध्यक्ष द्वारा उचित समझे जाने वाले तरीके से जारी की जाती है।
    • उल्लंघन: किसी गुप्त कार्यवाही या बैठक के दौरान की गई कार्यवाही अथवा लिए गए निर्णयों का खुलासा करना सदन के विशेषाधिकार का उल्लंघन माना जाएगा।
  • गोपनीयता का उन्मूलन: सदन के नेता या किसी अधिकृत सदस्य को अध्यक्ष की सहमति से गुप्त बैठक के खिलाफ प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा।
    • एक बार प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद, महासचिव “गुप्त बैठक” के दौरान कार्यवाही की एक रिपोर्ट तैयार करेंगे एवं इसे जल्द-से-जल्द प्रकाशित करेंगे।
  • पिछली घटना: वर्ष 1962 के चीनी आक्रमण पर चर्चा करने के लिए लोकसभा की गुप्त बैठक आयोजित करने का प्रस्ताव विपक्षी दल द्वारा रखा गया था।
    • तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस प्रस्ताव से असहमति जताते हुए कहा कि सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है एवं भारत से संबंधित मुद्दों के बारे में जानने की हकदार हैं।

Dare2eraD टीबी कार्यक्रम

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने Dare2eraD टीबी कार्यक्रम के तहत लक्ष्य 32,500 में से 10,000 TB जीनोम नमूनों की अनुक्रमणिका पूर्ण कर ली है।

Dare2eraD टीबी कार्यक्रम के बारे में

  • इस पहल का उद्देश्य माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के ‘ड्रग रेजिस्टेंस स्ट्रेन’ का पता लगाना एवं वर्ष 2025 तक भारत के TB उन्मूलन लक्ष्य का समर्थन करने के लिए जीवाणु के अद्वितीय जीनोमिक लक्षणों की पहचान करना है।
  • वर्ष 2022 में DBT, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लॉन्च किया गया।
  • लक्ष्य: वर्ष 2030 के WHO वैश्विक TB उन्मूलन लक्ष्य से पूर्व, वर्ष 2025 तक तपेदिक (TB) को समाप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता का समर्थन करना।
  • उद्देश्य: बेहतर निदान एवं उपचार के लिए ड्रग रेजिस्टेंस TB स्ट्रेन की पहचान करना तथा जीवाणु के जीनोमिक लक्षणों का अध्ययन करना।

Dare2eraD टीबी कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ 

  • जीनोम अनुक्रमण: इस कार्यक्रम में ड्रग रेजिस्टेंस पैटर्न एवं आनुवंशिक उत्परिवर्तन को समझने के लिए माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के 32,500 नमूनों का अनुक्रमण शामिल है। 
    • 10,000 नमूनों का अनुक्रमण किया गया है, जिनमें से 7% में एक ही दवा के प्रति प्रतिरोध दिखा। 
  • डेटा-संचालित दृष्टिकोण: अनुसंधान, निदान एवं उपचार रणनीतियों में सहायता के लिए राष्ट्रीय स्तर के जीनोमिक डेटाबेस के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है। 
  • त्वरित निदान: TB ड्रग रेजिस्टेंस की पुष्टि के समय को कुछ हफ्तों से घटाकर केवल घंटों या दिनों तक करने के लिए AI एवं जीनोमिक अंतर्दृष्टि का उपयोग करता है। 
  • निगरानी एवं मॉनिटरिंग: बेहतर रोग नियंत्रण के लिए TB के स्ट्रेनो, उत्परिवर्तनों एवं प्रकोपों की निगरानी करने के लिए पूरे भारत में एक जीनोमिक निगरानी नेटवर्क स्थापित करता है। 
    • यह पहल TB के विरुद्ध भारत की लड़ाई में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जो तेजी से पता लगाने, बेहतर उपचार रणनीतियों एवं बढ़ी हुई बीमारी निगरानी सुनिश्चित करता है।

सेपक टाकरा, 2025 विश्व कप

(Sepak Takraw 2025 World Cup)

बिहार 20 मार्च से 25 मार्च, 2025 तक पटना में ISTAF ‘सेपक टाकरा, 2025’ विश्व कप की मेजबानी करेगा।

‘सेपक टाकरा, 2025’ विश्व कप के बारे में

  • वराह 2025 ISTAF विश्व कप ISTAF विश्व कप का पाँचवाँ संस्करण था।
    • पहली चैंपियनशिप वर्ष 2011 में मलेशियाई कुआलालंपुर में शुरू हुई थी।
  • आयोजन: विश्व कप का आयोजन अंतरराष्ट्रीय सेपक टाकरा महासंघ (ISTAF) द्वारा किया जाता है।
  • प्रतिभागी: भारत सहित 4 महाद्वीपों के बीस देश इस आयोजन में भाग ले रहे हैं।

सेपक टाकरा के बारे में

  • सेपक टाकरा एक पारंपरिक मलेशियाई टीम खेल है, जो वॉलीबॉल के समान है, जहाँ खिलाड़ी अपने पैरों, घुटनों, छाती एवं सिर का उपयोग करके ‘रतन गेंद’ (Rattan ball) को हवा में तथा नेट के ऊपर रखते हैं।
    • इस खेल को बुका बॉल, किक वॉलीबॉल या फुट वॉलीबॉल भी कहा जाता है।
  • लोकप्रिय: यह खेल दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में लोकप्रिय है, जैसे- मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस, ब्रुनेई एवं इंडोनेशिया।
  • उत्पत्ति: इसकी उत्पत्ति दक्षिण पूर्व एशिया में हुई थी, एवं इसका आधुनिक संस्करण वर्ष 1960 में मलेशिया के कुआलालंपुर में मानकीकृत किया गया था।
  • गेंद: यह खेल रतन गेंद (Rattan Ball) (या कभी-कभी सिंथेटिक प्लास्टिक की गेंद) एवं एक नेट के साथ खेला जाता है।
  • टीम: चार खिलाड़ियों की दो टीमें गेंद को नेट के ऊपर से मारकर एवं प्रतिद्वंद्वी के कोर्ट में उतारकर स्कोर करने की कोशिश करती हैं।
  • कोर्ट एरिया: यह खेल एक ऐसे कोर्ट पर खेला जाता है, जो बैडमिंटन कोर्ट जैसा दिखता है, जिसके बीच में एक नेट होता है।
  • भारत में: सेपक टाकरा को भारत में वर्ष 1982 में दिल्ली एशियाई खेलों में एक प्रदर्शन खेल के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
  • मुख्यालय: भारतीय सेपक टाकरा महासंघ का मुख्यालय नागपुर (महाराष्ट्र) में स्थित है।

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