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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal April 07, 2025 02:42 9 0

CSIR-NAL ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की शाखा नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेट्रीज (NAL) ने एक निजी कंपनी के साथ अपना पहला प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता किया है।

  • यह समझौता पायनियर क्लीन AMPS प्राइवेट लिमिटेड को भारत में प्रशिक्षक विमान बनाने की अनुमति देता है।

हंसा-3 NG विमान के बारे में

  • हंसा-3 NG एक दो सीटों वाला प्रशिक्षक विमान है।
  • यह वर्ष 1998 से NAL द्वारा डिजाइन किए गए हंसा विमानों का नवीनतम संस्करण है।
  • अब तक, नागरिक उड्डयन मंत्रालय एवं IIT द्वारा 14 हंसा विमान बनाए गए हैं एवं उपयोग किया जा रहा है।

अंतर-संसदीय संघ (IPU) की 150वीं सभा

लोकसभा अध्यक्ष, 5 से 9 अप्रैल, 2025 तक ताशकंद में आयोजित अंतर-संसदीय संघ (Inter-Parliamentary Union- IPU) की 150वीं सभा में संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।

IPU के बारे में

  • IPU की स्थापना वर्ष 1889 में हुई थी, जो इसे सबसे प्राचीन वैश्विक अंतर-संसदीय संगठनों में से एक बनाता है।
  • IPU का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है।
  • IPU में वर्तमान में 180 मेंबर पार्लियामेंट एवं 13 एसोसिएट मेंबर शामिल हैं, जिनमें से अधिकतर क्षेत्रीय संसद से हैं।
  • इसके वर्तमान अध्यक्ष, जो वर्ष 2023 में चुने गए हैं, तंजानिया के डॉ. तुलिया एकसन हैं एवं इसके महासचिव कैमरून के मार्टिन चुंगोंग हैं।
  • मुख्य कार्य
    • संसदीय कूटनीति, शांति एवं सतत् विकास को बढ़ावा देना।
    • विविध, समावेशी एवं लैंगिक-संतुलित संसदों का समर्थन करना।
    • सांसदों के मानवाधिकारों की रक्षा करना।
  • सार्वजनिक निधि से सदस्यों के योगदान द्वारा वित्तपोषित।
  • संरचना
    • विधानसभा: मुख्य राजनीतिक निकाय; वैश्विक मुद्दों पर बहस करना।
    • शासी परिषद: नीतियाँ, कार्यक्रम एवं बजट निर्धारित करना।
    • कार्यकारी समिति: परिषद का प्रशासन एवं सलाह देना।
      • कार्यकारी समिति के 15 सदस्यों को परिषद द्वारा चार वर्ष के कार्यकाल के लिए चुना जाता है।
      • यह परिषद का प्रशासन एवं सलाह देती है।
    • स्थायी समितियाँ: सभा को विषयगत समर्थन।

राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम

1 अप्रैल 2025 तक, 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने 53 टेली मानस प्रकोष्ठ स्थापित किए हैं; राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NTMHP) के तहत राज्यों द्वारा चुनी गई भाषाओं के आधार पर 20 भाषाओं में 24×7 टेली-मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हैं।

राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NTMHP) के बारे में

  • नोडल मंत्रालय: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय।
  • टेली मानस (MANAS) की आवश्यकता
    • भारत, जहाँ वैश्विक आबादी का 18% हिस्सा रहता है, गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है, जहाँ मानसिक विकार ‘इयर्स लिव्ड विद डिसेबिलिटी’ (Years Lived with Disability- YLDs) का दूसरा प्रमुख कारण है तथा कई राज्यों में आत्महत्या मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है।
  • उद्देश्य
    • देश के प्रत्येक राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश में 24×7 टेली-मानसिक स्वास्थ्य सुविधा स्थापित करके, पूरे भारत में, किसी भी समय पहुँचने वाले किसी भी व्यक्ति तक मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को तेजी से बढ़ाना।

जीवंत गाँव कार्यक्रम-II

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-II (VVP-II) को केंद्रीय क्षेत्र की योजना (100% केंद्र वित्त पोषण) के रूप में मंजूरी दी। 

  • बजट परिव्यय: 6,839 करोड़ रुपये। 
  • उद्देश्य: समृद्ध एवं सुरक्षित सीमाओं को सुनिश्चित करने, सीमा पार अपराध को नियंत्रित करने तथा सीमावर्ती आबादी को राष्ट्र के साथ आत्मसात् करने एवं उन्हें आंतरिक सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण ‘सीमा सुरक्षा बलों की आँख तथा कान’ के रूप में विकसित करने के लिए बेहतर जीवन स्तर एवं पर्याप्त आजीविका के अवसर सृजित करना। 
  • नोडल मंत्रालय: केंद्रीय गृह मंत्रालय
  • मुख्य विशेषताएँ
    • कार्यक्रम बुनियादी ढाँचे के विकास, मूल्य शृंखला विकास (सहकारिता, एसएचजी, आदि के माध्यम से), सीमा आउटरीच, SMART क्लास शिक्षा, पर्यटन सर्किट एवं सीमावर्ती गाँवों या समूहों में विविध, स्थायी आजीविका के लिए परियोजनाओं को वित्तपोषित करेगा। 
    • यह केंद्र द्वारा 100% वित्तपोषित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। 
  • कार्यान्वयन: यह कार्यक्रम वित्त वर्ष 2028-29 तक अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू एवं कश्मीर (UT), लद्दाख (UT), मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल के रणनीतिक गाँवों को लक्षित करेगा।

‘बाकू टू बेलेम रोडमैप’

भारत ने ब्राजील के ब्रासीलिया में आयोजित 11वीं BRICS पर्यावरण मंत्रियों की बैठक के दौरान जलवायु परिवर्तन से निपटने एवं वर्ष 2030 जलवायु एजेंडा को पूरा करने के लिए BRICS देशों के मध्य टीमवर्क पर जोर डाला है। 

‘बाकू टू  बेलेम रोडमैप’ क्या है? 

  • रोडमैप COP29 (बाकू, अजरबैजान में आयोजित) एवं COP30 (बेलेम, ब्राजील में निर्धारित) के मध्य शुरू किया गया एक महत्त्वाकांक्षी जलवायु वित्त ढाँचा है। 
    • इसका मुख्य लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) का समर्थन करने के लिए वर्ष 2035 तक प्रत्येक वर्ष 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाना है। 
      • यह धन विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने में मदद करेगा।
  • इसे COP30 (बेलेम, ब्राजील, नवंबर 2025) में अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।
  • शामिल संगठन: UNFCCC COP प्रेसीडेंसी (अजरबैजान एवं ब्राजील)। यह सुनिश्चित करता है कि स्थिरता की ओर बढ़ते समय गरीब देश पीछे न छूट जाएँ।
  • मुख्य लक्ष्य
    • विकासशील देशों को निम्नलिखित में सहायता प्रदान करना:-
      • जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होना।
      • ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों पर स्विच करना।
      • पेरिस समझौते (NDC) के अंतर्गत लक्ष्यों को पूरा करना।
    • अनुदान, कम ब्याज वाले ऋण एवं निजी निवेश के माध्यम से जलवायु परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण बढ़ाना।
    • हरित प्रथाओं में परिवर्तन के दौरान विकासशील देशों के लिए निष्पक्षता एवं सहायता सुनिश्चित करना।
    • महँगी उधारी लागत एवं प्रतिबंधात्मक विनियमन जैसी चुनौतियों को नियंत्रित करना।
    • भागीदारी एवं विकास बैंकों का लाभ उठाकर वैश्विक सहयोग को मजबूत करना।
  • इसकी आवश्यकता क्यों है?
    • विकसित देशों द्वारा वर्तमान जलवायु वित्त का वादा केवल 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है, जो पर्याप्त नहीं है।
    • विकासशील देशों को उच्च लागतों का सामना करना पड़ता है एवं उन्हें अपने जलवायु लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिए अधिक सहायता की आवश्यकता होती है।

वारंगल चपाता मिर्च

हाल ही में तेलंगाना राज्य की वारंगल चपाता मिर्च को भारत सरकार की GI रजिस्ट्री द्वारा भौगोलिक संकेतक टैग प्रदान किया गया है। 

  • यह तेलंगाना का 18वाँ उत्पाद है, जिसने प्रतिष्ठित GI टैग प्राप्त किया है।

वारंगल चपाता मिर्च के बारे में 

  • अपने चमकीले लाल रंग एवं गोल टमाटर जैसी आकृति के कारण इसे टमाटर मिर्च के रूप में भी जाना जाता है। 
  • कम तीखी लेकिन इसमें कैप्सिकम ओलियोरेसिन अधिक होता है, जो इसे गहरा लाल रंग एवं तीखा स्वाद देता है। 
  • 80-100 से अधिक वर्षों से खेती की जाती है। 
  • तीन प्रकार: सिंगल पट्टी; डबल पट्टी; ओडालू। 

GI टैग के बारे में

  • परिभाषा: विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति से जुड़े उत्पादों पर उपयोग किया जाने वाला चिह्न, उस स्थान से जुड़े गुणों को प्रदर्शित करता है।
  • प्रयोज्यता: आमतौर पर कृषि उपज, भोजन, पेय पदार्थ, हस्तशिल्प एवं औद्योगिक वस्तुओं के लिए उपयोग किया जाता है। 
  • कानून: भारत में भौगोलिक संकेत (पंजीकरण एवं संरक्षण) अधिनियम, 1999 द्वारा शासित, जिसका उद्देश्य इन संकेतों को पंजीकृत तथा सुरक्षित करना है। 
  • वैधता: 10 वर्षों तक वैधता है, उसके बाद नवीनीकृत किया जा सकता है।

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