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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal April 11, 2025 03:46 28 0

महाराष्ट्र में देवगिरी किला

हाल ही में महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले में ऐतिहासिक देवगिरी किले में भीषण आग लग गई।

देवगिरी किले के बारे में

  • यह दौलताबाद गाँव में स्थित एक ऐतिहासिक (14वीं सदी का) किला है।
  • इसे दौलताबाद किले के नाम से जाना जाता है।
    • वर्ष 1327 में, मुहम्मद बिन तुगलक ने इसका नाम बदलकर ‘दौलताबाद’ रख दिया, जिसका अर्थ है ‘धन का निवास’
      • इसके बाद उन्होंने अपनी राजधानी दिल्ली से इस स्थान पर स्थानांतरित कर दी एवं दिल्ली की अधिकांश आबादी को जबरन यहाँ बसाया गया।
  • यह यूनेस्को द्वारा नामित विरासत स्थल है।
  • निर्माण: वर्ष 1187 ई. में यादव वंश के ‘भिल्लम पंचम’ ने करवाया था।
    • यह ऐतिहासिक किला 9वीं से 14वीं शताब्दी के बीच यादव वंश की राजधानी था।
    • वर्ष 1308 में, इसे दिल्ली सल्तनत के अलाउद्दीन खिलजी ने अपने अधीन कर लिया।
  • अन्य महत्त्वपूर्ण राजधानियाँ
    • मुहम्मद बिन तुगलक (1327-1334) के अधीन दिल्ली सल्तनत।
    • अहमदनगर सल्तनत (1499-1636)।
  • किले की विशेषताएँ
    • रणनीतिक डिजाइन
      • शंक्वाकार पहाड़ी (200 मीटर ऊँची) पर दुश्मनों को रोकने के लिए 50 मीटर की शाखानुमा संरचनाओं के साथ निर्मित किया गया था।
    • चाँद मीनार: यह 14वीं शताब्दी में बहमनी सुल्तान हसन गंगू द्वारा निर्मित 63 मीटर ऊँची मीनार है, जो दिल्ली की कुतुबमीनार से प्रेरित है।

ट्रांसशिपमेंट सुविधा

भारत ने बांग्लादेश को दी गई ‘ट्रांसशिपमेंट सुविधा’ वापस ले ली है।

ट्रांसशिपमेंट क्या है?

  • इसका अर्थ है एक देश के सामान को दूसरे देश से होकर किसी तीसरे देश तक पहुँचने की अनुमति देना।
  • भारत ने बांग्लादेशी सामान को नेपाल, भूटान एवं म्याँमार जैसे देशों तक पहुँचने के लिए अपने बंदरगाहों तथा हवाई अड्डों से गुजरने की अनुमति दी।
  • वापसी का कारण
    • बांग्लादेशी माल के कारण भारतीय बंदरगाहों एवं हवाई अड्डों पर भारी व्यस्तता एवं अव्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है।
      • इसमें देरी एवं लागत में वृद्धि हो रही थी, जिसका असर भारत के अपने निर्यात पर पड़ रहा था।
    • भारत द्वारा ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस लेने का एक संभावित कारण मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश का चीन के साथ बढ़ता जुड़ाव हो सकता है।

वापसी के बाद बांग्लादेश के व्यापार पर प्रभाव

  • बांग्लादेश के निर्यात में व्यवधान: नीति में बदलाव से तीसरे देशों विशेषकर  RMG (वस्त्र) उद्योग को बांग्लादेश का निर्यात बाधित हो सकता है।
    • RMG (वस्त्र) उद्योग कम लागत एवं तेज शिपिंग पर निर्भर करता है।
  • जटिलताएँ: इस निर्णय से शिपिंग लागत में वृद्धि होगी एवं व्यापार मार्ग जटिल हो जाएँगे।

RBI ने सह-उधार (Co-Lending) दिशा-निर्देशों में आमूलचूल परिवर्तन का प्रस्ताव रखा

RBI ने सभी विनियमित संस्थाओं एवं ऋण श्रेणियों को शामिल करने के लिए अपने सह-उधार (Co-Lending) दिशा-निर्देशों में सुधार का प्रस्ताव दिया है, जो भारत के ऋण वितरण मॉडल में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत देता है। 

  • नए ढाँचे का उद्देश्य मौजूदा सीमाओं से आगे बढ़ना है, जो इसे प्राथमिक क्षेत्रक ऋण (Priority Sector Lending) तक सीमित करती हैं। 
  • वर्तमान ढाँचा: वर्तमान में, सह-उधार (Co-Lending) मॉडल बैंकों एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के बीच साझेदारी तक ही सीमित है। 
  • ये साझेदारी केवल कृषि, सूक्ष्म-उद्यमों एवं समाज के कमजोर वर्गों जैसे PSL खंडों के लिए अनुमत हैं। 
  • जबकि इस मॉडल का उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ाना था, लेकिन इसके संकीर्ण फोकस ने व्यापक ऋण परिदृश्य में इसकी उपयोगिता को सीमित कर दिया है। 

प्रस्तावित परिवर्तन

  • प्रस्तावित परिवर्तनों के तहत, RBI का उद्देश्य है:
    • सभी RE को, न कि केवल बैंकों एवं NBFC को, सह-उधार (Co-Lending) में भाग लेने की अनुमति देना। 
    • सभी श्रेणियों के ऋणों को शामिल करना, PSL से आगे बढ़कर आवास, शिक्षा, MSME एवं उपभोक्ता वित्त जैसे क्षेत्रों को कवर करना। 
    • RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​के अनुसार, आने वाले महीनों में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएँगे। 
  • इस समावेशी दृष्टिकोण से ऋण प्रवाह में सुधार, जोखिम-साझाकरण तंत्र में वृद्धि एवं ऋण वितरण में नवाचार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। 

सह-उधार (Co-Lending)

  • सह-उधार एक ऋण व्यवस्था है, जिसमें दो या दो से अधिक वित्तीय संस्थान संयुक्त रूप से उधारकर्ता को ऋण देते हैं। 
  • आमतौर पर, इसमें ऋण प्रदान करने के लिए बैंक एवं एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) की भागीदारी होती है।

पंचायत उन्नति सूचकांक (PAI)

हाल ही में, पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायत उन्नति सूचकांक (PAI) लॉन्च किया है। 

पंचायत उन्नति सूचकांक 

  • PAI एक समग्र, बहु-डोमेन सूचकांक है, जो स्थानीयकृत सतत् विकास लक्ष्यों (LSDGs) के साथ संरेखित नौ विषयों में उनके प्रदर्शन के आधार पर ग्राम पंचायतों का मूल्यांकन करता है। 
  • अपनी तरह की यह पहली पहल भारत भर में 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों के विकास का आकलन करने एवं उसे आगे बढ़ाने के लिए एक डेटा-संचालित ढाँचा प्रदान करती है। 
  • ये विषय ग्रामीण कल्याण के प्रमुख पहलुओं को समाहित करते हैं, जिनमें शामिल हैं: 
    • गरीबी मुक्त एवं बेहतर आजीविका 
    • स्वस्थ पंचायत 
    • बच्चों के अनुकूल पंचायत 
    • जल से भरपूर पंचायत 
    • स्वच्छ एवं हरित पंचायत 
    • आत्मनिर्भर बुनियादी ढाँचा 
    • सामाजिक न्याय एवं सामाजिक सुरक्षा
    •  सुशासन 
    • महिला-अनुकूल पंचायत
  • सूचकांक की संरचना: PAI 435 अद्वितीय स्थानीय संकेतकों (331 अनिवार्य एवं 104 वैकल्पिक) पर आधारित है, जिसमें 566 डेटा बिंदु शामिल हैं। 
    • ये संकेतक सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के राष्ट्रीय संकेतक ढाँचे (NIF) के साथ संरेखित हैं, जो राज्यों में मानकीकृत डेटा माप सुनिश्चित करते हैं। 

प्रदर्शन श्रेणियाँ

  • उनके PAI स्कोर के आधार पर, पंचायतों को पाँच श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
    • अचीवर: 90 एवं उससे अधिक स्कोर।
    • फ्रंट रनर: 75 से 90 से कम स्कोर।
    • परफॉर्मर: 60 से 75 से कम स्कोर।
    • एस्पिरेंट: 40 से 60 से कम स्कोर।
    • बिगनर्स: 40 से कम स्कोर।

राज्यवार प्रदर्शन

  • अभी तक कोई अंतर-राज्यीय तुलना नहीं की गई है, परंतु कई राज्य अग्रणी बनकर उभरे हैं:
    • गुजरात: 346 फ्रंट रनर, 13,781 परफार्मर।
    • तेलंगाना: 270 फ्रंट रनर, 10,099 परफार्मर।
    • महाराष्ट्र: 12,242 परफार्मर।
    • मध्य प्रदेश: 7,912 परफार्मर।
    • उत्तर प्रदेश: 6,593 परफार्मर।
  • बिहार, छत्तीसगढ़ एवं आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में एस्पिरेंट पंचायतों का अनुपात अधिक है, जो लक्षित विकास प्रयासों की आवश्यकता को दर्शाता है।

भारत ने फ्राँस से 26 राफेल-M लड़ाकू विमानों का सौदा किया

भारत ने फ्राँस के साथ 26 राफेल-M (मरीन) लड़ाकू विमानों के लिए एक प्रमुख रक्षा अधिग्रहण सौदे को मंजूरी दे दी है।

संबंधित तथ्य

  • 9 अप्रैल, 2025 को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने ₹63,000 करोड़ ($7 बिलियन) के समझौते को मंजूरी दे दी।
  • इस सौदे में 22 सिंगल-सीटर राफेल-M जेट शामिल हैं, जो विमानवाहक पोतों से संचालित होने में सक्षम हैं एवं चार ट्विन-सीटर ट्रेनर वेरिएंट हैं।
  • यह भारत की दूसरी बड़ी राफेल खरीद है।
    • भारतीय वायु सेना पहले से ही 36 राफेल जेट का संचालन कर रही है, जिन्हें वर्ष 2016 में हस्ताक्षरित ₹60,000 करोड़ के समझौते के तहत खरीदा गया था।

राफेल-M के बारे में

  • राफेल-M (राफेल मरीन) फ्राँस निर्मित राफेल लड़ाकू जेट का नौसैनिक संस्करण है।
  • इसे दसॉल्ट एविएशन द्वारा विकसित किया गया है।
  • विमानवाहक-आधारित संचालन के लिए डिजाइन किया गया, राफेल-M समुद्री युद्ध के माहौल के लिए उपयुक्त, प्रौद्योगिकी एवं मारक क्षमता का एक शक्तिशाली मिश्रण प्रदान करता है। 
  • राफेल-M जेट का उद्देश्य भारत के दो विमानवाहक पोतों की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाना है:
    • रूस से प्राप्त INS विक्रमादित्य एवं वर्ष 2022 में कमीशन किया गया स्वदेशी रूप से विकसित INS विक्रांत।

भारत के राष्ट्रपति की स्लोवाकिया यात्रा

भारत की राष्ट्रपति पुर्तगाल एवं स्लोवाक गणराज्य की अपनी राजकीय यात्रा के अंतिम चरण में ब्रातिस्लावा (स्लोवाकिया की राजधानी) पहुँचीं।

  • यह 29 वर्षों में किसी भारतीय राष्ट्रपति की स्लोवाक गणराज्य की पहली यात्रा है।

स्लोवाकिया के बारे में

  • अवस्थिति: मध्य यूरोप में स्थित एक स्थल-रुद्ध राष्ट्र, जो पूर्वी एवं पश्चिमी यूरोप के बीच एक भौगोलिक कड़ी के रूप में कार्य करता है।
  • सीमावर्ती देश: यह उत्तर में पोलैंड, पूर्व में यूक्रेन, दक्षिण में हंगरी, पश्चिम में ऑस्ट्रिया एवं उत्तर-पश्चिम में चेक गणराज्य के साथ अपनी सीमाएँ साझा करता है।
  • स्थलाकृति: परिदृश्य को बड़े पैमाने पर पश्चिमी कार्पेथियन पर्वतों द्वारा आकार दिया गया है, जिसमें सुंदर टाट्रा पर्वत शामिल हैं।
  • सबसे ऊँची चोटी: गेरलाचोव्स्की पीक, जो हाई टाट्रास में स्थित है, देश का सबसे ऊँचा पर्वत है।
  • नदियाँ: डेन्यूब (स्लोवाकिया एवं हंगरी के बीच सीमा का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनाती है)।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: जनवरी 1993 में उनके शांतिपूर्ण अलगाव, जिसे “मखमली तलाक” के रूप में जाना जाता है, तक यह पूर्व चेकोस्लोवाकिया का हिस्सा था। 
  • अंतरराष्ट्रीय संबद्धता: स्लोवाकिया यूरोपीय संघ, नाटो, शेंगेन जोन एवं OECD का सदस्य है।

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