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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal April 22, 2025 04:19 24 0

खनन के लिए ‘पेस्ट फिल टेक्नोलॉजी’

साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) कोयला खनन के संदर्भ में पेस्ट फिल टेक्नोलॉजी (Paste Fill Technology) अपनाने वाला भारत का पहला कोयला PSU बन जाएगा।

परियोजना विवरण के बारे में

  • स्थान: SECL के कोरबा क्षेत्र में स्थित सिंघाली भूमिगत कोयला खदान में पेस्ट फिल टेक्नोलॉजी का उपयोग करके बड़े पैमाने पर कोयला उत्पादन किया जाएगा।
  • उत्पादन क्षमता: इस परियोजना से 25 वर्षों की अवधि में लगभग 8.4 मिलियन टन (84.5 लाख टन) कोयला उत्पादन होने की उम्मीद है।

पेस्ट फिल टेक्नोलॉजी के बारे में

  • पेस्ट फिलिंग एक आधुनिक भूमिगत खनन विधि है, जिसमें कोयला निकालने के बाद बची हुई खाली जगहों को पेस्ट से भर दिया जाता है।
  • पेस्ट: यह पेस्ट फ्लाई ऐश, खुले गड्ढे वाली खदानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ, सीमेंट, जल एवं अन्य बाध्यकारी एजेंटों के मिश्रण से बनाया जाता है।
  • लक्ष्य: भूमि के धंसानको रोकना एवं खदान की संरचनात्मक स्थिरता सुनिश्चित करना।
  • महत्व
    • हरित खनन: यह पहल ‘हरित खनन’ प्रथाओं की ओर एक व्यापक बदलाव का हिस्सा है जिसका उद्देश्य कोयला निष्कर्षण के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है।
    • यह तकनीक औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों के पुनः उपयोग की अनुमति देती है, जिससे यह प्रक्रिया पर्यावरण की दृष्टि से सतत् बनती है एवं अपशिष्ट पुनर्चक्रण को बढ़ावा मिलता है।
    • यह तकनीक सतही भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता को भी कम करती है, जिससे पर्यावरणीय क्षति एवं भूमि विस्थापन को कम किया जा सकता है।

पुरावशेषों का ग्राम-स्तरीय सर्वेक्षण

कर्नाटक ने शिलालेखों, मूर्तियों एवं स्मारकों जैसी प्राचीन वस्तुओं का दस्तावेजीकरण करने के लिए एक अनूठा ग्राम-स्तरीय सर्वेक्षण शुरू किया है, जिसे देश में इस तरह का पहला सर्वेक्षण माना जा रहा है।

कर्नाटक के पुरावशेषों के ग्राम-स्तरीय सर्वेक्षण के बारे में

  • उद्देश्य
    • सर्वेक्षण के अंतर्गत पुरावशेषों की एक व्यापक एवं जियो-टैग की गई सूची तैयार की जाएगी।
    • कर्नाटक ऐसा पहला राज्य होगा जिसके पास इतना विस्तृत एवं डिजिटल डेटाबेस होगा।
    • राज्य-संरक्षित विरासत स्थल: वर्तमान स्थिति
      • कर्नाटक में 800 से अधिक राज्य-संरक्षित स्मारक हैं, उदाहरण के लिए– हम्पी, बादामी गुफा मंदिर, मैसूर पैलेस, आदि।
      • इसके अतिरिक्त, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित 600 से अधिक स्मारक हैं।

गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य

हाल ही में, दो चीते (प्रभास एवं पावक) को गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (Gandhi Sagar Wildlife Sanctuary) में छोड़ा गया। 

  • उन्हें फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से कुनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) लाया गया था। 

गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य के बारे में 

  • स्थान: यह अभयारण्य राजस्थान की सीमा से लगे पश्चिमी मध्य प्रदेश के मंदसौर एवं नीमच जिलों में विस्तृत है। यह समतल चट्टानी विशेषता से युक्त मालवा पठार के ऊपर है। 
  • स्थापना: वर्ष 1974 में अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था। 
  • नदी: इस अभयारण्य से चंबल नदी प्रवाहित होती है, जो इसे दो भागों में विभाजित करती है। 
  • पारिस्थितिकी तंत्र: अभयारण्य के सवाना पारिस्थितिकी तंत्र में चट्टानी क्षेत्र एवं उथली ऊपरी मृदा के कारण शुष्क पर्णपाती वनों तथा झाड़ियों से घिरे खुले घास के मैदान शामिल हैं।
    • नदी घाटियाँ सदाबहार हैं। 

  • चीतों के लिए आदर्श आवास: गांधी सागर का परिदृश्य मासाई मारा अभयारण्य जैसा है, जो केन्या में एक राष्ट्रीय अभयारण्य है जो अपने सवाना जंगल के लिए जाना जाता है।
    • अभयारण्य को कुनो के बाद भारत में चीतों के लिए दूसरा सबसे अच्छा आवास माना गया है।

चुनौतियाँ

  • सबसे बड़ी चुनौती शिकार आधार का संवर्धन है, अर्थात उन जानवरों की संख्या बढ़ाना जिनका चीते शिकार कर सकते हैं।
  • अन्य चुनौतियों में गांधी सागर में तेंदुओं की आबादी शामिल है, जो चीतों के लिए खतरा उत्पन्न करेगी एवं कई अन्य सह-शिकारियों की उपस्थिति भी है।
    • गांधी सागर में संरक्षित क्षेत्र की सीमा के ठीक बाहर राजमार्ग एवं मानव बस्ती है।
    • चंबल नदी अभयारण्य के दो हिस्सों के बीच ‘वन्यजीवों की आकस्मिक आवाजाही के लिए बाधा’ के रूप में कार्य करती है।

केरल 17 वर्षों के बाद IPR नीति में संशोधन करेगा

केरल की बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति, जिसे आखिरी बार वर्ष 2008 में तैयार किया गया था, में बड़े संशोधन की तैयारी है।

मुख्य बिंदु

  • संशोधन का उद्देश्य केरल के IPR ढाँचे को आधुनिक बनाना है, जिसमें नवाचार, शिक्षा एवं पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • केरल राज्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद (Kerala State Council for Science, Technology and Environment- KSCSTE) ने छह सदस्यीय मसौदा समिति नियुक्त की है।

संशोधन क्यों?

  • राष्ट्रीय IPR नीति (2016) के साथ संरेखित करना।
  • राज्य स्तरीय नीतियों के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निर्देश (अगस्त 2024) का पालन करता है।

बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) के बारे में

  • बौद्धिक संपदा अधिकार रचनाकारों एवं आविष्कारकों को उनके मूल कार्यों तथा आविष्कारों के लिए दी गई कानूनी सुरक्षा को संदर्भित करता है।
  • ये अधिकार उन्हें अपनी रचनाओं के उपयोग को नियंत्रित करने एवं उनसे आर्थिक रूप से लाभ उठाने की अनुमति देते हैं।
  • उदाहरण: कॉपीराइट, पेटेंट, ट्रेडमार्क, भौगोलिक संकेत टैग आदि।

भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)

  • कानूनी ढाँचा: भारत में अलग-अलग IPR के लिए विशिष्ट कानून हैं, जैसे- कॉपीराइट अधिनियम, पेटेंट अधिनियम, ट्रेडमार्क अधिनियम एवं डिजाइन अधिनियम।
  • अंतरराष्ट्रीय अनुपालन: भारत विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है एवं बौद्धिक संपदा के व्यापार संबंधी पहलुओं (TRIPS) समझौते का पालन करता है।

मंगल ग्रह पर खनिज साइडेराइट पाया गया

नासा (NASA) के क्यूरियोसिटी रोवर ने साइडेराइट नामक एक खनिज प्रचुर मात्रा में पाया, जो मंगल ग्रह की प्राचीन गर्म एवं आर्द्र स्थितियों के बारे में नए साक्ष्य प्रदान करता है।

खोज के बारे में

  • स्थान: यह खनिज गेल क्रेटर के अंदर ड्रिल किए गए एक चट्टान के नमूने में पाया गया था।
  • प्रकाशित: अध्ययन को साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया था। 
  • परिकल्पना: मंगल, जब कार्बन डाइऑक्साइड युक्त वातावरण से गैस की कमी के कारण विकसित हुआ, तो भू-रासायनिक प्रक्रियाओं से गुजरा, जहाँ कार्बन, कार्बोनेट खनिज के रूप में इसकी पर्पटी चट्टानों में समाहित हो गया। 
  • खोज: यह खोज इस बात का साक्ष्य प्रदान करती है कि मंगल पर कभी कार्बन डाइऑक्साइड युक्त सघन वातावरण था। 
  • महत्त्व
    • रोवर की खोज प्राचीन मंगल पर कार्बन चक्र के बारे में जानकारी प्रदान करती है। 
    • खनिज की उपस्थिति मंगल के अतीत में जल से समृद्ध होने के सिद्धांत का भी समर्थन करती है।

साइडेराइट खनिज के बारे में 

  • साइडेराइट, जिसे चालिबाइट (Chalybite) के रूप में भी जाना जाता है, आयरन कार्बोनेट (FeCO3) खनिज का एक रूप है। 
  • यह एक मूल्यवान लौह अयस्क है और प्रायः अवसादी चट्टानों या हाइड्रोथर्मल शिराओं में पाया जाता है।
  • यह लोहे का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है, जिसमें 48% लौह तत्व होता है तथा सल्फर या फॉस्फोरस नहीं होता है। 
  • अनुप्रयोग: साइडेराइट का उपयोग लोहा गलाने के लिए अयस्क के रूप में किया जाता है एवं इसका उपयोग पिगमेंट, जल शोधन तथा बैटरी प्रौद्योगिकियों में भी किया जा सकता है।

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