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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal April 25, 2025 03:31 11 0

चौथी वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना

अंतरराष्ट्रीय कोरल रीफ पहल (International Coral Reef Initiative) के अनुसार, संचालित चौथी वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना (Fourth Global Coral Bleaching Event) ने पहले ही समुद्र की 84 प्रतिशत रीफ को प्रभावित किया है।

  • प्रभावित रीफ न्यूनतम 83 देशों एवं क्षेत्रों में फैली हुई हैं।

वैश्विक कोरल ब्लीचिंग घटना के बारे में

  • चौथी घटना: वर्ष 2023 में संचालित वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना दुनिया की 84% रीफ के प्रभावित होने के साथ अब तक की सबसे बड़ी घटना है।
  • तीसरी घटना: वर्ष 2014 एवं वर्ष 2017 के मध्य तीसरी सबसे बड़ी ब्लीचिंग अवधि ने 68.2% रीफ को प्रभावित किया।
  • पहली एवं दूसरी वैश्विक कोरल ब्लीचिंग घटनाएँ क्रमशः वर्ष 1998 एवं वर्ष 2010 में हुई थीं।

प्रवाल विरंजन (कोरल ब्लीचिंग) के बारे में

  • कोरल ब्लीचिंग एक ऐसी घटना है, जिसमें प्रवाल ‘जूक्सैंथेला’ नामक शैवाल के साथ अपने सहजीवी संबंध को समाप्त कर देते हैं और सफेद रंग के हो जाते हैं।
    • सहजीवी संबंध: ये शैवाल कोरल को भोजन एवं ऑक्सीजन प्रदान करते हैं तथा बदले में प्रवाल उन्हें रहने के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान करते हैं।
  • कारण
    • उच्च महासागरीय तापमान: ध्रुवों से दूर वर्ष 2024 में महासागरों का औसत वार्षिक समुद्री सतह तापमान रिकॉर्ड 20.87 डिग्री सेल्सियस था।
    • जलवायु परिवर्तन: वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती सांद्रता के कारण महासागरों द्वारा ऊष्मा का अवशोषण बढ़ जाता है, जिससे समुद्र की सतह का तापमान बढ़ जाता है।
      • वर्ष 2024 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष था।
    • प्रदूषण: भूमि से अपवाह प्रदूषक ले जा सकता है, जो कोरल एवं उनके सहजीवी शैवाल को नुकसान पहुँचाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय कोरल रीफ पहल (ICRI) के बारे में

  • ICRI एक अनौपचारिक वैश्विक साझेदारी है, जो दुनिया भर में कोरल रीफ एवं संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने का प्रयास करती है।
  • गठन: इस पहल की शुरुआत वर्ष 1994 में हुई थी एवं दिसंबर 1994 में जैविक विविधता अभिसमय के पक्षकारों के पहले सम्मेलन में इसकी घोषणा की गई थी।
  • उद्देश्य: कोरल रीफ एवं संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र के सतत् प्रबंधन में सर्वोत्तम अभ्यास को अपनाने को प्रोत्साहित करना।

महाराष्ट्र में लुप्तप्राय गिद्धों के लिए नया आवास

पृथ्वी दिवस 2025 (Earth Day 2025) पर, 34 गंभीर रूप से लुप्तप्राय गिद्ध, 20 लॉन्ग बिल्ड वल्चर (Long-Billed Vulture) एवं 14 व्हाइट-रंपड वल्चर (White-Rumped Vulture) को जंगल में पुनः स्थापित करने के लिए जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र (Jatayu Conservation Breeding Centre- JCBC), पिंजौर से महाराष्ट्र स्थानांतरित किया गया।

  • महाराष्ट्र के मेलघाट, पेंच और ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्वों में सफल स्थानांतरण का उद्देश्य जंगली आबादी को पुनः स्थापित करना है।

लॉन्ग बिल्ड वल्चर (Long-Billed Vulture) के बारे में

  • ‘लॉन्ग बिल्ड वल्चर’ [वैज्ञानिक नाम- जिप्स इंडिकस (Gyps Indicus)] भारतीय उपमहाद्वीप का एक बड़ा अपमार्जक पक्षी (Scavenger Bird) है, जो मुख्य रूप से मध्य एवं प्रायद्वीपीय भारत में चट्टानी क्षेत्रों पाया जाता है।
  • पारिस्थितिक भूमिका: ये गिद्ध जानवरों के शवों का उपभोग कर एक महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी भूमिका निभाते हैं, जिससे बीमारियों के प्रसार को रोका जा सकता है।
  • खतरे: पशु चिकित्सा में डाइक्लोफेनाक दवा के उपयोग के कारण इनकी आबादी में भारी गिरावट आई है, जो मवेशियों के शवों के माध्यम से निगले जाने पर उनके लिए विषाक्त प्रभाव रखता है।
  • संरक्षण स्थिति: IUCN रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered)।

व्हाइट-रंपड वल्चर (White-Rumped Vulture) के बारे में

  • व्हाइट-रंपड वल्चर [वैज्ञानिक नाम- जिप्स बंगालेंसिस (Gyps Bengalensis)] गिद्धों की सबसे छोटी प्रजातियों में से एक है एवं ऐतिहासिक रूप से दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में पाए जाते हैं।
  • आवास स्थान: खुले मैदान में, मानव बस्तियों और कृषि भूमि के पास निवास करता है, अक्सर ऊँचे पेड़ों या इमारतों पर घोंसला बनाता है।
  • खतरा: डाइक्लोफेनाक विषाक्तता एवं आवास की हानि के कारण इनकी संख्या में भारी गिरावट आई है।
  • संरक्षण स्थिति: IUCN की रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered)

एंटीबायोटिक प्रदूषण: अध्ययन

पीएनएएस नेक्सस (PNAS Nexus) में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि दुनिया भर में 6 मिलियन किलोमीटर नदियाँ एंटीबायोटिक दवाओं से इस स्तर तक दूषित हो चुकी हैं कि इससे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँच सकता है।

एंटीबायोटिक्स क्या है?

  • एंटीबायोटिक्स त्वरित प्रभाव वाली दवाइयाँ होती हैं, जो बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं।

एंटीबायोटिक प्रदूषण क्या है?

  • एंटीबायोटिक प्रदूषण पर्यावरण, विशेष रूप से नदियों, झीलों एवं महासागरों जैसे जल निकायों को एंटीबायोटिक दवाओं से दूषित करने को संदर्भित करता है।

नदियों में एंटीबायोटिक प्रदूषण पर अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ

  • नदियों में एंटीबायोटिक प्रदूषण की सीमा
    • भारत की 80% नदियाँ, एंटीबायोटिक प्रदूषण के कारण पर्यावरणीय एवं स्वास्थ्य जोखिमों का सामना कर सकती हैं।
      • वैश्विक अध्ययन से पता चला है कि उपभोग की गई 29% एंटीबायोटिक्स दवाएँ नदियों में चली जाती हैं तथा 11% महासागरों और झीलों तक पहुँचती हैं।
  • एंटीबायोटिक प्रदूषण का प्रभाव: एंटीबायोटिक्स मानव शरीर में पूरी तरह से चयापचय नहीं होते हैं एवं मानक अपशिष्ट जल उपचार प्रक्रियाओं द्वारा पूरी तरह से हटाए नहीं जाते हैं।
  • एंटीबायोटिक का बढ़ता उपयोग: वर्ष 2000 एवं वर्ष 2015 के बीच एंटीबायोटिक दवाओं की मानव खपत में 65% की वृद्धि हुई।
  • विशिष्ट एंटीबायोटिक्स द्वारा प्रदूषण में योगदान: ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) के इलाज में प्रयुक्त होने वाला सिफिक्साइम (Cefixime), भारतीय नदियों में एंटीबायोटिक प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है।

शीतलन के अधिकार  (Right to Cool)

भारत के अनौपचारिक कार्यबल को अत्यधिक गर्मी से बचाने के लिए ‘शीतलन के अधिकार’ (Right to Cool) को कानूनी मान्यता देने के साथ-साथ कुछ पहलों का प्रस्ताव किया गया है।

शीतलन के अधिकार (Right to Cool) के बारे में

  • ‘शीतलन का अधिकार’ अभी तक औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त कानूनी अधिकार नहीं है, बल्कि यह एक विकासात्मक अवधारणा है।
  • यह शीतलन के लिए एक न्यायसंगत एवं सतत् दृष्टिकोण की सिफारिश करता है, जो उचित तापमान की स्थिति तक पहुँच को एक मौलिक मानवीय आवश्यकता के रूप में मान्यता देता है।

अपनाने के लिए सुझाए गए उपाय

  • अनुच्छेद-21: अनुच्छेद 21 के तहत ‘शीतलन के अधिकार’ को मौलिक अधिकार का हिस्सा बनाना, जिसमें सबसे सुभेद्य आबादी के लिए शीतलन अवसंरचना अनिवार्य की गई है।
  • हीट एक्शन प्लान: लागू करने योग्य शहर-स्तरीय गर्मी से निपटने की कार्य योजनाएँ तैयार की जानी चाहिए, जिसमें रेड-अलर्ट वाले दिनों में वाटर स्टेशन और कूलिंग शेल्टर जैसे उपाय शामिल हों।
  • लैंगिक-संवेदनशील शहरी नियोजन: लैंगिक रूप से विभाजित डेटा के साथ योजना बनाना, छायादार, बच्चों के अनुकूल कार्यस्थल, सुलभ सार्वजनिक शौचालय और बाजारों के पास सुरक्षित विश्राम क्षेत्र बनाना।
  • सार्वजनिक परिवहन कनेक्टिविटी: शहरी नियोजन को सार्वजनिक परिवहन में एंड-टू-एंड कनेक्टिविटी को साकार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • हीट रिस्क मैपिंग: समुदाय की आवश्यकताओं के अनुरूप समाधान निकालने के लिए वार्ड स्तर पर जलवायु-जोखिम मानचित्रण एवं सहभागितापूर्ण योजना की आवश्यकता है।

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