सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) को नवरत्न का दर्जा मिला
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (भारत सरकार) के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE),सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) को केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा नवरत्न का दर्जा दिया गया है।
CPSEs को नवरत्न का दर्जा देने के मानदंड के बारे में
CPSEs जो मिनीरत्न I, अनुसूची ‘A’ हैं और पिछले पाँच वर्षों में से तीन वर्षों में CPSE ने ‘उत्कृष्ट’ या ‘बहुत अच्छा’ MoU रेटिंग प्राप्त किया है।
निम्नलिखित छह चयनित प्रदर्शन संकेतकों में CPSEs का समग्र स्कोर 60 या उससे अधिक होना चाहिए, जो नवरत्न का दर्जा देने के लिए विचार करने के योग्य हैं-
1. शुद्ध लाभ से शुद्ध मूल्य
25
2. उत्पादन की कुल लागत या सेवाओं की लागत के लिए जनशक्ति लागत
15
3. नियोजित पूँजी के लिए PBDIT
15
4. टर्नओवर के लिए PBDIT
15
5. प्रति शेयर आय
10
6. अंतर क्षेत्रीय प्रदर्शन
20
(अधिकतम भारांक) = 100
CPSEs को मिनीरत्न का दर्जा देने के लिए मानदंड
मिनीरत्न श्रेणी-I का दर्जा: जिन CPSEs ने पिछले तीन वर्षों में लगातार लाभ कमाया है, कम-से-कम तीन वर्षों में पूर्व कर लाभ 30 करोड़ रुपये या उससे अधिक है तथा जिनकी निवल संपत्ति लाभ में है, वे मिनीरत्न-I का दर्जा दिए जाने के लिए पात्र हैं।
मिनीरत्न श्रेणी-II का दर्जा: जिन CPSEs ने पिछले तीन वर्षों से लगातार लाभ कमाया है एवं उनकी निवल संपत्ति लाभ में है, वे मिनीरत्न- II का दर्जा देने के लिए विचार करने के पात्र हैं।
चक्रवात असना
(Cyclone Asna)
हाल ही में चक्रवात असना (Cyclone Asna) संभावित क्षेत्रों पर कोई गंभीर प्रभाव डाले बिना गुजरात से आगे बढ़ गया।
चक्रवात असना के बारे में
वर्ष 1976 के बाद अगस्त 2024 में अरब सागर में यह पहला चक्रवाती तूफान है।
वर्ष 1891 से 2023 के बीच: IMD के अनुसार, अगस्त के दौरान अरब सागर में केवल तीन चक्रवाती तूफान आए (वर्ष 1976, वर्ष 1964 एवं वर्ष 1944 में)।
नामकरण: ‘असना’ नाम पाकिस्तान द्वारा दिया गया है।
चक्रवात का मार्ग: कच्छ तट एवं पाकिस्तान के आसपास के क्षेत्रों तथा पूर्वोत्तर अरब सागर पर गहन दबाव।
सामान्य पथ: उष्णकटिबंधीय चक्रवात आमतौर पर कोरिओलिस प्रभाव के कारण भूमध्य रेखा को पार नहीं करते हैं, जो चक्रवातों के घूर्णन के लिए उत्तरदायी है।
कोरिओलिस प्रभाव भूमध्य रेखा पर सबसे कमजोर होता है एवं जैसे-जैसे आप ध्रुवों की ओर बढ़ते हैं, बढ़ता जाता है।
भूमध्य रेखा के पास यह कमजोर प्रभाव चक्रवातों को एक गोलार्द्ध से दूसरे गोलार्द्ध तक पार करना कठिन बना देता है।
गहन अवदाब बनाम चक्रवात: गहन अवदाब एक कम दबाव वाली प्रणाली है, जिसमें वायु की गति 52 किमी. प्रति घंटे से 61 किमी. प्रति घंटे के बीच होती है, जबकि चक्रवात में वायु की गति 63 किमी. प्रति घंटे एवं 87 किमी. प्रति घंटे के बीच होती है।
भौगोलिक रूप से दुर्लभ: इसे भौगोलिक रूप से दुर्लभ माना जाता है क्योंकि इसकी उत्पत्ति राजस्थान में भूमि पर हुई है, जो चक्रवातों के विशिष्ट उद्गम स्थल से दूर एक क्षेत्र है।
न्यूनतम तापमान की आवश्यकता: कम दबाव प्रणाली को चक्रवात में बदलने के लिए समुद्र की सतह का तापमान 27 डिग्री सेल्सियस एवं उससे अधिक होना आवश्यक है।
वर्तमान में, बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान 28-30 डिग्री सेल्सियस है।
अरब सागर में यह लगभग 27-28 डिग्री सेल्सियस है।
पश्चिम-मध्य अरब सागर में यह अधिक ठंडा (26 डिग्री सेल्सियस से नीचे) एवं अदन की खाड़ी में बहुत गर्म (32 डिग्री सेल्सियस से ऊपर) है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात की ताप क्षमता मध्य बंगाल की खाड़ी में अधिक है, लेकिन उत्तरी एवं मध्य अरब सागर में कम है।
गति: दक्षिणी गोलार्द्ध में चक्रवात दक्षिणावर्त घूमते हैं।
कोरिओलिस प्रभाव के कारण चक्रवात उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त घूमते हैं।
समुद्र प्रताप
(Samudra Pratap)
हाल ही में गोवा में पहला स्वदेश निर्मित प्रदूषण नियंत्रण पोत (समुद्र प्रताप) लॉन्च किया गया।
‘समुद्र प्रताप’ भारतीय तट रक्षक (ICG) का पहला स्वदेशी रूप से विकसित प्रदूषण नियंत्रण पोत है।
इस जहाज का निर्माण गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) द्वारा भारतीय तटरक्षक बल (ICG) के लिए किया गया है।
यह पहली बार है कि इन जहाजों का डिजाइन एवं निर्माण स्वदेशी स्तर पर किया जा रहा है।
उद्देश्य: यह जहाज देश के समुद्री तट पर तेल रिसाव को रोकने में मदद करेगा।
विशेषताएँ
इसमें गति के दौरान तेल रिसाव को रोकने के लिए साइड-स्वीपिंग हथियार, तेल रिसाव का पता लगाने के लिए एक उन्नत रडार प्रणाली एवं विभिन्न प्रकार के तेल को पुनर्प्राप्त करने तथा संगृहीत करने की सुविधाएँ हैं।
इसकी तेल पुनर्प्राप्ति दर 300 टन प्रति घंटा है एवं जहाज पर टैंकों में भंडारण क्षमता 300 टन है, जिसे इन्फ्लेटेबल बार्ज का उपयोग करके 1,000 टन तक बढ़ाया जा सकता है।
विवाद समाधान योजना (e-DRS)
हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने ई-विवाद समाधान योजना, 2022 (e-DRS) को अधिसूचित किया था।
विवाद समाधान योजना, 2022 के बारे में
धारा 245 MA: आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 245MA के तहत स्थापित यह पहल, करदाताओं को विवाद समाधान समितियों(DRCs) के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक रूप से विवादों को हल करने की अनुमति देगी।
अधिनियम की धारा 245MA विवाद समाधान समितियों (DRCs) के गठन का भी प्रावधान करती है।
उद्देश्य: मुकदमेबाजी को कम करना एवं पात्र करदाताओं को राहत प्रदान करना।
योजना कार्य
पात्रता: जो करदाता धारा 245MA में निर्दिष्ट कुछ शर्तों को पूरा करते हैं, वे विवाद समाधान के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इसमें वे मामले शामिल हैं, जहाँ विवादित राशि 10 लाख से अधिक नहीं है और संबंधित वर्ष के लिए करदाता की आय 50 लाख से कम है।
विवाद में खोजों या अंतरराष्ट्रीय समझौतों की जानकारी शामिल नहीं होनी चाहिए।
आवेदन प्रक्रिया: करदाता आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर फॉर्म नंबर 34BC का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक रूप से आवेदन कर सकते हैं।
निर्दिष्ट आदेश प्राप्त होने के एक माह के भीतर आवेदन जमा करना होगा।
विवाद समाधान समितियाँ (DRC) कार्य: देश भर के सभी 18 क्षेत्रों में स्थापित DRC, आदेशों को संशोधित कर सकती है, दंड कम कर सकती है, या अभियोजन को माफ कर सकती है।
उन्हें आवेदन प्राप्त होने के छह महीने के भीतर निर्णय लेना होगा।
प्रशांत द्वीपसमूह फोरम
(Pacific Islands Forum)
प्रशांत द्वीपसमूह फोरम (PIF) की वार्षिक बैठक टोंगा की राजधानी नुकु’आलोफा (Nuku’alofa) में शुरू हुई।
प्रशांत द्वीपसमूह फोरम (PIF) के बारे में
गठन: वर्ष 1971 में गठित, PIF एक अंतरसरकारी संगठन है, जिसमें प्रशांत क्षेत्र में स्थित 18 सदस्य देश शामिल हैं।
सदस्य: ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड सबसे धनी तथा सबसे बड़े देशों में से हैं, जो संगठन का हिस्सा हैं।
अन्य सदस्य राज्य हैं: कुक आइलैंड्स, माइक्रोनेशिया के संघीय राष्ट्र, फिजी, फ्रेंच पोलिनेशिया, किरिबाती, नाउरू, न्यू कैलेडोनिया, नीयू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, मार्शल आइलैंड्स गणराज्य, समोआ, सोलोमन द्वीप, टोंगा, तुवालु एवं वानुअतु।
उद्देश्य: PIF का लक्ष्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, क्षेत्र के लिए राजनीतिक शासन और सुरक्षा को बढ़ाना और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना है।
विजन: PIF का विजन शांति, सद्भाव, सुरक्षा, सामाजिक समावेश एवं समृद्धि के लचीले प्रशांत क्षेत्र के लिए है।
बैठक के मुख्य निष्कर्ष
जलवायु परिवर्तन मुख्य एजेंडे के रूप में: विशेषकर समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण कई PIF सदस्य दुनिया के सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक हैं।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की रिपोर्ट: इससे पता चला है कि समुद्र के स्तर में औसत से अधिक तेजी से वृद्धि, समुद्र का गर्म होना एवं अम्लीकरण प्रशांत द्वीपों के लिए खतरा उत्पन्न कर रहे हैं।
समुद्र के स्तर में वृद्धि से दक्षिण पश्चिम प्रशांत क्षेत्र सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ, कुछ स्थानों पर पिछले 30 वर्षों में वैश्विक औसत से दोगुने से भी अधिक की वृद्धि हुई।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए: PIF सदस्य जलवायु कार्रवाई के लिए धन जुटाने पर जोर दे रहे हैं।
विशेष रूप से, पैसिफिक रेजिलिएंस फैसिलिटी (PRF) (PIF द्वारा स्थापित एक क्षेत्रीय वित्तपोषण सुविधा) वर्तमान में अपने $500 मिलियन के लक्ष्य से $380 मिलियन कम है।
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