हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बताया है कि भारतीय सेना एवं भारतीय वायु सेना (IAF) के बेड़े के ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) को उड़ान संचालन के लिए मंजूरी दे दी गई है।
ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) के बारे में
इसे सरकारी स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के हेलीकॉप्टर डिवीजन द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
इसे शुरू में जर्मनी की सहायता [मेसर्सचिट-बोल्को-ब्लोहम (Messerschmitt-Bolkow-Blohm-MBB) एक एयरोस्पेस निर्माता था] से डिजाइन किया गया था।
यह एक हल्का (5.5-टन वर्ग), मल्टीरोल एवं मल्टी मिशन हेतु उपयोगी हेलीकॉप्टर है।
क्षमता: उपयोगिता एवं आक्रमणकारी भूमिकाओं को देखते हुए यह दिन एवं रात में कार्य करने में सक्षम है।
विभिन्न उपयोगी सेवाओं हेतु: भारतीय सेना, वायु सेना, नौसेना, तटरक्षक बल एवं नागरिक संचालन के लिए भी उपयोगी है।
मुख्य विशेषताएँ: ट्विन-इंजन कॉन्फिगरेशन, एडवांस एवियोनिक्स, एक ग्लास कॉकपिट एवं उच्च तुंगता वाले क्षेत्रों सहित विविध इलाकों में संचालन करने की क्षमता है।
रेड एडमिरल बटरफ्लाई
यूरोपियन ‘रेड एडमिरल बटरफ्लाई’ (Red Admiral Butterfly) को पहली बार भारत में हिमाचल प्रदेश के धौलाधार पर्वत शृंखला में धर्मशाला के पास देखा गया है।
रेड एडमिरल बटरफ्लाई के बारे में
वैज्ञानिक नाम: वैनेसा अटलांटा (Vanessa Atalanta)।
यह एक प्रवासी प्रजाति है।
इसे पाइरामिस अटलांटा (Pyrameis Atalanta) के नाम से भी जाना जाता है।
भौगोलिक वितरण: उत्तरी अफ्रीका, उत्तरी एवं मध्य अमेरिका, यूरोप, एशिया, कैरेबियन तथा हवाई के समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाया जाता है।
इसकी दृश्यता चिंता का विषय क्यों है?
अप्रत्याशित उपस्थिति: आमतौर पर यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका में पाई जाने वाली इस प्रजाति का भारत में इसका दिखना असामान्य है।
प्रवास परिवर्तन: इसकी विचरण सीमा के पूर्व की ओर संभावित विस्तार को इंगित करता है।
जलवायु प्रभाव: बदलती पर्यावरणीय परिस्थितियाँ इसके आवास अनुकूलन को प्रभावित कर सकती हैं।
नमस्ते (NAMASTE) योजना
केंद्र सरकार ने नमस्ते (NAMASTE) योजना के तहत कचरा बीनने वालों की वित्त एवं प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों तक पहुँच में सुधार करने के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम’ (United Nations Development Programme-UNDP) के साथ एक समझौता-पत्र (LoA) पर हस्ताक्षर किए।
संबंधित तथ्य
इस समझौते के तहत, ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम’ (UNDP) केंद्र एवं राज्य प्राधिकरणों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने तथा कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित करने के लिए कई राज्यों में राज्य परियोजना प्रबंधन इकाइयों (Project Management Units- PMUs) की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
नमस्ते योजना के बारे में
यंत्रीकृत स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र हेतु राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action for Mechanized Sanitation Ecosystem- NAMASTE) एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
उद्देश्य: यह विशेष रूप से सफाई कर्मचारियों, मैनुअल स्कैवेंजर्स एवं कचरा बीनने वालों के कल्याण एवं उत्थान को लक्षित करती है।
यह ‘मैनुअल स्कैवेंजर्स के पुनर्वास के लिए पूर्ववर्ती स्वरोजगार योजना’ (Self Employment Scheme for Rehabilitation of Manual Scavengers- SRMS) का स्थान लेती है।
मंत्रालय: यह योजना केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय तथा केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय की एक संयुक्त पहल है।
नमस्ते योजना के अंतर्गत कचरा बीनने वाले घटक का उद्देश्य डिजिटल प्रोफाइलिंग एवं पंजीकरण अभियान के माध्यम से लगभग 2.5 लाख लोगों की औपचारिक पहचान करना तथा उन्हें सहायता प्रदान करना है।
फेथेलेट (Phthalate)
ईबायोमेडिसिन (eBioMedicine) में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2018 में 55-65 वर्ष की आयु के लोगों में प्रतिदिन फेथेलेट के संपर्क में आने से 3,50,000 हृदय रोग से मौतें हुईं।
फेथेलेट (Phthalate) क्या हैं?
यह प्लास्टिक (जैसे- PVC) को अधिक लचीला एवं टिकाऊ बनाने के लिए प्लास्टिसाइजर के रूप में उपयोग किए जाने वाले रासायनिक यौगिक है।
उदाहरण के लिए: डायथाइल फेथेलेट (Diethyl Phthalate- DEP), डिब्यूटाइल फेथेलेट (Dibutyl Phthalate- DBP)।
यह घरेलू उत्पादों (खाद्य पैकेजिंग, खिलौने, सौंदर्य प्रसाधन, चिकित्सा उपकरण, आदि) में पाया जाता है।
यह प्लास्टिक से रासायनिक रूप से मिश्रित नहीं होता है तथा भोजन, पानी और हवा में घुल जाता है।
यह माइक्रोप्लास्टिक के विखंडन के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है, जिससे हृदय की धमनियों में सूजन आ जाती है, जिससे दिल का दौरा/स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
विक्रमादित्य प्रथम का शिलालेख दावणगेरे में मिला
हाल ही में बादामी के चालुक्य वंश के विक्रमादित्य प्रथम (654-681 ई.) के समय का 7वीं शताब्दी का एक शिलालेख कर्नाटक के दावणगेरे जिले में पाया गया।
शिलालेख के बारे में
खोज: यह कर्नाटक के दावणगेरे जिले में मदापुरा झील की सफाई के दौरान खोजा गया।
विषय-वस्तु: शिलालेख में संभवतः भूमि के अनुदान एवं कुछ करों की छूट का विवरण है।
यह झील के निर्माण में मदद करने वाले स्थानीय वृद्धजनों के योगदान को स्वीकार करता है।
महत्त्व
यह उस समय की प्रशासनिक प्रथाओं एवं सामाजिक गतिशीलता के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है।
यह विक्रमादित्य प्रथम के शासनकाल के दौरान मदापुरा झील के अस्तित्व एवं स्थान की भी पुष्टि करता है।
बादामी के चालुक्य वंश के बारे में
स्थापना: पुलकेशिन प्रथम (543 ई.) द्वारा स्थापित, जिन्होंने बादामी को अपनी राजधानी के रूप में स्थापित किया।
क्षेत्र: चालुक्यों ने 6वीं से 8वीं शताब्दी ई. तक दक्कन क्षेत्र में एक विशाल क्षेत्र पर शासन किया, जिसमें वर्तमान कर्नाटक एवं महाराष्ट्र के कुछ हिस्से शामिल थे।
उत्तराधिकारी: येपश्चिमी दक्कन में वाकाटक के उत्तराधिकारी थे।
विभाजित राजवंश: बाद में, चालुक्य अलग-अलग क्षेत्रीय शासकों में विभाजित हो गए, जिनमें कल्याणी के पश्चिमी चालुक्य एवं वेंगी के पूर्वी चालुक्य शामिल थे।
वास्तुकला संबंधी योगदान: उनकी वास्तुकला शैली को ‘चालुक्य वास्तुकला’ या ‘कर्नाटक द्रविड़ वास्तुकला’ कहा जाता है (इसे वेसर शैली के रूप में भी जाना जाता है)।
पट्टाडकल (विरुपाक्ष मंदिर) एवं ऐहोल (लाड खान मंदिर) अपने संरचनात्मक मंदिरों के लिए प्रसिद्ध हैं।
उल्लेखनीय शासक: पुलकेशिन प्रथम, कीर्तिवर्मन प्रथम एवं पुलकेशिन द्वितीय।
पतन: 642 ई. में पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु के बाद इस वंश का पतन हो गया।
अंतिम शासक कीर्तिवर्मन द्वितीय (746 से 753 ई.) था।
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