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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal May 12, 2025 03:29 54 0

मैग्नेटर फ्लेयर्स

‘द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स’ में प्रकाशित एक पेपर में, वैज्ञानिकों ने पाया है कि मैग्नेटर फ्लेयर्स ‘आर-प्रोसेस न्यूक्लियोसिंथेसिस’ के माध्यम से सोने का उत्पादन कर सकती हैं।

मैग्नेटर के बारे में

  • तारे का प्रकार: मैग्नेटर एक विशेष प्रकार के न्यूट्रॉन तारे हैं, जो सुपरनोवा में विस्फोटित विशाल तारों के अत्यंत सघन अवशेष हैं।
  • चुंबकीय क्षेत्र: उनके पास अत्यंत शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र हैं, जो ब्रह्मांड में ज्ञात सबसे शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र में से एक हैं।
  • ऊर्जा उत्सर्जन: कभी-कभी, मैग्नेटर फ्लेयर्स के रूप में ऊर्जा के बड़े विस्फोटों करते हैं, जिसमें उच्च-ऊर्जा गामा किरणें शामिल हो सकती हैं।
  • अध्ययन में भूमिका: वर्ष 2004 की घटना में, एक मैग्नेटर के फ्लेयर ने विलंबित गामा किरणों का उत्सर्जन किया, जो ‘आर-प्रोसेस न्यूक्लियोसिंथेसिस’ (तीव्र न्यूट्रॉन-कैप्चर प्रक्रिया) का प्रत्यक्ष प्रमाण प्रदान करता है, जो सोने जैसे भारी तत्त्वों के निर्माण के लिए उत्तरदायी प्रक्रिया है।

निष्कर्षों के निहितार्थ

  • अब तक, न्यूट्रॉन स्टार की विलय प्रक्रिया को ब्रह्मांडीय सोने का मुख्य स्रोत माना जाता था।
    • इस खोज से पता चलता है कि मैग्नेटर फ्लेयर्स सोने जैसे भारी तत्त्वों का भी निर्माण कर सकते हैं।
  • चूँकि मैग्नेटर न्यूट्रॉन स्टार विलय प्रक्रिया से पहले बने होंगे, इसलिए ब्रह्मांडीय इतिहास में सोना पहले भी मौजूद हो सकता है।

आर्ट डेको शैली के 100 वर्ष

 

आर्ट डेको शैली को दुनिया के सामने आए 100 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं।

आर्ट डेको शैली के बारे में

  • आर्ट डेको एक आधुनिकतावादी डिजाइन शैली है, जो वर्ष 1925 में उभरी, जो अपने बोल्ड ज्यामितीय पैटर्न, सुव्यवस्थित रूपों, समृद्ध रंगों एवं कंक्रीट, काँच तथा क्रोम जैसी नई सामग्रियों के उपयोग के लिए जानी जाती है।
  • भारत में आगमन: बॉम्बे आर्ट डेको को अपनाने वाला पहला भारतीय शहर था।
    • भारतीय स्वामित्व वाले बैंकों एवं संस्थानों ने इस शैली को अपनाया।
  • मद्रास में परिचय: आर्ट डेको 1930 के दशक में वास्तुकार एल.एम. चितले के प्रयासों के माध्यम से मद्रास में आई।
  • UNESCO मान्यता: 30 जून 2018 को, UNESCO ने गोथिक एवं आर्ट डेको संरचनाओं के विशाल संग्रह के लिए फोर्ट एवं मरीन ड्राइव के मुंबई परिसर को प्रतिष्ठित विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।

तुर्किए ‘सोंगर’ ड्रोन

हाल ही में पाकिस्तानी सेना ने तुर्किए निर्मित ‘सोंगर’ सशस्त्र ड्रोन लॉन्च किए।

‘सोंगर’ ड्रोन के बारे में

  • सोंगर ड्रोन तुर्किए स्थित रक्षा कंपनी असीसगार्ड द्वारा विकसित किए गए हैं।
  • पहली बार अप्रैल 2019 में लॉन्च किया गया एवं सफल परीक्षण के बाद फरवरी 2020 में तुर्किए सशस्त्र बलों को दिया गया।
  • ये तुर्किए के पहले स्थानीय रूप से निर्मित सशस्त्र ड्रोन हैं।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • उड़ान समय: बिना हथियार लिए 35 मिनट तक उड़ सकता है।
    • रेंज: 5 किमी. के दायरे में संचालित होता है।
  • ऊँचाई: समुद्र तल से 3,000 मीटर ऊपर एवं सतह से 300 मीटर ऊपर उड़ सकता है।
  • ऑपरेशन: दिन एवं रात के मिशन के लिए उपयुक्त।

फारस की खाड़ी

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा फारस की खाड़ी को अरब की खाड़ी के रूप में संदर्भित करने की योजना बना रहे हैं। 

फारस की खाड़ी के बारे में

  • अवस्थिति: फारस की खाड़ी मध्य एशिया में, उत्तर-पूर्व में ईरान एवं दक्षिण-पश्चिम में अरब प्रायद्वीप के मध्य अवस्थित है। 
  • खाड़ी की सीमा संलग्न देश: ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब, बहरीन, कतर, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) एवं ओमान है। 
  • महत्त्व: यह विश्व के सबसे महत्त्वपूर्ण तेल व्यापार मार्गों में से एक है, जिसकी भू-राजनीतिक प्रासंगिकता अत्यधिक है। 
  • होर्मुज जलडमरूमध्य: फारस की खाड़ी होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से अरब सागर से जुड़ती है, जो वैश्विक तेल आपूर्ति के लिए एक महत्त्वपूर्ण चोक पॉइंट है।
  • ऐतिहासिक नाम: फारस की खाड़ी नाम का प्रयोग सदियों से किया जाता रहा है एवं यह प्राचीन फारसी साम्राज्य (आधुनिक ईरान) से संबंधित है। 
  • अरब राष्ट्रों की प्राथमिकता: खाड़ी की सीमा से लगे सभी अरब राज्य (ईरान को छोड़कर) इसे अरब की खाड़ी या केवल खाड़ी के रूप में संदर्भित करते हैं एवं लंबे समय से आधिकारिक नाम बदलने की वकालत कर रहे हैं। 
  • ट्रंप ने पहले मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर “अमेरिका की खाड़ी” कर दिया था।

हिमालय में प्लास्टिक अपशिष्ट

जीरो वेस्ट हिमालय एलायंस के अनुसार, हिमालय क्षेत्र से एकत्र किए गए लगभग 70% प्लास्टिक गैर-पुनर्चक्रणीय हैं।

हिमालयी प्लास्टिक अपशिष्ट संकट

  • एकल-उपयोग प्लास्टिक का प्रभुत्व: हिमालयी क्षेत्र में 84% से अधिक प्लास्टिक अपशिष्ट एकल-उपयोग खाद्य एवं पेय पैकेजिंग है।
  • गैर-पुनर्चक्रणीय अपशिष्ट: एकत्र किए गए प्लास्टिक का 70% गैर-पुनर्चक्रणीय है, जिसका कोई बाजार मूल्य नहीं है, मुख्य रूप से बहुस्तरीय प्लास्टिक एवं टेट्रापैक।
  • पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: प्लास्टिक अपशिष्ट जलमार्गों को अवरुद्ध कर रहा है, लैंडफिल को भर रहा है, एवं जैव विविधता को खतरा पहुँचा रहा है।
    • पर्यटक स्थलों पर जल निकाय सबसे अधिक अपशिष्ट वाले क्षेत्र हैं।

जीरो वेस्ट हिमालय एलायंस के बारे में

  • जीरो वेस्ट हिमालय एलायंस नागरिक समाज संगठनों एवं व्यक्तियों का एक समूह है, जो भारतीय हिमालयी क्षेत्र में प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने तथा स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहा है।
  • पहलकर्ता
    • जीरो वेस्ट हिमालय (गंगटोक, सिक्किम में स्थित)
    • एकीकृत पर्वत पहल (देहरादून, उत्तराखंड में स्थित)।
  • यह गठबंधन हिमालयी राज्यों के गैर-सरकारी संगठनों, सामुदायिक समूहों एवं संस्थानों को एक साथ लाता है।

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