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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal May 22, 2025 04:41 9 0

यूथालिया मलक्काना (Euthalia Malaccana)

हाल ही में तितली की एक प्रजाति यूथालिया मलक्काना (Euthalia Malaccana) को भारत में विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश के लेपराडा जिले में दर्ज किया गया है।

यूथालिया मलक्काना के बारे में

  • यूथालिया मलक्काना, जिसे ‘फ्रुहस्टॉर्फर बैरन’ (Fruhstorfer’s Baron) के नाम से भी जाना जाता है, निम्फालिड तितली की एक प्रजाति है।
  • यह प्रजाति मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाती है, जिसमें थाईलैंड, मलय प्रायद्वीप एवं सुंडा द्वीप शामिल हैं।
  • संरक्षण स्थिति: IUCN रेड लिस्ट के तहत सबसे कम चिंताग्रस्त (Least Concern- LC)।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • नर के अग्र पंखों पर एक नीला धब्बा होता है।
    • मादाओं के शरीर पर बड़े नीले धब्बे होते हैं।
    • पिछले पंखों पर लाल धब्बे होते हैं, जो यूथालिया मलक्काना को यूथालिया ल्यूबेंटिना जैसी समान प्रजातियों से अलग करने में मदद करते हैं।

वर्ल्ड मैट्रोलोजी डे, 2025

वर्ल्ड मैट्रोलोजी डे, 2025 के अवसर पर, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने मीटर कन्वेंशन की 150वीं वर्षगाँठ मनाई।

उपर्युक्त के अलावा, सरकार ने “एक राष्ट्र, एक समय” पहल भी शुरू की है।

वर्ल्ड मैट्रोलोजी डे, 2025 के बारे में

  • वर्ल्ड मैट्रोलोजी डे  प्रत्येक वर्ष 20 मई को मनाया जाता है।
  • वर्ष 2025 का थीम है “मेजरमेंट फॉर आल टाइम्स, फॉर आल पीपल्स”।
    • यह दर्शाता है कि यह मापन अतीत, वर्तमान एवं भविष्य में सभी के लिए कैसे महत्त्वपूर्ण हैं।
  • भारत अंतरराष्ट्रीय कानूनी मापविज्ञान संगठन (OIML) प्रमाण-पत्र जारी करने वाला 13वाँ देश बन गया।
    • यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत की विश्वसनीयता को बढ़ाता है एवं वैश्विक बाजारों में भारतीय उत्पादों की व्यापक स्वीकृति का समर्थन करता है।
  • विश्व मापविज्ञान दिवस की शुरुआत वर्ष 1999 में अंतरराष्ट्रीय भार एवं माप समिति (CIPM) द्वारा की गई थी।
  • इसे ‘मीटर कन्वेंशन’ पर हस्ताक्षर करने की याद में बनाया गया था।
    • मीटर कन्वेंशन (फ्रेंच: कन्वेंशन-डू-मीटर) 20 मई, 1875 को पेरिस में हस्ताक्षरित एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। 
    • इसे ‘मीटर की संधि’ के रूप में भी जाना जाता है।
    • माप विज्ञान में सटीकता, स्थिरता एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग सुनिश्चित करने के लिए माप की एक समान तथा विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रणाली की स्थापना।

“एक राष्ट्र, एक समय” पहल

  • “एक राष्ट्र, एक समय” पहल एक समय अनुपालन संबंधी पहल है।
  • प्रारंभ: ड्राफ्ट IST नियम, 2025 के तहत, “एक राष्ट्र, एक समय” पहल शुरू की गई थी।
  • उद्देश्य: पाँच क्षेत्रीय संदर्भ मानक प्रयोगशालाओं (RRSLs) के माध्यम से मिलीसेकंड स्तर का सटीक भारतीय मानक समय (IST) प्रदान करना।
  • दूरसंचार, बैंकिंग एवं परिवहन जैसे क्षेत्रों के लिए लाभकारी, सुसंगत राष्ट्रीय समयपालन सुनिश्चित करना।

शिरुई लिली महोत्सव

मणिपुर राज्य में संघर्ष के कारण दो वर्ष के विराम के बाद, वर्ष 2023 के बाद पहली बार मणिपुर में शिरुई लिली महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। 

शिरुई लिली महोत्सव के बारे में

  • यह मणिपुर के दो प्रमुख पर्यटन महोत्सवों में से एक है, दूसरा संगाई महोत्सव है, जिसका नाम राजकीय  पशु, ब्रो-एंटलर्ड डियर (Brow-antlered deer) के नाम पर रखा गया है। 
  • नाम: शिरुई लिली (लिलियम मैकलिनिया), मणिपुर का राजकीय पुष्प। 
  • उत्सव: यह पहली बार वर्ष 2017 में आयोजित किया गया था। 
    • शिरुई लिली महोत्सव इस दुर्लभ पुष्प के खिलने के मौसम के साथ संरेखित है। 
  • अवस्थिति: उखरुल जिला। 
    • जिले में तंगखुल नागा समुदाय प्रमुख है। 
  • कार्यक्रम का उद्देश्य: शिरुई लिली के बारे में जागरूकता बढ़ाने एवं उखरुल की पहाड़ियों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक इको-टूरिज्म महोत्सव के रूप में डिजाइन किया गया।

शिरुई लिली के बारे में

  • स्थानिक प्रजाति: शिरुई लिली (लिलियम मैकलिनिया) मणिपुर के उखरुल जिले में शिरुई पहाड़ी शृंखला की ऊपरी श्रेणी में 2,673 मीटर की ऊँचाई पर पाई जाती है।
  • स्थानीय किंवदंती: स्थानीय लोग इसे ‘काशसोंग टिमरावोन’ कहते हैं।
  • शिरुई लिली के अस्तित्व के लिए खतरा: जलवायु परिवर्तन, मानव अतिक्रमण, संसाधनों का दोहन एवं जंगली बौने बाँस की प्रजाति द्वारा आवास की हानि।

विश्व स्वास्थ्य सभा का 78वाँ सत्र (WHA-78)

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य सभा के 78वें सत्र को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया।

विश्व स्वास्थ्य सभा के बारे में

  • विश्व स्वास्थ्य सभा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की निर्णय लेने वाली संस्था है।
  • स्थापना: वर्ष 1948 में।
  • बैठक: जिनेवा, स्विट्जरलैंड में प्रतिवर्ष।
  • आयोजक: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)।
  • कार्य
    • वैश्विक स्वास्थ्य नीतियाँ निर्धारित करना: WHO की रणनीतिक दिशा, लक्ष्य एवं प्राथमिकताएँ निर्धारित करना।
    • बजट एवं कार्यक्रमों को मंजूरी देना: आने वाले वर्षों के लिए WHO कार्यक्रम बजट की समीक्षा करना एवं उसे मंजूरी देना।
    • नेतृत्व का चुनाव: WHO के महानिदेशक की नियुक्ति (प्रत्येक 5 वर्ष में)।
    • स्वास्थ्य प्रशासन एवं समन्वय: सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं का समन्वय करना।
      • संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs), विशेष रूप से SDG 3 (स्वास्थ्य एवं कल्याण) संबंधी प्रगति की निगरानी करना।

WHA-78 की मुख्य बिंदु

  • WHO महामारी समझौते को अपनाना: इस समझौते का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अगली महामारी आने पर दवाएँ, उपचार एवं टीके वैश्विक रूप से सुलभ हों।
    • इसमें भाग लेने वाले निर्माताओं को महामारी के दौरान अपने टीकों, दवाओं एवं परीक्षणों का 20 प्रतिशत WHO को आवंटित करने का लक्ष्य निर्धारित करना होता है, ताकि गरीब देशों तक पहुँच सुनिश्चित हो सके।
    • रोगजनक पहुँच एवं लाभ-साझाकरण प्रणाली (Pathogen Access and Benefit-Sharing System) निर्माताओं के साथ रोगजनक डेटा का तेजी से साझाकरण सुनिश्चित करती है।
    • यह महामारी से निपटने के लिए एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण का समर्थन करता है।
    • यह WHO संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत अपनाया गया दूसरा अंतर्राष्ट्रीय कानूनी साधन है, जो WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (वर्ष 2003) के बाद अपनाया गया है।
  • बजट: जिनेवा में वार्षिक सभा में अगले दो वर्षों के लिए $4.2 बिलियन का संशोधित बजट स्वीकृत किया गया।
  • अमेरिका की अनुपस्थिति: वर्ष 1948 के बाद पहली बार, अमेरिका अनुपस्थित रहा, जो WHO के $6.8 बिलियन के बजट का लगभग पाँचवाँ हिस्सा प्रदान करता है।

शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923

हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति रानी पर पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करके पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923 की धारा 3 एवं 5 तथा भारतीय न्याय संहिता की धारा-152 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923 (Official Secrets Act) के बारे में

  • औपनिवेशिक उत्पत्ति: भारतीय शासकीय गुप्त बात अधिनियम (अधिनियम XIV), वर्ष 1889 में ब्रिटिश द्वारा असहमति को दबाने एवं औपनिवेशिक नीतियों की आलोचना करने वाले समाचार-पत्रों पर रोक लगाने के लिए प्रस्तुत किया गया था।
  • संशोधन: लॉर्ड कर्जन के भारत के वायसराय के कार्यकाल के दौरान वर्ष 1904 में इस अधिनियम को कठोर किया गया एवं वर्ष 1923 में एक व्यापक संस्करण द्वारा प्रतिस्थापित किया गया, जो आज भी लागू है।
  • कवरेज: कानून कई तरह के अपराधों को शामिल करता है, जैसे कि आधिकारिक रहस्यों, कोड, पासवर्ड, रेखाचित्र, योजनाओं एवं अन्य वर्गीकृत सामग्रियों का गलत संचार।
  • ‘गुप्त सूचना’: अधिनियम यह परिभाषित नहीं करता है कि “गुप्त सूचना” क्या होती है।
  • लागू: यह देश के अंदर एवं बाहर सभी भारतीय नागरिकों, जिनमें सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं, पर लागू होता है।
  • OSA की धारा 3: जासूसी के लिए दंड से संबंधित है।
    • इसमें शामिल हैं: निषिद्ध क्षेत्रों में अनधिकृत पहुँच, किसी दुश्मन के लिए उपयोगी संवेदनशील सामग्री बनाना या साझा करना।
    • सजा: रक्षा संबंधी अपराधों के लिए 14 वर्ष तक की सजा।
      • अन्य मामलों में 3 वर्ष तक की सजा।
  • धारा 5: अनधिकृत संचार से संबंधित है।
    • इसमें शामिल हैं: गुप्त सूचना का अनधिकृत या लापरवाही से खुलासा।
    • दोषी: अधिनियम के तहत प्रेषक एवं प्राप्तकर्ता दोनों ही दोषी हैं।
    • सजा: 3 वर्ष तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 के बारे में

  • यह भारत की नई आपराधिक संहिता है, जो भारतीय दंड संहिता (IPC) को प्रतिस्थापित करती है एवं इसका उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली का आधुनिकीकरण तथा सुधार करना है।
  • भारतीय न्याय संहिता की धारा 152: ‘भारत की संप्रभुता, एकता एवं अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य’ से संबंधित है।

कालेश्वरम् आयोग

न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष जाँच आयोग ने तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को नोटिस भेजा है।

कालेश्वरम् आयोग/न्यायमूर्ति P.C. घोष आयोग के बारे में

  • कालेश्वरम् लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP) में कथित अनियमितताओं की जाँच के लिए तेलंगाना सरकार ने सेवानिवृत्त सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति P.C. घोष की अध्यक्षता में कालेश्वरम् आयोग का गठन किया है। यह भारत की सबसे बड़ी सिंचाई पहलों में से एक है।

कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP) के बारे में

  • यह तेलंगाना के भूपलपल्ली जिले में प्राणहिता नदी एवं गोदावरी नदी के संगम पर स्थित विश्व की सबसे बड़ी बहु-चरणीय लिफ्ट सिंचाई परियोजना है।
  • इसका उद्घाटन वर्ष 2019 में किया गया था एवं इसका उद्देश्य उत्तरी तेलंगाना के बड़े हिस्से में सिंचाई, पेयजल तथा औद्योगिक उपयोग के लिए गोदावरी से जल प्राप्त करना था।

भारत: एक अग्रणी आलू उत्पादक

अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (International Potato Center- CIP) के वैज्ञानिकों के अनुसार, भारत, चीन को पछाड़कर विश्व का शीर्ष आलू उत्पादक बनने की राह पर है।

आलू के बारे में

  • आलू [सोलनम ट्यूबरोसम (Solanum Tuberosum)] विश्व स्तर पर सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्य फसलों में से एक है।
  • एक समशीतोष्ण फसल, लेकिन भारत में उपोष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में उगाई जाती है।
  • इसकी सामर्थ्य एवं व्यापक उपयोग के कारण इसे ‘गरीबों के मित्र’ के रूप में जाना जाता है।
  • कार्बनिक पदार्थों से भरपूर दोमट एवं रेतीली दोमट मिट्टी में अच्छी तरह से उगता है।
  • आलू के प्रमुख उत्पादक राज्य: उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार।
  • आलू की महत्त्वपूर्ण किस्में: कुफरी ज्योति (Kufri Jyoti), कुफरी गिरिराज (Kufri Giriraj), कुफरी पुखराज (Kufri Pukhraj), कुफरी सिंधुरी (Kufri Sindhuri)।
    • भारतीय आलू की खेती में, ‘कुफरी’ उच्च उपज, रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं अनुकूलनशीलता के लिए विकसित आलू की किस्मों की एक शृंखला को संदर्भित करता है।
  • औद्योगिक उपयोग
    • स्टार्च एवं अल्कोहल उत्पादन में उपयोग किया जाता है।
    • आलू स्टार्च (फरीना) का उपयोग लॉन्ड्री एवं कपड़ा मिलों में किया जाता है।
    • चिप्स, कटे हुए आलू जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में परिवर्तित किया जाता है।

आलू उत्पादन के आँकड़े

  • वर्तमान स्थिति: भारत वर्तमान में विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक है।
  • विश्व स्तर पर शीर्ष 3 उत्पादक: चीन, भारत एवं यूक्रेन (FAOSTAT डेटाबेस वर्ष 2023 के अनुसार)।

जारोसाइट 

(Jarosite)

हाल ही में भारतीय शोधकर्ताओं ने गुजरात के कच्छ से जारोसाइट (Jarosite) की छह शिराओं का अध्ययन किया और ल्यूमिनेसेंस परीक्षण किया कि संगृहीत विकिरण ऊर्जा के कारण जारोसाइट कितना प्रकाश उत्सर्जित करता है?

जारोसाइट क्या है?

  • जारोसाइट एक पीले-भूरे रंग का खनिज है, जिसमें पोटेशियम, लोहा एवं सल्फेट होता है।
  • यह आमतौर पर मंगल ग्रह एवं पृथ्वी पर गुजरात के कच्छ जैसे शुष्क, लवणीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए जारोसाइट का महत्त्व: ऐसी संभावना है कि जारोसाइट मंगल ग्रह पर पूर्व घटनाओं, जैसे- धूल के तूफान या बाढ़ को दिनांकित करने के लिए एक प्राकृतिक घड़ी के रूप में कार्य कर सकता है।

मुख्य निष्कर्ष

  • उच्च तापमान के प्रति लचीलापन: जारोसाइट अत्यधिक ऊष्मा से बच जाता है एवं उच्च तापमान के बावजूद पता लगाने योग्य रहता है।
  • ग्रहीय घटनाओं की तिथि निर्धारण
    • अवशोषित विकिरण 590 एवं 2,600 ग्रे (SI इकाई) के बीच मापन किया जाता है।
    • इसका अर्थ है कि जारोसाइट 25,000 वर्ष प्राचीन भू-गर्भीय घटनाओं को रिकॉर्ड कर सकता है।

कर्नाटक के हावेरी जिले में 16वीं शताब्दी का शिलालेख

कर्नाटक के हावेरी जिले में चंद्रशेखर मंदिर के पास 16वीं शताब्दी का एक मूर्तिकला शिलालेख खोजा गया। 

शिलालेख के बारे में

  • तिथि: शिलालेख शक संवत 1461 भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का है, जो 18 अगस्त, 1539 से संरेखित है। 
  • भाषा: शिलालेख कन्नड़ भाषा में है। 
  • मूर्तिकला शिलालेख 
    • लेख: एक प्रस्तर पर उत्कीर्ण शिलालेख, जिसमें कहा गया था कि 6,307 लोग ‘बारा’ या सूखे के कारण मारे गए थे। 
    • मूर्तिकला: एक मूर्ति में एक व्यक्ति को अपने सिर पर दो या तीन शवों से भरी टोकरी ले जाते हुए दिखाया गया है। 
  • महत्त्व
    • अभिलेख: यह अभिलेख भारत में प्राकृतिक आपदा के कारण हुई मानवीय आपदा का पहला ऐसा ऐतिहासिक अभिलेख है। 
    • इस खोज को भारत की पुरालेख विरासत में एक महत्त्वपूर्ण वृद्धि के रूप में देखा जा रहा है।
    • यह शोधकर्ताओं को ऐसे अभिलेखों के आधार पर जलवायु पैटर्न एवं जनसांख्यिकीय परिवर्तनों का पता लगाने में भी मदद कर सकता है।

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