उच्चतम न्यायालय में सुनवाई से पहले, उत्तराखंड सरकार ने भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी को राजाजी टाइगर रिजर्व (Rajaji Tiger Reserve) के निदेशक पद से हटा दिया।
राजाजी टाइगर रिजर्व के बारे में
अवस्थिति: यह एक भारतीय राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभयारण्य है, जो उत्तराखंड के तीन जिलों हरिद्वार, देहरादून तथा पौरी गढ़वाल में फैला हुआ है।
यह शिवालिक पर्वतमाला की पहाड़ियों एवं तलहटी में अवस्थित है।
पृष्ठभूमि: वर्ष 1983 में, राजाजी वन्यजीव अभयारण्य को मोतीचूर एवं चिल्ला वन्यजीव अभयारण्यों (Motichur and Chilla Wildlife Sanctuaries) के साथ विलय कर राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में गठन किया गया।
इसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सी. राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया था, जो ‘राजाजी’ के नाम से मशहूर थे।
टाइगर रिजर्व घोषणा: इसे वर्ष 2015 में देश के 48वें टाइगर रिजर्व के रूप में ‘टाइगर रिजर्व’ घोषित किया गया था।
वनस्पति: अर्द्ध-सदाबहार से लेकर पर्णपाती एवं मिश्रित चौड़ी पत्ती वाले से लेकर तराई घास के मैदान तक विविध प्रकार के वन पाए जाते हैं।
साल (शोरिया रोबस्टा-Shorea Robusta) विशिष्ट प्रमुख वृक्ष प्रजाति है।
जीव-जंतु: यह बाघों, हाथियों, तेंदुओं एवं अन्य वन्यजीव प्रजातियों जैसे चित्तीदार हिरण, बार्किंग हिरण, स्लॉथ बियर आदि की आबादी के लिए जाना जाता है।
नदियाँ:गंगा एवं सोंग (Song) नदियाँ यहाँ से बहती हैं।
चुनौतीपूर्ण आवासों के अनुकूल ढलने के लिए जटिल मस्तिष्क का विकास (Complex Brains Evolution to Adapt to Challenging Habitats)
हाल ही में शोधकर्ताओं ने देखा कि जटिल आवासों में जानवरों को बड़े संभावित मार्ग के साथ अधिक संचलन समन्वय के कारण अधिक संज्ञानात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ
परंपरागत रूप से, मस्तिष्क की जटिलता को मस्तिष्क के आकार से संबंधित माना जाता था, लेकिन प्यूर्टो रिको की छिपकलियों पर शोध से पता चलता है कि आवास स्थान एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शोधकर्ताओं ने पेड़ों के तने से लेकर कैनोपी तक के विभिन्न आवासों में अपनी अनुकूली क्षमताओं के लिए जानी जाने वाली छिपकलियों, एनोल्स (Anoles) की छह प्रजातियों का अध्ययन किया।
उन्होंने पाया कि पेड़ की कैनोपी जैसे अधिक जटिल वातावरण में रहने वाली छिपकलियों के मस्तिष्क में सघन न्यूरॉन्स होते हैं।
इससे पता चलता है कि विविध आवासों में भ्रमण करने से अधिक जटिल मस्तिष्कों का विकास हो सकता है।
एनोल्स (Anoles) के बारे में
एनोल्स एक विशेष प्रकार की छिपकली हैं।
छिपकलियाँ सरीसृपों का एक व्यापक समूह हैं।
वैज्ञानिक नाम: एनोलिस कैरोलिनेंसिस (Anolis Carolinensis)
संरक्षण की स्थिति: निकट संकटग्रस्त (Least Concern)।
वर्गीकरण: कॉमन ग्रीन एनोल एवं क्यूबन ब्राउन एनोल।
शारीरिक विशेषताएँ: एनोल्स त्वचा का रंग, ड्यूलैप्स एवं मजबूत पकड़ वाले पैर के पैड को बदलने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाना एवं विनिर्माण करना
(Faster Adoption and Manufacturing of Electric Vehicles- FAME)
भारत सरकार अगले दो महीनों में अपनी प्रमुख इलेक्ट्रिक मोबिलिटी अपनाने की योजना FAME के तीसरे चरण को अंतिम रूप देने का प्रयास कर रही है।
[हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण (FAME)-III] के बारे में
प्रयासों की निरंतरता: इसे FAME योजना के पहले दो चरणों में आने वाले मुद्दों के समाधान के लिए लॉन्च किया गया है।
EMPS का प्रतिस्थापन: यह सितंबर में समाप्त होने वाली अस्थायी इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (EMPS), 2024 का स्थान लेगी।
FAME-II का अनुवर्ती: FAME III, FAME II पर आधारित है, जो वर्ष 2019 में शुरू हुआ था। FAME II का प्रारंभिक परिव्यय ₹10,000 करोड़ था एवं इसे अतिरिक्त ₹1,500 करोड़ के साथ मार्च 2024 तक बढ़ा दिया गया था।
लक्ष्य समर्थन: योजना का प्रारंभिक लक्ष्य 10 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया, 5 लाख इलेक्ट्रिक तिपहिया, 55,000 इलेक्ट्रिक यात्री कारों एवं 7,000 इलेक्ट्रिक बसों का समर्थन करना था।
FAME योजना के बारे में
FAME I
FAME इंडिया, राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अग्रिम खरीद प्रोत्साहन प्रदान करके इलेक्ट्रिक एवं हाइब्रिड वाहन अपनाने को बढ़ावा देना है।
यह योजना वर्ष 2015 में शुरू हुई एवं 895 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 31 मार्च, 2019 को पूरी हुई।
FAME इंडिया योजना के इस चरण में चार फोकस क्षेत्र थे, यानी तकनीकी विकास, माँग सृजन, पायलट परियोजना एवं चार्जिंग संबंधी बुनियादी ढाँचा घटक।
FAME II
FAME को वर्ष 2019 में तीन वर्षों के लिए ₹10,000 करोड़ के प्रारंभिक परिव्यय के साथ शुरू किया गया था। बाद में इसे वर्ष 2024 तक बढ़ा दिया गया।
यह चरण मुख्य रूप से ई-बसों, ई-3 व्हीलर, ई-4 व्हीलर यात्री कारों एवं ई-2 व्हीलर के लिए माँग प्रोत्साहन के माध्यम से सार्वजनिक तथा साझा परिवहन के विद्युतीकरण का समर्थन करने पर केंद्रित है।
प्रोजेक्ट स्ट्रॉबेरी
(Project Strawberry)
OpenAI अपने सबसे शक्तिशाली AI मॉडल को जारी करने की योजना बना रहा है, जिसका कोडनेम ‘प्रोजेक्ट स्ट्रॉबेरी’ (Project Strawberry) है, जिसे ChatGPT-5 में एकीकृत किया जा सकता है।
प्रोजेक्ट स्ट्रॉबेरी के बारे में
इसे स्वायत्त इंटरनेट अनुसंधान को बढ़ाने एवं AI तर्क क्षमताओं में नाटकीय रूप से सुधार करने के लिए OpenAI द्वारा विकसित किया जा रहा है।
प्रमुख विशेषताएँ
बेहतर गणित, प्रोग्रामिंग एवं पहेली सुलझाने का कौशल।
सोचने का उन्नत स्तर।
संभावित अनुप्रयोग
स्वायत्त रूप से प्रयोग करना, डेटा का विश्लेषण करना एवं नई परिकल्पनाएँ प्रस्तुत करना।
वैयक्तिकृत शिक्षा, शैक्षिक सामग्री एवं इंटरैक्टिव पाठ विकसित करना।
OpenAI के अगले फ्रंटियर मॉडल, कोडनेम ओरियन (Orion) के लिए उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण डेटा का सृजन।
बर्ड डंग क्रैब स्पाइडर (Bird Dung Crab Spider)
असम में मकड़ी की एक ऐसी प्रजाति को भारत की एराक्निड (Arachnids) की सूची में शामिल किया है जिसका जाला, पक्षी के मल जैसा दिखता है।
फ्रिनाराचने डेसिपिएन्स (Phrynarachne Decipiens)
इसका वैज्ञानिक नाम फ्रिनाराचने डेसिपिएन्स (Phrynarachne Decipiens) है।
इसे ‘बर्ड डंग क्रैब स्पाइडर’ (Bird Dung Crab Spider) के रूप में जाना जाता है। यह मलेशिया और इंडोनेशिया के जावा एवं सुमात्रा में वितरित होने के लिए जानी जाती थी।
विशेषताएँ
भारत में खोज: इसे भारत में पहली बार असम के कामरूप जिले के सोनापुर एवं कोकराझार जिले के चिरांग रिजर्व फॉरेस्ट (Chirang Reserve Forest) में खोजा गया था।
भौतिक विशेषताएँ
कैमोफ्लॉज (Camouflage): मकड़ी का चाकदार सफेद रंग एवं पत्तियों पर सफेद जमाव (उसका जाल), पक्षी के मल की तरह दिखता है, जिससे इसे देखना बहुत मुश्किल हो जाता है।
लंबाई: आठ आँखों वाली ‘बर्ड डंग क्रैब स्पाइडर’ की लंबाई 13.14 मिमी. मापी गई।
व्यवहार: मकड़ी आमतौर पर चौड़ी पत्तियों के ऊपरी हिस्से पर जमीन से 1-2 फीट ऊपर निश्चल पड़ी हुई दिखाई देती है।
वरुण अभ्यास
(Exercise Varuna)
भारतीय नौसेना का एक P8I विमान फ्राँसीसी नौसेना के साथ ‘अभ्यास वरुण’ (Exercise Varuna) में भाग लेने के लिए फ्राँस पहुँच गया है।
‘अभ्यास वरुण’ के बारे में
यह भारत एवं फ्राँस के बीच द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास है, जिसे वर्ष 1993 में शुरू किया गया था।
वर्ष 2001 में इसे वरुण (VARUNA) नाम दिया गया एवं यह भारत-फ्राँस रणनीतिक द्विपक्षीय संबंधों की पहचान बन गया है।
अभ्यास वरुण का वर्ष 2024 का संस्करण भूमध्य सागर में निर्धारित किया गया है।
इसमें दोनों नौसेनाओं के बीच गहरे तालमेल एवं अंतरसंचालनीयता को रेखांकित करने वाले उन्नत सामरिक अभ्यास शामिल होंगे।
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