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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal June 14, 2025 02:47 110 0

नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (NPG)- PM गतिशक्ति

PM गतिशक्ति के तहत नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (NPG) की 95वीं बैठक बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का मूल्यांकन करने एवं मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी तथा लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ाने के लिए की गई थी।

  • NPG ने एकीकृत मल्टीमॉडल बुनियादी ढाँचे, आर्थिक एवं सामाजिक नोड्स के लिए अंतिम-मील कनेक्टिविटी तथा इंटरमॉडल समन्वय के PM गतिशक्ति सिद्धांतों की अनुरूपता का आकलन करने के लिए पाँच परियोजनाओं का मूल्यांकन किया।

प्रमुख परियोजनाएँ

  • अहमदाबाद मेट्रो रेल परियोजना चरण-2A
    • मंत्रालय: केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA)
    • परियोजना: अहमदाबाद मेट्रो को 6.032 किलोमीटर तक विस्तारित करने के लिए मेट्रो कनेक्टिविटी, कोटेश्वर मेट्रो स्टेशन से सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करना
  • महाराष्ट्र में प्रस्तावित वधावन बंदरगाह से कनेक्टिविटी के लिए NH 248S के 8-लेन एक्सेस-नियंत्रित राजमार्ग:
    • मंत्रालय: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH)
  • महामंदिर से अखलिया चौराहा तक जोधपुर शहर के हिस्से में चार लेन की एलिवेटेड सड़क का निर्माण।
    • मंत्रालय: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH)
  • MMPL हैदराबाद
    • मंत्रालय: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH)
    • परियोजना: तेलंगाना के मेडक जिले के मनोहराबाद मंडल के पार्कीबांडा गाँव में एक मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) विकसित करना।
  • MMPL पटना
    • मंत्रालय: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH)
    • परियोजना: बिहार के पटना जिले में स्थित जैतिया गांव में 106.19 एकड़ का मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMPL) विकसित करना।

अपतटीय सुरक्षा समन्वय समिति

हाल ही में भारतीय तटरक्षक बल (ICG) ने नई दिल्ली में अपतटीय सुरक्षा समन्वय समिति (OSCC) की 137वीं बैठक की अध्यक्षता की। 

  • उद्देश्य: बैठक का उद्देश्य भारत के अपतटीय प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की तैयारियों एवं प्रभावशीलता की समीक्षा करना तथा संयुक्त प्रतिक्रिया तंत्र को बढ़ाना था। 

अपतटीय सुरक्षा समन्वय समिति (OSCC)

  • OSCC का गठन वर्ष 1978 में अपतटीय सुरक्षा व्यवस्था के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। 
  • अध्यक्ष: भारतीय तटरक्षक महानिदेशक OSCC के अध्यक्ष हैं। 
  • संरचना: समिति में निम्नलिखित संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं: 
    • भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय, खुफिया ब्यूरो, ONGC। 
  • समिति अपतटीय रक्षा क्षेत्र से संबंधित मुद्दों के लिए नीति निर्मण करने एवं मार्गदर्शन तथा समाधान प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है।

भारतीय तटरक्षक बल के बारे में

  • स्थापना: भारतीय तटरक्षक बल का औपचारिक रूप से उद्घाटन 19 अगस्त 1978 को हुआ था, जिसमें भारतीय जल एवं विशेष आर्थिक क्षेत्र में निगरानी के लिए सात जहाजों का बेड़ा शामिल था।
  • आदर्श वाक्य: “वयं रक्षामः” अर्थात हम रक्षा करते हैं।
  • भूमिका: भारतीय तटरक्षक बल समुद्र एवं तेल, मछली तथा खनिजों सहित अपतटीय संपदा की रक्षा के लिए जिम्मेदार है।
    • आपदा की स्थिति में नाविकों की सहायता करना एवं समुद्र में जान-माल की सुरक्षा करना।
    • समुद्र, अवैध शिकार, तस्करी एवं नशीले पदार्थों के संबंध में समुद्री कानूनों को लागू करना।
    • समुद्री पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को संरक्षित करना तथा दुर्लभ प्रजातियों की रक्षा करना।
    • युद्ध के दौरान वैज्ञानिक डेटा एकत्र करना एवं नौसेना का समर्थन करना
  • पुरस्कार: तटरक्षक पदक (Tatrakshak Medal) तटरक्षक बल के कर्मियों को कर्तव्य के प्रति समर्पण के साथ-साथ वीरतापूर्ण कार्य के लिए दिया जाता है।

मेट्टूर बांध

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने 12 जून को सिंचाई के लिए मेट्टूर में स्टेनली जलाशय के द्वार खोल दिए।

मेट्टूर बांध के बारे में

  • अवस्थिति: तमिलनाडु के सलेम जिले के मेट्टूर में कावेरी नदी पर स्थित है, जहाँ से यह मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है।
  • निर्माण: आयरिश इंजीनियर विंसेंट हार्ट की देखरेख में वर्ष 1925-1934 के बीच बनाया गया।
  • जलाशय: 93.4 बिलियन क्यूबिक फीट (2.64 वर्ग किमी.) की क्षमता वाले स्टेनली जलाशय का निर्माण करता है।
  • विशेषताएँ: यह एक चिनाई आधारित गुरुत्वाकर्षण बांध है।
    • गुरुत्व बांध: गुरुत्वाकर्षण बांध कंक्रीट या पत्थर की चिनाई द्वारा बने होते हैं एवं जल के बल का विरोध करने के लिए अपने भार पर निर्भर होते हैं।
  • महत्त्व: तमिलनाडु का सबसे बड़ा बांध एवं भारत में सबसे बड़े बांधों में से एक यह बाँध सिंचाई, पेयजल  तथा पनबिजली के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • वित्त पोषण: मद्रास प्रेसीडेंसी से करों द्वारा वित्तपोषित, सर C.P. रामास्वामी अय्यर द्वारा शुरू किया गया।
  • कावेरी विवाद: तमिलनाडु एवं कर्नाटक के बीच जल बँटवारे को लेकर विवाद है। कर्नाटक के अपस्ट्रीम बांध (जैसे, काबिनी) मेट्टूर में जल के प्रवाह को कम करते हैं।

गुजरात में प्रारंभिक हड़प्पा बस्ती के अवशेष 

केरल विश्वविद्यालय के पुरातत्वविदों ने कच्छ (गुजरात) के लाखापार गाँव के पास 5,300 वर्ष पुरानी प्रारंभिक हड़प्पा बस्ती का उत्खनन प्रारंभ किया।

उत्खनन के मुख्य निष्कर्ष

  • संरचनात्मक साक्ष्य: स्थानीय बलुआ पत्थर एवं शेल से बनी दीवारों के अवशेष योजनाबद्ध शहरी बस्ती का संकेत देते हैं।
  • दुर्लभ मृदभांड: प्रारंभिक एवं शास्त्रीय हड़प्पा दोनों चरणों के मृदभांड, लगभग 3300 ईसा पूर्व के पाए गए हैं।
    • अत्यंत दुर्लभ ‘प्री-प्रभास वेयर’, जो पहले गुजरात में केवल तीन स्थलों से ही ज्ञात थे, जो हड़प्पा सभ्यता के भीतर एक अद्वितीय सांस्कृतिक समूह का संकेत देते हैं।
      • ‘प्री-प्रभास वेयर’ प्रारंभिक हड़प्पा काल के दौरान गुजरात के सौराष्ट्र से एक प्रारंभिक सिरेमिक परंपरा है।
      • उन्हें पहली बार वर्ष 1956-57 में प्रभास पाटन (सोमनाथ) में खुदाई के दौरान खोजा गया था।
  • शवाधान स्थल: प्री-प्रभास मृदभांडों के साथ एक मानव कंकाल शवाधान है।
    • यह दुर्लभ बर्तनों को शामिल करने वाला पहला ज्ञात शवाधान है।
  • मोती एवं औजार: कार्नेलियन, एगेट, तांबे की वस्तुएँ तथा रोहरी चर्ट ब्लेड (सिंध के साथ व्यापार का संकेत)।
  • पशु अवशेष: मवेशियों, भेड़ों, बकरियों, मछलियों एवं सीपियों के साक्ष्य बताते हैं कि निवासी पशुपालन तथा जलीय संसाधनों दोनों पर निर्भर थे।
  • जूना खटिया नेक्रोपोलिस से संबंध: लाखापार स्थल जूना खटिया (197 कब्र) में पहले से खोदे गए प्रारंभिक हड़प्पा शवाधान स्थल से केवल 1.5 किमी दूर स्थित है। 
    • यह स्थल महत्त्वपूर्ण आवास स्थल प्रदान करता है, जो प्रारंभिक हड़प्पा चरण के निपटान चक्र एवं शवदाह प्रथाओं के बीच के अंतराल को कम करने में मदद करता है।

यूरेशियन ऊदबिलाव (Eurasian Otters) 

हाल ही में, कश्मीर घाटी में विलुप्त माने जाने वाले यूरेशियन ऊदबिलाव को दक्षिण कश्मीर के श्रीगुफवारा में लिद्दर नदी में देखा गया है।

यूरेशियन ऊदबिलाव (Eurasian Otters) 

  • यूरेशियन ऊदबिलाव (Eurasian Otters) भारत में पाई जाने वाली तीन ऊदबिलाव प्रजातियों में से एक है, जो कि स्मूथ कोटीड ओटर (Smooth-coated Otter) (लूट्रोगेल पर्सिपिसिलाटा) एवं एशियन स्माल  क्लावेड ओटर (Asian small-clawed otter )(एओनिक्स सिनेरियस) हैं।
  • निवास: नदियों, झीलों एवं दलदलों सहित प्रचुर मात्रा में मछलियों के साथ स्वच्छ मीठे जल के  वातावरण में रहते है।
  • विशेषताएँ: यूरेशियन ऊदबिलाव मुख्य रूप से निशाचर होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे रात्रि के दौरान सबसे अधिक सक्रिय होते हैं।
  • वितरण: मुख्य रूप से यूरोप एवं एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है, भारत में इसकी उपस्थिति दुर्लभ है, यह मुख्य रूप से हिमालय की तलहटी, पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों तथा पश्चिमी घाटों में कुछ जगहों तक ही सीमित है।
  • संरक्षण स्थिति
    • यूरेशियन ऊदबिलाव: CITES-परिशिष्ट I; WPA-अनुसूची II; IUCN स्थिति-निकट संकटग्रस्त”
    • स्मूथ कोटिड ओटर (Smooth-coated Otter): CITES-परिशिष्ट I; WPA-अनुसूची I; IUCN-संकटग्रस्त।
    • एशियन स्माल क्लावेड ओटर (Asian small-clawed otter): CITES-परिशिष्ट I; WPA-अनुसूची I; IUCN- संकटग्रस्त।

लिद्दर नदी के बारे में

  • भारत के जम्मू एवं कश्मीर की कश्मीर घाटी में स्थित है।
    • पहलगाम इसके किनारे पर स्थित है।
  • यह कोलाहोई ग्लेशियर से निकलती है एवं झेलम नदी का जलग्रहण क्षेत्र बनाती है।

अभ्यास खान क्वेस्ट

हाल ही में भारतीय सेना की एक बटालियन ‘खान क्वेस्ट अभ्यास’ के लिए मंगोलिया के उलानबटार पहुँची है।

खान क्वेस्ट अभ्यास के बारे में

  • यह अभ्यास प्रारम्भ में वर्ष 2003 में USA एवं मंगोलियाई सशस्त्र बलों के बीच एक द्विपक्षीय कार्यक्रम के रूप में शुरू हुआ तथा वर्ष 2006 से एक बहुराष्ट्रीय अभ्यास बन गया।
  • वर्ष 2025 में यह इस अभ्यास का  22वाँ संस्करण होगा।
  • मेजबान: मंगोलिया
  • मुख्य बिंदु 
    • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत शांति समर्थन अभियानों में अंतर-संचालन एवं सैन्य तत्परता में वृद्धि करना।
    • अभ्यास उच्च स्तर की शारीरिक फिटनेस, संयुक्त योजना एवं संयुक्त सामरिक अभ्यास पर केंद्रित होगा।

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